तारों के बीच से दूसरा मेहमान
चंद्रभूषण
1आई/औमुआमुआ के बाद 2आई/बोरिसोव। आई यानी इंटरस्टेलर, तारों के बीच वाली जगह से आई हुई चीज। दो साल में ही सौरमंडल के बाहर, सितारों की दुनिया से दूसरे मेहमान का अपने इलाके में आना एक मायने में खुशी की बात है तो दूसरे मायने में चिंता का सबब भी है। क्या ये पहले भी आते थे और बिना दर्ज हुए चुपचाप निकल जाते थे? या हमारा सूरज अभी आकाशगंगा के किसी ऐसे इलाके में है, जहां इधर-उधर भटक रहे छोटे पिंडों की भरमार है?
इनमें दूसरी वाली आशंका काफी समय से जताई जा रही है। जो उल्कापिंड और पुच्छल तारे सौरमंडल के भीतर से आते हैं- फिर चाहे उनके आने की जगह कितनी भी अजीब क्यों न हो- उनसे निपटने का कुछ न कुछ उपाय किया जा सकता है। लेकिन इस तरह झपटकर कहीं से भी आ जाने वाले पिंडों का पता ही इतनी देर में लगता है कि उनका निशाना सीधे धरती की तरफ हो तो महाविनाश से बचने के लिए हम कुछ कर नहीं सकते।
2आई/बोरिसोव को ही लें तो इसकी शक्ल-सूरत किसी पुच्छल तारे जैसी है, लेकिन इसका रास्ता इतना अजीब है कि ऐसी कोई भी चीज खगोलशास्त्र के पूरे इतिहास में कभी दर्ज नहीं की गई थी। इसकी रफ्तार 32 किलोमीटर प्रति सेकंड (सबसे तेज रॉकेट की मैक्सिमम स्पीड की कोई तीन गुनी) है और एक्सेंट्रिसिटी 3.5 है जबकि औमुआमुआ की स्पीड कोई 26 किलोमीटर प्रति सेकंड और एक्सेंट्रिसिटी 1.2 थी। सूरज से धरती की दोगुनी दूरी से यह तीर की तरह अपने रास्ते पर बढ़ जाएगा, लेकिन इसका कोई भाई-बंधु अगर धरती की तरफ लपक पड़ा तो?
चंद्रभूषण
1आई/औमुआमुआ के बाद 2आई/बोरिसोव। आई यानी इंटरस्टेलर, तारों के बीच वाली जगह से आई हुई चीज। दो साल में ही सौरमंडल के बाहर, सितारों की दुनिया से दूसरे मेहमान का अपने इलाके में आना एक मायने में खुशी की बात है तो दूसरे मायने में चिंता का सबब भी है। क्या ये पहले भी आते थे और बिना दर्ज हुए चुपचाप निकल जाते थे? या हमारा सूरज अभी आकाशगंगा के किसी ऐसे इलाके में है, जहां इधर-उधर भटक रहे छोटे पिंडों की भरमार है?
इनमें दूसरी वाली आशंका काफी समय से जताई जा रही है। जो उल्कापिंड और पुच्छल तारे सौरमंडल के भीतर से आते हैं- फिर चाहे उनके आने की जगह कितनी भी अजीब क्यों न हो- उनसे निपटने का कुछ न कुछ उपाय किया जा सकता है। लेकिन इस तरह झपटकर कहीं से भी आ जाने वाले पिंडों का पता ही इतनी देर में लगता है कि उनका निशाना सीधे धरती की तरफ हो तो महाविनाश से बचने के लिए हम कुछ कर नहीं सकते।
2आई/बोरिसोव को ही लें तो इसकी शक्ल-सूरत किसी पुच्छल तारे जैसी है, लेकिन इसका रास्ता इतना अजीब है कि ऐसी कोई भी चीज खगोलशास्त्र के पूरे इतिहास में कभी दर्ज नहीं की गई थी। इसकी रफ्तार 32 किलोमीटर प्रति सेकंड (सबसे तेज रॉकेट की मैक्सिमम स्पीड की कोई तीन गुनी) है और एक्सेंट्रिसिटी 3.5 है जबकि औमुआमुआ की स्पीड कोई 26 किलोमीटर प्रति सेकंड और एक्सेंट्रिसिटी 1.2 थी। सूरज से धरती की दोगुनी दूरी से यह तीर की तरह अपने रास्ते पर बढ़ जाएगा, लेकिन इसका कोई भाई-बंधु अगर धरती की तरफ लपक पड़ा तो?
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