कोरोना के खिलाफ लड़ाई निर्णायक दौर में
शशांक द्विवेदी
डायरेक्टर, मेवाड़ यूनिवर्सिटी
कोरोना के खिलाफ लड़ाई को
निर्णायक दौर में पहुँचाते हुए 16 जनवरी 2021 को देश के
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रिमोट का बटन दबाकर दुनिया के सबसे बड़े कोरोना
टीकाकरण अभियान शुरुआत की। इसके बाद दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में कोरोना का
पहला टीका लगाया गया। कोरोना का पहला टीका केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन
की मौजूदगी में लगाया गया। टीकाकरण के लिए देश में 3006 जगहों पर
कोरोना वैक्सीनेशन सेंटर बनाये गये हैं। सबसे पहले देश के करीब 3 लाख हेल्थ
वर्कर्स को वैक्सीन लगेगी।
इस अवसर पर डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि कोरोना वैक्सीन संजीवनी का काम करेगी।
उन्होंने भारत के वैज्ञानिकों को बधाई दी। इसके साथ ही भारत के कोरोना वॉरियर्स को
सलाम किया। स्वास्थ्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री की अगुवाई में कोरोना के खिलाफ
लड़ाई लड़ी गई। अब कोरोना के खिलाफ लड़ाई निर्णायक दौर में है। उन्होंने
देशवासियों को विश्वास दिलाया कि कोरोना के खिलाफ जंग जीतेंगे। वैक्सीनेशन की
शुरुआत होने के बाद एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया, नीति आयोग सदस्य
वीके पॉल, कोरोना टास्क
फोर्स के अध्यक्ष, बीजेपी सांसद महेश शर्मा ने भी वैक्सीन लगवाई। टीकाकरण
की शुरुआत हो गई है और सरकार ने स्पष्ट किया है कि हेल्थ वर्कर्स के वैक्सीन का
खर्च सरकार उठाएगी। इस टीकाकरण अभियान के तहत सबसे पहले हेल्थ वर्कर्स को वैक्सीन
लगेगी। 16 जनवरी को ही करीब 3 लाख हेल्थ
वर्कर्स को वैक्सीन लगेगी। इसके बाद फ्रंट लाइन वर्कर्स को भी टीका लगाया जायेगा।
पीएम मोदी ने कोरोना वैक्सीनेशन की शुरुआत के बिलकुल पहले देशवासियों को
कोरोना के खिलाफ नया मंत्र दिया उन्होंने कहा, दवाई भी और कड़ाई भी। इससे पहले उन्होंने देश से
कहा कि कोरोना से बचाव के लिए लॉकडाउन लगाया गया था । भारत में कोरोना से मरने
वालों की दर काफी कम है जबकि भारत में कोरोना से ठीक होने की दर काफी ज्यादा है।
उन्होंने कहा कि चीन में फंसे हर भारतीय को देश में वापस लेकर आया गया। हमारे
वैक्सीनेशन से दुनिया को अनुभव मिलेगा। इतना ही नहीं संकट के समय भारत ने 150 देशों की मदद
की। हालांकि उन्होंने यहां स्पष्ट किया है कि मास्क, दो गज की दूरी वैक्सीन के बाद भी जरूरी है।
पीएम मोदी ने वैक्सीनेशन की शुरुआत करने के पहले देश को संबोधित करते हुए कहा
कि ने कहा कि भारतीय वैक्सीन दुनिया में सबसे सस्ती है। भारत को अपनी क्षमता और
सामर्थ्य पर विश्वास है। वैक्सीन कोरोना के खिलाफ निर्णायक जीत दिलाएगी। हेल्थ वर्कर्स
की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि हेल्थ वर्कर्स ने कोरोना के आगे हार नहीं मानी।
कोरोना के खिलाफ लड़ाई में देश आत्मनिर्भर बना। कोरोना जैसी चुनौती की किसी ने
कल्पना नहीं की थी। देशवासियों ने ताली, थाली और दीया जलाकर आत्मविश्वास बनाए रखा। देश
ने जान है तो जहान है के मंत्र का पालन किया।
प्राथमिकता के आधार पर लगेगी कोविड वैक्सीन
निर्धारित प्रोटोकॉल के अनुसार सबसे पहले कोविड 19 वैक्सीन
हेल्थकेयर कर्मियों यानी डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिक्स और स्वास्थ्य से जुड़े लोगो को दी
जाएगी। सभी सरकारी और प्राइवेट हॉस्पिटल को मिलकर इनकी संख्या 80 लाख से एक
करोड़ बताई जा रही है। इनके बाद क़रीब दो करोड़ फ्रंटलाइन वर्कर्स यानी राज्य
