शशांक
द्विवेदी
डिप्टी डायरेक्टर, मेवाड़ यूनिवर्सिटी ,राजस्थान
विज्ञान की दुनियाँ के सेलेब्रिटी,विलक्षण
प्रतिभा के धनी होने के साथ असाधारण जीजिविषा वाले महान वैज्ञानिक भौतिक स्टीफन
हॉकिंग का जाना पुरी दुनियाँ के विज्ञान जगत के साथ साथ मानवता के लिए अपूर्णीय
क्षति है। उनका पूरा जीवन मौत को चुनौती देते हुए ही बीता , 22 साल की उम्र में ही उन्हें मोटर
न्यूरोन नामक लाइलाज बीमारी हो गयी थी ।
जिसकी वजह से ही उनके शरीर ने धीरे-धीरे काम करना बंद कर दिया था और उस समय डॉक्टरों ने कहा कि स्टीफन हॉकिंग दो साल से
ज्यादा नहीं जी पाएंगे लेकिन उसके बाद वो अपनी 76 साल की
उम्र तक अपनी अदम्य जीजिविषा के साथ न सिर्फ जीवित रहें बल्कि उन्होंने विज्ञान के
जटिल और गूढ़ रहस्यों को दुनियाँ के सामने रखा । हॉकिंग ने ब्लैक होल और बिग बैंग
सिद्धांत को समझने में अहम योगदान दिया है। कई बड़े पुरस्कारों के साथ ही उन्हें अमेरिका
का सबसे उच्च नागरिक सम्मान उन्हें दिया जा चुका है। कई किताबों के लेखक स्टीफ़न
हौकुंग की ब्रह्मांड के रहस्यों पर उनकी
किताब 'अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम' काफी
चर्चित हुई थी। हॉकिंग कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में सैद्धांतिक ब्रह्मांड विज्ञान के
निदेशक थे। हॉकिंग की गिनती आइंस्टीन के बाद सबसे बड़े और लोकप्रिय भौतिकशास्त्री
के तौर पर होती है। स्टीफन
हॉकिंग के दिमाग को छोड़कर उनके शरीर का कोई भी भाग काम नहीं करता था जिसकी वजह से
वो हमेशा अपने व्हील चेयर पर ही कंप्यूटर और विभिन्न गैजेट्स के
जरिए वे अपने विचार व्यक्त करते थे।
ब्रह्मांड की
उत्पत्ति , स्टीफन हॉकिंग और ब्लैक होल
ब्लैक होल के संबंध में हमारी वर्तमान
समझ भौतिकविद् स्टीफन हॉकिंग के कामों पर आधारित है। वर्ष 1974 में “ब्लैक होल इतने काले नहीं “ शीर्षक से प्रकाशित हॉकिंग के शोधपत्र ने सामान्य सापेक्षता सिद्धांत एवं क्वांटम
भौतिकी के सिद्धांतों के आधार पर यह दर्शाया कि ब्लैक होल पूरे काले नही होते, बल्कि ये अल्प
मात्रा में विकिरणों को उत्सर्जित करतें हैं। हॉकिंग ने यह भी प्रदर्शित किया कि
ब्लैक होल से उत्सर्जित होने वाली विकीरणें क्वांटम प्रभावों के कारण धीरे धीरे
बाहर निकलती हैं। इस प्रभाव को हॉकिंग विकीरण के नाम से जाना जाता है। हॉकिंग
विकिरण प्रभाव के कारण ब्लैक होल अपने द्रव्यमान को धीरे-धीरे खोने लगते हैं, तथा ऊर्जा का
भी क्षय होता हैं । यह प्रक्रिया लम्बें अंतराल तक चलने के बाद अन्ततोगत्वा ब्लैक
होल वाष्पन को प्राप्त होता है। दिलचस्प बात यह है कि विशालकाय ब्लैक होलों से कम
मात्रा में विकिरणों का उत्सर्जन होता है, जबकि लघु ब्लैक होल बहुत तेजी से
विकिरणों का उत्सर्जन करके वाष्प बन जाते हैं।
ब्रह्मांड की उत्पत्ति शुरुआत से ही
वैज्ञानिक समुदाय के लिए जिज्ञासा का विषय रही है। सभी को इतना तो पता है कि
ब्रह्मांड की उत्पत्ति लगभग 13.8 अरब साल पहले
बिग बैंग से हुई लेकिन किसी को यह नहीं पता कि ब्रह्मांड से पहले क्या था।
वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग ने दावा किया था कि बिग बैंग से पहले सिर्फ एक अनंत ऊर्जा
और तापमान वाला एक बिंदु था। उनके मुताबिक उस वक्त टाइम (समय) और स्पेस घुमावदार और कोण वाली
स्थिति में थे। हॉकिंग के मुताबिक हम आज समय को जिस तरह से महसूस करते हैं, ब्रह्मांड के
जन्म से पहले का समय ऐसा नहीं था। इसमें
चार आयाम थे, हॉकिंग ने बताया था कि भूत, भविष्य और वर्तमान को तीन समानांतर
रेखाएं समझें तो उस वक्त एक और रेखा भी मौजूद थी, जो ऊर्ध्वाधर थी। उसे आप काल्पनिक समझ
सकते हैं लेकिन हॉकिंग ने काल्पनिक समय को
