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Thursday, 18 September 2014

शशांक को सर्वश्रेष्ठ ब्लॉगर का सम्मान

जनसंदेश टाइम्स


 देश के विभिन्न अखबारों में शशांक द्विवेदी को सर्वश्रेष्ठ ब्लाँगर सम्मान दिए जाने पर ख़बरें प्रकाशित हुई

दैनिक जागरण 
अमर उजाला आगरा से अपने एक कॉलम “साइबर बाइट्स “ से तकनीकी लेखन की शुरुआत करने वाले शशांक द्विवेदी को हिन्दी दिवस पर नई दिल्ली में एबीपी न्यूज  के एक खास कार्यक्रम में विज्ञान और तकनीकी लेखन के क्षेत्र में उनकी प्रसिद्ध वेबसाइट विज्ञानपीडिया के लिए के लिए सर्वश्रेष्ठ ब्लॉगर का पुरस्कार दिया गया . शशांक द्विवेदी सेंट मार्गरेट इंजीनियरिंग कॉलेज,नीमराना में प्रोफ़ेसर और प्रसिद्ध वेबसाइट विज्ञानपीडिया डॉट कॉम के संपादक है .एबीपी न्यूज़ ने एक भव्य कार्यक्रम में देश भर के चुनिंदा 10 ब्लॉगरों को  सम्मानित किया. पुरस्कार के लिए ब्लॉगरों का चयन प्रसिद्ध साहित्यकार और आलोचक सुधीश पचौरी, कवि डॉ. कुमार विश्वास, गीतकार प्रसून जोशी और नीलेश मिश्र ने किया.
दैनिक जागरण ,चित्रकूट 
राजस्थान पत्रिका 
विज्ञानपीडिया डॉट कॉम (विज्ञान और तकनीक की दुनियाँ ) आम आदमी ,छात्रों और प्रोफेशनल्स को हिंदी में विज्ञान और तकनीक से सम्बंधित नवीनतम जानकारी ,खोज ,लेख उपलब्ध कराती है .इस वेबसाईट के संपादक शशांक द्विवेदी के अनुसार आम आदमी और छात्रों की विज्ञान में रूचि बढानें के उद्देश्य से दो साल पहले इसकी शुरुवात की गई थी जो काफी सफल रही .हिंदी में विज्ञान और तकनीक से सम्बंधित गुणवत्तापूर्ण कंटेंट की काफी कमी है .जबकि ग्रामीण इलाकों के बच्चों को उनकी  भाषा में ही विज्ञान कंटेंट देकर उनकी रूचि बढ़ाई जा सकती है .इस समस्या को ध्यान में रखते हुए ही विज्ञानपीडिया .कॉम जैसा प्रयोग किया गया ,जिसको आशातीत सफलता मिल रही है .
द सी एक्सप्रेस 
द सी एक्सप्रेस 
दुनियाँ के कई देशों से इस साईट को देखा जा रहा है और इसकी सामग्री पर हजारों हिट्स मिल रहें है ,वर्ड वाइड अब तक वेबसाईट के 64200 पेज व्यू हो चुके है. विज्ञानपीडिया अपनी विशिष्ट सामग्री  की वजह  से  युवाओं के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही है. इसमें अंतरिक्ष उर्जा संकट ,जल संकट ,ग्लोबल वार्मिग ,उच्च शिक्षा ,तकनीकी शिक्षा ,मंगल अभियान पर कई विशेष लेख है . वेबसाइट के संपादक शशांक द्विवेदी देश के प्रमुख हिन्दी अख़बारों के लिए विज्ञान और तकनीकी विषयों पर नियमित स्तंभ लिखते है . विज्ञान संचार  से जुडी   देश की कई संस्थाओं द्वारा उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है . अख़बारों में उनके प्रकाशितअधिकांश लेख आपको यहीं मिल जायेंगे .इस वेबसाइट का उद्देश्य आम आदमी को विज्ञान और तकनीक से जोड़ना है .इस वेबसाइट पर विज्ञान और तकनीक से सम्बंधित अच्छी से अच्छी जानकारी  उपलब्ध है .नियमित अपडेट होने से यह पाठकों को नई जानकारी उपलब्ध कराती है.



