संत समीर
एक मित्र ने नया फ़ोन ख़रीदने के लिए सलाह माँगी कि आजकल के हिसाब से सस्ता और बेहतर कौन-सा रहेगा। इस बात से मुझे ध्यान आया कि मेरे प्रिय विषयों में एक तकनीक भी रही है। जब रेडियो का चलन हुआ करता था तो उसके पुरज़े खोल-खोलकर छटकाने और फिर वापस लगाने का मुझे अजीब-सा शौक़ था। ऐसा भी हुआ कि बिगड़ चुकी मेरी जिन इलेक्ट्रॉनिक घड़ियों को मैकेनिक ने बनाने इनकार किया, उन्हें देसी जुगाड़ से दुबारा चलाने में मैं कामयाब रहा। प्लास्टिक के डिब्बों में गोमूत्र भरकर और उनमें कैथोड-एनोड के तौर पर जस्ते और ताँबे की दो प्लेटें लगाकर दीवार घड़ी और ट्राञ्जिस्टर चलाने का प्रयोग भी ख़ूब करता रहा हूँ।
तब की यह आदत मन के भीतर अब तक ज़िन्दा है, इसीलिए जब-जब भी मुझे कम्प्यूटर ख़रीदने की ज़रूरत पड़ी तो मैंने ब्राण्ड पर ध्यान न देने के बजाय अपनी ज़रूरत के हिसाब से अलग-अलग पुरज़े लिए और अपना कम्प्यूटर ख़ुद असेम्बल किया। ज़ाहिर है, इस तरीक़े में थोड़ी मेहनत तो लगती है, पर पचास हज़ार रुपये का काम पच्चीस-तीस हज़ार में हो जाता है। लगभग आधी बचत और काम भी ज़्यादा टिकाऊ। मोबाइल फ़ोन के लिए भी मैंने प्रचार पर ध्यान देने के बजाय फ़ोन के हार्डवेयर पर ज़्यादा ध्यान दिया और बात जमी तो ही फ़ोन लिया। क़रीब आठ साल पहले पहला एण्ड्रॉयड फ़ोन, जो मैंने लिया था, उसका नाम था—एमटीवी बोल्ट। स्वाइप और एमटीवी का साझा उपक्रम। छह इञ्च स्क्रीन वाले इस फ़ोन की स्क्रीन को मेरी बच्ची ने तोड़ दिया था, पर क्रेक स्क्रीन के साथ आज भी यह बख़ूबी काम करता है। गाहे-बगाहे ज़रूरत पड़ जाए तो भरपूर साथ देता है।
इसके बाद जो फ़ोन मुझे पसन्द आया, वह था सोनी का साढ़े छह इञ्च स्क्रीन वाला जेड-अल्ट्रा। तब यह दुनिया की सबसे बड़ी स्क्रीन वाला फ़ोन था। वाटरप्रूफ़ था। इसकी स्क्रीन पर लैपटॉप वाले कुछ काम भी निबटाए जा सकते थे। नया-नया बाज़ार में जब आया तो क़ीमत थी अड़तालीस हज़ार। अपनी हैसियत इतनी थी नहीं तो मन मसोस कर रह गया। कुछ महीने बाद त्योहारी मौसम में दो-तीन ऑफर एक साथ आए और यह फ़ोन मुझे मिल गया क़रीब अठारह हज़ार में। इतनी बेहतर और मज़बूत डिज़ाइन का कोई और दूसरा फ़ोन मुझे नहीं मिला। थोड़े तकनीकी जुगाड़ से इसमें मैं बड़ा वाला कीबोर्ड फिट कर सकता था।
