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Thursday, 18 September 2014

शशांक को सर्वश्रेष्ठ ब्लॉगर का सम्मान

जनसंदेश टाइम्स


 देश के विभिन्न अखबारों में शशांक द्विवेदी को सर्वश्रेष्ठ ब्लाँगर सम्मान दिए जाने पर ख़बरें प्रकाशित हुई

दैनिक जागरण 
अमर उजाला आगरा से अपने एक कॉलम “साइबर बाइट्स “ से तकनीकी लेखन की शुरुआत करने वाले शशांक द्विवेदी को हिन्दी दिवस पर नई दिल्ली में एबीपी न्यूज  के एक खास कार्यक्रम में विज्ञान और तकनीकी लेखन के क्षेत्र में उनकी प्रसिद्ध वेबसाइट विज्ञानपीडिया के लिए के लिए सर्वश्रेष्ठ ब्लॉगर का पुरस्कार दिया गया . शशांक द्विवेदी सेंट मार्गरेट इंजीनियरिंग कॉलेज,नीमराना में प्रोफ़ेसर और प्रसिद्ध वेबसाइट विज्ञानपीडिया डॉट कॉम के संपादक है .एबीपी न्यूज़ ने एक भव्य कार्यक्रम में देश भर के चुनिंदा 10 ब्लॉगरों को  सम्मानित किया. पुरस्कार के लिए ब्लॉगरों का चयन प्रसिद्ध साहित्यकार और आलोचक सुधीश पचौरी, कवि डॉ. कुमार विश्वास, गीतकार प्रसून जोशी और नीलेश मिश्र ने किया.
दैनिक जागरण ,चित्रकूट 
राजस्थान पत्रिका 
विज्ञानपीडिया डॉट कॉम (विज्ञान और तकनीक की दुनियाँ ) आम आदमी ,छात्रों और प्रोफेशनल्स को हिंदी में विज्ञान और तकनीक से सम्बंधित नवीनतम जानकारी ,खोज ,लेख उपलब्ध कराती है .इस वेबसाईट के संपादक शशांक द्विवेदी के अनुसार आम आदमी और छात्रों की विज्ञान में रूचि बढानें के उद्देश्य से दो साल पहले इसकी शुरुवात की गई थी जो काफी सफल रही .हिंदी में विज्ञान और तकनीक से सम्बंधित गुणवत्तापूर्ण कंटेंट की काफी कमी है .जबकि ग्रामीण इलाकों के बच्चों को उनकी  भाषा में ही विज्ञान कंटेंट देकर उनकी रूचि बढ़ाई जा सकती है .इस समस्या को ध्यान में रखते हुए ही विज्ञानपीडिया .कॉम जैसा प्रयोग किया गया ,जिसको आशातीत सफलता मिल रही है .
द सी एक्सप्रेस 
द सी एक्सप्रेस 
दुनियाँ के कई देशों से इस साईट को देखा जा रहा है और इसकी सामग्री पर हजारों हिट्स मिल रहें है ,वर्ड वाइड अब तक वेबसाईट के 64200 पेज व्यू हो चुके है. विज्ञानपीडिया अपनी विशिष्ट सामग्री  की वजह  से  युवाओं के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही है. इसमें अंतरिक्ष उर्जा संकट ,जल संकट ,ग्लोबल वार्मिग ,उच्च शिक्षा ,तकनीकी शिक्षा ,मंगल अभियान पर कई विशेष लेख है . वेबसाइट के संपादक शशांक द्विवेदी देश के प्रमुख हिन्दी अख़बारों के लिए विज्ञान और तकनीकी विषयों पर नियमित स्तंभ लिखते है . विज्ञान संचार  से जुडी   देश की कई संस्थाओं द्वारा उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है . अख़बारों में उनके प्रकाशितअधिकांश लेख आपको यहीं मिल जायेंगे .इस वेबसाइट का उद्देश्य आम आदमी को विज्ञान और तकनीक से जोड़ना है .इस वेबसाइट पर विज्ञान और तकनीक से सम्बंधित अच्छी से अच्छी जानकारी  उपलब्ध है .नियमित अपडेट होने से यह पाठकों को नई जानकारी उपलब्ध कराती है.



