Saturday 28 February 2015

वैज्ञानिक चेतना पैदा करने की जरुरत

शशांक द्विवेदी
LOKMAT
पिछले दिनों प्रसिद्ध वैज्ञानिक और भारत रत्न प्रोफेसर सी एन आर राव ने कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी ने “विकास “ की बात तो बहुत की लेकिन “विज्ञान” और “उच्च शिक्षा “ के लिए कुछ खास नहीं किया। जबकि देश में शोध ,विज्ञान और उच्च शिक्षा के हालात बहुत खराब है । प्रधानमंत्री मोदी ने कई महत्वपूर्ण मंचों पर कहा और वादा भी किया कि सरकार देश में शोध का माहौल बनायेगी लेकिन सच बात तो यह है कि देश में विज्ञान के बुनियादी विकास के लिए कोई भी ठोस रणनीति नहीं बनाई गयी ना ही इसके लिए पिछले अंतरिम बजट में कोई बड़ा आवंटन किया गया । हाल में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई में 102वीं विज्ञान कांग्रेस का उद्धघाटन करते हुए कहा था कि वैज्ञानिकों को शोध के काम के लिए सरकार की ओर से फंड की कोई कमी नहीं होगी उन्‍होंने कहा कि विज्ञान के द्वारा ही आधुनिक भारत का सपना पूरा होगा
आज वित्त मंत्री अरुण जेटली देश का केंदीय बजट संसद में पेश करने वाले है ऐसे में ये देखना काफी दिलचस्प होगा कि नई सरकार ने शोध ,विज्ञान ,उच्च शिक्षा के लिए क्या दिया ?क्योंकि पिछले कई सालों से केंद्र सरकार द्वारा विज्ञान के लिए बजट में जीडीपी का दो प्रतिशत खर्च करने की बात की गयी लेकिन दिया कभी दिया नहीं गया । केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद पिछले साल जुलाई में अंतरिम बजट में भी “विज्ञान “ के लिए कुछ खास नही किया गया था । विज्ञान को  हमेशा उम्मीद से काफी कम बजट मिला । फिलहाल यह जीडीपी का लगभग 1 प्रतिशत है । एक तरफ प्रधानमंत्री मोदी देश में “मेक इन इंडिया “ की बात कर रहें है वही दूसरी तरफ देश में बुनियादी विज्ञान को बढ़ावा देने वाला कोई बड़ा कार्यक्रम सरकार के पास नहीं है ।
विज्ञान से होने वाले लाभों के प्रति समाज में जागरूकता लाने और वैज्ञानिक सोच पैदा करने के उद्देश्य से हर साल 28 फरवरी को भारत में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। लेकिन पिछले कुछ सालों से विज्ञान दिवस एक सरकारी रस्म अदायगी का कार्यक्रम बन कर रह गया है क्योंकि आज के इस आधुनिक युग में भी “विज्ञान “ आम आदमी से काफी दूर है हम अभी तक आम आदमी में वैज्ञानिक चेतना का विकास नहीं कर पायें है ,देश में अंधविश्वास का बोलबाला है देश के लगभग हर हिस्से में विशेषकर गाँव और कस्बों में अंधविश्वास की जड़ें काफी गहरी है जिन्हें उखाड़ फ़ेकने के लिए आज लोगों में वैज्ञानिक सोच पैदा करने की जरुरत है विज्ञान संचार की दिशा में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को काफी काम करने की जरुरत है समाज के हर तबके तक विज्ञान और तकनीक की पहुंच होनी चाहिए डिजिटल कनेक्टिविटी एक मौलिक अधिकारबनना जरूरी है हर नागरिक को विज्ञान से जोड़ना आवश्‍यक है देश के विकास में विज्ञान का महत्वपूर्ण योगदान है। विज्ञान दुनिया को और करीब लाता है। विज्ञान से ही आधुनिक भारत का सपना पूरा होगा। देश में शोध और अनुसंधान का माहौल होगा तो “मेक इन इंडिया “ का सपना भी पूरा हो सकेगा और हम तकनीकी प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो सकेंगे विज्ञान में ही गरीबी और बेरोजगारी दूर करने का सामर्थ्य है. देश  की प्रगति एवं मानव विकास, विज्ञान तथा तकनीकी से जुड़ा हुआ है और आज चीन ने विश्‍व में दूसरी बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था का जो दर्जा हासिल किया है वह उसके विज्ञान और तकनीकी गतिविधियों से ही संभव हुआ है।
