Tuesday 21 August 2012

स्टेम कोशिका तकनीक- नई उम्मीदें

स्टेम कोशिका अनुसंधान लंबे समय से जारी है, और कुछ समय पूर्व ही इस दिशा में सफलता प्राप्त होनी शुरू हुई है। स्टेम कोशिका तकनीक से मानव जाति में फैली आनुवांशिक और अन्य बीमारियों की ही नहीं, बल्कि प्राणी संरक्षण में भी सहयोग मिलेगा। हालांकि अभी यह शोध कार्य शुरुआती दौर में ही है, लेकिन वह दिन दूर नहीं, जब इसके लाभ आमजन को आसानी से मुहैया होंगे। इस तकनीक से जुड़ी नवीन जानकारी दे रहे हैं मुकुल व्यास
शरीर के विभिन्न अंगों में विकसित हो सकने की खूबी के कारण स्टेम कोशिकाओं ने पूरी दुनिया का ध्यान आकृष्ट किया है। चिकित्सा विज्ञान में इन कोशिकाओं के उपयोग के लिए पिछले कई वर्षो से विभिन्न स्तरों पर रिसर्च चल रही है। हालांकि अभी कोई चमत्कारिक नतीजे सामने नहीं आए हैं, लेकिन विभिन्न प्रयोगशालाओं से मिल रही रिपोर्ट स्टेम कोशिका टेक्नोलॉजी से बड़े चमत्कारों की उम्मीद जगाती है। फिर भी वैज्ञानिकों को स्टेम सेल रिसर्च के बारे में पिछले साल यूरोपियन कोर्ट ऑफ जस्टिस के फैसले से कुछ धक्का लगा था। कोर्ट ने भ्रूण स्टेम सेल पर आधारित आविष्कारों के पेटेंट पर प्रतिबंध लगा दिया है। यूरोपियन कंपनियों के सभी देश इस फैसले को मानने के लिए बाध्य हैं।
वैज्ञानिकों को चिंता है कि कोर्ट के फैसले के बाद कंपनियां यूरोप में स्टेम सेल थेरेपी से जुड़े प्रोजेक्टों पर निवेश करने से कतराएंगी। कोर्ट का फैसला जो भी हो, रिसर्चर स्टेम कोशिका के कुछ नए उपयोग खोजने में कामयाब रहे हैं। इनमें स्टेम कोशिका से कृत्रिम रक्त, शुक्राणु और किडनी उत्पन्न करने के तरीके शामिल हैं। आइए, इन कुछ प्रयोगों का जायजा लें।
मिलने लगेगा कृत्रिम रक्त
स्टेम सेल रिसर्च ने कृत्रिम रक्त के निर्माण का रास्ता  दिखला दिया है। स्कॉटलैंड के रिसर्चरों का दावा है कि अगले तीन वर्षों में स्टेम सेल से निर्मित रक्त के क्लिनिकल ट्रायल शुरू हो जाएंगे और दस वर्ष में अंग प्रत्यारोपण के दौरान कृत्रिम रक्त का प्रयोग होने लगेगा। यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबरा के रिसर्चरों ने अस्थि मज्जा से स्टेम सेल निकाले और प्रयोगशाला में उनसे ऐसी कोशिकाएं विकसित की हैं, जो शरीर के भीतर ऑक्सीजन ढोने में सक्षम हैं। रिसर्चर ओ नेगेटिवटाइप का रक्त निर्मित करने की कोशिश कर रहे हैं, जो यूनिवर्सल डोनर ग्रुप होता है। करीब 98 प्रतिशत मरीज इसे स्वीकार कर लेते हैं।
उधर कनाडा के वैज्ञानिकों ने ऐसी स्टेम कोशिकाओं का पता लगाया है, जिनसे विभिन्न किस्म की रक्त कोशिकाओं का उत्पादन किया जा सकता है। इनमें  लाल कोशिकाएं, श्वेत कोशिकाएं और प्लेटलेट्स शामिल हैं। गौरतलब है कि लाल कोशिकाएं शरीर के भीतर विभिन्न हिस्सों में ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करती हैं। श्वेत कोशिकाएं हमारी प्रतिरोध प्रणाली का ध्यान रखती हैं, जबकि प्लेटलेट्स खून की क्लोटिंग में मदद करती हैं।
इस बड़ी खोज का मतलब यह है कि स्टेम कोशिकाओं की मदद से समूची रक्त प्रणाली को पुनर्निर्मित किया जा सकता है या मरीजों की स्टेम कोशिकाओं से उनकी जरूरत की रक्त कोशिकाओं की सप्लाई की जा सकती है।
वैज्ञानिक एक ऐसी शुद्ध स्टेम कोशिका की तलाश में थे, जिसे नियंत्रित करना संभव हो और मरीजों में  प्रत्यारोपित करने से पहले उसकी कल्चर तैयार की जा सके। कनाडा में टोरंटो स्थित यूनिवर्सिटी हेल्थ नेटवर्क  के वैज्ञानिक जॉन डिक का कहना है कि उनकी टीम ऐसी स्टेम कोशिका को पृथक करने में कामयाब हो गई है, जो रक्त प्रणाली के सारे हिस्सों को उत्पन्न कर सकती है। इससे स्टेम कोशिकाओं के चिकित्सीय उपयोग की क्षमता बढ़ जाएगी।
नई प्रजनन तकनीक
वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में स्टेम कोशिकाओं से शुक्राणु निर्मित करके इसका इस्तेमाल चूहों में स्वस्थ संतान उत्पन्न करने के लिए किया है। इस तकनीक को प्रजनन विज्ञान में मील का बड़ा पत्थर बताया जा रहा है। स्टेम कोशिकाएं वे कोशिकाएं होती हैं, जो विभाजित होने के बाद किसी भी विशिष्ट कोशिका के रूप में विकसित हो सकती हैं। वैज्ञानिकों को यकीन है कि भविष्य में इस तकनीक से नि:संतान दंपतियों को बड़ा फायदा हो सकता है। यह पहला मौका है जब स्टेम कोशिका तकनीकों से उत्पन्न शुक्राणुओं का प्रयोग स्वस्थ संतान उत्पन्न करने के लिए किया गया है।
कैसे काम करेगी यह तकनीक : एक संभावना यह है कि नि:संतान पुरुष या महिला से प्राप्त त्वचा कोशिकाओं को पहले स्टेम कोशिकाओं में बदला जाएगा। स्टेम कोशिकाओं को पहले जर्मकोशिकाओं में परिवर्तित किया जाएगा। गौरतलब है कि शुक्राणु और अंडाणु जर्म कोशिकाओं से उत्पन्न होते हैं। इस प्रक्रिया से उत्पन्न शुक्राणुओं और अंडाणुओं का प्रयोग सामान्य आईवीएफ (परखनली निषेचन) पद्धति में किया जा सकता है।
क्योटो विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मितिनोरी साइतो के नेतृत्व में जापानी टीम ने यह नई तकनीक विकसित की है। रिसर्चरों ने प्रयोगशाला के चूहों के भ्रूणों से स्टेम कोशिकाएं निकाल कर उन्हें परिपक्व शुक्राणु कोशिकाओं  में बदल दिया। इन शुक्राणुओं का इस्तेमाल उन्होंने अंडाणुओं को निषेचित करने के लिए किया। इससे उत्पन्न  संतान शारीरिक या आनुवांशिक दोषों से मुक्त थी। रिसर्चरों ने प्रयोग के दौरान 214 भ्रूण उत्पन्न किए। इन भ्रूणों को मादा में प्रत्यारोपित किया गया। इनसे 65 चूहों का जन्म हुआ।
प्रोफेसर साइतो का कहना है कि भ्रूण स्टेम कोशिकाओं से निकाली गई जर्म कोशिकाओं से स्वस्थ संतान उत्पन्न करने का प्रयोग दुनिया में पहली बार हुआ है। साइतो ने भ्रूण कोशिकाओं से स्वस्थ अंडाणुओं के निर्माण पर भी काम शुरू कर दिया है।
गंजेपन का इलाज
कुछ रिसर्चरों का मानना है कि स्टेम कोशिकाओं के उपयोग से गंजेपन से छुटकारा पाने के लिए नए इलाज विकसित किए जा सकते हैं। अमेरिका में येल यूनिवर्सिटी में मॉलिक्यूलर, सेलुलर और डेवलपमेंट बायोलॉजी के असिस्टेंट प्रोफेसर वालेरी होर्सले का कहना कि यदि हम किसी तरह इन कोशिकाओं का संवादहेयर फोलिकल के तल पर निष्क्रियस्टेम कोशिकाओं के साथ करा दें, तो बालों का उगना फिर शुरू हो सकता है।
स्टेम कोशिका से किडनी
यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबरा के रिसर्चरों द्वारा विकसित तकनीक यदि कामयाब रही तो किडनी प्रत्यारोपण के लिए मरीजों को डोनर का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। वे खुद स्टेम कोशिकाओं से अपनी जरूरत के अंग विकसित कर लेंगे, जिन्हें रुग्ण अंगों की जगह प्रत्यारोपित किया जा सकेगा। वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में जानवरों की भ्रूण कोशिकाओं और मानव भ्रूण द्रव्य (एमिनोटिक फ्लूड) से किडनी तैयार करने में कामयाबी हासिल की। यह किडनी एक सेंटीमीटर लंबी थी। अजन्मे शिशु की किडनी का आकार भी लगभग इतना ही होता है।

3 comments:

  1. सचमुच, जीवन को नए आयाम देने में सक्षम है यह तकनीक।

    ............
    डायन का तिलिस्‍म!
    हर अदा पर निसार हो जाएँ...

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  2. Sir your all articles are full of facts with deep analysis . I regularly follow you . Sir im preparing for civil service mains examination and i wish to need your kind help and suggestions abour current science and technoly developments .so please suggest the most striking scientific events and dicoveries in this year since jan 2012

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