Friday 18 May 2012

एक नई पृथ्वी की खोज


इस ब्रह्माण्ड में जीवन के लिए सिर्फ हमारी पृथ्वी ही नहीं है बल्कि अब एक नई पृथ्वी की खोज कर ली गई है जहा पर जीवन संभव हो सकता है । अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा के केप्लर मिशन ने एक ऐसे ग्रह का पता लगाया है जो शक्ल-सूरत से पृथ्वी से मिलता-जुलता है। यहां जमीन है और शायद पानी भी। इस ग्रह की परिस्थितियां जीवन के अनुकूल हैं और खास बात यह है कि यह ग्रह अपने सूरज जैसे तारे के जीवन -अनुकूल क्षेत्र में ही चक्कर काट रहा है। खगोल वैज्ञानिकों ने वैसे तो पिछले एक साल के दौरान हमारे सौरमंडल से बाहर अनेक नए ग्रहों का पता लगाया है और इनमे से कुछ ग्रहों को संभावित पृथ्वी के रूप में भी देखा गया है, लेकिन यह पहला मौका है जब किसी ग्रह में पृथ्वी जैसे गुण देखे गए हैं।
पिछले दिनों  अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने सौरमंडल से बाहर पृथ्वी के समान और संभावित जीवन के लिए उपयुक्त वातावरण वाले केपलर 22बी नामक नए ग्रह की खोज की । नासा के अंतरिक्षविदों की टीम के अनुसार केपलर 22बी नामक इस नए ग्रह पर भविष्य में इंसानों का संभावित बसेरा हो सकता है । केप्लर 22बी ग्रह जिस तारे का चक्कर काट रहा है उसका नाम जी5 रखा गया है। यह लाइरा और साइग्नस तारामंडल में मौजूद है और पृथ्वी से लगभग 600 प्रकाश वर्ष दूर अपने सितारे के चारों ओर घूर्णन कर रहा केपलर-22बी हमारे ग्रह से 2 गुना 4 बड़ा है जिसके कारण इसे उन ग्रहों की श्रेणी में रखा गया है, जिन्हें सुपर-अर्थ कहा जाता है। यह ग्रह अपने सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने में 290 दिन का समय लेता है। अनुमान लगाया गया है कि सतह के निकट इस ग्रह का तापमान 72 डिग्री या 22 सेल्सियस होगा। हालांकि वैज्ञानिकों को यह जानकारी नहीं है कि यह ग्रह चटटानों से भरा है या यह गैस अथवा तरल अवस्था में है।. इस तारे का द्रव्यमान और अर्द्ध व्यास हमारे सूरज से कुछ कम है। इसकी वजह से इसकी चमक सूरज से 25 प्रतिशत कम है
जीवन की संभावना वाले पृथ्वी जैसे ग्रहों की खोज में एक कदम और आगे बढ़ते हुए नासा ने कहा है कि केपलर अंतरिक्ष दूरबीन ने हमारे सौर तंत्र से बाहर एक ऐसे ग्रह की मौजूदगी की पहली बार पुष्टि की है जिस पर जीवन हो सकता है।
केपलर 22बी नामक ग्रह पर एक साल 290 दिनों का होता है । इस ग्रह को सर्वप्रथम वर्ष 2009 में देखा गया था. नासा आमेस अनुसंधान केन्द्र में केपलर के प्रधान शोधकर्ता बिल बोरूची के अनुसार दो वर्षों के गहन अध्ययन के पश्चात यह निष्कर्ष निकाला गया कि केपलर-22बी पर जीवन हेतु सभी उपयुक्त परिस्थितियां हैं ।  किसी भी ग्रह पर जीवन की संभावना होने के लिए उसका अपने मुख्य तारे से उचित दूरी होना जरूरी है ताकि वह ना ही अत्यधिक गर्म या ठंडा हो ।
    