Monday, 15 September 2014

सम्मानित हुए देश के 10 ब्लॉगर

हिन्दी दिवस पर ABP NEWS के खास कार्यक्रम में सम्मानित हुए देश के 10 ब्लॉगर
शशांक द्विवेदी सम्मान प्राप्त करते हुए 
पूरा देश आज हिन्दी दिवस मना रहा है. इस मौके पर एबीपी न्यूज़ ने एक खास कार्यक्रम का आयोजन किया जिसमें देश भर के चुनिंदा 10 ब्लॉगरों का सम्मानित किया गया. पुरस्कार के लिए ब्लॉगरों का चयन हमारे चार खास मेहमान सुधीश पचौरी, डॉ. कुमार विश्वास, गीतकार प्रसून जोशी और नीलेश मिश्र ने किया.
दिल्ली के पंकज चतुर्वेदी को पर्यावरण के मुद्दों पर लिखने के लिए सम्मानित किया गया. पंकज पर्यावरण से जुड़े मुद्दे पर लगातार लिखते रहे हैं
http://pankajbooks.blogspot.in  पर आप इनके ब्लॉग को देख सकते हैं. 
# दिल्ली के पंकज तिवारी को राजनीतिक मुद्दों पर लिखने के लिए सम्मानित किया गया.
सेंट मार्ग्रेट इंजीनियरिंग कॉलेज ,नीमराना ,अलवर राजस्थान के शशांक द्विवेदी को विज्ञान के मुद्दे पर लिखने के लिए सम्मानित किया गया. इनके लेख  http://www.vigyanpedia.com  वेबसाइट  पर पढ़े जा सकते हैं

# दिल्ली की रचना को महिलाओं के मुद्दे पर लिखने के लिए सम्मानित किया गया. इनके ब्लॉग http://indianwomanhasarrived.blogspot.in

पर पढ़े जा सकते हैं.
मुंबई के अजय ब्रह्मात्मज को सिनेमा और लाइफ स्टाइल पर लिखने के लिए सम्मानित किया गया. इनके ब्लॉग http://chavannichap.blogspot.in
पर पढ़े जा सकते हैं.
इंदौर के प्रकाश हिंदुस्तानी को समसामयिकी विषयों पर लेखन के लिए सम्मानित किया गया. इनके ब्लॉगhttp://prkashhindustani.blogspot.in पर पढ़े जा सकते हैं
लंदन की शिखा वार्ष्णेय को महिला और घरेलू विषयों पर लेखन के लिए सम्मानित किया गया. इनके ब्लॉगhttp://www.shikhavarshney.com
 पर पढ़े जा सकते हैं.
फतेहपुर (यूपी) के प्रवीण त्रिवेदी को स्कूली शिक्षा और बच्चों के मुद्दों पर लेखन के लिए सम्मानित किया गया. इनके ब्लॉग http://blog.primarykamaster.com
पर पढे जा सकते हैं
दिल्ली के प्रभात रंजन को हिंदी साहित्य और समाज पर लेखन के लिए सम्मानित किया गया. इनके ब्लॉग को http://www.jankipul.com
पर पढ़ सकते हैं

दिल्ली की फिरदौस खान को साहित्य के मुद्दों पर लेखन के लिए सम्मानित किया गया. इनके ब्लॉगhttp://firdausdairy.blogspot.in