जेड-अल्ट्रा की वजह से जब कस्टमर केयर पर बात होनी शुरू हुई तो सोनी वालों से मेरे बढ़िया रिश्ते बन गए। तकनीक में दिलचस्पी रही है, इसलिए इसमें जो भी सुधार की गुञ्जाइश दिखी, वह मैंने कम्पनी के अधिकारियों को बताया। उन्होंने कहा कि कुछ बातें उन्हें काम की लग रही हैं, कुछ और सर्वे करके वे अगली लॉञ्चिङ्ग में इसका ध्यान रखेंगे। सचमुच उन्होंने जब सी-5अल्ट्रा बनाया तो कई बढ़िया फ़ीचर शामिल किए। तकनीक वाले लोगों को याद होगा कि सी-5अल्ट्रा तेरह मेगा पिक्सल के साथ सेल्फी फ़ोन के रूप में मशहूर हुआ था। सोनी के सर्विस सेण्टर वाले भी मेरा ख़ास ख़याल रखने लगे थे। क़रीब साल भर बाद एक दिन उन्होंने मुझसे कहा कि मैं अपना जेड-अल्ट्रा जमा कर दूँ तो मुझे नया हैण्डसेट दे दिया जाएगा। अच्छा लगा कि मेरे अठारह हज़ार वाले फ़ोन के बदले कुछ दिनों बाद कम्पनी ने मुझे तीस हज़ार का सी-5अल्ट्रा उपलब्ध करा दिया। कुछ दिनों बाद कुछ उपकरण भी मुझे मिले, जिनमें से एक महँगा वाटरप्रूफ़ मिनीफ़ोनयुक्त ब्लूटुथ आज भी शानदार ढङ्ग से काम कर रहा है। बरसात के मौसम में यह बड़े काम का साबित होता है।
नई तकनीकी ज़रूरतों के हिसाब से क़रीब साल भर पहले मुझे जो फ़ोन पसन्द आया, वह एक अनजानी-सी कम्पनी का ‘इनफिनिक्स जीरो-5’ था। वैसे इस फ़ोन की लॉञ्चिङ्ग की पहली सूचना मुझे यूट्यूब पर तकनीक आधारित देश में पहला हिन्दी चैनल शुरू करने वाले ‘शर्माजी टेक्निकल’ के हमारे मित्र प्रवाल शर्मा जी से मिली थी। अठारह हज़ार रुपये की क़ीमत का यह फ़ोन मुझे मिला था साढ़े तेरह हज़ार में। स्टील बॉडी की बनावट में यह ठीक-ठाक मज़बूती वाला फ़ोन है। चार बार गिर चुका है, पर सलामत है। बस कम्पनी ने एक ही बदमाशी की कि इसके बॉक्स पर ‘लेटेस्ट एण्ड्रॉयड अपडेप’ का वादा किया, पर अपडेट देती रही दूसरे-तीसरे।
इनफिनिक्स के नोएडा वाले हेडऑफ़िस से मेरी कई बार बात हुई। कुछ सुझाव मैंने दिए और कम्पनी ने उन पर काम भी किया। मैंने एक सस्ते मास्टर पीस हैण्डसेट की कल्पना बताई, तो बात उनको जँची। सारे सुझावों पर तो कम्पनी वालों ने अमल नहीं किया, पर हाल में इनफिनिक्स का जो नया फ़ोन ‘इनफिनिक्स हॉट-8’ फ्लिपकार्ट पर आया है, उसमें कई सारी ख़ूबियाँ मौजूद हैं। इस एक हैण्डसेट ने इनफिनिक्स का नाम रोशन कर दिया है। फ्लिपकार्ट पर यह थोड़ी देर के लिए आता है और आउट ऑफ स्टाक हो जाता है। सात हज़ार रुपये की क़ीमत में यह अब तक का सबसे बेहतरीन फोन कहा जा सकता है। तीन कैमरों की दोनों तरफ़ की फ्लैश लाइट वाली सेटिङ्ग केवल सात हज़ार रुपये में आपको स्मार्ट महसूस करवाएगी। वे सारे ज़रूरी सेंसर इसमें मौजूद हैं, जो आमतौर पर बीस-तीस हज़ार वाले फ़ोनों में होते हैं। फेस अनलॉक, फिङ्गरप्रिण्ट सेंसर दोनों मिल जाएँगे, जो इतने सस्ते हैण्डसेट में एक साथ नहीं मिल पाते। स्टील बॉडी तो नहीं है, पर इस क़ीमत के फ़ोनों के हिसाब से बनावट बढ़िया है। साढ़े छह इञ्च की बड़ी और एचडी प्लस शानदार ‘नॉच’ डिस्प्ले है। बैटरी है पाँच हज़ार एमएएच की। ऐसी बैटरी इस क़ीमत के फ़ोन में अभी तक किसी ने नहीं दी है।