विज्ञान ने आधुनिक भारत को बदलने में काफी मदद की है। जब भी विश्‍व ने हमारे लिए अपने दरवाजे बंद किए तो हमारे वैज्ञानिकों ने अनूठी पहल की और हमें नया रास्‍ता दिखाने की सफल कोशिश की पहले प्रयास में ही मंगल ग्रह पर पहुंचना हमारी बड़ी कामयाबी है अपनी उपलब्धियों पर हमें गर्व है लेकिन अभी कई चुनौतियों का सामना करना है भारत के फार्मास्‍यूटिकल उद्योग ने विश्‍व में अपनी पहचान इसलिए बनाई है क्‍योंकि उसने शोध के क्षेत्र में बहुत अधिक निवेश किया है।अभी कई दूसरे क्षेत्रों में भी निवेश बढ़ाने की जरुरत है जिससे वो अधिक गति से तरक्की कर सकें इसके लिए हमें विज्ञान एवं वैज्ञानिकों के गौरव और सम्मान को बहाल करना होगा साथ में ही  विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार को राष्ट्रीय प्राथमिकताओं में शीर्ष पर रखना होगा
विज्ञान काँग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी ने साफ़ कहा कि  अनुसंधान करने की सहूलियत उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी कारोबार करने की सहूलियत और अनुसंधान में कभी भी पैसों की कमी नहीं होने दी जायेगी, सरकार का यह प्रयास होगाउन्होंने कहा, 'मैं चाहता हूं कि हमारे वैज्ञानिक और अनुसंधानकर्ता सरकारी प्रक्रियाओं की नहीं, विज्ञान की गुत्थियां सुलझाएं' उनका इशारा देश में वैज्ञानिक समुदाय द्वारा अनुसंधान के लिए धन मिलने में विलंब तथा वैश्विक सम्मेलनों में शामिल होने के लिए अनुमति प्रक्रिया में विलंब के बारे में की जाने वाली शिकायतों की ओर था यह एक अच्छा संकेत है कि देश के प्रधानमंत्री को विज्ञान के क्षेत्र की बुनियादी समस्याओं के बारें में ठीक तरह से पता है लेकिन अब केंद्र सरकार इनके समाधान के लिए क्या कदम उठाती है इसके लिए भविष्य का इंतजार करना होगा
आज जरुरत इस बात की भी है कि वैज्ञानिक ज्यादा उचित, प्रभावी टिकाउ एवं किफायती प्रौद्योगिकियां विकसित करने के लिए पारंपरिक स्थानीय ज्ञान का समावेश करें ताकि विकास एवं प्रगति में जबरदस्त योगदान मिल सकेजिससे विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के हाथ निर्धनतम, दूरस्थ स्थल पर रहने वाले एवं सर्वाधिक जरुरतमंद व्यक्ति तक पहुँच जाएँ  अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में आज भारत की गिनती अग्रणी देशों में होती है। विज्ञान के कई दूसरे क्षेत्रों में भी बहुत-सी भारतीय प्रतिभाएं सक्रिय हैं। लेकिन देश में विज्ञान की शिक्षा ,शोध और अनुसंधान की स्थिति ठीक नहीं है समाज में वैज्ञानिक चेतना और वैज्ञानिक नजरिए की व्यापक कमी दिख रही है इस बार खुद  विज्ञान कांग्रेस का आयोजन कई गलत कारणों से भी सुर्खियों में रहा जहाँ कुछ सत्रों में वैज्ञानिक तथ्यों के अलावा मिथकों या कहानियों  को महत्त्व दिया गया प्राचीन भारत के गौरव-गान के लिए बहुत कुछ है, पर मिथकों और रूपकों को विज्ञान साबित करने की कोशिश से न तो उनका अर्थ और संदेश बचा रह सकता है न ही विज्ञान की समझ विकसित हो सकती है। फिलहाल विज्ञान की चर्चा अक्सर बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धियों के नजदीक सिमट कर रह जाती है। मगर आज सबसे ज्यादा जरुरत इस बात की है कि देश में विज्ञान की शिक्षा की स्थिति कैसे सुधरे, और दूसरे, जन-समस्याओं के निराकरण में विज्ञान का उपयोग कैसे बढ़ाया जाए। देश में विज्ञान की शिक्षा के लिए स्कूली स्तर पर प्रयोगशालाओं की भारी कमी है। समझने और प्रयोग करके सीखने के बजाय विद्यार्थियों को तथ्य रटना पड़ता है जो कि ठीक नहीं है स्कूल के बाद विश्वविद्यालय स्तर पर भी विज्ञान शिक्षा के बुनियादी हालात ठीक नहीं है जिन पर तत्काल ध्यान देने की जरुरत है । आज जरुरत है विज्ञान के विषय में गंभीरता से एक राष्ट्रीय नीति बनाने की और उस पर संजीदगी से अमल करने की सिर्फ बातें करने और घोषणाओं से कुछ हासिल नहीं होने वाला । बहरहाल प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को अपने वादे पर अमल करते हुए केंद्रीय बजट में विज्ञान और अनुसंधान के लिए और अधिक धनराशि स्वीकृत करनी चाहिए जिससे देश में वैज्ञानिक अनुसंधान में धन की कमी आड़े न आये और देश में वैज्ञानिक शोध और आविष्कार का एक सकारात्मक माहौल बने । 

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