विज्ञान कथाओं की विशेषताएँ -
हरीश गोयल
महाविपत्ति(catastrophe /apocalypse ) भी कई प्रकार की होती है ।
महामारी की महाविपत्ति -
महामारी से संक्रमित मानवता का विनाश –
मेरी शेली की विज्ञान कथा ‘द लास्ट मैन’ (1826 ) प्लेग की महामारी कोन्सटेंटिनोपोल से प्रारम्भ होती है । महामारी से संक्रमित होकर सारी मानवता का नाश हो जाता है ।केवल एक व्यक्ति शेष रहता है । फ़्रेंकेंस्टीन मोंस्टर की तरह एक नौका में दक्षिण की ओर जाता है नितांत अकेला तथा क्षुब्ध ।
मानव द्वारा भी कृत्रिम रूप से जीवाणु/वाइरस का स्ट्रेन उत्पन्न महामारी फैलाई जाती है तथा मानवता का विनाश किया जाता है ।स्टीफन किंग की कथा ‘स्ट्रेंड’(1978) में जैविक युद्ध के तहत एक वैज्ञानिक हैजा के जीवाणु का एक स्ट्रेन तैयार करता है इसके संक्रमण से विश्व की 99% आबादी समाप्त हो जाती है ।
मेरी कथा ‘जीवाणु बम में एक ‘डाउन सिंड्रोम’ से ग्रसित व्यक्ति मरीचि को ह्यूमन जीनोम प्रोजेक्ट के तहत सुपर इंटेलिजेंट बना दिया जाता है ।वह इसका प्रयोग विकासवाद की गुत्थी सुलझाने के लिए करता है ।लेकिन यह गुत्थी सुलझाते हुए कब वह हैवानियत का पुर्जा बन जाता है ,पता ही नहीं चलता ।वह जीवाणुओं के म्यूटेशन पर कार्य करने लगता है तथा जीवाणु का एक ऐसा स्ट्रेन ईजाद करता है जो पृथ्वी पर अज्ञात था ।वह प्लेग के जीवाणु ‘येर्सिनिया पेस्टिस ‘को एक नये जीवाणु स्ट्रेन ‘मरीचि पेस्टिस’ तैयार करता है. मरीचि उसका स्वयं का नाम है । उसका शैतानी दिमाग तेजी से काम करने लगता है ।वह इस नए स्ट्रेन का प्रयोग जीवाणु बम बनाने के लिए करता है तथा शत्रु राष्ट्र से सांठगांठ करएक राष्ट्र के महानगरों पर बम गिरा देता है । लोग प्लेग की महामारी से जूझते रहते हैं ।उसका कोई एंटीडोट उस समय मौजूद नहीं था ।मरीचि यहीं नहीं रुकता है ।वह एक उपग्रह से यह साजिश रचता है तथा विश्व के अमेरिका और रूस जैसे शक्तिशाली राष्ट्रों को निशाना बनाने की सोचता है लेकिन उसका भंडा फूट जाता है.
डॉ राजीव रंजन उपाध्याय की कथा ‘क्वा हेक’ में अन्तरिक्ष यात्रियों की एक टीम टेकायन प्रॉपल्शन यान में सैर करते हुए कैसरी -55 के एक दूसरे ग्रह पर पहुँचते है ।वे वहाँ दूसरी बार पहुँचते हैं ।पहली बार जब वे वहाँ गए थे तो उन्होने उस निर्जन ग्रह पर एक मानव बस्ती बसाई थी ।उन्होने चंद्रमा की धरती से ‘फेक्टो तकनीक’ द्वारा ‘पदार्थ पारण’(teleportation) कर वहाँ बस्ती बसाते हैं ।. अब वे यह जानना चाहते हैं कि उनके द्वारा बसाई गयी बस्ती कैसी होगी ?लेकिन जब वे उक्त ग्रह पर पहुँचते हैं तो पाते हैं कि वह बस्ती उजाड़ चुकी है ।वे चहुं ओर मानव जाति के कंकाल ही कंकाल पाते हैं केवल एक क्वा हेक नाम की बच्ची जीवित बचती है.वह' मतिभ्रम'(hallucination ) का शिकार हो जाती है .डॉ आसियां के अनुसार क्वा हेक की यह स्थिति ‘चार्ल्स बोंनेट सिंड्रोम’के कारण थी ।उसे स्वस्थ होने के लिए रिट्रो वाइरस वैक्सिन’ लगाए जाते हैं। क्वा हेक तनिक स्वस्थ होने पर ग्रह पर बसी आबादी के कंकाल में तब्दील होने का राज खोलती है ।वह बताती है कि एक वर्ष पूर्व एक धूमकेतु अपनी विशाल पूंछ को लहराते हुए आसमान से गुजरा ।उसके अदृश्य होते ही वातावरण में अंधकार छा गया।आसमान से धूमकेतु के हल्की बूंदों के धूलिकण गिरने लगे ।इससे मानव आबादी पहले मतिभ्रम का शिकार हुई ।बाद में वह कंकाल में परिणत हो गयी । स्पष्ट था कि उस धूलिकण में वाइरस थे जिससे आबादी कि यह स्थिति हुई ।
हरीश गोयल