इस वर्ष की शुरूआत में फ्रांसीसी खगोलविदों ने पहली  बार एक ऐसे ग्रह के मिलने की पुष्टि की थी जिस पर जीवन के लिए आवश्यक सभी शर्तें मौजूद थी। लेकिन पहली बार 2009 में खोजा गया केपलर-22बी पहला ऐसा ग्रह है जिसकी पुष्टि अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी ने की है। पुष्टि करने का अर्थ है कि खगोलविदों ने इसे इसके सितारे के सामने से गुजरते हुए तीन बार देखा है। लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि खगोलविदों को यह जानकारी है कि जीवन वहां पाया जा रहा है। इसका अर्थ सिर्फ इतना भर है कि जीवन के पाये जाने के लिए वहां परिस्थितियां एकदम ठीक हैं। ऐसे ग्रह की दूरी सितारे से ठीक उतनी होती है, जितनी दूरी पर उस ग्रह में पानी पाया जा सके। इसके अलावा जीवन को धारण करने के लिए वहां सही तापमान और वातावरण भी होता है। उल्लेखनीय है कि केप्लर टेलीस्कोप 1,55,000 तारों की चमक पर निगरानी रखता है। जब पृथ्वी जैसे ग्रह चक्कर काटते हुए अपने तारे या सूरज के आगे से गुजरते हैं तो वे उसकी चमक को फीका कर देते हैं। केप्लर टेलीस्कोप तारे की चमक में आने वाले इस परिवर्तन को दर्ज कर लेता है और इस आधार पर खगोल वैज्ञानिक तारे के इर्दगिर्द ग्रह की उपस्थिति का अनुमान लगाते हैं।   
नासा आमेस अनुसंधान केन्द्र में केपलर के प्रधान शोधकर्ता बिल बोरूची ने कहा, केपलर-22बी के रूप में हमे एक ऐसा ग्रह मिल गया है जिस पर सभी उपयुक्त परिस्थितियां हैं। उन्होंने कल कहा कि हम आश्वस्त हैं कि इस ग्रह पर जीवन की तमाम परिस्थितियां हैं और अगर इस पर सतह मौजूद है, तो यहां का तापमान इसके अनुकूल होना चाहिए। नासा ने यह भी घोषणा की है कि केपलर दूरबीन ने ऐसे 1094 ग्रहों की खोज की है जिन पर जीवन हो सकता है। इससे पहले यह संख्या इसकी आधी थी। केपलर नासा का पहला ऐसा अभियान है जो हमारे जैसे सूर्य के चारों ओर चक्कर लगा रहे ग्रहों की खोज कर रहा है और इस अभियान पर 60 अरब डालर खर्च किये जा रहे हैं।
नासा का मिशन कैप्लर
नासा ने स्पेस ऑब्जरवेटरी कैप्लर 2007 में लांच की थी और इसका मकसद था पृथ्वी से मिलते-जुलते ऐसे नए ग्रहों की, जहां जिंदगी मुमकिन हो सकती है।
नासा ने मिशन कैप्लर की अब तक की खोज की तमाम जानकारियां सार्वजनिक कर दी हैं। स्पेस ऑब्जरवेटरी कैप्लर ने पहली बार हमारी धरती जैसा एक नया ग्रह और अपने सितारे के हैबिटेट जोन में मौजूद एक ऐसा ग्रह खोज निकाला है, जहां पानी तरल अवस्था में ग्रह की सतह पर मौजूद हो सकता है। मिशन कैप्लर ने अपने सितारे की परिक्रमा करते 6 ग्रहों एक ऐसा नया सौरमंडल खोजा है जिसके 5 ग्रहों का आकार हमारी धरती के जैसा ही है। इस सौरमंडल की सूरज हमारे सूर्य के मुकाबले ठंडा है और सबसे खास बात तो ये कि धरती जैसे आकार वाले इसके सभी पांचों ग्रह अपने सितारे के हैबिटेट जोन में हैं। इस मिशन के सम्मान में नए सौरमंडल के सूरज का नाम कैप्लर-11 रखा गया है। कैप्लर-11 और इसका 6 ग्रहों से भरा-पूरा सौरमंडल हमसे 2000 प्रकाश वर्ष दूर है। हमारे सौरमंडल से बाहर अब तक इतना विशाल और इतना व्यवस्थित सौर-परिवार पहले कभी नहीं खोजा गया था।