Monday, 15 September 2014

सम्मानित हुए देश के 10 ब्लॉगर

हिन्दी दिवस पर ABP NEWS के खास कार्यक्रम में सम्मानित हुए देश के 10 ब्लॉगर
शशांक द्विवेदी सम्मान प्राप्त करते हुए 
पूरा देश आज हिन्दी दिवस मना रहा है. इस मौके पर एबीपी न्यूज़ ने एक खास कार्यक्रम का आयोजन किया जिसमें देश भर के चुनिंदा 10 ब्लॉगरों का सम्मानित किया गया. पुरस्कार के लिए ब्लॉगरों का चयन हमारे चार खास मेहमान सुधीश पचौरी, डॉ. कुमार विश्वास, गीतकार प्रसून जोशी और नीलेश मिश्र ने किया.
दिल्ली के पंकज चतुर्वेदी को पर्यावरण के मुद्दों पर लिखने के लिए सम्मानित किया गया. पंकज पर्यावरण से जुड़े मुद्दे पर लगातार लिखते रहे हैं
http://pankajbooks.blogspot.in  पर आप इनके ब्लॉग को देख सकते हैं. 
# दिल्ली के पंकज तिवारी को राजनीतिक मुद्दों पर लिखने के लिए सम्मानित किया गया.
सेंट मार्ग्रेट इंजीनियरिंग कॉलेज ,नीमराना ,अलवर राजस्थान के शशांक द्विवेदी को विज्ञान के मुद्दे पर लिखने के लिए सम्मानित किया गया. इनके लेख  http://www.vigyanpedia.com  वेबसाइट  पर पढ़े जा सकते हैं

# दिल्ली की रचना को महिलाओं के मुद्दे पर लिखने के लिए सम्मानित किया गया. इनके ब्लॉग http://indianwomanhasarrived.blogspot.in

पर पढ़े जा सकते हैं.
मुंबई के अजय ब्रह्मात्मज को सिनेमा और लाइफ स्टाइल पर लिखने के लिए सम्मानित किया गया. इनके ब्लॉग http://chavannichap.blogspot.in
पर पढ़े जा सकते हैं.
इंदौर के प्रकाश हिंदुस्तानी को समसामयिकी विषयों पर लेखन के लिए सम्मानित किया गया. इनके ब्लॉगhttp://prkashhindustani.blogspot.in पर पढ़े जा सकते हैं
लंदन की शिखा वार्ष्णेय को महिला और घरेलू विषयों पर लेखन के लिए सम्मानित किया गया. इनके ब्लॉगhttp://www.shikhavarshney.com
 पर पढ़े जा सकते हैं.
फतेहपुर (यूपी) के प्रवीण त्रिवेदी को स्कूली शिक्षा और बच्चों के मुद्दों पर लेखन के लिए सम्मानित किया गया. इनके ब्लॉग http://blog.primarykamaster.com
पर पढे जा सकते हैं
दिल्ली के प्रभात रंजन को हिंदी साहित्य और समाज पर लेखन के लिए सम्मानित किया गया. इनके ब्लॉग को http://www.jankipul.com
पर पढ़ सकते हैं

दिल्ली की फिरदौस खान को साहित्य के मुद्दों पर लेखन के लिए सम्मानित किया गया. इनके ब्लॉगhttp://firdausdairy.blogspot.in

शशांक द्विवेदी को सर्वश्रेष्ठ ब्लॉगर का सम्मान

ABP News द्वारा सम्मान  




कभी सोचा नहीं था कि ब्लाँगिंग /वेबसाइट के लिए मुझे कोई पुरस्कार मिलेगा .लेकिन कल जब ABP News ने इसके लिए सम्मानित किया तो बहुत खुशी हुई .दो साल पहले जब ब्लागिंग शुरू की तो इसके बारे में कुछ खास नहीं पता था आज भी ज्यादा कुछ नहीं पता है ...मेरा ब्लाँग/ वेबसाइट अतिसाधारण है लेकिन मुझे विज्ञान लेखन से प्यार है और इसे मैंने इसी उद्देश्य से बनाया कि रोज कुछ न कुछ अच्छी जानकारी इसमें अपडेट करके आप लोगों से शेयर कर सकू ..आम आदमी को विज्ञान और तकनीक के बारे में जानकारी उसकी अपनी भाषा में दे सकू .. हिंदी में विज्ञान और तकनीक से सम्बंधित गुणवत्तापूर्ण कंटेंट की काफी कमी है .जबकि ग्रामीण इलाकों के बच्चों को उनकी  भाषा में ही विज्ञान कंटेंट देकर उनकी रूचि बढ़ाई जा सकती है .इस समस्या को ध्यान में रखते हुए ही विज्ञानपीडिया .कॉम जैसा प्रयोग किया गया ,जिसको आशातीत सफलता मिल भी रही है .आगे भी इसे और अच्छा बनाने की कोशिश करूँगा जिसमें आप लोगों का भी सहयोग अपेक्षित है .अगर आप मित्रों के पास विज्ञान /तकनीक से जुड़ी कोई खबर ,लेख हो तो वो आप मेरी वेबसाइट के लिए सहर्ष भेज सकते है .मेरे इस पुरस्कार में आप सभी मित्रों/पाठकों का भी  ही बहुत योगदान है क्योंकि आप लोगों के प्रोत्साहन ,तारीफ़ और आलोचना की वजह से ही मै कुछ अच्छा कर पा रहा हूँ इसलिए आप सभी के सहयोग और प्यार के लिए मै सदैव आपका आभारी रहूँगा .


