Tuesday 31 July 2012

अंतरराष्ट्रीय एड्स सम्मेलन-क्या एड्स का इलाज संभव है?

दुनिया में कई ऐसी बीमारियां हैं, जिनके इलाज के लिए अभी तक कोई कारगर दवा विकसित नहीं की जा सकी है. इन्हीं बीमारियों में से एक है, एचआइवी/एड्स. इसके बारे में सबसे पहले 1981 में पता चला था. लेकिन, तब से लेकर अभी तक न तो कोई कारगर दवा विकसित की जा सकी है और न ही कोई वैक्सीन. पिछले दिनों 22 से 27 जुलाई के बीच वाशिंगटन में 19वें अंतरराष्ट्रीय एड्स सम्मेलन के दौरान इस मुद्दे पर चर्चा की गयी. इस दौरान एड्स के इलाज के लिए नयी दवाओं और एड्स को रोकने संबंधी कुछ पहलू भी सामने आये. इससे रोकथाम और इलाज की उम्मीद बढ.ी है. एड्स क्या है, कैसे फैलता है और कैसे संभव हो सकेगा इसका इलाज? इन्हीं मुद्दों पर पर विशेष प्रस्तुति 
क्या एड्स का इलाज संभव है? 22 से 27 जुलाई के बीच जब अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी में 19वां अंतरराष्ट्रीय एड्स सम्मेलन चल रहा था, तो यही सवाल बहस के केंद्र में था. यह एक ऐसी बीमारी है, जिससे संक्रमित होने के बाद मृत्यु सुनिश्‍चित है. एचआइवी एड्स के बारे में पहली बार 1981 में पता चला था, तबसे लगभग 3 करोड़ लोगों की इस बीमारी से मौत हो चुकी है. पिछले साल ही पूरी दुनिया में इससे लगभग 17 लाखलोगों की मौत हुई. हालांकि, यह आंकड़ा साल 2005 के 23 लाख की अपेक्षा कम है. ऐसी उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में यह संख्या और भी कम हो सकती है. लेकिन, अभी संख्या कम होने से समाधान नहीं हो जाता. यही वजह है कि कुछ लोग एंटी रेट्रोवायरल (एआरवी) से आगे की बात कर रहे हैं. हालांकि, अभी तक एचआइवी/एड्स की इलाज का कोई कारगर तरीका नहीं निकल सका है, जिससे यह बीमारी पूरी तरह ठीक हो.

फैलता संक्रमण
विश्‍व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2010 में लगभग 27 लाख लोग एचआइवी वायरस से संक्रमित हुए. इनमें तीन लाख नब्बे हजार बो थे. इन बाों में अधिकांश बो जन्म से ही इस वायरस से संक्रमित पाये गये, क्योंकि उनकी मां में इसके वायरस पहले से मौजूद थे. 
गौरतलब है कि हर साल इस संक्रमण और बीमारी की वजह से लगभग 18 लाख लोगों की मौत होती है.
सब सहारा में भयावह स्थिति
दुनियाभर में सब सहारा अफ्रीका में एड्स को मरीजों की संख्या सबसे अधिक है. यह इलाका एचआइवी संक्रमण से सर्वाधिक प्रभावित है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सब सहारा अफ्रीका में पूरी दुनिया की कुल 12 फीसदी आबादी रहती है, लेकिन 68 फीसदी के आसपास लोग एचआइवी से संक्रमित हैं. इनमें भी सर्वाधिक संख्या महिलाओं की है. यहां एचाइवी से संक्रमित महिलाओं की संख्या कुल आबादी का 59 फीसदी है. 
भारत और एड्स
कुछ साल पहले तक भारत में एचआईवी से संक्रमित लोगों की संख्या लगभग 57 लाख थी, लेकिन हाल के दिनों में इस आंक.डे में कमी आयी है और अब यह 20 लाख के आसपास है. भारत में 1986 में पहली बार एड्स के मामले का पता चलते ही स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने राष्ट्रीय एड्स समिति का गठन किया था. 1992 में भारत का पहला राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम शुरू किया गया था और राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) कार्यक्रम को लागू करने के लिए गठित किया गया था.