शशांक द्विवेदी को सर्वश्रेष्ठ ब्लॉगर का सम्मान

ABP News द्वारा सम्मान  




कभी सोचा नहीं था कि ब्लाँगिंग /वेबसाइट के लिए मुझे कोई पुरस्कार मिलेगा .लेकिन कल जब ABP News ने इसके लिए सम्मानित किया तो बहुत खुशी हुई .दो साल पहले जब ब्लागिंग शुरू की तो इसके बारे में कुछ खास नहीं पता था आज भी ज्यादा कुछ नहीं पता है ...मेरा ब्लाँग/ वेबसाइट अतिसाधारण है लेकिन मुझे विज्ञान लेखन से प्यार है और इसे मैंने इसी उद्देश्य से बनाया कि रोज कुछ न कुछ अच्छी जानकारी इसमें अपडेट करके आप लोगों से शेयर कर सकू ..आम आदमी को विज्ञान और तकनीक के बारे में जानकारी उसकी अपनी भाषा में दे सकू .. हिंदी में विज्ञान और तकनीक से सम्बंधित गुणवत्तापूर्ण कंटेंट की काफी कमी है .जबकि ग्रामीण इलाकों के बच्चों को उनकी  भाषा में ही विज्ञान कंटेंट देकर उनकी रूचि बढ़ाई जा सकती है .इस समस्या को ध्यान में रखते हुए ही विज्ञानपीडिया .कॉम जैसा प्रयोग किया गया ,जिसको आशातीत सफलता मिल भी रही है .आगे भी इसे और अच्छा बनाने की कोशिश करूँगा जिसमें आप लोगों का भी सहयोग अपेक्षित है .अगर आप मित्रों के पास विज्ञान /तकनीक से जुड़ी कोई खबर ,लेख हो तो वो आप मेरी वेबसाइट के लिए सहर्ष भेज सकते है .मेरे इस पुरस्कार में आप सभी मित्रों/पाठकों का भी  ही बहुत योगदान है क्योंकि आप लोगों के प्रोत्साहन ,तारीफ़ और आलोचना की वजह से ही मै कुछ अच्छा कर पा रहा हूँ इसलिए आप सभी के सहयोग और प्यार के लिए मै सदैव आपका आभारी रहूँगा .


Thursday, 19 December 2013

सपने जरुर देखने चाहिए

शशांक द्विवेदी 
आज अजीज मित्र युवा कवि और लेखक प्रांजल धर ने इसी महीने की "योजना " (प्रकाशन विभाग ,भारत सरकार की महत्वपूर्ण पत्रिका ) भेजी जिसमें मेरा लेख प्रकाशित हुआ है .इसी अंक में उनका भी एक लेख है .."योजना " देखकर असीम प्रसन्नता हुई क्योंकि इस पत्रिका में छपना बेहद महत्वपूर्ण लगता है ,इसमें मेरे कई लेख प्रकाशित हुए है और हर बार एक सुखद अनुभूति होती है ..क्योंकि जब मै इलाहाबाद में था उस समय इस पत्रिका का क्रेज मैंने युवा प्रतियोगियों में देखा था तब से यही सपना देखा था कि योजना ,कुरुक्षेत्र और विज्ञान प्रगति में एक दिन मेरे लेख जरुर आयेंगे ..उस समय इलाहबाद में मेरे मामा जी नवभारतटाइम्स अखबार लेते थे जो एक दिन बाद आता था (आज का अखबार कल ) उसमें संपादकीय पेज बड़ा आकर्षित करता था और हर दिन का पढता और संभाल कर रखता था इस सपने के साथ कि एक दिन मै भी इसमें जरुर लिखूंगा और मेरे मामा उसे पढ़कर शाबाशी देंगे ..मै घर में बाबा जी से कहता था देखना बाबा एक दिन सब बड़े -बड़े अखबारों में लिखूंगा ... कुलमिलाकर उस समय उम्र कम थी (12 वी पास करके इलाहाबाद में पहुँचा था ) लेकिन सपने काफी बड़े थे ..लेकिन उस समय के देखे हुए सपने आज जब पूरे होते है तो लगता है कि सपने देखने चाहिए ..एक दिन जरुर पूरे होते है ...उन सपनों को याद करके आज भी ताकत मिलती है .. 