हकीकत बताया. उनका कहना था कि काल्पनिक समय कोई कल्पना नहीं है, बल्कि यह
हकीकत है. हां आप इसे देख नहीं सकते, लेकिन इसे महसूस जरूर कर सकते हैं। ब्रह्मांड
के रहस्यों को समझनें के लिए उन्होंने स्टीफन हॉकिंग ने अपनी प्रसिद्ध किताब 'अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम' के अलावा भी ,द ग्रैंड डिजाइन, यूनिवर्स इन नटशेल, माई ब्रीफ
हिस्ट्री, द थ्योरी ऑफ एवरीथिंग
जैसी कई महत्वपूर्ण किताबें लिखी हैं।
विज्ञान की
दुनिया के सेलेब्रिटी
विज्ञान की दुनिया में स्टीफन हॉकिंग
की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगता है कि जब पिछले साल कैंब्रिज यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर उनकी
पीएचडी थीसिस ऑनलाइन उपलब्ध होने के बाद वेबसाइट ही ठप पड़ गई थी ।
'प्रॉपर्टीज ऑफ
एक्सपांडिंग यूनिवर्सेस' नाम के शीर्षक के आनलाइन उपलब्ध इस पेपर को एक
ही दिन में 5,00,000 से ज्यादा
लेागों ने डाउनलोड करने का प्रयास किया था। बाद में कुछ ही दिन के भीतर इसे 20 लाख बार देखा
गया। लोगों में किसी वैज्ञानिक के प्रति
ऐसी दीवानगी शायद है कभी देखी गई हो । हॉकिंग ने 134 पन्नों का यह दस्तावेज तब लिखा था जब
उनकी उम्र 24 वर्ष थी और
वह कैम्ब्रिज में स्नातकोत्तर के छात्र थे। जबकि इससे पहले हॉकिंग के पीएचडी के
पूरे काम को देखने के लिए यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी को 65 पाउंड अदा
करने होते थे।
पृथ्वी को
बचाने की चिंता
जलवायु परिवर्तन को लेकर स्टीफन
हॉकिंग ने मानव जाति के लिए एक गंभीर चेतावनी चेतावनी जारी की करते हुए कहा था कि जलवायु परिवर्तन, बढ़ती आबादी और उल्का पिंडों के टकराव
से खुद को बचाए रखने के लिए मनुष्य को दूसरी धरती खोजनी होगी। अगर ऐसा नहीं कर
पाये तो 100 साल बाद
पृथ्वी पर मानव जाति का बचे रहना मुश्किल होगा. हॉकिंग ने चेताया था कि तकनीकी विकास के साथ
मिलकर मानव की आक्रामकता ज्यादा खतरनाक हो गई है। यही प्रवृति परमाणु या जैविक
युद्ध के जरिए हम सबका विनाश कर सकती है। उनका कहना था कि एक वैश्विक सरकार ही हमें इससे
बचा सकती है। वरना मानव बतौर प्रजाति जीवित रहने की योग्यता खो सकता है। हॉकिंग ने
कुछ समय पहले जिंदगी में टेक्नोलॉजी के बढ़ते दखल पर चिंता जताते हुए कहा था कि हम
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर बहुत उत्साहित हैं, लेकिन आने वाली पीढ़ी
इसे इंसानी सभ्यता के इतिहास की सबसे खराब घटना के तौर पर याद करेगी। उन्होंने कहा
कि टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल के साथ-साथ हमें इसके
संभावित खतरों के बारे में भी सीखना चाहिए।
असाधारण
जीजिविषा
जीने की इच्छा और चुनौतियों को
स्वीकार करने के लिए स्टीफन हॉकिंग के जीवन ने यह साबित कर दिया कि मृत्यु निश्चित
है, लेकिन जन्म और
मृत्यु के बीच कैसे जीना चाहते हैं वह हम
पर निर्भर है |
हम ख़ुद को मुश्किलों से घिरा पाकर निराशावादी नज़रिया लेकर मृत्यु का इंतज़ार
कर सकतें या जीने की इच्छा और चुनौतियों को स्वीकार कर ख़ुद को अपने सपनों के
प्रति समर्पित करके एक उद्देश्यपूर्ण जीवन जी सकते है| उन्होंने कहा था कि चाहे जिन्दगी जितनी
भी कठिन लगे ,आप हमेशा कुछ न कुछ कर सकतें है और
सफल हो सकतें है| हॉकिंग ने शारीरिक अक्षमताओं को पीछे
छोड़ते हु्ए यह साबित किया कि अगर इच्छा शक्ति हो तो व्यक्ति कुछ भी कर सकता है।
स्टीफन हॉकिंग का जीवन समूचे विज्ञान जगत
को प्रेरणा देता रहेगा |
(लेखक मेवाड़ यूनिवर्सिटी में डिप्टी
डायरेक्टर हैं और टेक्निकल टूडे पत्रिका
के संपादक हैं )
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