Monday 27 April 2020

लॉकडाउन: खास लोगों के लिए खास सलाहें


Special Tips for the Patients with Specific Diseases

लॉकडाउन के दौरान परेशानी तो सभी को हो रही है, लेकिन बड़ी परेशानी उन्हें होती है जो दूसरे मोर्चों पर भी चुनौती का सामना कर रहे हैं। शुगर, बीपी,
किडनी और अस्थमा के मरीज अगर ऐहतियात बरतें तो यह दौर आसानी से गुजर जाएगा। एक्सपर्ट डॉक्टरों से बातचीत के बाद पेश हैं ऐसे मरीजों के लिए खास टिप्स:

जिन्हें शुगर है...

डायबीटीज दो तरह की होती है:
1. टाइप-1 डायबीटीज
यह शरीर के अचानक इंसुलिन हॉर्मोन बनाना बंद करने पर होती है और बचपन में ही हो जाती है। इसके मरीज बहुत कम होते हैं। इसमें शरीर के ग्लूकोज को कंट्रोल करने के लिए इंसुलिन देना पड़ता है।

2. टाइप-2 डायबीटीज
गलत लाइफस्टाइल, मोटापा और बढ़ती उम्र की वजह से टाइप-2 डायबीटीज होती है। इसमें शरीर में कम मात्रा में इंसुलिन बनता है। ज्यादातर मरीज इसी कैटिगरी में आते हैं। अमूमन ये मरीज टैब्लेट्स लेते हैं।

घर पर कैसे करें मैनेज
-फिजिकल ऐक्टिविटी पूरी तरह न छोड़ें। अभी बाहर नहीं जाना है इसलिए घर पर ही ऐक्टिव रहें।
- रोजाना करीब 10,000 कदम चलने की कोशिश करें। अगर लगातार टाइम नहीं मिल रहा तो 15-15 मिनट 3 बार वॉक कर लें।
- आप घर की बालकनी या छत पर वॉक कर सकते हैं। इन दिनों आप दोस्तों और रिश्तेदारों से मोबाइल पर खूब बात कर रहे होंगे तो बेहतर है कि बैठकर बात करने के बजाय घूम-घूम कर बात करें।
आपने 10,000 कदम चले हैं या नहीं, इस पर निगाह रखने के लिए अपने मोबाइल में स्टेप ट्रैकर ऐप डाउनलोड कर लें। एंड्रॉयड और iOS के लिए ऐसे कुछ ऐप्स हैं: Google Fit, Step Counter, Pedometer, Runtastic Steps, Fitbit, Runkeeper आदि।
- एरोबिक्स के लिए डांस या ज़ुंबा कर सकते हैं। डांस करने से मन भी खुश होता है और वजन भी कम होता है।
- योग करें। अगर वॉक कर पा रहे हैं तो आसन न भी करें तो चलेगा। लेकिन प्राणायाम और ध्यान जरूर करें। इनसे तनाव कम होता है।
- अपनी शुगर को रेग्युलर चेक करें। रेग्युलर का मतलब है, जैसा डॉक्टर ने बताया है, मसलन रोजाना या हफ्ते में। इस नियम को जरूर फॉलो करें।
- खाने को हल्का रखें। तले-भुने और हेवी खाने के बजाय फल और सब्जियों पर फोकस करें।
- अगर अचानक शुगर लो हो जाए तो फौरन टॉफी या चीनी खा लें। आराम से लेट जाएं और अपने डॉक्टर से फोन पर बात करें।

ब्लड ग्लूकोज टेस्ट
यह दो बार किया जाता है: खाली पेट (फास्टिंग) और नाश्ता या ग्लूकोज लेने के बाद (पीपी)।
फास्टिंग ब्लड शुगर (नॉर्मल): 70-100 mg/dl
पोस्ट प्रैंडियल (पीपी) शुगर: 70-140 तक mg/dl
(खाने का पहला कौर खाने के 2 घंटे बाद पीपी होना जाहिए।)

