Showing posts with label पीयूष पांडे. Show all posts
Showing posts with label पीयूष पांडे. Show all posts

Sunday, 9 December 2012

क्यूकि डॉट कॉम


फिल्म निर्देशक शेखर कपूर और संगीत निर्देशक एआर रहमान आखिरकार क्यूकि को मैदान में ले आए हैं। क्यूकि डॉट कॉम की चर्चा इस साल की शुरुआत से है, लेकिन यह लॉन्च बीते बुधवार को हुई। यह रचनात्मकता को बढ़ावा देने के मकसद से तैयार सोशल नेटवर्किंग साइट है। वेबसाइट को तीन हिस्सों में बांटा गया है, क्रिएशन, कम्युनिटी और इंस्पिरेशन। सामान्य शब्दों में यह साइट हुनर के प्रदर्शन का मंच है, जहां लेखक, संगीतकार, अभिनेता, निर्देशक, फोटोग्राफर और पेंटर समेत तमाम लोग अपना प्रोफाइल बना अपने हुनर को बड़ा मंच दे सकते हैं। उपयोक्ताओं का कंटेंट देखने के लिए दिग्गजों की टीम है। इनमें रंजीत बारोट, इम्तियाज अली, चेतन भगत और सुरेश नटराजन जैसे लोग शामिल हैं। क्यूकि की सफलता-विफलता के बारे में अभी कोई टिप्पणी नहीं की जा सकती, लेकिन इसमें कोई दोराय नहीं कि इसे तुम्भीडॉटकॉम और टैलेंटहाउस जैसी लोकप्रिय साइटों से टक्कर लेनी है। तुम्भीडॉटकॉम से अनुराग कश्यप जैसे निर्देशक जुड़े हुए हैं। सवाल सिर्फ इन दो-तीन साइटों का नहीं है। सवाल है सोशल मीडिया के हुनर प्रदर्शन के मंच के तौर पर इस्तेमाल का। इंटरनेट के जरिये अभी तक मनोरंजन, ऑनलाइन गेम्स खेलने, चैटिंग करने और अलग अलग विषयों की वेबसाइट्स सर्फ करने तक सीमित था, लेकिन धीरे-धीरे वेब को टीवी का विकल्प बनाने की कोशिश होने लगी है। इस कड़ी में ऑनलाइन वेब शो और टैलेंट हंट कार्यक्रमों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। हाल के दिनों में कई ऐसे उदाहरण सामने आए हैं, जब ऑनलाइन दुनिया में हुनर को तलाशा और तराशा गया। मिसाल के तौर पर द हंट सीरियल को लीजिए। रोमांच और खौफ से भरपूर हिंदी के इस धारावाहिक को किसी चैनल पर नहीं बल्कि सोशल नेटवर्रि्कग साइट आईबीबो पर प्रसारित किया गया था। अहम बात यह भी है कि इस सस्पेंस थ्रिलर के कलाकारों से लेकर पटकथा लेखक और निर्देशक तक ऑनलाइन ऑडिशन से ही चुने गए। वेब रिएलिटी शो या द हंट जैसा वेब धारावाहिक इस मायने में अलग है कि यहां हिस्सा लेने वाले प्रतियोगियों को अपना हुनर दिखाने के लिए उस तरह मारामारी नहीं करनी पड़ती, जिस तरह टीवी चैनलों में होती है। वेब आधारित टैलेंट हंट में प्रतियोगी अपने हुनर की वीडियो रिकॉर्डिंग संबंधित साइट पर अपलोड कर देते हैं, जहां अमूमन साइट के सदस्यों के वोट के आधार पर चुनाव होता है। टैलेंटहाउस पर अक्सर कोई न कोई प्रतियोगिता चलती रहती है। हाल ही में शंकर महादेवन ने हंगामा डॉटकॉम के साथ मिलकर ऑनलाइन सिंगिंग टैलेंट हंट मोबीजर आयोजित किया था। भारत में इंटरनेट के बढ़ते दायरे और बेहतर होती नेट स्पीड के बीच वेब शो और ऑनलाइन टैलेंट हंट साइट की लोकप्रियता बढ़ना तय है। इंटरनेट अपनी प्रकृति में लोकतांत्रिक है यानी इस माध्यम के जरिये अपना हुनर दिखाने के लिए किसी पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है। इंटरनेट पर उन विषयों के कार्यक्रमों के लिए भी बहुत संभावनाएं हैं, जिनके लिए छोटे पर्दे पर जगह नहीं है। लिहाजा, अलग अलग किस्म के हुनर को ऑनलाइन खोजने की शुरुआत आने वाले दिनों में तेजी से दिखाई दे सकती है। भारतीय टीवी चैनलों पर रिएलिटी शो में दिखने वाली गांव-देहात की कुछ प्रतियोगिताएं प्रतिभा का सिर्फ ट्रेलर हैं। वेब सीरियल और रिएलिटी शो प्रतिभा की बहुआयामी खान को दुनिया के सामने ला सकते हैं। इंटरनेट के लिए जरूरी बुनियादी ढांचा अभी बड़ी समस्या है, लेकिन इस क्षेत्र में धीरे-धीरे सुधार हो रहे हैं। फिलहाल, जरूरत इस बात की है कि वेब कार्यक्रमों में छोटे शहरों के नौजवानों की भागीदारी ज्यादा से ज्यादा हो और इसमें हिस्सा लेने वाले युवाओं को पहचान के साथ धन भी मिले। युवा में गाने-नाचने से लेकर मॉडलिंग-एक्टिंग तक किस्म-किस्म की प्रतिभाएं हैं, लेकिन उनके पास कोई मंच नहीं है। क्यूकि जैसी साइट इस स्थिति को बदल सकती हैं।

