स्कन्द शुक्ला
"कई लोग ऐसा क्यों सोच लेते हैं कि पेड़-पौधे
रात को ऑक्सीजन छोड़ सकते हैं ?"
"क्योंकि ये लोग यह नहीं जानते कि ऑक्सीजन का निर्माण बिना
प्रकाश के करना लगभग किसी जीव के वश का नहीं।"
"आपने 'लगभग' क्यों
लगाया ?"
"क्योंकि डच वैज्ञानिकों ने गहरे समुद्र में कुछ ऐसे जीवाणुओं
का पता लगाया है , जो अन्धकार में भी ऑक्सीजन बनाते और छोड़ते
हैं। ऑक्सीजन-निर्माण में ये जीवाणु नाइट्राइट रसायनों का इस्तेमाल करते
हैं।"
"कैसे ?"
"नाइट्राइट की संरचना देखेंगे , तो पाएँगे कि उसमें
ऑक्सीजन है। जीवाणु उसे रासायनिक अभिक्रियाओं द्वारा मुक्त कर देते हैं।"
"यह खोज कैसे महत्त्वपूर्ण हुई हमारे लिए ?"
"यह खोज दो जानकारियों के अपवाद प्रस्तुत करती है। पहली
जानकारी यह कि बिना प्रकाश के ऑक्सीजन पौधे बना ही नहीं सकते। यह सत्य है कि 'पौधे' नहीं बना सकते , क्योंकि
जीवाणु पौधे नहीं हैं। वे प्रोकैर्या कहलाते हैं। लेकिन कोई नहीं बना सकता ,
यह अतिवाद है। इन जीवाणुओं ने समुद्र के गहरे अँधेरे में ऑक्सीजन को
बनाया और छोड़ा है।"
"और दूसरा अपवाद ?"
"दूसरी जानकारी यह है कि ऑक्सीजन प्रकाश में भी
पेड़-पौधे तभी बना सकेंगे , जब उनमें पर्णहरित यानी क्लोरोफ़िल
होगा। लेकिन इन जीवाणुओं में कोई हरियाली नहीं। फिर भी इन्होंने ऑक्सीजन बना डाली।
इसका अर्थ यह कि अँधकार में हुआ यह ऑक्सीजन-निर्माण दोनों महत्त्वपूर्ण घटकों
प्रकाश और क्लोरोफ़िल की अनिवार्यता को भंग करता है।"
"इसका सम्पूर्ण आशय हमारे लिए क्या हुआ ?"
"इसका अर्थ यह निकालिए कि जब इस धरती पर कोई जानवर तो
जानवर , हरा पेड़-पौधा भी न था , तो
ऑक्सीजन कैसे बनी होगी। जानवर-पेड़-पौधे यों ही नहीं पैदा हो गये , उनके होने के लिए हालात पहले बने। हालात किसने बनाये ? पेड़-पौधों ने ऑक्सीजन हमें दी , आज भी दे रहे हैं।
लेकिन धरती पर बनी पहली ऑक्सीजन उन्होंने नहीं बनायी। कारण कि वे ऑक्सीजन छोड़ते तो
हैं , लेकिन स्वयं प्रयोग में भी लाते हैं। तो वे जीव
ऑक्सीजन के पहले निर्माता रहे होंगे , जिन्होंने ऑक्सीजन
केवल छोड़ी , किन्तु इस्तेमाल नहीं की।"
"यानी ऑक्सीजन उनके लिए अपशिष्ट थी।"
"यही। उन जीवाणुओं ने हमारी धरती को इस लायक बनाया कि
इस पर हरियाली उग सके। फिर उनका ऑक्सीजन-निर्माणक-उत्तरदायित्व हरे पेड़-पौधों ने
ले लिया।"
"आज भी उन एककोशिकीय पुरखों के वंशज गहरे समुद्र में
मिलते हैं।"
"हाँ। विज्ञान किसी जीव के जन्म से पहले उसके अनुकूल
पर्यावरण की बात करता है। वह यह नहीं कहता कि जीव सीधे अचानक उपज गया। जन्म के
पहले हवा-पानी-मिट्टी उसके अनुकूल न होते , तो क्या जीव
जन्मता ? क्या मनुष्य यों ही पैदा हो गया ? या कोई पौधा ? या कोई भी जानवर या पेड़ ? नहीं। पहले इन सब के लिए माहौल बना।"
"और इन्हीं माहौल बनाने वाले जीवाणुओं के बारे में हम
नहीं जानते।"
"क्योंकि हम बहुत स्थूल और आत्मकेन्द्री सोच वाले लोग
हैं।"
( चित्र में गहरे समुद्र का एक गर्म गीज़र। ऐसे ही
गीज़रों में ऑक्सीजन का निर्माण पहले-पहल धरती पर हुआ होगा। )
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन पंडित माखनलाल चतुर्वेदी और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
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