शशांक द्विवेदी
डिप्टी डायरेक्टर
(रिसर्च), मेवाड़
यूनिवर्सिटी,
क्या हमारी पृथ्वी की तरह कोई और पृथ्वी इस ब्रह्माण्ड में है जहाँ जीवन की
सम्भावना हो सकती है ? इस सवाल का जवाब लगता है अब मिल गया है । अमेरिकी
अंतरिक्ष एजेंसी नासा के केप्लर मिशन ने पृथ्वी जैसा एक दूसरा गृह खोजनें का दावा
किया है । नासा के वैज्ञानिकों ने एक तारे की
कक्षा में घूम रहे पृथ्वी के आकार के गृह को ढूंढ लिया है। ये ग्रह सौर-मंडल के
अंदर ही है और इस पर पानी की मौजूदगी होने की संभावना है। खगोल वैज्ञानिकों ने
वैसे तो पिछले कुछ सालों के दौरान हमारे सौरमंडल से बाहर अनेक नए ग्रहों का पता
लगाया है और इनमे से कुछ ग्रहों को संभावित पृथ्वी के रूप में भी देखा गया है, लेकिन यह पहला मौका है जब किसी ग्रह में पृथ्वी जैसे गुण देखे गए हैं।
केपलर अंतरिक्ष दूरबीन से मिले ग्रह को केपलर 452बी नाम दिया है। सौर मंडल से बाहर मिला यह ग्रह हमारी धरती की तरह है।
केपलर-452बी नाम का यह ग्रह जी2 जैसे सितारे की परिक्रमा जीवन के लायक क्षेत्र में कर रहा है। जी2 तारा भी हमारे सूर्य के जैसा है। पृथ्वी की तरह ही इसका अपना सूरज है। रिसर्च के मुताबिक, 'कैप्लर 452बी' पृथ्वी की ही तरह चट्टानी
है। अपने तारे से यह उतना ही दूर है, जितना सूरज से पृथ्वी। यह न ज्यादा गर्म है और ना ही
ज्यादा ठंड। इस कारण इस पर पानी और जिंदगी होने की उम्मीद है। पृथ्वी की तरह वहां
जीवन होने की उम्मीद के कारण इसे 'अर्थ-2' के नाम से भी पुकारा
जा रहा है। इस ग्रह की परिस्थितियां जीवन के
अनुकूल हैं और खास बात यह है कि यह ग्रह अपने सूरज जैसे तारे के जीवन -अनुकूल
क्षेत्र में ही चक्कर काट रहा है।
पृथ्वी से
बाहर जीवन ढूंढने की नासा की कोशिशों में इस खोज को बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा
है। नासा के स्पेस टेलीस्कोप कैप्लर ने इस ग्रह की खोज की है। इसे 2009 में लॉन्च किया गया था। इसने 2015 में गोल्डिलॉक जोन (जीवन की संभावना वाले) में आठ नए ग्रहों
की खोज की है। 0.95 डायमीटर वाला ये टेलीस्कोप
करीब एक लाख तारों पर नजर रखता है। नासा ने कहा है कि धरती के जैसी नई दुनिया में
जीने की पर्याप्त परिस्थिति मौजूद है। बताया गया है कि यदि पौधों को वहां ले जाया
जाए तो वे वहां भी जिंदा रह सकते हैं। नासा के मुताबिक हमारी धरती के जैसी परिस्थिति में अपने
सितारे का चक्कर काट रहा ग्रह जीवन की सभी परिस्थितियों और संभावनाओं को समेटे हुए
है।
यह भी पृथ्वी की तरह अपने ग्रह का चक्कर लगाता है और इसमें 385 दिन लेता
है। इसकी परतें भी पृथ्वी की तरह चट्टानी हैं। 'अर्थ-2'
का तापमान भी पृथ्वी की तरह
है। अनुमान है कि अगर यहां ऐसा धरातल है तो फिर जीवन संभव है। यह पृथ्वी
से 1400 प्रकाश वर्ष
