Tuesday 7 April 2015

भविष्य की तकनीक और तकनीक का भविष्य

आनेवाले समय में टेक्नोलॉजी का विस्तार किस हद तक होगा, यह जानने की उत्सुकता दुनियाभर में है. इस संबंध में लोगों की जिज्ञासा को कुछ हद तक दूर करने के लिए डिजिटल तकनीक के बड़े नामों में से एक बिल गेट्स ने एक सोशल मीडिया साइट पर खास सत्र के दौरान लोगों द्वारा पूछे गये सवालों के जवाब दिये हैं. इन जवाबों और इनसे निकलते संकेतों तथा तकनीक के भविष्य पर आधारित है ये लेख  
मौजूदा दौर तकनीक का है और दुनियाभर में इसकी तूती बोल रही है. हमारे रोजमर्रा के जीवन से जुड़ी शायद ही कोई ऐसी चीज है, जिसमें तकनीक का इस्तेमाल न होता हो. कहा जा सकता है कि तकनीक ने हमारे जीवन से जुड़े विभिन्न आयामों को पूरी तरह से बदल दिया है. 
इसकी बदौलत आसान होती हमारी जीवनशैली की निर्भरता दिन-ब-दिन तकनीक पर बढ़ती जा रही है. भारत समेत दुनिया के अनेक देशों में शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों समेत कंपनियां नयी-नयी तकनीकों का इजाद कर रही हैं और हम उनका इस्तेमाल कर रहे हैं. इतना ही नहीं, इस क्षेत्र में परिवर्तन भी अब काफी तेजी से होने लगा है. यानी पुरानी तकनीक को चलन से हटाने और नयी तकनीक के चलन में आने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है. लोग हमेशा यह जानने की कोशिश करते हैं कि किस क्षेत्र में कौन सी नयी तकनीक आ चुकी है और भविष्य में कैसी तकनीक आने वाली है.
लोगों की इन्हीं जिज्ञासाओं को शांत करने के लिए दुनिया के प्रसिद्ध तकनीकी विशेषज्ञ बिल गेट्स ने, जो आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं, हाल ही में एक खास सत्र का आयोजन किया. पॉलिगॉन डॉट कॉमकी एक रिपोर्ट के मुताबिक, ‘आस्क मी एनीथिंगयानी मुझसे कुछ भी पूछियेनामक इस सत्र में बिल गेट्स ने भविष्य में कैसी होगी तकनीकविषय पर लोगों की तमाम जिज्ञासाओं को शांत करने की अच्छी कोशिश की है. इस सत्र में उन्होंने खास तौर पर तकनीक और मनोरंजन के भविष्य पर खुल कर अपने विचार रखे हैं. लोगों ने बिल गेट्स से तरह-तरह के सवाल पूछे. क्रेवऑनलाइन डॉट कॉमने उनमें से कुछ चुनिंदा सवाल-जवाब के बारे में जिक्र किया है. प्रस्तुत हैं इस सत्र के कुछ प्रमुख सवाल और गेट्स द्वारा दिये गये उनके जवाब :

आयु में बढ़ोतरी और इंसान की अमरता

जहां तक जीवन संभाव्यता यानी इंसान की उम्र में बढ़ोतरी और अमरत्व की प्राप्ति के संबंध में रिसर्च का सवाल है तो इस बारे में हमें अभी थोड़ा सोचना होगा. मेरा मानना है कि यह थोड़ा आत्मकेंद्रित होगा, खासक र ऐसे दौर में जब हम मलेरिया और टीबी जैसी बीमारी से जूझ रहे हों. मेरा मानना है कि इंसान की अमरता के संबंध में शोध से ज्यादा इन बीमारियों को खत्म करने पर जोर होना चाहिए और धनी व्यक्तियों को इसके लिए आगे आना चाहिए. बेहतर यह होगा कि हमलोग एकसाथ जीवन जीयें.

माइक्रोसॉफ्ट का होलोलेंस

होलोलेंस बेहद आश्चर्यजनक चीज है. माइक्रोसॉफ्ट इस सॉफ्टवेयर को विकसित करने पर काम कर रहा है. वाकई में यह एक तरह से वचरुअल रियलिटी यानी आभासी वास्तविकता की शुरुआत है. इसकी स्पीड सुपर सुपर फास्ट होगी. हालांकि इसे साकार होने में यानी सॉफ्टवेयर को विकसित होने में कुछ वर्षो का समय लगेगा.

प्रोग्रामिंग में जॉब का आइडिया..

यह अब भी सुरक्षित है. साथ ही यह बेहद मजेदार है और हमें अन्य सभी मसलों पर ज्यादा तर्कसंगत तरीके से सोचने का मौका देता है. हालांकि अगली पीढ़ी के लिए इस क्षेत्र में बदलाव लाने का बेहतर अवसर है, लेकिन यह भी सत्य है कि ज्यादातर विषयों या क्षेत्रों में यह समझ होनी चाहिए कि प्रोग्राम को कैसे उपयोगी बनाये रखा जाये.