ये भूल कर भी न करें
- इंसुलिन का इंजेक्शन लगाते हुए ध्यान रखें कि मरीज ने खाना जरूर खाया हो क्योंकि इंसुलिन ब्लड शुगर लेवल को कम करता है। अगर कोई बिना खाना खाए यह इंजेक्शन लगा ले तो ब्लड शुगर लेवल लो यानी हापोग्लाइसीमिया हो सकता है।
- इंसुलिन हमेशा नाश्ता करने और डिनर करने के 15-20 मिनट बाद लेना चाहिए। दो इंजेक्शनों के बीच 10-12 घंटों का फासला होना जरूरी है। खाने के एकदम साथ न लगाएं क्योंकि ऐसा करने से ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है।
- किसी वजह से मरीज सुबह या शाम को इंजेक्शन लगाना भूल जाता है तो मरीज को दो इंजेक्शन एक साथ कभी नहीं लगाने चाहिए। कभी मरीज को लगता है कि आज खाने पर कंट्रोल नहीं हो पाएगा तो वह इंसुलिन की मात्रा बढ़ा सकता है।
- इंसुलिन की क्वॉलिटी बरकरार रखने के लिए इसे 8 से 10 डिग्री तापमान पर रखना चाहिए। फ्रिज में ही इंसुलिन को रखें।
-टाइप-2 डायबीटीज के मरीज अगर किसी समय की दवाई खाना भूल जाएं तो एक साथ 2 वक्त की दवाएं न खाएं।

खा सकते हैं
कार्बोहाइड्रेट: चोकर वाला आटा, जौ, जई, रागी, दलिया, मल्टिग्रेन ब्रेड, काला चना, सोया, राजमा
फल: सेब, चेरी, जामुन, मौसमी, संतरा, स्ट्रॉबेरी, शहतूत, आलूबुखारा, नाशपाती, अंजीर
सब्जियां: ककड़ी, तोरी, टिंडा, सेम, शलजम, खीरा, चने का साग, सोया का साग, लहसुन, पालक, मेथी, आंवला, घीया
दूसरी चीजें: टोंड दूध और उससे बनी चीजें, छिलके वाली दालें, मछली (बिना ज्यादा तेल और मसाले वाली), फ्लैक्ससीड्स, छाछ आदि

कम खाएं
कार्बोहाइड्रेट: बिना चोकर का आटा, सूजी, सूजी के रस, ब्राउन ब्रेड, सफेद चना
फल: अमरूद, पपीता, तरबूज, खरबूजा
सब्जियां: अरबी, आलू, जिमीकंद, गोभी
मीठा: आर्टिफिशल स्वीटनर, खांड (बिना रिफाइन वाली शुगर)
दूसरी चीजें: टोंड दूध और उससे बनी चीजें, बिना छिलके वाली दालें, अंडा, चिकन, बादाम, अखरोट, देसी घी, अच्छे तेल (सरसों, ऑलिव, कनोला, राइसब्रैन आदि)

ना खाएं
कार्बोहाइड्रेट: सफेद चावल, मैदा, पूरी, समोसा, वाइट ब्रेड
फल: आम, चीकू, अंगूर, केला
सब्जियां: शकरकंद, आलू
मीठा: मिठाई, चीनी, गुड़, शहद, गन्ना, आइसक्रीम, जैम, केक, पेस्ट्री, कुकीज़
दूसरी चीजें: फुल क्रीम दूध और उससे बनी चीजें, रेड मीट, कोल्ड ड्रिंक्स, रिफाइंड ऑयल।

नोट: अगर शुगर के साथ-साथ कोई दूसरी बीमारी भी हो जैसे किडनी तो यह डाइट लागू नहीं होगी। बेहतर यही है कि डॉक्टर की राय से ही अपना डाइट चार्ट बनाएं। डॉक्टर से मिल नहीं सकते तो फोन पर बात लें।

होम्योपैथी के अनुसार दवाएं
Nux Vomica, Argentum Nitricum, Lycopodium
नोट: दवा होम्योपैथ की सलाह से ही लें।

आयुर्वेदिक नुस्खे
-10 बिलपत्र सुबह-शाम पानी के साथ पीसकर लें।
-सूखा आंवला और सौंफ बराबर मात्रा में लेकर बारीक पीस लें। एक-एक चम्मच सुबह-शाम पानी के साथ लें।
-लहसुन की एक कली सुबह खाली पेट लें।

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बीपी और कोलेस्ट्रॉल की परेशानी है तो...