पुलिसकर्मियों, पैरामिलिटरी फ़ोर्सेस, फ़ौज, सैनिटाइजेशन वर्कर्स को वैक्सीन दी जाएगी। इसके बाद 50 से ऊपर उम्र
वालों और 50 से कम उम्र वाले उन लोगों को जो किसी न किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं, उन्हें वैक्सीन
लगाई जाएगी। भारत में ऐसे लोगों की तादात 27 करोड़ है। 50 साल से कम उम्र के वो लोग भी टीकाकरण अभियान
में शामिल होंगे जिनमें कोरोना के सिमटम्स हों। जिन क्षेत्रों
में कोविड 19 संक्रमण अधिक है, उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी। इन सभी प्राथमिकता
सूचियों में शामिल लोगों को कोविड 19 वैक्सीन देने के बाद ही बची हुई आबादी का नंबर
आएगा।
कौन सी वैक्सीन लगेगी
भारत में ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया (डीसीजीआई) ने कोविड-19 के इलाज के लिए
दो वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति दी है। ये दो वैक्सीन हैं - कोविशील्ड
और कोवैक्सीन। कोविशील्ड जहां असल में ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका का संस्करण है
वहीं कोवैक्सीन पूरी तरह भारत की अपनी वैक्सीन है जिसे 'स्वदेशी वैक्सीन' भी कहा जा रहा
है।
कोविशील्ड को भारत में सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया कंपनी बना रही है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि अभी कोविशील्ड वैक्सीन की 110 लाख (या 1.1 करोड़) खुराक
खरीदी जा रही हैं।
वैक्सीन कब से मिलनी शुरू होंगी?
भारत में कोरोना वायरस से बचने के लिए 130 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाने का काम 16 जनवरी से शुरू
हो गया है। वैक्सीन लगाने का पहला ड्राई रन 2 जनवरी से और दूसरा ड्राई रन शुक्रवार यानी 8 जनवरी से शुरू
हो चुका है। इसके तहत देश के सभी जिलों में टीकाकरण का पूर्वाभ्यास कराए जाने की
प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। सरकार का लक्ष्य जुलाई 2021 तक 30 करोड़ लोगों को कोविड वैक्सीन देने का है और
इसे विश्व का 'सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान' भी कहा जा रहा है।
वैक्सीन का रजिस्ट्रेशन प्रोसेस
कोविड-19 वैक्सीन के लिए सभी लोगो को भारत सरकार द्वारा जारी को-विन ऐप (CoWIN App) पर अपना
रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। ग़ौरतलब है कि रजिस्ट्रेशन कराए बिना किसी को भी वैक्सीन
नहीं दी जाएगी। इस ऐप पर रजिस्ट्रेशन होने के बाद आपके मोबाइल पर एक मैसेज आएगा
जिसमें वैक्सीन लगाने का समय, तारीख़ और केंद्र का पूरा ब्योरा होगा।
रजिस्ट्रेशन के लिए आपको अपना कोई एक फ़ोटो आईडी दर्ज करना होगा जिसमें से आप
आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, पासपोर्ट, मनरेगा जॉब कार्ड, बैंक या पोस्ट ऑफिस खाते की पासबुक,कोई पहचान पत्र
या फिर पेंशन कार्ड या एम्पलॉयर द्वारा जारी किया गया पहचान पत्र या फिर वोटर
आईकार्ड भी जमा करवा सकते हैं. ज़रूरी बात यही है कि जिस आईडी को रजिस्ट्रेशन के
समय दिया जाएगा, टीकाकरण उसी के आधार पर होगा किसी दूसरी आईडी पर नहीं। क्योंकि वैक्सीन दो चरण
में दी जाने वाली है तो अगली तारीख़ भी एसएमएस के ही जरिए पता चलेगी।
इस ऐप के बारे में सबसे अहम बात ये है कि अभी तक सरकार से इस सरकारी ऐप को
डाउनलोड करने के लिए नहीं कहा है मतलब स्वास्थ्य मंत्रालय से मिली जानकारी के
मुताबिक ये कोविन CoWin ऐप लोगों के सेल्फ रजिस्ट्रेशन के लिए फ़िलहाल
उपलब्ध नहीं है और सरकार इसे जल्द ही सार्वजनिक करने पर काम कर रही है।
क्या मुफ़्त मिलेगी कोविड-19 वैक्सीन?
