Saturday 10 August 2019

सृष्टि से पहले !!

जो रहा सृष्टि से पहले
चंद्रभूषण
जैसे हमारे सौरमंडल में सारे ग्रह सूरज के इर्दगिर्द एक ही दिशा में घूमते हैं, उसी तरह हमारी आकाशगंगा में सारे तारे भी इसके केंद्र की एकदिश परिक्रमा करते हैं। लेकिन इस किस्से में आगे एक बड़ा झोल आता है। हम जैसे-जैसे सूरज से दूर जाते हैं, ग्रहों की रफ्तार कम होती जाती है। 14.96 करोड़ किमी दूरी से सूरज का चक्कर काट रही पृथ्वी यह काम 29.78 किमी/सेकंड की गति से करती है, जबकि सूरज से 449.50 करोड़ किमी दूर नेपच्यून सिर्फ 5.43 किमी/सेकंड की चाल से अपनी राह नापता है। लेकिन आकाशगंगा के केंद्र का चक्कर काट रहे तारों के साथ मामला पता नहीं क्यों बिल्कुल उलटा है। दूरी बढ़ने के साथ उनकी रफ्तार घटने के बजाय बढ़ती जाती है।

जैसे, केंद्र से कोई 30 हजार प्रकाशवर्ष दूर स्थित सूरज अपना रास्ता 220 किमी/सेकंड की गति से तय करता है, जबकि इससे तीन गुना से भी ज्यादा दूर (केंद्र से 1 लाख प्रकाशवर्ष दूर) के तारे 275 किमी/सेकंड की स्पीड से फर्राटा मारते हैं। और यह उलटबांसी सिर्फ आकाशगंगा तक सीमित नहीं है। ऐसी हजारों स्पाइरल गैलेक्सीज के ब्यौरे खगोलशास्त्रियों के पास हैं और उन सबमें बाहरी तारों की रफ्तार भीतर वालों से ज्यादा देखी गई है। यह तभी संभव है जब इनके बाहरी हिस्सों में कोई ऐसी चीज भरी हो, जिसके प्रेक्षण का कोई तरीका हमारे पास नहीं है। इस अज्ञात चीज ‘डार्क मैटर’को लेकर मोटा हिसाब यह है कि इसका वजन सभी ज्ञात चीजों का पांच गुना है, और हाल की एक गणना के अनुसार इसे सृष्टि के प्रस्थान बिंदु ‘बिग बैंग’ से भी पुराना होना चाहिए!

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