नॉर्मल रीडिंग
-कोलेस्ट्रॉल 200 तक नॉर्मल
नॉर्मल ब्लड प्रेशरः अपर बीपी 130 से नीचे और लोअर बीपी 80 से नीचे

अगर किसी को हाई बीपी या लो बीपी की समस्या है तो नई एक्सरसाइज शुरू करने से पहले किसी डॉक्टर से फोन पर जरूर पूछ लें। वैसे अगर पहले से एक्सरसाइज करते आ रहे हैं तो उसे जारी रख सकते हैं।

जरूरी एक्सरसाइज
- दिल की बीमारी से बचने के लिए रोजाना कम-से-कम आधा घंटा कार्डियो एक्सरसाइज करना जरूरी है। इससे वजन कम होता है, बीपी कम हो जाता है और दिल की बीमारी की आशंका 25 फीसदी कम हो जाती है।
- कार्डियो एक्सरसाइज में तेज वॉक, जॉगिंग, साइकलिंग, स्विमिंग, एरोबिक्स, डांस आदि शामिल होते हैं। लेकिन अभी ये सभी एक्सरसाइज करना मुश्किल है इसलिए घर में ही वॉक करें 45 मिनट से 1 घंटा टहलें। अगर डांस करने की इच्छा हो तो यह कई एक्सरसाइज से बेहतर है। 15 से 20 मिनट डांस में दे सकते हैं।
इनके अलावा
- 5 मिनट डीप ब्रिदिंग, 10 मिनट अनुलोम-विलोम और 5 मिनट शीतली प्राणायाम करें। शीतली प्राणायाम खासतौर पर मन को शांत रखता है और बीपी को मेंटेन करता है।
- 15 मिनट के लिए मेडिटेशन करें।
- हेवी एक्सरसाइज जैसे कि वेट लिफ्टिंग आदि डॉक्टर की सलाह से ही करें।
- ऐसे आसन डॉक्टर की सलाह के बिना न करें, जिनमें सारा वजन सिर पर या हाथों पर आता है, जैसे कि मयूरासन, शीर्षासन आदि।
- शवासन करें। आंखें बंद करके पूरे शरीर के अंगों को बारी-बारी से महसूस करें। इससे मांसपेशियों का तनाव कम होता है और बीपी नॉर्मल रहता है।

ध्यान रखें 10 बातें
-स्मोकिंग न करें। इससे दिल की बीमारी की आशंका 50 फीसदी बढ़ जाती है।
-अपना लोअर बीपी 80 से कम रखें। ब्लड प्रेशर ज्यादा हो तो दिल के लिए काफी खतरा है।
-फास्टिंग शुगर 80 से कम रखें। डायबीटीज और दिल की बीमारी आपस में जुड़ी हुई हैं।
- तनाव न लें। दिल की बीमारियों की बड़ी वजह तनाव है।
-चूंकि आजकल लॉकडाउन है इसलिए जरूरी न हो तो बाहर से किसी को चेकअप के लिए न बुलाएं। शुगर और बीपी को मॉनिटर करनेवाली मशीन की मदद लें।
-डायबीटीज है तो शुगर के अलावा बीपी और कॉलेस्ट्रॉल को भी कंट्रोल में रखें।

क्या खाएं
- हाई फाइबर और लो फैट वाली डाइट जैसे कि गेहूं, ज्वार, ओट्स, बाजरा आदि का आटा या दलिया
- फ्लैक्स सीड्स (अलसी के बीज) आधा चम्मच रोजाना
- एक-दो कली लहसुन रोजाना
- 5-6 बादाम और 1-2 अखरोट रोजाना
- फल और सब्जियां खूब खाएं। दिन भर में अलग-अलग रंग के 5 तरह के फल और सब्जियां खाएं।
- जामुन, पपीता, सेब, आड़ू जैसे लो-ग्लाइसिमिक इंडेक्स वाले फल
- हरी सब्जियां, साग, शलजम, बीन्स, मटर, ओट्स, सनफ्लावर सीड्स आदि
- ऑलिव ऑयल, कनोला, तिल का तेल और सरसों का तेल, थोड़ी मात्रा में देसी घी भी अच्छा।