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने एक हफ़्ते पहले ही जनता से
एंटी-वैक्सीन अफ़वाहों पर ध्यान न देने का आग्रह करते हुए कहा था कि वैक्सीन सभी
को मुफ़्त मुहैया कराई जाएगी। हालांकि इसके बाद से वैक्सीन के दाम या मुफ़्त मिलने
पर कोई सरकारी बयान नहीं आया है।
इससे पहले कोविशील्ड वैक्सीन के दामों के बारे में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया
के सीईओ अदार पूनावाला ने बताया था कि वैक्सीन की एक डोज़ की कीमत भारत सरकार को 200 से 300 रुपये तक
पड़ेगी। यानी कोविशील्ड वैक्सीन भारत सरकार को वैक्सीन लगभग उसी दाम में दे रही है
($3 प्रति डोज़)
जितने में उसकी सहयोगी ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका इसे अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में दे
रही है।
भारत में कोरोना वैक्सीन को निजी अस्पतालों में भी लगवाने के प्रावधान पर काम
जारी है लेकिन यहाँ इसका दाम दोगुना भी हो सकता है।भारत बायोटेक ने कहा है कि 16.5 लाख खुराक की
आपूर्ति वह मुफ्त में करेगा। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा, "बीबीआईएल
कोविक्सिन की 16.5 लाख खुराक केंद्रीय सरकार को एक विशेष संकेत के रूप में नि: शुल्क प्रदान
करेगा ।" स्वास्थ्य मंत्रालय ने आगे कहा कि शेष 38.5 लाख खुराक के
लिए भारत बायोटेक सरकार से 295 रुपये प्रति खुराक ले रहा है. हालांकि यह देखते
हुए कि कुल खरीदी 55 लाख खुराक की है, प्रति खुराक की कीमत घटकर 206 रुपये पर आ
जाती है।
अमेरिका समेत दुनिया के कई अन्य देशों में कोरोना वैक्सीन बनाने में अग्रणी
रही फ़ाइज़र कम्पनी के सीईओ ने कुछ दिन पहले कहा था, "हमारी वैक्सीन के दाम तीन श्रेणी में रहेंगे-
विकसित देशों के लिए, माध्यम-आय वाले देशों के लिए और कम-आय वाले कुछ
देश जैसे अफ़्रीका में है”
कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर कुछ सवाल हैं जिनके
जवाब नीचे सिलसिलेवार दियें गएँ हैं
वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित?-‘
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना वैक्सीन को लेकर किसी भी प्रकार के
भ्रम और भ्रांति में नहीं आए। वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है। 'कोविशील्ड एवं
को-वैक्सीन' दोनों प्रकार की वैक्सीन में कोई अंतर नहीं है। वैक्सीन को सभी विशेषज्ञों ने
सुरक्षित बताया है इसके साथ केन्द्र सरकार ने इसके सुरक्षित होने की पुष्टि की है।
एक वॉयल से कितने लोगों को वैक्सीन?-
कोरोना की जो वैक्सीन कोविशील्ड लगाई जा रही है उसमें एक वैक्सीन वॉयल में 10 डोज़ होंगे। हर
व्यक्ति को वैक्सीन की 2 डोज़ लगेंगे। एक व्यक्ति को 0.5 ML वैक्सीन का डोज
लगाया जाएगा। खुलने के बाद वॉयल को 6 घण्टे के अंदर इस्तेमाल करना अनिवार्य है। ‘जिस व्यक्ति को
वैक्सीन लगाने का एसएमएस आया है वह समय पर पहुंचकर वैक्सीन लगवाए क्यों हर वैक्सीन
वॉयल के 10 डोज किन 10 व्यक्तियों को
लगाए जाएंगे यह सब पहले से तय है। अगर आप कोरोना का टीका लगवाने जा रहे है तो कोट
और स्वेटर नहीं पहने। कोरोना वैक्सीन दाहिने हाथ में लगाई जानी है। इसलिए
वैक्सीनेशन सेंटर पर पहुंचने पर वेटिंग रूम में ही जैकेट,स्वेटर,कोट या अन्य ऐसे
कपड़े निकाल दें जिससे हाथ ढका हो।
वैक्सीन का असर कितने दिनों में ?
