राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर विशेष
dainik Jagran |
शशांक द्विवेदी
देश में वैज्ञानिक चेतना पैदा करने के उद्देश्य से हर साल 28 फरवरी को भारत में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। लेकिन पिछले कुछ सालों से विज्ञान दिवस एक सरकारी रस्म अदायगी का कार्यक्रम बन कर रह गया है क्योंकि आज के इस आधुनिक युग में भी “विज्ञान “ आम आदमी से काफी दूर है । हम अभी तक आम आदमी में वैज्ञानिक चेतना का विकास नहीं कर पायें है ,देश में अंधविश्वास का बोलबाला है । देश के लगभग हर हिस्से में विशेषकर गाँव और कस्बों में अंधविश्वास की जड़ें काफी गहरी है जिन्हें उखाड़ फ़ेकने के लिए आज लोगों में वैज्ञानिक सोच पैदा करने की जरुरत है । विज्ञान संचार की दिशा में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को काफी काम करने की जरुरत है । समाज के हर तबके तक विज्ञान और तकनीक की पहुंच होनी चाहिए। डिजिटल कनेक्टिविटी एक मौलिक अधिकार बनना जरूरी है । हर नागरिक को विज्ञान से जोड़ना आवश्यक है। देश के विकास में विज्ञान का महत्वपूर्ण योगदान है। विज्ञान दुनिया को और करीब लाता है। विज्ञान से ही आधुनिक भारत का सपना पूरा होगा। देश में शोध और अनुसंधान का माहौल होगा तो प्रधानमंत्री मोदी का “मेक इन इंडिया “ का सपना भी पूरा हो सकेगा और हम तकनीकी प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो सकेंगे । विज्ञान में ही गरीबी और बेरोजगारी दूर करने का सामर्थ्य है । देश की प्रगति एवं मानव विकास, विज्ञान तथा तकनीकी से जुड़ा हुआ है और आज चीन ने विश्व में दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था का जो दर्जा हासिल किया है वह उसके विज्ञान और तकनीकी गतिविधियों से ही संभव हुआ है।
देश में वैज्ञानिक चेतना पैदा करने के उद्देश्य से हर साल 28 फरवरी को भारत में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। लेकिन पिछले कुछ सालों से विज्ञान दिवस एक सरकारी रस्म अदायगी का कार्यक्रम बन कर रह गया है क्योंकि आज के इस आधुनिक युग में भी “विज्ञान “ आम आदमी से काफी दूर है । हम अभी तक आम आदमी में वैज्ञानिक चेतना का विकास नहीं कर पायें है ,देश में अंधविश्वास का बोलबाला है । देश के लगभग हर हिस्से में विशेषकर गाँव और कस्बों में अंधविश्वास की जड़ें काफी गहरी है जिन्हें उखाड़ फ़ेकने के लिए आज लोगों में वैज्ञानिक सोच पैदा करने की जरुरत है । विज्ञान संचार की दिशा में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को काफी काम करने की जरुरत है । समाज के हर तबके तक विज्ञान और तकनीक की पहुंच होनी चाहिए। डिजिटल कनेक्टिविटी एक मौलिक अधिकार बनना जरूरी है । हर नागरिक को विज्ञान से जोड़ना आवश्यक है। देश के विकास में विज्ञान का महत्वपूर्ण योगदान है। विज्ञान दुनिया को और करीब लाता है। विज्ञान से ही आधुनिक भारत का सपना पूरा होगा। देश में शोध और अनुसंधान का माहौल होगा तो प्रधानमंत्री मोदी का “मेक इन इंडिया “ का सपना भी पूरा हो सकेगा और हम तकनीकी प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो सकेंगे । विज्ञान में ही गरीबी और बेरोजगारी दूर करने का सामर्थ्य है । देश की प्रगति एवं मानव विकास, विज्ञान तथा तकनीकी से जुड़ा हुआ है और आज चीन ने विश्व में दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था का जो दर्जा हासिल किया है वह उसके विज्ञान और तकनीकी गतिविधियों से ही संभव हुआ है।
विज्ञान ने आधुनिक भारत को बदलने में काफी मदद की है। जब
भी विश्व ने हमारे लिए अपने दरवाजे बंद किए तो हमारे वैज्ञानिकों ने अनूठी पहल की