न खाएं
- मक्खन, मलाई, वनस्पति घी आदि सैचुरेडिट फैट
- मैदा, सूजी, सफेद चावल, चीनी, आलू यानी सफेद चीजें
- पैक्ड चीजें मसलन पैक्ड जूस, बेकरी आइटम्स, सॉस आदि
- रोजाना आधे चम्मच से ज्यादा नमक न लें
- बहुत मीठी चीजें (मिठाई, चॉकलेट) आदि

होम्योपैथी के अनुसार दवाएं

जिन्हें सिर्फ हाई बीपी की परेशानी है
Kali Phos, Aconite, Rauwolfia

दिल की बीमारियों के साथ हाई बीपी की शिकायत भी है
Crataegus, Digitalis, Strophanthus

नोट: दवा होम्योपैथ की सलाह से ही लें। अगर पहले से कोई दवा ले रहे हैं तो नियम से लेते रहें।

आयुर्वेदिक नुस्खे
कोलेस्ट्रॉल और हाई बीपी में
-सुबह खाली पेट लहसुन की 1-2 कलियां पानी के साथ लेने से कोलेस्ट्रॉल के स्तर में कमी आती है।
-आंवले का चूर्ण 1 चम्मच सुबह-शाम पानी के साथ लें। कच्चा आंवला उपलब्ध हो तो 2-3 आंवले सुबह-शाम चबाकर खाएं।
-पीपल की कोंपलों का रस 2 चम्मच और शहद 1 चम्मच मिलाकर सुबह-शाम लें।

लो बीपी में
-मौसमी, संतरे, अनार या गाजर का रस सुबह-शाम लेना चाहिए।
-शारीरिक मेहनत वाला काम नहीं करना चाहिए।
-भोजन के बाद हींग वाली छाछ लें।
-आंवलों का रस और शहद 2-2 चम्मच मिलाकर सुबह-शाम चाटें।
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किडनी की समस्या में...

बिना डायलिसिस के
- किडनी खराब होने पर डाइट पर बहुत तरह की पाबंदियां लग जाती हैं। ऐसे में डॉक्टर और डायटिशन की सलाह से ही डाइट लें।
-लिक्विड की मात्रा भी डॉक्टर ही तय करते हैं। उसी के अनुसार लिक्विड लें। लिक्विड का मतलब सिर्फ पानी से नहीं है। इसमें पानी के साथ दाल, जूस सबकुछ शामिल होता है।

खाने में इनसे करें परहेज
-फलों का रस, कोल्ड ड्रिंक्स, चाय-कॉफी, नीबू पानी, नारियल पानी, शर्बत आदि।
- सोडा, केक और पेस्ट्री जैसे बेकरी प्रॉडक्ट्स और खट्ट‌ी चीजें।
- केला, आम, नीबू, मौसमी, संतरा, आडू, खुमानी आदि।
- मूंगफली, बादाम, खजूर, किशमिश और काजू जैसे सूखे मेवे।
- चौड़ी सेम, कमल ककड़ी, मशरूम, अंकुरित मूंग आदि।
- अचार, पापड़, चटनी, सॉस, सत्तू, अंकुरित मूंग और चना।
- मार्केट के पनीर के सेवन से बचें। बाजार में मिलने वाले पनीर में नीबू, सिरका या टाटरी का इस्तेमाल होता है। इसमें मिलावट की भी गुंजाइश रहती है।

कैसे तैयार करें खाना-
- वेजिटेबल ऑयल और घी आदि बदल-बदल कर इस्तेमाल करें।
- घर पर ही नीबू के बजाय दही से डबल टोंड दूध फाड़कर पनीर बनाएं।
- खाना पकाने से पहले दाल को कम-से-कम 2 घंटे और सब्जियों को 1 घंटे तक गुनगुने पानी में रखें। फिर इस पानी को फेंक दें। इससे उनमें पोटेशियम की मात्रा कम हो जाएगी। इसे लीचिंग प्रोसेस कहते हैं।
-महीने में एकाध बार लीचिंग प्रक्रिया अपनाकर घर में छोले और राजमा भी खा सकते हैं, पर इसकी तरी के सेवन से बचें।
-नॉनवेज खानेवाले रेड मीट का सेवन नहीं करें। चिकन और मछली भी एक सीमित मात्रा में ही खाएं।
-रोजाना कम-से-कम दो अंडों का सफेद हिस्सा खाने से जरूरी मात्रा में प्रोटीन मिलता है।