Thursday, 28 November 2013

लेखन में सफलता के पीछे का सच ..

आज कुछ कहने का मन है लेखन के बारे में

शशांक द्विवेदी 

  2004 में दैनिक जागरण,आगरा में प्रकाशित
पिछले 10 दिनों में विभिन्न विषयों पर देश के कई प्रमुख हिंदी अखबारों और पत्रिकाओं में मसलन दैनिक जागरण ,नवभारतटाइम्स,हिंदुस्तान ,लोकमत ,नई दुनियाँ ,राष्ट्रीय सहारा ,डेली न्यूज ,प्रभातखबर ,जनसंदेश टाइम्स , हरिभूमि ,हिमाचल दस्तक ,ट्रिब्यून ,अमर उजाला कॉम्पैक्ट ,द सी एक्सप्रेस ,कल्पतरु एक्सप्रेस ,डीएनए ,दबंग दुनियाँ ,आई नेक्स्ट ,मिड डे ,जनवाणी ,दैनिक आज के साथ सुप्रसिद्ध मैगज़ीन शुक्रवार ,इलेक्ट्रानिकी में मेरे लेख प्रकाशित हुए.. कभी –कभी ये सब सपना जैसा लगता है लेकिन हकीकत में ये सब देखकर बेहद खुशी मिलती है कि बचपन में एक स्तंभकार बनने का सपना सच हो रहा है .हर दिन खुद से ही मेरा कंपटीशन रहता है ,हर दिन बस और बेहतर ..और बेहतर लिखने की ललक रहती है .कितना भी लिख लू ,कितना भी छप जाए हर दिन एक नई चुनौती लेकर फिर आगे बढ़ने की कोशिश करता हूँ .मेरे आलोचक ही मेरे प्रेरणा स्रोत रहें है ,जब कोई मेरे लेख पढ़कर मुझे नकारने लगता है तो सोचता हूँ अगली बार इससे भी ज्यादा बेहतर करूँगा ,कोई कब तक नकारेगा ? 20 साल की उम्र से लिखना शुरू किया पहले संपादक के नाम पत्र ,फिर लेख ,इस दौरान मैंने बहुत उपेक्षा झेली ..किसी ने कहा त्योहारी लेखक हो तो किसी ने कहा कि छापामार लेखक हो ,किसी ने कहा हिंदी में विज्ञान लिखते हो कौन छापेगा तो किसी ने कहा कि ये सब छोड़कर कुछ ढंग का काम करो ..बहुत सारी बाते लोगों ने कही ,..ठेस भी पहुँची लेकिन रुका नहीं ..इतने ज्यादा आलोचकों के साथ कुछ ऐसे भी लोग मुझे बहुत कम उम्र में मिले जिन्होंने मुझे आगे बढ़ने का प्रोत्साहन दिया ,लिखना सिखाया ,सम्मान दिया ..ऐसे लोगों के बारे में कुछ याद करता हूँ तो सबसे पहले सुभाष राय सर (उस समय अमर उजाला आगरा में स्थानीय संपादक थे,वर्तमान में जनसंदेशटाइम्स के समूह संपादक) का नाम याद आता है जिन्होंने 2003 में (जब मै इंजीनियरिंग तृतीय वर्ष का छात्र था ) मुझे अमर उजाला के लिए एक कॉलम साइबर बाइट्स लिखने का मौका दिया ,खूब प्यार दिया ,सम्मान दिया ..उस दरम्यान मेरे सबसे बड़े अभिभावक वही थे ,आफिस में रोज कॉफी पिलाते थे.उनके पास रोज एक घंटे बैठकर मै बक –बक करता रहता था और वो ध्यान से सुनते रहते थे ..कभी कुछ कहा नहीं ,डांटा नहीं .सिर्फ सिखाया ,बताया ,समझाया .दूसरे व्यक्ति है राजीव सचान सर(वर्तमान में दैनिक जागरण ,राष्ट्रीय संस्करण के प्रमुख ) जिनसे मै कभी मिला नहीं ,पिछले 10 सालों से सिर्फ फोन पर बातें हुई लेकिन इन्होने मुझ जैसे बच्चे को भी गंभीरता से लिया .जब उनसे पहली बार बात हुई तो उसका बड़ा दिलचस्प किस्सा है ,मुझे उस समय किसी ने बताया कि अगर तुम्हारे लेख दैनिक जागरण ,अमर उजाला और जनसत्ता में छप गये तो तुम बड़े लेखक बन जाओगे ,मेरे मन में ये बात पूरी तरह से बैठ गयी थी ,अब तो सिर्फ बड़ा लेखक बनने के सपने आने लगे ,लेकिन हकीकत में बड़ा संघर्ष था आगे 
मै दैनिक जागरण के कानपुर आफ़िस में अपने लेख भेजा करता था संपादकीय विभाग के नाम ,मैंने कई लेख भेजे लेकिन वो प्रकाशित नहीं हुए तो मै मायूस हुआ ,फिर क्या था एक दिन शाम को मैंने जागरण के कानपुर आफ़िस फोन किया ,बोला कि संपादक जी से बात कराओं तो आपरेटर ने कहा कि किस सम्बंध में और क्यों बात करनी है ,