मीडियाटेक का हीलियो पी-22 प्रोससर की तकनीक ऊर्जा की खपत को कम करती है। मतलब यह कि दो-तीन दिन तक आपको फ़ोन चार्ज नहीं करना पड़ेगा। ऑडियो, वीडियो वग़ैरह के सङ्ग्रहण के लिए चौंसठ जीबी की अन्दरूनी जगह इस क़ीमत के हिसाब से काफ़ी है। सिम कार्ड ट्रे तीन खाँचे वाला है; यानी आप दो सिम और एक मेमोरी कार्ड एक साथ इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके प्रोसेसर की एक ख़ासियत यह भी है कि यह दो-तीन सिम कार्ड को एक साथ वोल्टे (VOLTE) तकनीक पर चला सकता है, अर्थात् आप दोनों सिम चाहें तो जियो या किसी भी अन्य ऑपरेटर की लगाएँ, परेशानी नहीं आएगी। स्पीकर अच्छा है।
इस फ़ोन में जो कमियाँ मुझे लगीं, उनमें एक तो यह है कि माइक्रो यूएसबी के बजाय कम्पनी को सी-टाइप चार्जिङ्ग केबल देना चाहिए था। प्रोसेसर भी एक पायदान ऊपर वाला होता तो यह भारी-भरकम गेमिङग वालों के लिए भी ज़बरदस्त साबित होता। कम रोशनी के हिसाब से कैमरा सेंसर इसमें मौजूद है, पर इसकी साइज़ थोड़ी और ज़्यादा होती तो तसवीरें काफ़ी अच्छी हो सकती थीं। 2.5 डी कर्व ग्लास है, पर इसे थोड़ा बेहतर करने की ज़रूरत थी। यह सब करने में क़ीमत बढ़ानी भी पड़ती तो बमुश्किल हज़ार रुपये। कम्पनी वालों से मेरी बात हुई तो एक अधिकारी ने हँसकर कहा कि भाई साहब आप ख़ुद ही सोचिए कि इतनी कम क़ीमत में हम सब कुछ दे ही देंगे तो ज़्यादा क़ीमत वाले हैण्डसेट कैसे लॉञ्च करेंगे? मतलब यह कि कम्पनियों के अपने तरीक़े होते हैं ग्राहक को ललचाने के। एक-दो चीज़ें ज़्यादा देकर वे दो-तीन गुना क़ीमत वसूलने की जुगत भिड़ाते हैं।
उनका प्रस्ताव है कि मैं जब भी चाहूँ नोएडा की इनफिनिक्स की फैक्ट्री वे मुझे घुमाना चाहेंगे। उन्हें शायद भ्रम है कि मैं कोई टेक्निकल एक्सपर्ट हूँ...जबकि ऐसा है नहीं। बहरहाल, मेरे मन में यह तो है कि किसी दिन ऐसी चीज़ें भी देख ही लेनी चाहिए।
जो भी हो, फ़ोन बढ़िया है, बल्कि किसी भी दस-बारह-पन्द्रह हज़ार रुपये के फ़ोन से यह बेहतर अनुभव दे सकता है। लेकिन इतने तक ही, इससे ज़्यादा क़ीमत के फ़ोन से इसकी तुलना नहीं करनी चाहिए।