डायलिसिस वाले बरतें ये सावधानियां
- डायलिसिस कराने वालों को लिक्विड चीजें कम लेनी चाहिए। अमूमन डायलिसिस के मरीजों को 24 घंटे में 1 लीटर लिक्विड लेने के लिए कहा जाता है।
- इस बात का जरूर ध्यान रखना चाहिए कि लिक्विड चीजों में सभी तरह के पेय शामिल होते हैं यानी इसमें पानी के अलावा दूध, दही, चाय, कॉफी, आइसक्रीम, बर्फ और दाल-सब्जियों की तरी भी शामिल हैं। यही नहीं, रोटी, चावल और ब्रेड आदि में भी पानी होता है।
- लिक्विड पर कंट्रोल रखने से दो डायलिसिस के बीच में मरीज का वजन (जिसे वेट गेन या वॉटर रिटेंशन भी कहते हैं) अधिक नहीं बढ़ता। दो डायलिसिस के बीच में ज्यादा वजन बढ़ने से डायलिसिस का प्रॉसेस पूरा होने पर कई बार कमजोरी या चक्कर आने की शिकायत भी होने लगती है।
-वैसे तो डॉक्टर हफ्ते में 3 बार डायलिसिस कराने को कहा जाता है, लेकिन लॉकडाउन की स्थिति में अगर एक या दो बार मिस भी हो जाए तो एक डायलिसिस जरूर कराना चाहिए। यह ध्यान रहे कि ऐसा बार-बार न हो।
-अगर डायलिसिस मिस हुआ है तो लिक्विड लेते समय मात्रा का ध्यान जरूर रखें।
- किडनी के जो मरीज डायलसिस पर नहीं हैं, उन्हें कम प्रोटीन और डायलसिस कराने वाले मरीजों को ज्यादा प्रोटीन की जरूरत होती है। आपने खानपान की पूरी जानकारी डायट एक्सपर्ट से ले रखी होगी। उसे ही फॉलो करें।
- डायलिसिस कराने वाले शख्स को कोई भी दवा लेने से पहले अपने किडनी एक्सपर्ट (नेफ्रॉलजिस्ट) से सलाह जरूरी है।

लिक्विड का सेवन ऐसे कम करें
डायलिसिस कराने वाला शख्स नीचे लिखे तरीकों से लिक्विड का सेवन कम कर सकता है:
- गर्मियों में 500 एमएल की कोल्ड ड्रिंक की बोतल में पानी भरके उसे फ्रीजर में रख लें। यह बर्फ बन जाएगा और फिर इसका धीरे-धीरे सेवन करें।
- फ्रिज में बर्फ जमा लें और प्यास लगने पर एक टुकड़ा मुंह में रखकर घुमाएं और फिर उसे फेंक दें।
- गर्मियों में रुमाल भिगोकर गर्दन पर रखने से भी प्यास पर काबू पाया जा सकता है।
- घर में छोटा कप रखें और उसी में पानी लेकर पिएं।
- खाना खाते समय दाल और सब्जियों की तरी का सेवन कम-से-कम करने की कोशिश करें।

होम्योपैथिक दवाएं
AAL SERIUM, Apis, Apocynum
नोट: होम्यॉपथी डायलिसिस बंद कराने में सक्षम नहीं है लेकिन यह ऐसे मरीजों की सहायक जरूर है। ऐलोपैथी दवाओं के साथ ही होम्योपैथी दवाओं के सेवन से मरीज ज्यादा सेहतमंद रह सकता है।