कोरोना वैक्सीनेशन शुरु होने जा रहा है तब लोगों के मन में सबसे बड़ा सवाल यह
भी उठ रहा है कि कोरोना वैक्सीन का असर कितने दिन में होगा। इस सवाल पर विशेषज्ञों
के अनुसार हर व्यक्ति को वैक्सीन को दो डोज लेने होंगे और वैक्सीन लेने के 6 सप्ताह बाद
वैक्सीन का असर होगा।
वैक्सीनेशन से खत्म हो जाएगा कोरोना ?
कोरोना वैक्सीनेशन से लोगों में कोरोना वायरस को लेकर इम्युनिटी डेवलप हो चुकी
है। अभी तक 20 से 25 फीसदी इम्युनिटी
डेवलप हो चुकी है। वैक्सीनेशन के बाद देश में 60-70 फीसदी लोगों में इम्युनिटी डेवलप हो जाएगी
जिससे हर्ड इम्युनिटी कहते हैं और इसके बाद कोई भी वायरस खुद ही समाप्त होने लगता
है। वह कहते हैं कोरोना का टीका एंटबॉडी को बूस्ट करेगा इसलिए सभी को टीका जरूर
लगवाना है। कोरोना पॉजिटिव हो चुके लोगों का भी वैक्सीन- जो लोग कोरोना पॉजिटिव हो
चुके है उनको भी कोरोना वैक्सीन लगाई जाएगी। हां एक बात जरूर है कि अगर मान लीजिए
किसी व्यक्ति को जिस दिन वैक्सीन लगाई जानी है उस दिन उसमें कोरोना के लक्षण
(बुखार सहित अन्य) तो उसको स्वस्थ होने के 14 दिन बाद वैक्सीन लगाई जाएगी।
किसको नहीं लगेगी वैक्सीन ?
देश में अभी उपलब्ध कोरोना वैक्सीन गर्भवती महिलाओं और 18 वर्ष से कम
उम्र के बच्चों को नहीं लगेगी। इसके अलावा सभी लोगों को वैक्सीन सभी को केंद्र
सरकार की तय गाइडलाइन के मुताबिक लगाई जाएगी। गर्भवती महिलाओं और बच्चों पर अभी
वैक्सीन का ट्रायल नहीं किया गया है।
किसको कब मिलेगी वैक्सीन ?
देश में कोरोना वैक्सीनेशन तीन चरणों में किया जाएगा। पहले चरण में हेल्थ केयर
वर्कर्स को यह वैक्सीन दी जायेगी। पहले चरण में हेल्थ केयर वर्कर्स और दूसरे चरण
में फ्रंटलाइन वर्कर्स जैसे पुलिस एवं डिफेंस कर्मचारी, राजस्व कर्मचारी, नगर निकायों के
कर्मचारी को वैक्सीन दिया जायेगा। तीसरे चरण में 50 वर्ष की आयु से ऊपर तथा 50 वर्ष के आयु से
कम कोमार्विड लोगों को वैक्सीन लगाया जायेगा।
टीकाकरण केंद्र पर कैसी रहेगी व्यवस्था ?
कोरोना वैक्सीन के टीकाकरण केंद्र पर स्वास्थ्य विभाग की पांच लोगों की टीम
तैनात रहेगी जिसमें एक वैक्सीनेटर ऑफिसर,तीन सपोर्ट स्टॉफ,एक ऑब्जर्वेशन वाला अधिकारी होगा। इसके साथ
सुरक्षा और अन्य इंतजाम के लिए अन्य स्टॉफ की तैनाती होगी।
वैक्सीनेशन के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य
कोरोना वैक्सीनेशन के लिए आपका ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। इसके साथ
टीकाकरण के समय आपको अपना फोटोयुक्त पहचान पत्र दिखाना अनिवार्य होगा। यह वोटर
आईडी कार्ड,आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड आदि हो सकता है। वैक्सीन की दोनों
टीका लगने के बाद आपके मोबाइल नंबर पर क्यूआर कोड वाला प्रमाण पत्र भी भेजा जाएगा।
वैक्सीन साइड पर कोई भी रजिस्ट्रेशन नहीं होगा।
वैक्सीनेशन के बाद क्या करना होगा ?