इस नई खोज के बारे में बात करते वक्त मिशन कैप्लर से जुड़े सभी वैज्ञानिक अतिरिक्त सतर्कता बरत रहे हैं। 1,50,000 सितारों से आती रोशनी और उनके सामने से किसी ग्रह के गुजरने से मंद पड़ते प्रकाश को पकड़ने में स्पेस ऑब्जरवेटरी कैप्लर ने असाधारण कुशलता का परिचय दिया हैे। मिशन कैप्लर ने अभी जो खोजा है उससे हमें केवल नए ग्रह के आकार के बारे में पता चलता है, इससे हमें उस ग्रह के द्रव्यमान के बारे में कुछ पता नहीं चलता। यानि खोजे गए नए ग्रहों के घनत्व और वहां मौजूद तत्वों के बारे में हमें आमतौर पर कुछ भी पता नहीं चल पाता।
नासा के एडमिनिस्ट्रेटर चार्ल्स बोल्डेन बताते हैं कि मिशन कैप्लर ने नए ग्रहों को कल्पना की उड़ान से निकाल कर उन्हें एक हकीकत में बदल दिया है। मंगलवार 1 फरवरी 2011 को जारी किए गए नासा के डेटा के अनुसार अब हमारे सौरमंडल से बाहर खोजे जा चुके नए ग्रहों की तादाद बढ़कर 1,235 हो चुकी है। इनमें से 500 नए ग्रहों की पुष्टि तो ग्राउंड ऑब्जरवेटरीज कर चुकी हैं, बाकी की पुष्टि दुनिया भर में फैली ऑब्जरवेटरीज से की जानी बाकी है। मिशन कैप्लर ने जिन नए ग्रहों को खोजा है उनमें से 68 नए ग्रहों का आकार करीब-करीब पृथ्वी के बराबर है, 288 नए ग्रहों का आकार पृथ्वी से तीन से पांच गुना तक विशाल है, 662 नए ग्रह नेपच्यून जैसे हैं, 165 नए ग्रह हमारे बृहस्पति की तरह हैं और 19 नए ग्रहों का आकार हमारे सौरमंडल के सबसे विशाल ग्रह बृहस्पति से भी कहीं ज्यादा विशाल है।
54 नए ग्रह ऐसे हैं जो अपने-अपने सितारों के हैबिटेट जोन में हैं और इनमें से 5 ग्रह ऐसे हैं जिनका आकार हमारी धरती के बराबर है। हैबिटेट जोन में मौजूद शेष 49 नए ग्रहों में से कुछ सुपर-अर्थ साइज के हैं, तो कुछ हमारी धरती से दोगुने विशाल और कुछ तो बृहस्पति से भी विशाल हैं। मिशन कैप्लर से आई ये ताजा जानकारियां इस स्पेस ऑब्जरवेटरी के उन ऑब्जरवेशंस पर आधारित हैं जो 12 मई से 17 सितंबर 2009 के बीच किए गए थे। इस दौरान कैप्लर ने 1,56,000 सितारों का अध्ययन किया और इस तरह हमने नई पृथ्वी की तलाश में आसमान के सौवें हिस्से को छानने की पहली कोशिश की।

