जीवन नहीं साध सकते अद्भुत तारे
चंद्रभूषण
सितारों का साइज बहुत बड़ा हो सकता है। इतना बड़ा कि उनकी मोटाई सूर्य के इर्द-गिर्द शनि ग्रह की कक्षा जितनी हो जाती है, जिसका साल हमारे 12 वर्षों के बराबर है। सूरज से पृथ्वी तक की दूरी की दस गुनी चौड़ाई वाला तारा बाकायदा प्रेक्षित किया जा चुका है। इसका नाम वाईवी स्कूटी है और यह स्कूटम तारामंडल में स्थित है। इसकी त्रिज्या सूरज की 1708 गुनी है (192 कम या ज्यादा)! इस हिसाब से इसका वजन सूरज का एक अरब गुना तो होना ही चाहिए। लेकिन हकीकत में यह सूरज से महज दस-बारह गुना ज्यादा वजनी है।
इस विसंगति का कारण यह है कि वाईवी स्कूटी एक मरता हुआ तारा है। ज्यादातर तारे मरने से पहले बुरी तरह फूल जाते हैं और फिर भारी विध्वंस के साथ फट कर मर जाते हैं। पीछे एक अजर-अमर सफेद बौने तारे के रूप में अपनी दहकती हुई धुरी छोड़ते हुए। लेकिन आकार के विपरीत तारों के वजन पर भौतिकी की कुछ सख्त सीमाएं लागू होती हैं। कुछ समय पहले तक ऐसा माना जाता था कि किसी भी तारे का वजन हमारे सूरज के डेढ़ सौ गुने से ज्यादा नहीं हो सकता।
यह सीमा पिछले कुछ वर्षों में बुरी तरह टूटी है, हालांकि यह भी कुछ अलग ढंग से मरणशील तारों के साथ ही देखा जा रहा है। अभी तक दर्ज किया गया सबसे वजनी तारा आरएमसी 136 ए-1 है, जो हमारी आकाशगंगा की सैटेलाइट गैलेक्सी लार्ज मैगेलनिक क्लाउड में स्थित है। इसका वजन हमारे सूरज का 315 गुना नापा गया है। किसी अज्ञात कारण से इस गैलेक्सी में कई सारे तारे सूरज के डेढ़ सौ गुने से भी ज्यादा वजनी हैं। लेकिन ये सभी बेहद चमकीले तारे वुल्फ-रायेट श्रेणी में आते हैं, जिनकी खासियत यह होती है कि वे बहुत जल्दी मर जाते हैं।
हमारे सूरज की कुल उम्र लगभग 10 अरब साल मानी जाती है, जिसका आधे से जरा कम हिस्सा यह पार कर चुका है। इसके विपरीत वुल्फ-रायेट श्रेणी के तारे सिर्फ 50 लाख साल जीते हैं और फिर अपने इर्द-गिर्द भारी तत्वों का एक जखीरा बिखेरते हुए फट कर छितरा जाते हैं। सृष्टि के विकास में इन तारों की सबसे बड़ी भूमिका यह है कि ये दुनिया को सिर्फ हाइड्रोजन और हीलियम का अंबार बने रहने से आगे ले जाते हैं। इन गैसों के संलयन (फ्यूजन) को अंजाम देने वाली इन तारों की भट्ठी में ही वह कार्बन बना है, जिससे और चीजों के अलावा सभी जीवधारियों के शरीरों का भी निर्माण हुआ है, जो न सिर्फ इंसानी बल्कि हर तरह की चेतना का आधार हैं।
इन ब्यौरों से एक बात साफ है कि तारे का बहुत बड़ा या वजनी होना उसके स्थायित्व के खिलाफ जाता है। जिंदगी संभाल सकने वाले ग्रह जिन तारों के इर्द-गिर्द खोजे जाते हैं, उनकी उमर चार-पांच अरब साल या इससे ज्यादा होनी चाहिए। कारण यह कि ग्रहों की उम्र तारे से तो कम ही होगी, और कामचलाऊ इवॉल्यूशन के लिए भी तीन-चार अरब साल का वक्त तो मिलना ही चाहिए। इस काम के लिए सूरज से छोटे तारे ज्यादा मुफीद माने जाते हैं क्योंकि अक्सर उन्हें ज्यादा उम्र का वरदान मिला होता है। बहुत बड़े, बहुत चमकीले, बहुत वजनी तारे चमत्कृत करने के लिए ही ठीक हैं। जीवन रचने जैसे महीन काम उनसे नहीं हो पाएंगे।
चंद्रभूषण