मैंने कहा कि भाई मैंने कई लेख भेजे वो छपे क्यों नहीं ? आप तो बस बात कराइए (मुझे तो बस धुन सवार थी ,उस समय छात्र जीवन में लेख कागज़ पर पेन से लिखता था ,बाजार में उसे टाइप कराता था फिर उसे रजिस्ट्री या फैक्स के जरिये भेजता था ,एक लेख भेजने में 150 रुपये का खर्च आ जाता था इसलिए लेख कहीं नहीं छपता था तो बड़ा दुःख होता था ) 
आपरेटर ने फोन राजीव सचान जी को ट्रांसफर कर दिया 
मैंने कहा शशांक बोल रहा हू ,उन्होंने कहा कौन शशांक 
मैं बोला कि मैंने आपको कई लेख भेजे आपने छापा क्यों नहीं ?
वो बोले कि तुम करते क्या हो ? 
मैंने कहा कि इंजीनियरिंग का छात्र हू 
वो बोले कि जानते हो संपादकीय पेज क्या होता है?
मैंने कहा कि जानता हूँ ,हर शहर में ये पेज समान होता है,बाकी पेज बदलते रहते है ,बड़े लेखक लोग यहीं पर लिखते है इसलिए मुझे भी यहाँ लिखना 
राजीव जी बोले तुम अभी बच्चे हो ,बहुत छोटे हो 
मैंने कहा कि कुलदीप नैय्यर,भरत झुनझुनवाला (इन्ही को मै बड़ा लेखक मानता था ) भी कभी छोटे रहें होंगे ,जन्म से नहीं लिखने लगे होंगे ,तो मुझे भी मौका मिलना चाहिए 
फिर मैंने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि आपकी टेबल के पास डस्ट्विन तो होगा 
वो बोले कि हां है 
मैंने कहा कि कृपया आप मेरे लेख एक बार पढ़िए अगर आप को पसंद न आये तो इन्हें फाड़ कर डस्ट्विन में फेक देना .लेकिन एक गुजारिश है कि इन्हें पढ़िए ,अगर गुणवत्ता दिखे तब प्रकाशित करियेगा.
इस बातचीत के बात पता नहीं उन्हें क्या लगा ,लेकिन कुछ दिन के बाद ही पहली बार मेरा लेख दैनिक जागरण में प्रकाशित हुआ और ये सिलसिला आज तक जारी है .उस समय जनसत्ता में राजेंद्र राजन जी,अमर उजाला में कल्लोल चक्रवर्ती,दैनिक आज में शिवमूरत यादव जी ने भी मेरी बाते सुनी ,मेरे लेख पढ़े और उन्हें प्रकाशित किये .इससे मेरा आत्मविश्वास बहुत ज्यादा बढ़ गया .इन पूरे 10 सालों में मैंने सिर्फ ये महसूस किया कि सपने जरुर देखो सपने पूरे होते है ,मेहनत का कोई विकल्प नहीं .भले ही आज मेरे लेख कई जगह प्रकाशित होते हो लेकिन मै अपनी औकात नहीं भूलता .आज भी जब कोई लेख लिखता हूँ तो उतनी ही मेहनत और शिद्दत के साथ जितना पहली बार लिखा था .इस दौरान और आज भी हर दो चार दिन में किसी न किसी संपादक महोदय से मेरी बहस हो जाती है ,वो मुझे न छापने की धमकी भी देते है लेकिन मै रुका नहीं ,झुका नहीं क्योंकि आज मेरे पास खोने को कुछ नहीं है ..अगर कोई एक छापने को मना करता है तो दूसरा तैयार है मुझे छापने को ... कोई नहीं भी छापेगा तो लिखने के लिए मेरी वेबसाइट है मेरे पास .. लोग मेरी शिकायत /आलोचना करते रहते है लेकिन इन सबसे मैंने सिर्फ अपनी गलतियों को सुधारा है और कभी किसी से समझौता नहीं किया क्योंकि मुझे लगता है लेखन से समझौता नहीं किया जा सकता ..सिर्फ अपनी शर्तों पर लिखा ,लोगों की आलोचना और तारीफ़ दोनों को एक तरह से ही लिया .यहाँ तक कि अखबार में प्रकाशित अपने लेख को ५ मिनट देखने और खुश होने के बाद मै अपने अगले लेख में लग जाता हूँ .लेखन मेरे लिए गरीब की मजदूरी की तरह है जहाँ अस्तित्व बचाए रखने के लिए रोज मेहनत करनी पड़ती है .इन लाइनों को जिंदगी में हमेशा महसूस करता हूँ ..
“मै अपने फन की बुलंदी से काम ले लूँगा 
मुझे मुकाम न दो मै खुद मुकाम ले लूँगा ...”
कुलमिलाकर लेखन मेरा प्यार है और मेरी जिंदगी है .