एक मित्र ने नया फ़ोन ख़रीदने के लिए सलाह माँगी कि आजकल के हिसाब से सस्ता और बेहतर कौन-सा रहेगा। इस बात से मुझे ध्यान आया कि मेरे प्रिय विषयों में एक तकनीक भी रही है। जब रेडियो का चलन हुआ करता था तो उसके पुरज़े खोल-खोलकर छटकाने और फिर वापस लगाने का मुझे अजीब-सा शौक़ था। ऐसा भी हुआ कि बिगड़ चुकी मेरी जिन इलेक्ट्रॉनिक घड़ियों को मैकेनिक ने बनाने इनकार किया, उन्हें देसी जुगाड़ से दुबारा चलाने में मैं कामयाब रहा। प्लास्टिक के डिब्बों में गोमूत्र भरकर और उनमें कैथोड-एनोड के तौर पर जस्ते और ताँबे की दो प्लेटें लगाकर दीवार घड़ी और ट्राञ्जिस्टर चलाने का प्रयोग भी ख़ूब करता रहा हूँ।
तब की यह आदत मन के भीतर अब तक ज़िन्दा है, इसीलिए जब-जब भी मुझे कम्प्यूटर ख़रीदने की ज़रूरत पड़ी तो मैंने ब्राण्ड पर ध्यान न देने के बजाय अपनी ज़रूरत के हिसाब से अलग-अलग पुरज़े लिए और अपना कम्प्यूटर ख़ुद असेम्बल किया। ज़ाहिर है, इस तरीक़े में थोड़ी मेहनत तो लगती है, पर पचास हज़ार रुपये का काम पच्चीस-तीस हज़ार में हो जाता है। लगभग आधी बचत और काम भी ज़्यादा टिकाऊ। मोबाइल फ़ोन के लिए भी मैंने प्रचार पर ध्यान देने के बजाय फ़ोन के हार्डवेयर पर ज़्यादा ध्यान दिया और बात जमी तो ही फ़ोन लिया। क़रीब आठ साल पहले पहला एण्ड्रॉयड फ़ोन, जो मैंने लिया था, उसका नाम था—एमटीवी बोल्ट। स्वाइप और एमटीवी का साझा उपक्रम। छह इञ्च स्क्रीन वाले इस फ़ोन की स्क्रीन को मेरी बच्ची ने तोड़ दिया था, पर क्रेक स्क्रीन के साथ आज भी यह बख़ूबी काम करता है। गाहे-बगाहे ज़रूरत पड़ जाए तो भरपूर साथ देता है।
इसके बाद जो फ़ोन मुझे पसन्द आया, वह था सोनी का साढ़े छह इञ्च स्क्रीन वाला जेड-अल्ट्रा। तब यह दुनिया की सबसे बड़ी स्क्रीन वाला फ़ोन था। वाटरप्रूफ़ था। इसकी स्क्रीन पर लैपटॉप वाले कुछ काम भी निबटाए जा सकते थे। नया-नया बाज़ार में जब आया तो क़ीमत थी अड़तालीस हज़ार। अपनी हैसियत इतनी थी नहीं तो मन मसोस कर रह गया। कुछ महीने बाद त्योहारी मौसम में दो-तीन ऑफर एक साथ आए और यह फ़ोन मुझे मिल गया क़रीब अठारह हज़ार में। इतनी बेहतर और मज़बूत डिज़ाइन का कोई और दूसरा फ़ोन मुझे नहीं मिला। थोड़े तकनीकी जुगाड़ से इसमें मैं बड़ा वाला कीबोर्ड फिट कर सकता था।