दूर है। यह साइज में पृथ्वी से डेढ़ गुना बढ़ा हो सकता है। कैप्लर 452बी का
पैरेंट स्टार कैप्लर 452 छह अरब साल पुराना है। यह हमारे सूरज से भी 1.5 अरब साल बड़ा
है और 20% ज्यादा
चमकीला है। नए ग्रह पर बहुत सारे बादल और सक्रिय ज्वालामुखी होने की संभावना है। अब तक खोजे गए ग्रहों में यह ग्रह पृथ्वी से सबसे ज्यादा मिलता है। इसी वजह
से वैज्ञानिक इसे पृथ्वी की बहन और पृथ्वी-2 भी कह रहे हैं।
नासा ने अभी तक रहने लायक 12 ग्रहों की खोज की है और दूसरी पृथ्वी की खोज इस दिशा में एक
मील का पत्थर है। नासा के साइंस मिशन डाइरेक्टरेट के सहायक प्रशासक जॉन
ग्रुंसफेल्ड ने कहा कि इस उत्साहवर्द्धक परिणाम ने हमें अर्थ 2.0 की खोज के काफ़ी करीब पहुंचा दिया है। नया ग्रह ऐसे क्षेत्र
में है जिसे रहने योग्य या गोल्डीलॉक्स जोन के रूप में जाना जाता है। तारे के
आसपास का यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां परिक्रमा करने वाले ग्रह की सतह पर तरल पानी
काफी मात्रा में मौजूद रह सकता है। अगर कोई ग्रह अपने तारे से ज्यादा
नजदीक होगा तो काफी गर्म होगा और ज्यादा दूर होगा तो काफी ठंडा। केपलर 452बी,
अरबों सालों से अपने तारे से उचित दूरी पर है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इसकी
सतह के नीचे ज्वालामुखी भी हो सकते हैं। यह ग्रह हमारी पृथ्वी से थोड़ा ज्यादा बड़ा है। माना जा रहा
है कि इसकी ग्रैविटी पृथ्वी के मुकाबले दोगुनी होगी। वैज्ञानिकों का कहना है कि
इतने गुरुत्वाकर्षण में इंसान जिंदा रह सकते हैं। माना जा रहा है कि ऐसे मौसम में पौधे भी अपना जीवन जी सकते हैं। इस ग्रह का तारा हमारी पृथ्वी के तारे
यानी सूरज की तरह ही प्रकाश देता है। अगर यहां पर चट्टानें हुईं और वातावरण विकसित
हुआ तो आप धूप भी सेक सकते हैं।
नासा के मुताबिक जीवन के लायक
क्षेत्र में परिक्रमा करने वाला पहला छोटा ग्रह है । इसकी आकार धरती की तरह और
वर्ष की लंबाई भी करीब समान है। एलियन के वहां मौजूद होने के बारे में अभी तक कुछ
नहीं कहा जा सकता है। लेकिन वैज्ञानिकों ने इस बात की पुष्टि की है कि वहां
पेड़-पौधे भेजे गए तो वह जिंदा रह सकते हैं। ज्यादातर जो बातें सामने आई है उससे यह
साफ होता है कि वहां भी जीवन की भरपूर संभावनाएं है। केपलर 452बी यानी हमारी नई पृथ्वी या अर्थ 2.0 हमसे 1,400
प्रकाश वर्ष दूर है। एक प्रकाश वर्ष यानी प्रकाश एक साल में जितनी दूरी तय
करता है जिससे यहां पहुंचने में ही अरबों
साल लग जाएंगे। इसलिए फ़िलहाल यहाँ जाना असंभव लगता है लेकिन नासा की यह खोज
भविष्य के लिए दूरगामी साबित हो सकती है .
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन गुरदासपुर आतंकी हमला और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
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