Sunday, 2 June 2013

विज्ञानपीडिया के पाठकों का ह्रदय से आभार

विज्ञानपीडिया.कॉम  के एक साल पूरा होने पर आप सभी मित्रों और इसके पाठकों का ह्रदय से आभार . मै पिछले कई सालों से देश के प्रमुख अखबारों के लिए लिख रहा हूँ .एक साल पहले मेरे दिमाग में आया कि आज से कई सालों बाद इन लेखों का क्या महत्व होगा ?इन्हें एक साथ ,एक जगह कैसे किया जाए जिससे लोग भी इन्हें जब-तब पढ़ सकें और उपयोग कर सके .तो दिमाग में इन विषयों पर किताब लिखने का विचार आया लेकिन ये विचार ज्यादा जमा नहीं .फिर ब्लॉग /वेबसाइट बना कर इन सब लेखों और विज्ञान सम्बंधित अच्छे कटेंट को डालने का विचार आया .हिंदी में विज्ञान के गुणवत्तापूर्ण सामग्री की बहुत कमी है ,आम आदमी ,छात्रों को उसकी भाषा में विज्ञान /तकनीक से सम्बंधित कंटेंट और अखबारों में प्रकाशित अपने विज्ञान संबंधी लेखों को एक साथ उपलब्ध कराने के उद्देश्य से विज्ञानपीडिया.कॉम की शुरुवात की . एक साल पहले मै ब्लॉग /वेबसाइट की दुनियाँ में एकदम नया था .कोई खास अनुभव भी नहीं था (अभी भी ज्यादा नहीं है ) फिर भी विज्ञान संचार की दिशा में एक कदम बढ़ाया तो रास्ता नजर आने लगा ..फिर भी  मंजिल बहुत दूर है .विज्ञानपीडिया एकदम साधारण वेबसाइट है ज्यादा डेंटिंग -पेंटिंग नहीं है ,चमकदार भी नहीं है लेकिन इसका कंटेंट  मजबूत है ..खोजपरक और विचारपरक विज्ञान लेख है ..विज्ञान की खबरों के साथ उनका विश्लेषण  करने का एक सार्थक प्रयास हुआ है ..मै इसमें कितना सफल हुआ हू मुझे नहीं पता लेकिन फिर भी इसे और अच्छा बनाने की कोशिश जारी रहेगी .इस कोशिश में आप सभी मित्रों का  सहयोग और सुझाओं  का सदैव आकांक्षी रहूँगा .आप अपने सुझाव मुझे सीधे dwivedi.shashank15@gmail.com पर मेल कर सकते है या मोबाईल न 09001433127 पर संपर्क कर सकते है 