Tuesday, 8 May 2012

साइंस ब्लॉगिंग


साइंस ब्लॉगिंग यानि कि विज्ञान चिट्ठाकारिता विज्ञान को हर विद्यार्थी, शिक्षक और जन सामान्य तक पहुँचाने का एक नया तरीका है। साइंस ब्लॉगिंग ने विज्ञान प्रचार के वैश्विक प्रयासों में एक नयी स्फूर्ति भर दी है। वैसे अंग्रेज़ी भाषा में तो विज्ञान के लिए बहुत कुछ है परन्तु अंतर्जाल की दुनिया में हिन्दी व अन्य क्षेत्रीय भाषा में अभी हाल ही में इस नवाचारी तकनीक का पदार्पण हुआ है। इस तकनीक का इस्तेमाल कुछ ही विज्ञान लेखक कर रहे हैं। निसंदेह विज्ञान शिक्षण-अधिगम और विज्ञान संचार के क्षेत्र में यह अभिनव प्रयास अंतर्जाल (इंटरनेट) के जरिये ही संभव हुआ है। आज का युग इंटरनेट का युग है। संचार के समस्त साधनों में अति उन्नत तकनीक है ये अंतर्जाल का महाजाल जिसका फैलाव विश्वव्यापी है। इंटरनेट की पहुँच आज जन सामान्य तक हो चुकी है और दुनिया में इसके उपयोगकर्ता बहुत तेजी से बढ़ रहें हैं। आज कोई यदि ज्ञान की खोज में निकलता है तो वो पुस्तकालय के साथ साथ इंटरनेट को भी प्राथमिकता देने लगा है। तो फिर ऐसे में विज्ञान शिक्षा क्यूँकर पीछे रहे आज हर घर हर विद्यालय में शिक्षक और शिक्षार्थी दोनों अंतर्जाल के माध्यम से विज्ञान शिक्षण-अधिगम की बुलंदियों को छू सकते हैं।
इंटरनेट ने तो पिछले एक दशक से भी कम समय में विज्ञान संचार के तरीके में क्रान्ति ला दी है परन्तु हिन्दी विज्ञान चिट्ठाकारिता 2007-08 से ही प्रकाश में आई और आते ही द्रुतगति से फैली। आज हिन्दी में विज्ञान चिट्ठाकारिता के अच्छे-खासे लेखक और पाठक हैं। हिन्दी माध्यम के साथ साथ अंग्रेज़ी और क्षेत्रीय भाषाओं के भी पाठक विज्ञान चिट्ठों पर अपना ज्ञान बढ़ाते हैं। आजकल विज्ञान शोध, कोचिंग, मार्गदर्शन (व्यवसायिक व शैक्षणिक) जैसे कार्य अंतर्जाल पर किये जा रहे हैं। शोधकर्ता अपने शोधपत्र और संदर्भ सूची भी खुली चर्चा के लिए ऑनलाइन रखते हैं। अंतर्जाल पर लिखी गई वैयक्तिक डायरियाँ ही ब्लॉग (हिन्दी नाम चिट्ठा) कहलाती हैं। इन चिट्ठों का लेखन, सम्पादन, प्रकाशन का कार्य खुद लेखक (चिट्ठाकार) द्वारा ही होता है। इस तकनीक की खास बात यह है कि इस में कम्प्यूटर का अधिक ज्ञान आवश्यक नहीं है। मात्र 5-6 दिनों के प्रशिक्षण के बाद कोई भी शिक्षित व्यक्ति चिट्ठाकारी शुरू कर सकता है। हिन्दी में टाइप ना जानते हुए भी आजकल सॉफ्टवेयर की मदद से रोमन स्टाइल में हिन्दी लिखी जा सकती है।

विज्ञान शिक्षण के क्षेत्र में नित नई चुनौतियों के मद्देनजर विज्ञान संचार के लिये यह आवश्यक हो जाता है कि विज्ञान संचारक, संचार के प्रत्येक उस उन्नत व नवाचार माध्यम को चुने जिसके जरिये वो विज्ञान के प्रत्येक ज्ञानपिपासु और जनसामान्य तक पहुँच सके। इन्फॉर्मेशन टैक्नोलोजी (I.T.) के द्वारा आज इस मकसद में कामयाबी प्राप्त हो चुकी है। जब कोई हिन्दी माध्यम में शिक्षा ग्रहण करने वाला पूर्व माध्यमिक या माद्यमिक स्तर का छात्र किसी विज्ञान जानकारी और विज्ञान प्रदर्शनी के लिए मॉडल बनाने के लिए अंतर्जाल तक पहुँचता है तो उसे विभिन्न  वेबसाइटों पर सम्बन्धित ज्ञान का भण्डार मिलता है परन्तु सब कुछ अंग्रेजी में, ऐसी स्तिथि में उसे भाषा माध्यम की दिक्कत पेश आती है।