सितारों का साइज बहुत बड़ा हो सकता है। इतना बड़ा कि उनकी मोटाई सूर्य के इर्द-गिर्द शनि ग्रह की कक्षा जितनी हो जाती है, जिसका साल हमारे 12 वर्षों के बराबर है। सूरज से पृथ्वी तक की दूरी की दस गुनी चौड़ाई वाला तारा बाकायदा प्रेक्षित किया जा चुका है। इसका नाम वाईवी स्कूटी है और यह स्कूटम तारामंडल में स्थित है। इसकी त्रिज्या सूरज की 1708 गुनी है (192 कम या ज्यादा)! इस हिसाब से इसका वजन सूरज का एक अरब गुना तो होना ही चाहिए। लेकिन हकीकत में यह सूरज से महज दस-बारह गुना ज्यादा वजनी है।
इस विसंगति का कारण यह है कि वाईवी स्कूटी एक मरता हुआ तारा है। ज्यादातर तारे मरने से पहले बुरी तरह फूल जाते हैं और फिर भारी विध्वंस के साथ फट कर मर जाते हैं। पीछे एक अजर-अमर सफेद बौने तारे के रूप में अपनी दहकती हुई धुरी छोड़ते हुए। लेकिन आकार के विपरीत तारों के वजन पर भौतिकी की कुछ सख्त सीमाएं लागू होती हैं। कुछ समय पहले तक ऐसा माना जाता था कि किसी भी तारे का वजन हमारे सूरज के डेढ़ सौ गुने से ज्यादा नहीं हो सकता।
यह सीमा पिछले कुछ वर्षों में बुरी तरह टूटी है, हालांकि यह भी कुछ अलग ढंग से मरणशील तारों के साथ ही देखा जा रहा है। अभी तक दर्ज किया गया सबसे वजनी तारा आरएमसी 136 ए-1 है, जो हमारी आकाशगंगा की सैटेलाइट गैलेक्सी लार्ज मैगेलनिक क्लाउड में स्थित है। इसका वजन हमारे सूरज का 315 गुना नापा गया है। किसी अज्ञात कारण से इस गैलेक्सी में कई सारे तारे सूरज के डेढ़ सौ गुने से भी ज्यादा वजनी हैं। लेकिन ये सभी बेहद चमकीले तारे वुल्फ-रायेट श्रेणी में आते हैं, जिनकी खासियत यह होती है कि वे बहुत जल्दी मर जाते हैं।
हमारे सूरज की कुल उम्र लगभग 10 अरब साल मानी जाती है, जिसका आधे से जरा कम हिस्सा यह पार कर चुका है। इसके विपरीत वुल्फ-रायेट श्रेणी के तारे सिर्फ 50 लाख साल जीते हैं और फिर अपने इर्द-गिर्द भारी तत्वों का एक जखीरा बिखेरते हुए फट कर छितरा जाते हैं। सृष्टि के विकास में इन तारों की सबसे बड़ी भूमिका यह है कि ये दुनिया को सिर्फ हाइड्रोजन और हीलियम का अंबार बने रहने से आगे ले जाते हैं। इन गैसों के संलयन (फ्यूजन) को अंजाम देने वाली इन तारों की भट्ठी में ही वह कार्बन बना है, जिससे और चीजों के अलावा सभी जीवधारियों के शरीरों का भी निर्माण हुआ है, जो न सिर्फ इंसानी बल्कि हर तरह की चेतना का आधार हैं।
इन ब्यौरों से एक बात साफ है कि तारे का बहुत बड़ा या वजनी होना उसके स्थायित्व के खिलाफ जाता है। जिंदगी संभाल सकने वाले ग्रह जिन तारों के इर्द-गिर्द खोजे जाते हैं, उनकी उमर चार-पांच अरब साल या इससे ज्यादा होनी चाहिए। कारण यह कि ग्रहों की उम्र तारे से तो कम ही होगी, और कामचलाऊ इवॉल्यूशन के लिए भी तीन-चार अरब साल का वक्त तो मिलना ही चाहिए। इस काम के लिए सूरज से छोटे तारे ज्यादा मुफीद माने जाते हैं क्योंकि अक्सर उन्हें ज्यादा उम्र का वरदान मिला होता है। बहुत बड़े, बहुत चमकीले, बहुत वजनी तारे चमत्कृत करने के लिए ही ठीक हैं। जीवन रचने जैसे महीन काम उनसे नहीं हो पाएंगे।
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