Thursday, 14 June 2012

पासवर्ड की चिंता

पीयूष पांडे
प्रोफेशनल्स के लिए विशेष तौर पर बनाई गई सोशल नेटवर्किग साइट लिंक्डइन के 65 लाख उपयोक्ताओं के पासवर्ड चोरी होने की खबर ने सूचना तकनीक जगत को सन्न कर दिया। इस मामले में लिंक्डइन अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई का सहयोग ले रही है। जांच का नतीजा कुछ भी आए, लेकिन लिंक्डइन जैसी चर्चित आईटी कंपनी के उपयोक्ताओं के पासवर्ड चोरी होने की खबर चिंता का सबब है। कंपनी का दावा है कि हैकर्स ने केवल पासवर्ड की सूची जारी की है और अभी यह तय नहीं है कि उनके पास पासवर्ड हैं भी या नहीं। लिंक्डइन ने अपने सभी उपयोक्ताओं से फौरन पासवर्ड बदलने के लिए भी कहा है, लेकिन इसमें कोई शक नहीं है कि हैकर्स ने सुनियोजित तरीके से इस हमले को अंजाम दिया। हैकर्स ने पहले यूजर्स के डाटा को सुरक्षित रखने के लिए इनक्रिप्शन कोड को तोड़ा और फिर पासवर्ड की सूची एक रूस की वेबसाइट पर जारी कर दी। लिंक्डइन के पासवर्ड चोरी होने के खुलासे के बाद कई दूसरी बड़ी कंपनियों ने भी माना कि उनके उपयोक्ताओं के पासवर्ड भी चोरी किए गए हैं। अमेरिका की मशहूर डेटिंग वेबसाइट ईहारमॉनी और ब्रिटेन की संगीत साइट लास्टमएफएमडॉटकॉम इनमें शामिल हैं। ईहारमॉनी के करीब 15 लाख उपयोक्ताओं के पासवर्ड चोरी होने की आशंका है। इस साल की शुरुआत में रैमनिट नामक कंप्यूटर मालवेयर के हमले में 45 हजार फेसबुक उपयोक्ताओं के पासवर्ड चोरी हो गए थे, जबकि नवंबर 2011 में सुनियोजित स्पैम हमले की वजह से फेसबुक के 60 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए थे। उस वक्त हमले के बाद अचानक लाखों लोगों की न्यूजफीड और वॉल पर अश्लील व भद्दी तस्वीरें नजर आने लगी थीं। फेसबुक के मुताबिक कि हर दिन 6 लाख बार उसके खातों को हैक करने की कोशिश की जाती है। यह अलग बात है कि हमले कामयाब नहीं होते। पासवर्ड चोरी होना कोई मामूली बात नहीं है। खासकर क्लाउड कंप्यूटिंग के युग में जब लोग अमूमन कंप्यूटर, मोबाइल और कई दूसरे उपकरणों को एक ही पासवर्ड के जरिए आपस में जोड़े रखते हैं। फेसबुक-ट्विटर आदि सोशल नेटवर्किग साइट के पासवर्ड चोरी होने के बाद उनका इस्तेमाल फिशिंग यानी ऑनलाइन जालसाजी के लिए किया जा सकता है। अफवाहें फैलाने के लिए किया जा सकता है। पासवर्ड चोरी होने के बाद क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड जैसी सूचनाएं लीक होने पर तो भयंकर गड़बड़झाला हो सकता है। पासवर्ड से जुड़ी एक बड़ी समस्या और चिंता बेहद सरल पासवर्ड रखने की प्रवृत्ति की है। इसकी वजह से अमूमन पासवर्ड चोरी आसान हो जाती है। आज सिर्फ एक छोटी सी गलती आपका ऑनलाइन अस्तित्व संकट में डाल सकती है। वजह यह कि लोग अमूमन कई खातों का पासवर्ड एक रखते हैं ताकि याद रखने में आसानी हो। एक साइट का पासवर्ड चोरी होने की दशा में हैकर्स चाहें तो आपका ऑनलाइन अस्तित्व ही मिटा सकते हैं। दूसरी बड़ी चिंता आईटी कंपनियों के सुरक्षा प्रबंध की है। आखिर फेसबुक-लिंक्डइन और ट्विटर जैसी दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों के यूजर्स का डाटा कैसे चोरी हो जाता है? ऐसा नहीं है कि इन कंपनियों ने सुरक्षा प्रबंध नहीं किए, लेकिन हैकर्स दो कदम आगे हैं। हैकर्स और कंपनियों के बीच जंग जारी है, लेकिन दांव पर उपयोक्ताओं की किस्मत है। यूजर्स को यह बात समझ में आनी चाहिए। पासवर्ड सुरक्षा सर्वोपरि है। भारत के संदर्भ में भी यह सवाल उतना ही अहम है क्योंकि यहां भी सोशल साइट्स का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। लिंक्डइन की ही बात करें तो अमेरिका के बाद साइट के सबसे ज्यादा उपयोक्ता भारत में हैं। बीते तीन साल में लिंक्डइन के उपयोक्ता भारत में 300 फीसदी बढ़े हैं। अभी करीब 1 करोड़ 40 लाख लोग इस साइट का इस्तेमाल कर रहे हैं। फेसबुक के भारत में करीब साढें पांच करोड़ यूजर्स है। यह आंकड़ा इंटरनेट आबादी के लिहाज से बहुत अधिक है।