थोरियम आधारित न्यूक्लियर पावर

सुरक्षित और सस्ती परमाणु ऊर्जा के लिए अब तक पर्याप्त शोध और विकास (रिसर्च एंड डेवलपमेंट) कार्य को अंजाम नहीं दिया गया है. मैं टेरापावरके इजाद के समर्थन में हूं, जो चौथी पीढ़ी का एक बेहतर साधन साबित हो सकता है. इसमें थोरियम का इस्तेमाल नहीं किया जाता. इसमें 97 फीसदी यूरेनियम का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे सामान्य रूप से रिएक्टर में ब्रीडिंग या बर्निग के द्वारा इस्तेमाल में नहीं लाया जाता है. इसका मतलब यह हुआ कि यह ईंधन हमेशा सस्ता होगा. हालांकि इस दिशा में अब तक अनेक इनोवेशन किये गये हैं, लेकिन इतना तय है कि आज हमारे पास इसके जो भी विकल्प मौजूद हैं, उन सभी से यह ज्यादा सुरक्षित है.

बिटक्वॉइन और क्रिप्टोकरेंसी

बिटक्वॉइन एक बेहद दिलचस्प नयी तकनीक है. हमारे फाउंडेशन से जुड़े कार्यो में यह भी शामिल है और बैंकिंग सुविधाएं मुहैया कराने के लिए गरीबों को हम डिजिटल करेंसी की मदद कर रहे हैं. दो कारणों से हम खास तौर पर बिटक्वॉइन का इस्तेमाल नहीं करते हैं. एक तो यह कि गरीबों के पास इस करेंसी के होने की दशा में स्थानीय मुद्रा के मूल्य में उतार-चढ़ाव होने से उन्हें नुकसान हो सकता है. दूसरा भुगतान की प्रक्रिया में कोई गलती होने पर उसकी वापसी मुश्किल है. हालांकि बिटक्वॉइन संबंधी प्रक्रिया को ज्यादा तर्कसंगत बनाने से वित्तीय लेन-देन की प्रक्रिया सस्ती होगी, लेकिन हमारे लिए यह बड़ी चुनौती होगी कि इसे आतंकियों के लिए मददगार साबित होने से बचाया जा सके. अन्यथा यह तकनीक घातक साबित हो सकती है.

सुपर इंटेलिजेंस

मैं उस समूह में शामिल हूं जो सुपर इंटेलिजेंस को लेकर परेशान हैं. पहले मशीन हमारे लिए बहुत काम करती थी, लेकिन उसमें सुपर इंटेलिजेंस नहीं था. यदि हम इसे बेहतर ढंग से मैनेज करते तो यह हमारे लिए पॉजीटिव होता. मेरा मानना है कि कुछ दशकों के बाद यह इंटेलिजेंस बहुत शक्तिशाली हो जायेगा.

जल- मल की समस्या

सीवेज यानी गंदे जल की निकासी आज दुनियाभर में एक बड़ी समस्या है. चूंकि इसका बेहतर तरीके से निस्तारण करना खर्चीला है, इसलिए गरीब देशों और खास कर मलिन बस्तियों में इसकी निकासी बड़ी समस्या है. धनी लोग साफ पानी की जरूरतों के लिए जिन तरीकों का इस्तेमाल करते हैं वह बेहद खर्चीली है. इसलिए मैंने इंजीनियरों के समक्ष यह चुनौती पेश की और उनको एक ऐसे प्रोसेसर के इजाद का लक्ष्य दिया, जो सीवेज यानी नाली के पानी को साफ कर उसे पीने लायक बना सके. साथ ही ख्याल रखा गया कि लागत कम हो, ताकि गरीब देशों में ज्यादा से ज्यादा लोग उसका फायदा उठा सकें.

मुङो यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि हमलोग इस कोशिश में काफी आगे बढ़ चुके हैं. हमारी टीम ने इस मशीन का प्रोटोटाइप विकसित कर लिया है और उसे संबंधित एजेंसी को मंजूरी के लिए भेज दिया गया है. उम्मीद है कि इस तकनीक के कामयाब होने से विकासशील देशों में बीमारियों को कम करने और लोगों के रहन-सहन के स्तर को बढ़ाने में मदद मिलेगी.

बीमारियों का उन्मूलन

पोलियो उन्मूलन पर हमने बहुत काम किया है. मैंने इसे ज्यादा फोकस किया है. इसका सबसे आखिरी मामला करीब छह माह पहले अफ्रीका में सामने आया था और अब हम उम्मीद करते हैं कि कोई अन्य मामला सामने नहीं आयेगा. हालांकि, इसे सुनिश्चित होने में अभी एक साल का समय लगेगा. अफगानिस्तान और पाकिस्तान में अब तक पूरी तरह से इस बीमारी का उन्मूलन नहीं हुआ है. इसलिए जब तक पूरी दुनिया से इसका नाश नहीं होगा, तब तक इसके अन्य देशों में फैलने का जोखिम बरकरार रहेगा. हालांकि पाकिस्तान में सेना और सरकार दोनों ही ने इस मसले को गंभीरता से लिया है और नाइजीरिया की तर्ज पर ही वे अपने यहां इस बीमारी से निपटना चाहते हैं. लेकिन तालिबान इनकी राह में एक बड़ी बाधा बन कर खड़ा हुआ है. कई बार ऐसे मामले सामने आये हैं, जिनमें बच्चों को पोलियो की दवा पिलाने जा रही माताओं का तालिबानियों ने कत्ल कर दिया है.


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