आयुर्वेदिक नुस्खे
बीमारी की वजह के आधार पर ही जरूरी दवा खाने की सलाह दी जाती है:
-आक के पत्तों को सुखाकर और जलाकर राख कर लें। आधा चम्मच यह राख थोड़ा-सा नमक मिलाकर 1 गिलास छाछ में मिलाकर सुबह-शाम लें।
- वरुण, पुनर्नवा, अर्जुन, वसा, कातुकी, शतावरी, निशोध, कांचनार, बाला, नागरमोथा, भूमि आमलकी, सारिवा, अश्वगंधा और पंचरत्नमूल आदि दवाओं का इस्तेमाल किडनी के इलाज में किया जाता है।
- किडनी की बीमारी का लगातार इलाज जरूरी है और यह ताउम्र चलता है। किडनी की बीमारी का इलाज से ज्यादा मैनेजमेंट होता है।

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अस्थमा है तो...

इन दिनों यों तो पलूशन काफी कम है जोकि अस्थमा के मरीजों के लिए बहुत अच्छा है। लेकिन सांस से जुड़ी बीमारी के मरीजों को कोरोना से बचाव के लिए ज्यादा ध्यान रखना है क्योंकि उनका रेस्पिरेटरी सिस्टम पहले से ही संवेदनशील है। इस बात का जरूर याद रखें कि अगर कोई अस्थमा का मरीज है तो उसे वर्तमान लॉकडाउन की स्थिति में जरूर सेल्फ आइसोलेशन में चले जाना चाहिए। परिवार के बाकी सदस्यों के साथ कम-से-कम बैठने की कोशिश करनी चाहिए। वह जितना अलग रहेंगे, उतना ही उनके लिए और बाकी लोगों के लिए सही रहेगा।

अमूमन कब बढ़ता है अस्थमा
-रात में या सुबह तड़के
-ठंडी हवा या कोहरे से
-ज्यादा कसरत करने के बाद
-बारिश या ठंड के मौसम में
-दवाएं नियमित रूप से लें
-आजकल चूंकि घर पर हैं और अस्थमा के मरीज हैं तो सूखी सफाई यानी झाड़ू से घर की साफ-सफाई से बचें। अगर ऐसा करते हैं तो ठीक से मुंह-नाक ढक कर करें। वैसे, वैक्यूम क्लीनर का इस्तेमाल करना बेहतर है। गीला पोंछा और पानी से फर्श धोना भी अच्छा विकल्प हो सकता है।
•- दिन में एक बार एकाध घंटे के लिए घर की खिड़की-दरवाजे खोल दें ताकि बाहर की ताज़ा हवा अंदर आ सके।
-बेडशीट, सोफा, गद्दे आदि की भी नियमित सफाई करें, खासकर तकिया की क्योंकि इसमें काफी सारे एलर्जीवाले तत्व मौजूद होते हैं। हफ्ते में एक बार चादर और तकिए के कवर बदल लें और दो महीने में पर्दे धो लें।
•-कम-से-कम फिलहाल कारपेट हटा दें। बाद में भी अगर इस्तेमाल करना ही चाहते हैं कम-से-कम 6 महीने में ड्राइक्लीन करवाते रहें।
-•कॉकरोच, चूहे, फफूंद आदि को घर में जमा न होने दें।
•-बहुत ठंडे से बहुत गर्म में अचानक न जाएं और न ही बहुत ठंडा या गर्म खाना खाएं।
•-रुटीन ठीक रखें। वक्त पर सोएं, भरपूर नींद लें और तनाव न लें।
-गुनगुने पानी से कुल्ला करना फायदेमंद है।
-जो मरीज लगातार नेबुलाइजर से भाप लेते हैं। अगर वह पहले दिन में 2 बार भाप लेते थे तो अब 4 बार तक ले सकते हैं।

