Sunday 17 July 2022

इंटरस्टेलर में ग्रैविटी


सुशोभित

फ़िल्म इंटरस्टेलर में एक दु:साहसपूर्ण हाइपोथीसिस को प्रस्तुत किया गया था और वो ये थी कि ग्रैविटी हायर-डायमेंशंस में भी यात्रा कर सकती है। फ़िल्म का नायक कूपर एक ब्लैकहोल में प्रवेश करने के बाद स्वयं को एक चार-आयामी टैसेरेक्ट में पाता है। वह धरती से असंख्य प्रकाश-वर्ष दूर और बीसियों वर्षों के फ़ासले पर है, लेकिन ग्रैविटी के माध्यम से वह अपने अतीत से संवाद कर पाता है। समय यहाँ पर एक फ़िज़िकल डाइमेंशन की तरह है, जिसमें ठीक उसी तरह से यात्रा की जा सकती है, जैसे हम स्पेस के तीनों आयामों में आगे, पीछे, दाएँ, बाएँ, ऊपर, नीचे गति कर सकते हैं।

नोबेल पुरस्कार विजेता भौतिकविद् किप थोर्न इंटरस्टेलर के परामर्शदाता थे। वे आज ग्रैविटेशनल फ़िज़िक्स के दुनिया के सबसे बड़े जानकारों में से हैं। उन्होंने बाद में एक किताब भी लिखी, जिसका शीर्षक था- द साइंस ऑफ़ इंटरस्टेलर। वे अच्छी तरह जानते थे कि वे इस फ़िल्म में क्या दिखा रहे हैं। कूपर का ब्लैकहोल में प्रवेश कर ग्रैविटी के माध्यम से अपने अतीत से संवाद करना कोई फ़ंतासी नहीं थी, वो थ्योरिटिकल रूप से एक पुख्ता साइंस थी। अब प्रश्न उठता है कि उन्होंने ऐसा क्यों प्रदर्शित किया कि ग्रैविटी हायर-डायमेंशंस में इंटरेक्ट कर सकती है।

अव्वल तो हम यह समझ लें कि हमारा स्पेस तीन-आयामी है। जब हम किसी चित्र को देखते हैं तो एक दो-आयामी घटना को देख रहे होते हैं। जब हम परदे पर कोई फ़िल्म देखते हैं तो हम एक तीन-आयामी यथार्थ का दो-आयामी चित्रण देख रहे होते हैं, बशर्ते फ़िल्म थ्री-डायमेंशनल न हो, जिसे हम एक विशेष त्रिआयामी चश्मे से देख रहे हों। कार्ल सैगन ने अपने टीवी शो कॉसमॉस में ऐसे दो-आयामी प्राणियों की परिकल्पना की थी, जो एक फ़्लैट-यूनिवर्स में जी रहे हैं। वे आगे और पीछे जा सकते हैं, दाएँ और बाएँ जा सकते हैं, लेकिन वे कभी ऊपर और नीचे नहीं जा सकते, न ही ऊपर और नीचे के आयामों को कभी पर्सीव कर सकते हैं। मनुष्य वैसा कर सकते हैं। 

किंतु अगर कोई पाँचवाँ आयाम हो (क्योंकि चौथा आयाम समय है और हमारी अनुभूति के दायरे में है, अलबत्ता हम उसमें आगे या पीछे यात्रा नहीं कर सकते), या कोई छठा-सातवाँ, आठवाँ-नौवाँ-दसवाँ आयाम हो, तो उन्हें समझने में मनुष्य उसी तरह से असमर्थ होगा, जैसे वे दो-आयामी प्राणी ऊँचाई और गहराई को नहीं समझ पाते थे। स्टीफ़न हॉकिंग ने अपने बीबीसी ब्लैकहोल लेक्चर्स में कहा था कि ज्ञात-ब्रह्माण्ड किसी दस या ग्यारह आयामी स्पेस की चार-आयामी सतह भर है। हम इन उच्चतर-आयामों को कभी देख नहीं सकेंगे, क्योंकि लाइट उनमें गति नहीं कर सकती, अलबत्ता ग्रैविटी उन उच्चतर-आयामों में यात्रा कर सकती है। फ़िल्म इंटरस्टेलर में इसी थ्योरी को इस्तेमाल करके एक नाटकीय कहानी बुनी गई है। 