और हमें नया रास्ता दिखाने की सफल कोशिश की । पहले
प्रयास में ही मंगल ग्रह पर पहुंचना हमारी बड़ी कामयाबी है। अपनी
उपलब्धियों पर हमें गर्व है लेकिन अभी कई चुनौतियों का सामना करना है। भारत के फार्मास्यूटिकल उद्योग ने विश्व में अपनी
पहचान इसलिए बनाई है क्योंकि उसने शोध के क्षेत्र में बहुत अधिक निवेश किया
है।अभी कई दूसरे क्षेत्रों में भी निवेश बढ़ाने की जरुरत है जिससे वो अधिक गति से
तरक्की कर सकें । इसके लिए हमें विज्ञान एवं वैज्ञानिकों के
गौरव और सम्मान को बहाल करना होगा साथ में ही विज्ञान,
प्रौद्योगिकी और नवाचार को राष्ट्रीय प्राथमिकताओं में शीर्ष पर
रखना होगा ।
पिछले दिनों मुंबई में हुई 102वीं विज्ञान काँग्रेस ने
प्रधानमंत्री मोदी ने साफ़ कहा कि अनुसंधान
करने की सहूलियत उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी कारोबार करने की सहूलियत। और अनुसंधान में कभी भी पैसों की कमी नहीं होने दी
जायेगी, सरकार का यह
प्रयास होगा। उन्होंने कहा, 'मैं चाहता हूं कि हमारे वैज्ञानिक और अनुसंधानकर्ता
सरकारी प्रक्रियाओं की नहीं, विज्ञान की गुत्थियां सुलझाएं। ' उनका इशारा देश में वैज्ञानिक समुदाय द्वारा अनुसंधान के
लिए धन मिलने में विलंब तथा वैश्विक सम्मेलनों में शामिल होने के लिए अनुमति
प्रक्रिया में विलंब के बारे में की जाने वाली शिकायतों की ओर था। यह एक अच्छा संकेत है कि देश के प्रधानमंत्री को
विज्ञान के क्षेत्र की बुनियादी समस्याओं के बारें में ठीक तरह से पता है लेकिन अब
केंद्र सरकार इनके समाधान के लिए क्या कदम उठाती है इसके लिए भविष्य का इंतजार
करना होगा ।
आज जरुरत इस बात की भी है कि वैज्ञानिक अपने आविष्कार
के माध्यम से प्रयोगशाला से बाहर निकलकर सीधे आम आदमी से जुड सकें ,उनकी समस्याओं
के समाधान के लिए नयें तरीके ईजाद कर सकें, उनसे संवाद स्थापित कर सकें । जिससे विज्ञान और तकनीक का सीधा लाभ गरीब से गरीब और
जरूरतमंद व्यक्ति को मिल सके । अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में आज भारत की गिनती
अग्रणी देशों में होती है। विज्ञान के कई दूसरे क्षेत्रों में भी बहुत-सी भारतीय
प्रतिभाएं सक्रिय हैं। लेकिन देश में विज्ञान की शिक्षा ,शोध और अनुसंधान की
स्थिति ठीक नहीं है ।
समाज में वैज्ञानिक चेतना
और वैज्ञानिक नजरिए की व्यापक कमी दिख रही है ।
इस बार खुद विज्ञान कांग्रेस का आयोजन कई गलत कारणों से भी
सुर्खियों में रहा जहाँ कुछ सत्रों में वैज्ञानिक तथ्यों के अलावा मिथकों या
कहानियों को महत्त्व दिया गया । प्राचीन भारत के गौरव-गान के लिए बहुत कुछ है, पर मिथकों और रूपकों को विज्ञान साबित
करने की कोशिश से न तो उनका अर्थ और संदेश बचा रह सकता है न ही विज्ञान की समझ विकसित
हो सकती है। फिलहाल विज्ञान की चर्चा अक्सर बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धियों के नजदीक सिमट
कर रह जाती है। मगर आज सबसे ज्यादा जरुरत इस बात की है कि देश में विज्ञान की
शिक्षा की स्थिति कैसे सुधरे, और दूसरे, जन-समस्याओं के निराकरण में विज्ञान का उपयोग कैसे बढ़ाया जाए। देश में
विज्ञान की शिक्षा के लिए स्कूली स्तर पर प्रयोगशालाओं की भारी कमी है। समझने और
प्रयोग करके सीखने के बजाय विद्यार्थियों को तथ्य रटना पड़ता है जो कि ठीक नहीं है । स्कूल के बाद विश्वविद्यालय स्तर पर भी विज्ञान शिक्षा
के बुनियादी हालात ठीक नहीं है जिन पर तत्काल ध्यान देने की जरुरत है । आज जरुरत है विज्ञान के विषय में
गंभीरता से एक राष्ट्रीय नीति बनाने की और उस पर संजीदगी से अमल करने की सिर्फ
बातें करने और घोषणाओं से कुछ हासिल नहीं होने वाला ।
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