कोरोना वैक्सीन का टीका लगने के बाद आपको आंधे घंटे वैक्सीन ऑब्जर्वेशन ऑफिसर
की निगरानी में रहना होगा। इसके लिए टीकाकरण केंद्र पर एक अलग रूप में व्यवस्था की
जाएगी। यदि इस दौरान कोई परेशानी होती है तो वैक्सीन ऑब्जर्वेशन ऑफिसर के साथ
एएनएम और आशा कार्यकर्ता आपकी सेहत का परीक्षण करेंगे और आपको जरूरी उपचार उपलब्ध
कराएंगे।
वैक्सीनेशन के सामान्य साइडइफेक्ट
कोरोना वैक्सीन लगने के बाद अगर आपको
सामान रिएक्शन जैसे थोड़ा दर्द,बुखार,सूजन आदि हो सकते है, यह सभी सामान्य
रिएक्शन 24 घंटे अपने आप
ठीक हो जाते है। अगर आपको तेज बुखार, सिरदर्द होता है तो यह सामान्य पैरासिटामॉल से
खत्म हो जाता है।
वैक्सीन को कैसे संग्रहित और वितरित किया जाएगा?
सरकार की योजना है कि वैक्सीन पहले निर्माताओं से चार बड़े कोल्ड स्टोरेज
केंद्रों (करनाल, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता) तक पहुँचाई जाएँगी जहाँ से
उन्हें 37 राज्य-संचालित
स्टोर्स में भेजा जाएगा. समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, इस टीकाकरण
अभियान के लिए सरकार ने देश भर में क़रीब 29 हज़ार कोल्ड स्टोर तैयार किए हैं। इसके बाद
वैक्सीन की खेपों को ज़िला स्तर के स्टोर तक भेजा जाएगा. बताया जा रहा है कि शहर
से लेकर गांवों तक टीकाकरण की प्रक्रिया पूरा करने के मक़सद से क़रीब साढ़े चार
लाख कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है।
भारत और दुनिया भर में कौन सी अन्य कोविड 19 वैक्सीन विकसित
की जा रही हैं?
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले वर्ष दिसंबर में जानकारी दी थी कि तब
देश में आठ कोरोना वैक्सीन बन रही हैं जो क्लीनिकल ट्रायल के अलग-अलग स्तर पर थीं।
कोविशील्ड और कोवैक्सीन के अलावा इनके नाम हैं:
ZyCoV-D - कैडिला हेल्थकेयर की ये वैक्सीन डीएनए
प्लेटफॉर्म पर बनाई जा रही है. इसके लिए कैडिला ने बायोटेकनोलॉजी विभाग के साथ
सहयोग किया है. इसके तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल जारी हैं.
स्पुतनिक-वी - ये रूस की गेमालाया नेशनल सेंटर की बनाई वैक्सीन है जो ह्यूमन
एडेनोवायरस प्लेटफ़ॉर्म पर बनाई जा रही है. बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन हैदराबाद
की डॉक्टर रैडीज़ लैब कर रही है. ये वैक्सीन तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल तक
पहुंच चुकी है.
अमेरिकी की एमआईटी की बनाई प्रोटीन एंटीजेन बेस्ड वैक्सीन का उत्पादन हैदराबाद
की बायोलॉजिकल ई लिमिटेड कर रही है. इसके पहले और दूसरे चरण के ह्यूमन क्लीनिकल ट्रायल
शुरू हो चुके हैं.
अमेरिकी की एमआईटी की बनाई प्रोटीन एंटीजेन बेस्ड वैक्सीन का उत्पादन हैदराबाद
की बायोलॉजिकल ई लिमिटेड कर रही है. इसके पहले और दूसरे चरण के ह्यूमन क्लीनिकल
ट्रायल शुरू हो चुके हैं.
HGCO 19 - अमेरिका की एचडीटी की एमआरएनए आधारित इस वैक्सीन
का उत्पादन पुणे की जिनोवा नाम की कंपनी कर रही है. इस वैक्सीन को लेकर जानवरों पर
होने वाले प्रयोग ख़त्म हो चुके हैं और जल्द ही इसके पहले और दूसरे चरण के
क्लीनिकल ट्रायल शुरू होने वाले हैं.
अमेरिका की ऑरोवैक्सीन के साथ मिल कर भारत की ऑरोबिन्दो फार्मा एक वैक्सीन बनी
रही है जो फिलहाल प्री-डेवेलपमेन्ट स्टेज पर है.
वैक्सीन का निर्माण
भारत वैक्सीन बनाने का पावर हाउस है जहाँ दुनिया भर की 60 प्रतिशत
वैक्सीन का उत्पादन होता है. दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन प्रोग्राम भी भारत में
चलता है जिसके तहत सालाना 5.5 करोड़ महिलाओं और नवजात को 39 करोड़ वैक्सीन
दिए जाते हैं.