इसी से जुड़ी एक थ्योरी यह भी है कि वास्तव में ग्रैविटी उन उच्चतर-आयामों में हमारी तीन-आयामी दुनिया की तुलना में कहीं ज़्यादा प्रभावी रहती है। और चूँकि वो उन उच्च-आयामों में रिसती रहती है, इसीलिए वह हमारे द्वारा जानी गईं चार फ़ंडामेंटल फ़ोर्सेस में सबसे कमज़ोर फ़ोर्स है। ये चार फ़ंडामेंटल फ़ोर्स हैं- ग्रैविटेशनल फ़ोर्स, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फ़ोर्स, वीक न्यूक्लियर फ़ोर्स और स्ट्रॉन्ग न्यूक्लियर फ़ोर्स। इन चारों में स्ट्रॉन्ग न्यूक्लियर फ़ोर्स सबसे ताक़तवर और ग्रैविटी सबसे कमज़ोर है। जबकि यही वह ग्रैविटी है, जो अंतरिक्ष में ग्रहों और पिण्डों को बाँधे हुए है, उन्हें अपनी ओर्बिट में घुमा रही है, जो मनुष्यों को धरती पर टिकाए हुए है, जो समुद्र में ज्वार उत्पन्न करती है, और जिसे भेदने के लिए अत्यंत शक्तिशाली ऊर्जा की आवश्यकता है, जो एस्केप-वेलोसिटी कहलाई है। इसके बिना आप अंतरिक्ष में नहीं जा सकेंगे, ग्रैविटी आपको खींचकर धरती पर पटक देगी।

प्रश्न यह है कि ग्रैविटी दूसरे आयामों में भी प्रभावी है, इस मान्यता का आधार क्या है? स्ट्रिंग थ्योरी ने इसका एक हाइपोथेटिकल जवाब- क्योंकि समस्या भी हाइपोथेटिकल है- खोजने की कोशिश की है। 

स्ट्रिंग थ्योरी एक ऐसा थ्योरिटिकल-फ्रेमवर्क है, जो जनरल रेलेटिविटी और क्वांटम भौतिकी के अंतर्विरोधों को पाटने का काम करती है। स्ट्रिंग थ्योरी कहती है कि जिस तरह से लाइट (इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फ़ोर्स) का क्वांटम पार्टिकल फ़ोटोन है, उसी तरह ग्रैविटी का भी एक क्वांटम पार्टिकल होता है, जिसे हम ग्रैविटोन कह सकते हैं। ये दोनों ही मास-लेस एलीमेंट्री पार्टिकल हैं। फ़ोटोन ओपन स्ट्रिंग्स हैं और ग्रैविटोन क्लोज़्ड-स्ट्रिंग्स हैं। ओपन स्ट्रिंग्स आयामों के परे यात्रा नहीं कर सकतीं, लेकिन क्लोज़्ड स्ट्रिंग्स ऐसा कर सकती हैं। यही कारण है कि लाइट दूसरे आयामों में नहीं जा सकती, जिससे हम उन्हें देख नहीं सकते, लेकिन ग्रैविटी वहाँ जा सकती है। इससे वह हमारे आयामों में भले कमज़ोर हो जाती हो लेकिन देखें तो वो हमारे और उच्चतर आयामों के बीच एक कड़ी भी है। एक सेतु।

ग्रैविटी एक रहस्यमयी शक्ति है, जिसे अभी तक पूरी तरह से समझा नहीं जा सका है। अब यह भी कहा जा रहा है कि जिस तरह ग्रैविटी दूसरे आयामों में यात्रा करती है, उसी तरह से वह दूसरे और उच्चतर आयामों के ग्रैविटोन्स को भी हमारे आयामों में ले आती है, जिससे हमें डार्क मैटर का अहसास होता है, लेकिन हम उसे पूरी तरह से पर्सीव नहीं कर सकते। हम एक त्रिआयामी स्पेस में जकड़े हुए हैं- ट्रैप्ड हैं- और चाहकर भी इस भौतिक बंधन को तोड़ नहीं सकते। आप यह भी कह सकते हैं कि कदाचित् उच्चतर आयामों के प्राणी ठीक इसी समय हमारे बीच मौजूद हैं, लेकिन हम उन्हें कभी देख या अनुभव नहीं कर सकेंगे। यह एक सुपरनेचरल हाइपोथीसिस है। एक सीमा के बाद विज्ञान रहस्यवाद बन ही जाता है।

इंटरस्टेलर का वह साँसें थमा देने वाला यादगार दृश्य है कि फ़िल्म का नायक कूपर दूसरे आयामों से ग्रैविटी के माध्यम से अपनी बेटी को वह क्वांटम डाटा सम्प्रेषित कर रहा है, जो उसने ब्लैकहोल के भीतर प्राप्त किया है। उसकी बेटी समय और स्पेस में उससे बेमाप दूरी पर मौजूद है, लेकिन उसके मैसेज को डिकोड कर लेती है। यह बेशक़ीमती डाटा धरती की रक्षा करने में सक्षम है। 

तब आप कह सकते हैं कि केवल ग्रैविटी ही डायमेंशंस के परे यात्रा नहीं करती- प्यार और लगाव जैसे इंसानी अहसास भी वैसी सुदूरगामी यात्राओं में सक्षम हैं- लेकिन उन अहसासों के बारे में बात करना यहाँ मुनासिब नहीं होगा। यह लेख साइंस के बारे में है और प्यार का कोई क्वांटम पार्टिकल अभी तक नहीं जाना गया है!


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