इलाज की मौजूदा व्यवस्था


फिलहाल, एचआइवी/एड्स को रोकने के लिए एंटी रेट्रोवायरल का ही इस्तेमाल किया जाता है. इसे रेट्रो वायरस, मुख्यतौर पर एचआइवी के संक्रमण से बचाव के लिए विकसित किया गया है. जब इस तरह की कई दवाइयों को एक साथ मिला दिया जाता है, तो यह उा सक्रिय एंटी रेट्रोवायरस थेरेपी या एचएएआरटी कहलाता है. पहली बार अमेरिकी स्वास्थ्य संस्था ने एड्स के रोगियों को इस दवा के इस्तेमाल का सुझाव दिया था. एंटी रेट्रोवायरल दवाइयों के भी विभित्र प्रकार है, जो एचआइवी के विभित्र स्टेज के लिए इस्तेमाल होते हैं. अब अमेरिका वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्होंने एड्स फैलाने वाले एचआइवी वायरस के संभावित इलाज की ओर पहला कदम उठाया है. एचआइवी वायरस कई सालों तक मरीज के शरीर में बिना कोई हरकत किये पड़ा रहता है जिससे इसका इलाज करने में मुश्किलें आती हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक, कैंसर के खिलाफ इस्तेमाल होने वाली दवा (वोरीनोस्टैट) के इस्तेमाल से इस सुस्त प.डे वायरस को बाहर निकाला जाता है. इन वैज्ञानिकों ने आठ मामलों में इस वायरस पर हमला कर उसे सामान्य एंटी-रेट्रोवायरल दवाओं से खत्म कर दिया. लेकिन वैज्ञानिकों की इस टीम का कहना है कि दुनिया में एचआइवी से ग्रस्त तीन करोड़ लोगों के इलाज के लिए कारगर दवा को विकसित करने के लिए कई सालों तक शोध करने की जरूरत पड़ सकती है.

इम्यून सिस्टम से छिपा रहता है इसका वायरस

एचआइवी वायरस को खत्म करने के शोध में जुटे शोधकर्ताओं का कहना है कि एचआइवी का इलाज दशकों से शोधकर्ताओं को परेशान करता रहा है. दरअसल, एचआइवी हमारे जींस में जुड़ जाता है और कैंसर कोशिका जैसी प्रतिरक्षा प्रणाली यानी इम्यून सिस्टम से छिपा रहता है और इसका इलाज नहीं हो पाता है. उसके बाद जब एचआइवी वायरस सक्रिय नहीं होता तो अब तक उपलब्ध कोई भी इलाज इसके खिलाफ काम नहीं कर पाता. लेकिन जब यह सक्रिय होता है तो इस पर नियंत्रण ही नहीं हो पाता है. यह पहला मौका है जब हम सुस्त प.डे एचआइवी वायरस पर ही नियंत्रण पाने की ओर कदम उठा पायेंगे, जिससे इलाज का रास्ता खुलेगा. 