महाविपत्ति(catastrophe /apocalypse ) भी कई प्रकार की होती है ।
महामारी की महाविपत्ति -
महामारी से संक्रमित मानवता का विनाश –
मेरी शेली की विज्ञान कथा ‘द लास्ट मैन’ (1826 ) प्लेग की महामारी कोन्सटेंटिनोपोल से प्रारम्भ होती है । महामारी से संक्रमित होकर सारी मानवता का नाश हो जाता है ।केवल एक व्यक्ति शेष रहता है । फ़्रेंकेंस्टीन मोंस्टर की तरह एक नौका में दक्षिण की ओर जाता है नितांत अकेला तथा क्षुब्ध ।
मानव द्वारा भी कृत्रिम रूप से जीवाणु/वाइरस का स्ट्रेन उत्पन्न महामारी फैलाई जाती है तथा मानवता का विनाश किया जाता है ।स्टीफन किंग की कथा ‘स्ट्रेंड’(1978) में जैविक युद्ध के तहत एक वैज्ञानिक हैजा के जीवाणु का एक स्ट्रेन तैयार करता है इसके संक्रमण से विश्व की 99% आबादी समाप्त हो जाती है ।
मेरी कथा ‘जीवाणु बम में एक ‘डाउन सिंड्रोम’ से ग्रसित व्यक्ति मरीचि को ह्यूमन जीनोम प्रोजेक्ट के तहत सुपर इंटेलिजेंट बना दिया जाता है ।वह इसका प्रयोग विकासवाद की गुत्थी सुलझाने के लिए करता है ।लेकिन यह गुत्थी सुलझाते हुए कब वह हैवानियत का पुर्जा बन जाता है ,पता ही नहीं चलता ।वह जीवाणुओं के म्यूटेशन पर कार्य करने लगता है तथा जीवाणु का एक ऐसा स्ट्रेन ईजाद करता है जो पृथ्वी पर अज्ञात था ।वह प्लेग के जीवाणु ‘येर्सिनिया पेस्टिस ‘को एक नये जीवाणु स्ट्रेन ‘मरीचि पेस्टिस’ तैयार करता है. मरीचि उसका स्वयं का नाम है । उसका शैतानी दिमाग तेजी से काम करने लगता है ।वह इस नए स्ट्रेन का प्रयोग जीवाणु बम बनाने के लिए करता है तथा शत्रु राष्ट्र से सांठगांठ करएक राष्ट्र के महानगरों पर बम गिरा देता है । लोग प्लेग की महामारी से जूझते रहते हैं ।उसका कोई एंटीडोट उस समय मौजूद नहीं था ।मरीचि यहीं नहीं रुकता है ।वह एक उपग्रह से यह साजिश रचता है तथा विश्व के अमेरिका और रूस जैसे शक्तिशाली राष्ट्रों को निशाना बनाने की सोचता है लेकिन उसका भंडा फूट जाता है.
डॉ राजीव रंजन उपाध्याय की कथा ‘क्वा हेक’ में अन्तरिक्ष यात्रियों की एक टीम टेकायन प्रॉपल्शन यान में सैर करते हुए कैसरी -55 के एक दूसरे ग्रह पर पहुँचते है ।वे वहाँ दूसरी बार पहुँचते हैं ।पहली बार जब वे वहाँ गए थे तो उन्होने उस निर्जन ग्रह पर एक मानव बस्ती बसाई थी ।उन्होने चंद्रमा की धरती से ‘फेक्टो तकनीक’ द्वारा ‘पदार्थ पारण’(teleportation) कर वहाँ बस्ती बसाते हैं ।. अब वे यह जानना चाहते हैं कि उनके द्वारा बसाई गयी बस्ती कैसी होगी ?लेकिन जब वे उक्त ग्रह पर पहुँचते हैं तो पाते हैं कि वह बस्ती उजाड़ चुकी है ।वे चहुं ओर मानव जाति के कंकाल ही कंकाल पाते हैं केवल एक क्वा हेक नाम की बच्ची जीवित बचती है.वह' मतिभ्रम'(hallucination ) का शिकार हो जाती है .डॉ आसियां के अनुसार क्वा हेक की यह स्थिति ‘चार्ल्स बोंनेट सिंड्रोम’के कारण थी ।उसे स्वस्थ होने के लिए रिट्रो वाइरस वैक्सिन’ लगाए जाते हैं। क्वा हेक तनिक स्वस्थ होने पर ग्रह पर बसी आबादी के कंकाल में तब्दील होने का राज खोलती है ।वह बताती है कि एक वर्ष पूर्व एक धूमकेतु अपनी विशाल पूंछ को लहराते हुए आसमान से गुजरा ।उसके अदृश्य होते ही वातावरण में अंधकार छा गया।आसमान से धूमकेतु के हल्की बूंदों के धूलिकण गिरने लगे ।इससे मानव आबादी पहले मतिभ्रम का शिकार हुई ।बाद में वह कंकाल में परिणत हो गयी । स्पष्ट था कि उस धूलिकण में वाइरस थे जिससे आबादी कि यह स्थिति हुई ।
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