जेड-अल्ट्रा की वजह से जब कस्टमर केयर पर बात होनी शुरू हुई तो सोनी वालों से मेरे बढ़िया रिश्ते बन गए। तकनीक में दिलचस्पी रही है, इसलिए इसमें जो भी सुधार की गुञ्जाइश दिखी, वह मैंने कम्पनी के अधिकारियों को बताया। उन्होंने कहा कि कुछ बातें उन्हें काम की लग रही हैं, कुछ और सर्वे करके वे अगली लॉञ्चिङ्ग में इसका ध्यान रखेंगे। सचमुच उन्होंने जब सी-5अल्ट्रा बनाया तो कई बढ़िया फ़ीचर शामिल किए। तकनीक वाले लोगों को याद होगा कि सी-5अल्ट्रा तेरह मेगा पिक्सल के साथ सेल्फी फ़ोन के रूप में मशहूर हुआ था। सोनी के सर्विस सेण्टर वाले भी मेरा ख़ास ख़याल रखने लगे थे। क़रीब साल भर बाद एक दिन उन्होंने मुझसे कहा कि मैं अपना जेड-अल्ट्रा जमा कर दूँ तो मुझे नया हैण्डसेट दे दिया जाएगा। अच्छा लगा कि मेरे अठारह हज़ार वाले फ़ोन के बदले कुछ दिनों बाद कम्पनी ने मुझे तीस हज़ार का सी-5अल्ट्रा उपलब्ध करा दिया। कुछ दिनों बाद कुछ उपकरण भी मुझे मिले, जिनमें से एक महँगा वाटरप्रूफ़ मिनीफ़ोनयुक्त ब्लूटुथ आज भी शानदार ढङ्ग से काम कर रहा है। बरसात के मौसम में यह बड़े काम का साबित होता है।
नई तकनीकी ज़रूरतों के हिसाब से क़रीब साल भर पहले मुझे जो फ़ोन पसन्द आया, वह एक अनजानी-सी कम्पनी का ‘इनफिनिक्स जीरो-5’ था। वैसे इस फ़ोन की लॉञ्चिङ्ग की पहली सूचना मुझे यूट्यूब पर तकनीक आधारित देश में पहला हिन्दी चैनल शुरू करने वाले ‘शर्माजी टेक्निकल’ के हमारे मित्र प्रवाल शर्मा जी से मिली थी। अठारह हज़ार रुपये की क़ीमत का यह फ़ोन मुझे मिला था साढ़े तेरह हज़ार में। स्टील बॉडी की बनावट में यह ठीक-ठाक मज़बूती वाला फ़ोन है। चार बार गिर चुका है, पर सलामत है। बस कम्पनी ने एक ही बदमाशी की कि इसके बॉक्स पर ‘लेटेस्ट एण्ड्रॉयड अपडेप’ का वादा किया, पर अपडेट देती रही दूसरे-तीसरे।
इनफिनिक्स के नोएडा वाले हेडऑफ़िस से मेरी कई बार बात हुई। कुछ सुझाव मैंने दिए और कम्पनी ने उन पर काम भी किया। मैंने एक सस्ते मास्टर पीस हैण्डसेट की कल्पना बताई, तो बात उनको जँची। सारे सुझावों पर तो कम्पनी वालों ने अमल नहीं किया, पर हाल में इनफिनिक्स का जो नया फ़ोन ‘इनफिनिक्स हॉट-8’ फ्लिपकार्ट पर आया है, उसमें कई सारी ख़ूबियाँ मौजूद हैं। इस एक हैण्डसेट ने इनफिनिक्स का नाम रोशन कर दिया है। फ्लिपकार्ट पर यह थोड़ी देर के लिए आता है और आउट ऑफ स्टाक हो जाता है। सात हज़ार रुपये की क़ीमत में यह अब तक का सबसे बेहतरीन फोन कहा जा सकता है। तीन कैमरों की दोनों तरफ़ की फ्लैश लाइट वाली सेटिङ्ग केवल सात हज़ार रुपये में आपको स्मार्ट महसूस करवाएगी। वे सारे ज़रूरी सेंसर इसमें मौजूद हैं, जो आमतौर पर बीस-तीस हज़ार वाले फ़ोनों में होते हैं। फेस अनलॉक, फिङ्गरप्रिण्ट सेंसर दोनों मिल जाएँगे, जो इतने सस्ते हैण्डसेट में एक साथ नहीं मिल पाते। स्टील बॉडी तो नहीं है, पर इस क़ीमत के फ़ोनों के हिसाब से बनावट बढ़िया है। साढ़े छह इञ्च की बड़ी और एचडी प्लस शानदार ‘नॉच’ डिस्प्ले है। बैटरी है पाँच हज़ार एमएएच की। ऐसी बैटरी इस क़ीमत के फ़ोन में अभी तक किसी ने नहीं दी है।