त्रुवदा को मिली मंजूरी 

30 सालों की लंबी लड़ाई के बाद पिछले दिनों अमेरिका ने एड्स की इस दवा त्रुवदा को मंजूरी दी. यह दवा एड्स को पनपने नहीं देती. वैज्ञानिकों का कहना है कि इसके इस्तेमाल से एड्स से बचाव हर हाल में किया जा सकता है. यह दवा उन हालातों में कारगर है, जहां व्यक्ति को एड्स होने का खतरा रहता है. सबसे बड़ी बात कि यह एड्स के लिए बनी पहली ऐसी दवा है जो उन लोगों को भी दी जा सकती है जो एड्स जैसी जानलेवा बीमारी से बचाव चाहते हैं, यानी जिन्हें एड्स नहीं है.
एचआइवी और एड्स का मतलब
एचआइवी का मतलब है, ह्यूमन इम्यूनो डेफिशिएंसी वाइरस (मानव की रोग प्रतिरक्षा शक्ति को कम करने वाला विषाणु). एचआइवी एक रेट्रो वायरस है, जो मानव रोग प्रतिरक्षा प्रणाली की कोशिकाओं को संक्रमित करता है. इस विषाणु से संक्रमित होने पर रोग प्रतिरक्षा प्रणाली धीरे-धीरे कमजोर होती जाती है, जिससे रोग प्रतिरक्षा की कमी हो जाती है. रोग प्रतिरक्षा प्रणाली में कमी तब मानी जाती है जब हामरे अंदर दूसरी बीमारियों से लड़ने की क्षमता कम होने लगती है. 

एड्स : एड्स यानी एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिएिसएंसी सिंड्रॉम. एचआइवी वायरस के संक्रमण के कारण एड्स होता है.
कैसे फैलती है यह बीमारी
एचआइवी संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंधों के कारण. त्नएचआइवी संक्रमित सिरींज और सूइयों के इस्तेमाल से. 
त्नएचआइवी संक्रमित रक्त चढ.ाने से.
आंकड़ों की जुबानी
पूरी  दुनिया में एचआइवी संक्रमित मरीजों की संख्या करोड़ के आसपास है. त्नभारत में एड्स मरीजों की संख्या लगभग 23.90 लाख तक है. इसमें लगभग 9.3 लाख महिलाएं और लगभग 3.5 प्रतिशत संख्या बाों की है.

क्या हैं इसके लक्षण 
एचआइवी से संक्रमित अधिकांश लोगों को यह मालूम नहीं होता कि वे इससे संक्रमित हो चुके हैं. इसकी वजह यह है कि शुरुआती संक्रमण के तुरंत बाद इसका कोई लक्षण नहीं दिखता है. हालांकि, कुछ लोगों को गिलटी वाले बुखार जैसी बीमारी होती है, जो सेरोकंवर्जन के समय हो सकती है. सेरोकंवर्जन का मतलब होता है एचआइवी के एंटीबॉडीज का बनना. यह असर संक्रमण के 6 सप्ताह से 3 महीने के बीच होता है. इस तरह एचआइवी संक्रमण का कोई आरंभिक लक्षण नहीं होता, लेकिन एचआइवी संक्रमित व्यक्ति अत्यधिक संक्रामक हो सकता है. एचआइवी के जांच से ही पता चलता है कि कोई व्यक्ति इससे संक्रमित है.
अभी तक कौन-सी दवाएं हैं उपलब्ध
एड्स हो जाने के बाद इससे छुटकारा पाने की दुनिया में अभी कोई दवा नहीं बन पायी है. अभी तक जो भी दवाएं बनी हैं, वे सिर्फ बीमारी की रफ्तार कम करती हैं, उसे खत्म नहीं करतीं. एचआइवी के लक्षणों का इलाज तो हो सकता है, लेकिन इस इलाज से भी यह बीमारी पूरी तरह खत्म नहीं होती है. एजेडटी, एजीकोथाइमीडीन, जाइडोव्यूजडीन, ड्राइडानोसीन स्टाव्यूडीन जैसी कुछ दवाइयां हैं, जो इसके प्रभाव के रफ्तार को कम करती हैं. लेकिन, ये इतनी महंगी हैं कि आम आदमी की पहुंच से बाहर हैं. अगर हम सिर्फ एजेडटी दवा की ही बात करें तो यदि एचआइवी से संक्रमित व्यक्ति इसका एक साल तक सेवन करता है, तो उसे साल भर के कोर्स के लिए एक से डेढ. लाखरुपये तक देना होगा. इन दवाओं के अलावा न्यूमोसिस्टीस कारनाई, साइटोमेगालो वायरस माइकोबैक्टीरियम, टोसोप्लाज्मा दवा उपलब्ध है. अब इम्यूनोमोडुलेटर प्रक्रिया का भी इस्तेमाल किया जाने लगा है. साथ ही, चिकित्सा वैज्ञानिक एड्स के वैक्सीन को विकसित करने पर काम कर रहे हैं. हालांकि, यह अभी प्रयोग के दौर से गुजर रहा है और इसे बाजार में आने में कई वर्ष लग जाएंगे. यह वैक्सीन भी इतना सस्ता नहीं होगा कि यह सभी के पहुंच में हो.
42 फीसदी महिलाएं वैश्‍विक तौर पर इस वायरस से संक्रमित हैं.1992 में भारत का पहला राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम शुरू हुआ था.85 फीसदी एचआइवी संक्रमण असुरक्षित यौन संबंधों के कारण होता है.1981 में पहली बार एड्स नामक बीमारी की पहचान की गयी थी.