खानपान का रखें ख्याल
अगर पिछले दिनों में खानपान में परहेज नहीं कर पाए हैं तो यह मौका परहेज के लिहाज से बेहतरीन है। इस समय मजबूरी नहीं है कि ऑफिस जाने की जल्दी है तो जो मिल जाए, वही खा लें।
-जिस चीज को खाने से सांस की तकलीफ बढ़ जाती हो, वह न खाएं। डॉक्टर सिर्फ ठंडी चीजें खाने से मना करते हैं। साथ ही जंक फूड से अस्थमा अटैक की आशंका ज्यादा होती है।
-एक बार में ज्यादा खाना नहीं खाना चाहिए। इससे छाती पर दबाव पड़ता है।
-विटामिन ए (पालक, पपीता, आम, अंडे, दूध, चीज़, बेरी आदि), सी (टमाटर, संतरा, नीबू, ब्रोकली, लाल-पीला शिमला मिर्च) और विटामिन ई (पालक, शकरकंद, बादाम, सूरजमुखी के बीज आदि ) और एंटी-ऑक्सिडेंट वाले फल और सब्जियां जैसे कि बादाम, अखरोट, राजमा, मूंगफली, शकरकंद आदि खाने से लाभ होता है।
-अदरक, लहसुन, हल्दी और काली मिर्च जैसे मसालों से फायदा होता है।
-रेशेदार चीजें जैसे कि ज्वार, बाजरा, ब्राउन राइस, दालें, राजमा, ब्रोकली, रसभरी, आडू आदि ज्यादा खाएं।
-फल और हरी सब्जियां खूब खाएं।
-रात का भोजन हल्का और सोने से दो घंटे पहले होना चाहिए।

क्या न खाएं
-प्रोट्रीन से भरपूर चीजें बहुत ज्यादा न खाएं।
-रिफाइन कार्बोहाइड्रेट (चावल, मैदा, चीनी आदि) और फैट वाली चीजें कम-से-कम खाएं।
-अचार और मसालेदार खाने से भी परहेज करें।
-ठंडी और खट्टी चीजों से परहेज करें।

ये जरूर खाएं
ओमेगा-3 फैटी एसिड: ओमेगा-3 फैटी एसिड साल्मन, टूना मछलियों में और मेवों व अलसी में पाया जाता है। ओमेगा -3 फैटी एसिड फेफड़ों के लिए लाभदायक है। यह सांस की तकलीफ एवं घरघराहट के लक्षणों से निजात दिलाता है।
फोलिक एसिड: पालक, ब्रोकली, चुकंदर, शतावरी, मसूर की दाल में फोलेट होता है। हमारा शरीर फोलेट को फोलिक एसिड में तब्दील करता है। फोलेट फेफड़ों से कैंसर पैदा करने वाले तत्वों को हटाता है।
विटमिन सी: संतरे, नींबू, टमाटर, कीवी, स्ट्रॉबरी, अंगूर और अनानास में भरपूर विटमिन सी होता है, सांस लेते वक्त शरीर को ऑक्सीजन देने और फेफड़ों से विषाक्त पदार्थों को निकालने के लिए मदद करते हैं।
लहसुन: इसमें मौजूद एलिसिन तत्व फेफड़ों से फ्री रेडिकल्स को दूर करने में मदद करते हैं। लहसुन संक्रमण से लड़ता है, फेफड़ों की सूजन कम करता है।
बेरी: बेरीज ऐंटीऑक्सिडेंट होते हैं।

होम्योपैथी में दवाएं
Bryonia, Natrium Sulphur, Sulphur, Arsenic Album
नोट: दवा होम्योपैथ की सलाह से ही लें।

आयुर्वेदिक नुस्खे
-आधा चम्मच रीठे के छिलके का चूर्ण सुबह खाली पेट एक सप्ताह तक मरीज को पानी के साथ लेना चाहिए। इस दौरान खाने में सिर्फ खिचड़ी और उसमें 1 चम्मच घी दें।
-अदरक के एक चम्मच रस में उतना ही शहद मिलाकर सुबह-शाम लेने से भी फायदा होता है।

एक्सपर्ट पैनल
डॉ. के. के. अग्रवाल
पूर्व अध्यक्ष, IMA

डॉ. अरुण गर्ग
सीनियर कंसल्टंट सर्जन, ईएनटी

डॉ. प्रशांत जैन
सीनियर यूरॉलजिस्ट

डॉ. अंशुल वार्ष्णेय
जनरल फिजिशन

डॉ. आर. पी. पाराशर
पंचकर्मा हॉस्पिटल

डॉ. सुशील वत्स
सीनियर होम्योपैथ

संडे नवभारत टाइम्स में प्रकाशित

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