Saturday 4 May 2019

नए नीले की खोज

नए नीले की खोज
चंद्रभूषण
अमेरिकी केमिकल कंपनी ड्यूपॉन्ट में काम करते हुए बहुतेरे पेटेंट अपने नाम कर चुके भारतीय रसायनज्ञ मैस सुब्रह्मण्यन 2006 में कंपनी छोड़कर ओरेगॉन स्टेट यूनिवर्सिटी पहुंचे तो वहां मल्टीफेरोइक मटीरियल पर काम शुरू किया। एक ऐसा संश्लिष्ट पदार्थ, जिसमें उच्चकोटि की इलेक्ट्रॉनिक और चुंबकीय क्षमता मौजूद हो।

वहां समुद्री जीवों का अध्ययन छोड़कर केमिस्ट्री पढ़ने गए उनके चेले ऐंड्रू स्मिथ ने उन्हीं की सोच का अनुसरण करते हुए यट्रियम ऑक्साइड, इंडियम ऑक्साइड और मैंगनीज ऑक्साइड को साथ पीसकर मिश्रण को अवन में गरम किया तो उन्हें एक चटख नीला पाउडर मिला।

सुब्रह्मण्यन को लगा कि स्मिथ ने जरूर कुछ गड़बड़ की है। लेकिन फिर उन्हें अपने एक पुराने सहकर्मी की कही बात याद आई कि नीला रंग सृष्टि की दुर्लभ रचना है। फिर नए केमिकल के नमूने दुनिया भर की लैब्स में भेजे गए तो पता चला कि नीले रंग का यह शेड प्राकृतिक या संश्लिष्ट, किसी भी अवस्था में संसार में कहीं भी मौजूद नहीं है।

मैस सुब्रह्मण्यन ने तीनों ऑक्साइडों के मूल तत्वों यट्रियम, इंडियम और मैंगनीज के रासायनिक सूत्रों को जोड़कर इसे यिनमिन ब्लू का नाम दिया और इसके थोड़े ही समय बाद, सन 2009 में ऑस्ट्रेलिया की शेफर्ड कलर कंपनी ने इस रंग के इस्तेमाल का लाइसेंस ले लिया। फिलहाल वह काफी महंगे दाम पर इसे चित्रकारों को बेच रही है।

संसार के सबसे सुंदर नीले रंग के रूप में विख्यात यिनमिन ब्लू की 40 एमएल वाली ट्यूब 130 डॉलर (करीब साढ़े नौ हजार रुपये) में आती है। ऐसे में इस खास कलर की कोई कार या फ्रिज जल्दी आपको शायद ही देखने को मिले।

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