भारत  की स्थिति
भारत में इस समय लगभग 9,26,197 महिलाएं और 1,469,245 पुरुष एचआइवी पॉजिटिव से संक्रमित हैं. दिल्ली  की बात की जाये, तो देश की राजधानी में लगभग 34,216 एड्स के मरीज हैं यानी कुल आबादी का 0.21 फीसदी.पिछले दशक की अपेक्षा 56 फीसदी की कमी आयी है.(source-prabhatkhabar)

1 comment:

  1. नमस्ते हर कोई .... मैं मैं के बारे में कैसे प्रसारित करने के लिए शर्म नहीं हो सकता, मैं डॉ ओला वह मैं उसे करने के लिए निर्देशित किया है कि एचआईवी से पीड़ित कई लोगों की मदद की है कि कैसे मेरी मदद की और कैसे पर गवाही देने के लिए फिर से आया था यही वजह है कि बहुत खुश हूँ मैं स्वस्थ और स्वतंत्र हूँ, क्योंकि मैं अब एचआईवी रोग का सामना करना पड़ा मैं 3 साल के लिए सकारात्मक था, लेकिन अब मैं डॉ ओला हर्बल चिकित्सा की मदद से नकारात्मक एचआईवी हूँ। मेरे प्यारे दोस्तों, मैं डॉ ओला मुझे ठीक हो और फिर से मेरे परिवार को खुश कर दिया कहने के लिए खुश हूँ। उन्होंने कहा कि मैं आप किसी भी समस्या है, तो आप उससे संपर्क करने के लिए सलाह, किसी भी बीमारी या बीमारी का इलाज कर सकते हैं, आप ईमेल के माध्यम से उसे आज से संपर्क कर सकते हैं: dr.olaherbalhome@gmail.com या / WhatsApp +2348055329124 कहते हैं। मैं यह भी कहा कि वह हरपीज इलाज कर सकते हैं समझते हैं कि, लासा बुखार, सूजाक, एचआईवी / एड्स, शुक्राणुओं की संख्या कम, रजोनिवृत्ति रोग, मिर्गी, अपूतिता, कैंसर, चिंता अवसाद, गर्भपात, गर्भावस्था समस्या है और यह भी कि वह हमलों के टूटे घरों, हर्बल उपचार बहाल मदद करता है यह आध्यात्मिक या शारीरिक हो सकता है, और यह भी आप हर किसी के साथ अनुग्रह बना सकते हैं मैं तुम्हें मैं ईमेल के माध्यम से डॉ ओला से परामर्श के बाद अब हूँ बस के रूप में खुश हो जाएगा कि आपको विश्वास दिलाता हूं: (dr.olaherbalhome@gmail.com) / WhatsApp 2348055329124। तुम भी मेरे ईमेल के साथ और अधिक जानकारी के लिए मुझसे संपर्क कर सकते हैं: irinagubasova101@gmail.com

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