मीडियाटेक का हीलियो पी-22 प्रोससर की तकनीक ऊर्जा की खपत को कम करती है। मतलब यह कि दो-तीन दिन तक आपको फ़ोन चार्ज नहीं करना पड़ेगा। ऑडियो, वीडियो वग़ैरह के सङ्ग्रहण के लिए चौंसठ जीबी की अन्दरूनी जगह इस क़ीमत के हिसाब से काफ़ी है। सिम कार्ड ट्रे तीन खाँचे वाला है; यानी आप दो सिम और एक मेमोरी कार्ड एक साथ इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके प्रोसेसर की एक ख़ासियत यह भी है कि यह दो-तीन सिम कार्ड को एक साथ वोल्टे (VOLTE) तकनीक पर चला सकता है, अर्थात् आप दोनों सिम चाहें तो जियो या किसी भी अन्य ऑपरेटर की लगाएँ, परेशानी नहीं आएगी। स्पीकर अच्छा है।
इस फ़ोन में जो कमियाँ मुझे लगीं, उनमें एक तो यह है कि माइक्रो यूएसबी के बजाय कम्पनी को सी-टाइप चार्जिङ्ग केबल देना चाहिए था। प्रोसेसर भी एक पायदान ऊपर वाला होता तो यह भारी-भरकम गेमिङग वालों के लिए भी ज़बरदस्त साबित होता। कम रोशनी के हिसाब से कैमरा सेंसर इसमें मौजूद है, पर इसकी साइज़ थोड़ी और ज़्यादा होती तो तसवीरें काफ़ी अच्छी हो सकती थीं। 2.5 डी कर्व ग्लास है, पर इसे थोड़ा बेहतर करने की ज़रूरत थी। यह सब करने में क़ीमत बढ़ानी भी पड़ती तो बमुश्किल हज़ार रुपये। कम्पनी वालों से मेरी बात हुई तो एक अधिकारी ने हँसकर कहा कि भाई साहब आप ख़ुद ही सोचिए कि इतनी कम क़ीमत में हम सब कुछ दे ही देंगे तो ज़्यादा क़ीमत वाले हैण्डसेट कैसे लॉञ्च करेंगे? मतलब यह कि कम्पनियों के अपने तरीक़े होते हैं ग्राहक को ललचाने के। एक-दो चीज़ें ज़्यादा देकर वे दो-तीन गुना क़ीमत वसूलने की जुगत भिड़ाते हैं।
उनका प्रस्ताव है कि मैं जब भी चाहूँ नोएडा की इनफिनिक्स की फैक्ट्री वे मुझे घुमाना चाहेंगे। उन्हें शायद भ्रम है कि मैं कोई टेक्निकल एक्सपर्ट हूँ...जबकि ऐसा है नहीं। बहरहाल, मेरे मन में यह तो है कि किसी दिन ऐसी चीज़ें भी देख ही लेनी चाहिए।
जो भी हो, फ़ोन बढ़िया है, बल्कि किसी भी दस-बारह-पन्द्रह हज़ार रुपये के फ़ोन से यह बेहतर अनुभव दे सकता है। लेकिन इतने तक ही, इससे ज़्यादा क़ीमत के फ़ोन से इसकी तुलना नहीं करनी चाहिए।
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