नासा के एम्स रिसर्च सेंटर, कैलीफोर्निया में काम कर रहे मिशन कैप्लर के मुख्य वैज्ञानिक निरीक्षक विलियम बोरुकी कहते हैं, “ हमने अपनी पहली कोशिश में ही आकाश के एक छोटे से हिस्से में इतने नए ग्रह ढूंढ़ निकाले, इससे पता चलता है कि हमारी आकाशगंगा में अनगिनत ग्रह अपने-अपने सितारों की परिक्रमा कर रहे हैं। हमने शून्य से शुरुआत करके पृथ्वी जैसे आकार वाले 68 नए ग्रह ढूंढ़ निकाले और शून्य से ही शुरुआत करके 54 ऐसे नए ग्रह खोज डाले हैं, जिनमें से कुछ की धरती पर शायद पानी अपने तरल स्वरूप में बहता हो।
नए सौरमंडल कैप्लर-11 के सभी 6 ग्रहों की पुष्टि दूसरी ऑब्जरवेटरीज से भी हो चुकी है और इन सबका परिक्रमा-पथ हमारे शुक्र के भी छोटा है। इस नए सौर-परिवार के पांच ग्रहों का परिक्रमा-मार्ग तो बुध से भी छोटा है। इसके अलावा एक दूसरा सितारा जिसके सामने से इसके ग्रह को गुजरता हुआ देखा गया है, वो है कैप्लर-9। सितारे कैप्लर-9 के भी तीन ऐसे ग्रहों का पता चला है जो इसकी परिक्रमा कर रहे हैं।
नासा की एम्स लैब में काम कर रही मिशन कैप्लर की साइंस टीम के सदस्य और प्लेनेटेरी साइंटिस्ट जैक लिसौर कहते हैं, “ कैप्लर-9 सौरमंडल की बनावट और इसका व्यवस्थित क्रम अदभुत है। इससे हमें ये पता चल सकेगा कि इसकी रचना कैसे हुई। सूरज कैप्लर-11 की परिक्रमा कर रहे सभी 6 ग्रह पथरीले भी हैं और गैसीय भी। शायद इनमें से कुछ पर पानी भी मौजूद हो। ये सभी नए ग्रह हमारे सौरमंडल से बाहर खोजे गए सबसे हल्के ग्रहों में से हैं।
अब तक तीन ग्रह
सौरमंडल के बाहर अब तक ऐसे तीन ग्रह खोजे जा चुके हैं जहां भविष्य की पीढिय़ों द्वारा कॉलोनी बनाना संभव हो सकता है। इन्हें एक्सो प्लेनेट्स के नाम से जाना जाता है। मई में फ्रेंच खगोलविदों ने ग्लीजर 581डी की पहचान की थी। यह पृथ्वी से काफी नजदीक करीब 20 प्रकाश वर्ष दूर है। इसका द्रव्यमान पृथ्वी के द्रव्यमान से छह गुना अधिक है। यह ग्रह छह ग्रहों के एक परिवार का हिस्सा है। अगस्त में स्विट्जरलैंड की एक टीम ने कहा कि  कि एचडी 85512बी नामक एक अन्य ग्रह पर भी जीवन की संभावना हो सकती है। यह पृथ्वी से 36 प्रकाश वर्ष दूर है। इसका द्रव्यमान पृथ्वी से 3.6 गुना है।
नई खोज से आशायें बढ़ी
नई खोज से खगोल वैज्ञानिकों के इस विश्वास को और बल मिला है कि हमारा ब्रह्माण्ड जीवन से सराबोर है। केप्लर 22बी खोजने वाली टीम के एक सदस्य एलन बॉस का कहना है कि केप्लर मिशन हमारी आकाशगंगा में मौजूद पृथ्वी जैसे जीने लायक ग्रहों की वास्तविक संख्या का पता लगाने के काफी नजदीक पहुंच गया है। इस बीच, यूनिवर्सिटी ऑफ प्युर्टाेरिको के खगोल वैज्ञानिकों ने अब तक खोजे गए 700 बाहरी ग्रहों का वर्गीकरण करना शुरू कर दिया है। इनमें ज्यादातर वर्ग हमारे बृहस्पति और नेपच्यून की तरह गैस-प्रधान हैं जो अपने तारे के बहुत समीप चक्कर काट रहे हैं लेकिन कुछ ग्रह ऐसे भी हैं जो जीवन-अनुकूल क्षेत्र में परिक्रमा कर रहे हैं। तारे से सही दूरी रखने वाले और सही आकार वाले ग्रह को ही जीवन के लिए उपयुक्त माना जा सकता है। नए वर्गीकरण के आधार पर वैज्ञानिकों ने 47 ऐसे बाहरी ग्रहों और बाहरी चंद्रमाओं की पहचान की है जो जीवन-अनुकूल हो सकते हैं। 700 बाहरी ग्रहों के अलावा केप्लर मिशन ने करीब एक हजार संभावित ग्रहों का पता लगाया है।
शशांक द्विवेदी 

1 comment:

  1. ky dharti k alawa koe aur planet v hai jaha hum rah sakte h

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