शशांक द्विवेदी
संपादक ,विज्ञानपीडिया.कॉम
असिस्टेंट प्रोफेसर,सेंट मार्गरेट इंजीनियरिंग कॉलेज
नीमराना  राजस्थान

विज्ञानपीडिया के एक साल पूरे हुए

आज से एक साल पहले आम आदमी ,छात्रों और प्रोफेशनल्स को हिंदी में विज्ञान और तकनीक से सम्बंधित नवीनतम जानकारी ,खोज ,लेख ,ख़बरें उपलब्ध कराने के उद्देश्य से  विज्ञानपीडिया .कॉम (विज्ञान और तकनीक की दुनियाँ ) की शुरुवात की थी .जो आप सब पाठकों की वजह से काफी सफल रही .दुनियाँ के कई देशों में इस साईट को देखा गया और इसकी सामग्री पर हजारों हिट्स मिलते रहें वर्ड वाइड अब तक वेबसाईट के 23000 से अधिक पेज व्यू हो चुके है। विज्ञान पीडिया अपनी विशिष्ट सामग्री  की वजह  से  युवाओं के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही है।नियमित अपडेट होने से यह पाठकों को नई जानकारी उपलब्ध कराती है।हिंदी में विज्ञान और तकनीक से सम्बंधित गुणवत्तापूर्ण कंटेंट की काफी कमी है । आम आदमी और छात्रों की विज्ञान में रूचि बढानें के उद्देश्य से एक साल पहले इसकी शुरुवात की गई थी. ग्रामीण इलाकों के बच्चों को उनकी  भाषा में ही विज्ञान कंटेंट देकर उनकी रूचि बढ़ाई जा सकती है ।इस समस्या को ध्यान में रखते हुए ही विज्ञानपीडिया .कॉम जैसा प्रयोग किया गया ,जिसको आशातीत सफलता मिली है । इस सफलता में पाठकों का अहम योगदान है इसलिए सभी पाठकों का तहे दिल से हार्दिक आभार  और बहुत बहुत धन्यवाद .मेरी कोशिश रहेगी की मै इस वेबसाइट पर आप लोगों को विज्ञान और तकनीक से सम्बंधित अच्छी से अच्छी जानकारी  उपलब्ध करा सकू .इस काम में आप सभी मित्रों के सुझाव और उनकी रचनाये सादर आमंत्रित है. विज्ञानपीडिया को और भी अच्छा बानाने के लिए आपके सुझावों का इंतजार रहेगा 

शशांक द्विवेदी
संपादक, विज्ञानपीडिया .कॉम 



Sunday, 22 April 2012

विज्ञानपीडिया

विज्ञानपीडिया में आप सभी का हार्दिक स्वागत है .मेरी कोशिश रहेगी की मै इस वेबसाइट पर आप लोगों को विज्ञान और तकनीक से सम्बंधित अच्छी से अच्छी जानकारी  उपलब्ध करा सकू .इस काम में आप सभी मित्रों के सुझाव और उनकी रचनाये सादर आमंत्रित है .
आपका 
शशांक द्विवेदी