भारत के लिए बुधवार की सुबह बाकी दिनों से अलग थी , सुबह 4 बजे से ही बेंगलूरू के इसरो सेंटर में वैज्ञानिकों में रोमांच और बेचैनी का आलम था । अंतरिक्ष की दुनिया में भारत इतिहास बनाने जा रहा था । सुबह 7 बजकर 17 मिनट पर जैसे ही मंगलयान का लिक्विड इंजन शुरू हुआ, वैज्ञानिकों का दिल जोरों से धड़कने लगे। दुनिया के ताकतवर देश अपनी पहली कोशिश में असफल रहे थे। क्या भारत कामयाब हो पाएगा, हर चेहरे पर यही सवाल और शंका थी, लेकिन जैसे ही सुबह करीब 8 बजे भारत का मंगलयान मंगल की कक्षा में पहुंचा। लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वैज्ञानिकों ने जमकर तालियां बजाईं और एक दूसरे को सफलता की बधाई दी।भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में इतिहास रच दिया । भारत दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया जिसने अपनी पहली ही कोशिश में मंगल पर पहुंचने में सफलता पाई है।
इस ऐतिहासिक सफलता के साक्षी इसरो सेंटर में मौजूद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैज्ञानिकों को उनकी सफलता पर बधाई दी। भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में इतिहास रचते
हुए अपने मंगल मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम
दिया और मार्स आर्बिटर यान को मंगल की
कक्षा में स्थापित कर दिया । भारत के
वैज्ञानिक इतिहास की यह सबसे बड़ी कामयाबी है । ये एक ऐसा क्षण है जिस पर 125 करोड़ भारतवासी गर्व कर रहें है । इस सफलता के बाद भारत विश्व का पहला
ऐसा देश बन गया है जिसने पहली ही बार में मंगल अभियान पर सफलता प्राप्त की हो । इस
सफलता के साथ ही भारत विश्व के उन चार देशों में शामिल हो गया जिन्होंने मंगल पर
सफलता पूर्वक अपने यान भेजे है । भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो अमरीका, रूस और और यूरोप के कुछ देश (संयुक्त
रूप से) यूरोपीय यूनियन की अंतरिक्ष एजेंसी के बाद चैथी ऐसी एजेंसी बन गयी जिसने
इतनी बड़ी कामयाबी हासिल की है । चीन और जापान इस कोशिश में अब तक कामयाब नहीं हो
सके हैं। रूस भी अपनी कई असफल कोशिशों के बाद इस मिशन में सफल हो पाया है। अब तक
मंगल को जानने के लिए शुरू किए गए दो तिहाई अभियान नाकाम साबित हुए हैं।19 अप्रैल 1975 में स्वदेश निर्मित उपग्रह ‘आर्यभट्ट’ के प्रक्षेपण के साथ अपने अंतरिक्ष सफर
की शुरूआत करने वाले इसरो की यह सफलता
भारत की अंतरिक्ष में बढ़ते वर्चस्व की तरफ इशारा करती है । ये सफलता इसलिए खास है क्योंकि भारतीय
प्रक्षेपण राकेटों की विकास लागत ऐसे ही विदेशी
प्रक्षेपण राकेटों की विकास लागत से बहुत कम है .
जनसंदेश टाइम्स |
जैसे ही मंगलग्रह की कक्षा में हमारा मंगलयान स्थापित किया गया बेंगलूरू के इसरो केंद्र में तालियों की गूंज उठी और वहां मौजूद वैज्ञानिक एक दूसरे को बधाई देने लग गए। साथ ही हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस ऎतेहासिक पल के खास गवाह बने।
मंगल मिशन के सफल होने के बाद पीएम मोदी ने पूरे देश को बधाई दी। इसरो केंद्र में ही देश को संबोधित करते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज मंगल का मॉम से मिलन हो गया। आज मंगल को मॉम मिल गई। जिस वक्त इस मिशन का नाम(शोर्ट) मॉम बन गया तो मुझे पूरा विश्वास था कि मोम कभी निराश नहीं करती है। भारत मंगलग्रह पर सफलता पूर्वक मंगल ग्रह पर पहुंच गया है। पूरे देश और इसरो को बधाई।
लोकमत |
24 मिनट थे निर्णायक
इसरो ने इस मिशन को अंजाम तक पहुंचाने के लिए अपनी तैयारी पूरी की थी और मंगलयान की प्रगति पर हर पल नजर रखी जा रही थी। मंगल अभियान का निर्णायक चरण यान को धीमा करने के साथ शुरू हुआ। मिशन की सफलता उन 24 मिनटों पर निर्भर थी जिस दौरान यान में मौजूद 440 न्यूटन वाले मुख्य तरल इंजन को फायर किया गया। सोमवार को ही इसरो 300 दिन से बंद पड़े इंजन का 4 सेकेंड तक परीक्षण किया गया था।
गति पर नियंत्रण रखना चुनौती
इसमें इस बात की सावधानी रखनी गई कि यान इतना धीमा ना हो जाए कि वह मंगल की सतह से टकराकर चकनाचूर हो जाए या उसकी रफ्तार इतनी भी तेज न हो कि वह मंगल के गुरूत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर निकल गहरे अंतरिक्ष में कहीं खो जाए।
सुबह 4.17 बजे शुरू हुई प्रक्रिया
यान को मंगल की कक्षा में स्थापित करने की प्रक्रिया सुबह 4.17 बजे शुरू हुई और मीडियम गेन एंटीना के रूख में बदलाव किया गया। इसके बाद 6.56 बजे फारवर्ड रोटेशन शुरू किया गया। सुबह 7.17 बजे तरल एपोगी मोटर (लैम) फायर करने का काम शुरू किया जबकि सुबह 7.30 बजे मुख्य इंजन शुरू हो गया। तरल एपोगी मोटर को 24 मिनट तक फायर किया गया। यान को एक तरफ से संदेश भेजने या प्रदान करने में करीब 12 मिनट का वक्त लगा। -
बेहतरीन
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