सबसे पहले किसी भी वैक्सीन के प्रयोगशाला में टेस्ट होते हैं. फिर इनको
जानवरों पर टेस्ट किया जाता है. इसके बाद अलग-अलग चरणों में इनका परीक्षण इंसानों
पर किया जाता है. फिर अध्ययन करते हैं कि क्या ये सुरक्षित हैं, इनसे शरीर की
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ी है और क्या ये प्रायोगिक रूप से काम कर रही हैं.
सबसे ज़्यादा बनने वाली 3 वैक्सीनें ये
होती हैं:
1 लाइव वैक्सीन
लाइव वैक्सीन की शुरुआत एक वायरस से होती है लेकिन ये वायरस हानिकारक नहीं
होते हैं. इनसे बीमारियां नहीं होती हैं लेकिन शरीर की कोशिकाओं के साथ अपनी
संख्या को बढ़ाते हैं. इससे शरीर का रोग प्रतिरोधक तंत्र सक्रिय हो जाता है. इस
तरह की वैक्सीन में बीमारी वाले वायरस से मिलते जुलते जेनिटिक कोड और उस तरह के
सतह वाले प्रोटीन वाले वायरस होते हैं जो शरीर को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं.
जब किसी व्यक्ति को इस तरह की वैक्सीन दी जाती है तो इन 'अच्छे' वायरसों के चलते
बुरे वायरसों से लड़ने के लिए प्रतिरोधक क्षमता पैदा हो जाती है. ऐसे में जब बुरा
वायरस शरीर में प्रवेश करता है तो शरीर के प्रतिरोधक तंत्र के चलते वह कोई नुकसान
नहीं पहुंचा पाता है.
2 इनएक्टिवेटेड
वैक्सीन
इस तरह की वैक्सीन में कई सारे वायरल प्रोटीन और इनएक्टिवेटेड वायरस होते हैं.
बीमार करने वाले वायरसों को पैथोजन या रोगजनक कहा जाता है. इनएक्टिवेटेड वैक्सीन
में मृत रोगजनक होते हैं. ये मृत रोगजनक शरीर में जाकर अपनी संख्या नहीं बढ़ा सकते
लेकिन शरीर इनको बाहरी आक्रमण ही मानता है और इसके विरुद्ध शरीर में एंटीबॉडी
विकसित होने लगते हैं. इनएक्टिवेटेड वायरस से बीमारी का कोई खतरा नहीं होता. ऐसे
में शरीर में विकसित हुए एंटीबॉडी में असल वायरस आने पर भी बीमारी नहीं फैलती और
ये एक बहुत ही भरोसेमंद तरीका बताया गया है.
3 जीन बेस्ड वैक्सीन
इनएक्टिवेटेड
वैक्सीन की तुलना में जीन बेस्ड वैक्सीन का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इनका उत्पादन
तेजी से किया जा सकता है. ज़ाहिर है, कोरोना वायरस की वैक्सीन की करोड़ों डोज़ की एक साथ जरूरत होगी. जीन बेस्ड
वैक्सीन में कोरोना वायरस के डीएनए या एम-आरएनए की पूरी जेनेटिक सरंचना मौजूद
होगी.
इन
पैथोजन में से जेनेटिक जानकारी की महत्वपूर्ण संरचनाएं नैनोपार्टिकल्स में पैक कर
कोशिकाओं तक पहुंचाई जाती हैं. ये शरीर के लिए नुकसानदायक नहीं होती है और जब ये
जेनेटिक जानकारी कोशिकाओं को मिलती है तो वह शरीर के रोग प्रतिरोधक तंत्र को
सक्रिय कर देती हैं. जिससे बीमारी को खत्म किया जाता है.
वैक्सीन के मानक का निर्धारण
भारत
में किसी भी वैक्सीन निर्माण की प्रक्रिया विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित
मानकों के आधार ही होती है जिसकी सभी चरणों की समीक्षा 'ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया'
नामक सरकारी संस्था करती है.डीजीसीआई से हरी झंडी मिलने के बाद ही
किसी वैक्सीन के बल्क निर्माण की अनुमति मिलती है.
गुणवत्ता
नियंत्रण यानी क्वॉलिटी कंट्रोल को ध्यान में रखते हुए वैक्सीन के बल्क निर्माण के
मानक तैयार किए जाते हैं और गुणवत्ता बनाए रखने के लिए समय-समय पर वैज्ञानिकों तथा
विनियामक प्राधिकरणों के माध्यम से चेकिंग होती रहती है.
(लेखक मेवाड़ यूनिवर्सिटी में
डायरेक्टर और टेक्निकल टूडे पत्रिका के संपादक हैं )
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