Wednesday 23 May 2012

अन्तरिक्ष में आदमी की दिनचर्या


कुछ बातें अन्तरिक्ष में आदमी की दिनचर्या की !
गुरुत्वाकर्षण का स्पेस में अभाव होता है। इसी शक्ति के कारण हम-तुम पृथ्वी पर टिके रह पातेहैं। तुम सहज ही कल्पना कर सकते हो कि हर चीज हवा में तैरती नजर आए, तो क्या होगा? हां,अपनी मर्जी नहीं चलती ऐसे में। बिना किसी सपोर्ट सिस्टम के बेहद मुश्किल है स्पेस में रहना।पानी का एक-एक बूंद बेहद कीमती है वहां। यहां खाने-पीने, सोने यानी समय गुजारने के लिएकाफी मशक्कत करनी पड़ती है इस जगह पर। तभी एस्ट्रोनॉट्स को मिशन पर जाने से पहले कड़ेप्रशिक्षण के दौर से गुजरना पड़ता है। उनके लिए यह बेहद जोखिम भरी यात्रा साबित होती है।

अन्तरिक्ष का मीनू 
हाल ही में हुए एक रिसर्च के मुताबिक, स्पेस मिशन पर जाने वाले एस्ट्रोनॉट्स का बोन लॉस काफीज्यादा होता है। इसलिए उन्हें अधिक कैल्सियम और मिनरल्स की जरूरत पड़ती है और वहां भीखूब जमकर करनी पड़ती है एक्सरसाइज। एक टूथपेस्टनुमा ट्यूब और खास तरह के पैकेट्स में येखाद्य पदार्थ भरे होते हैं। एक विशेष प्रकार के यंत्र की सहायता से ही एस्ट्रोनॉट्स इसे ले पाते है।ड्राई या फ्रोजन फूड्स ही खाते हैं, जिनमें पानी की मात्रा  के बराबर होती है। पानी भी पाउच सेएक विशेष स्ट्रॉ की सहायता से पीते हैं।
एस्ट्रोनॉट्स पहले-पहल स्पेस में कदम रखते हैं, तो उनका खाना बेबी-फूड्स की तरह बिल्कुलसॉफ्ट होता है। यूएस की अंतरिक्ष एजेंसी नासा स्पेस फूड पर लगातार काम कर रही है। वर्ष 1970में यहां के वैज्ञानिकों ने एक स्पेशल ट्रे का आविष्कार किया था। इसमें रखकर खाने को आसानी सेगर्म रखा जा सकता है। यानी पैकेट फृड के अलावा, एस्ट्रोनॉट्स भी गर्मागर्म भोजन कर सकते हैं।इस समय नासा नैनो फूड बनाने में जुटी है। यह ऐसा फूड होगा, जो दवा के रूप में होगा। दवापिल्स या लिक्विड के फॉर्म में। यह फूड ग्लूकोज की तरह ब्लड में घुल जाएगा और इससे इंस्टेंटएनर्जी मिल सकेगी।

चैन की नींद कहा!
स्पेस शटल, जिसमें एस्ट्रोनॉट्स रहते हैं, उसमें सोना आसान नहीं है। हालांकि इसके अंदरतापमान और हवा का दबाव पहले से कंडीशंड होता है। इसलिए यहां जीरो ग्रेविटी का लेवल कमहोता है। कुछ भी हो, चैन की नींद के लिए भी गुरुत्व यानी ग्रेविटी का होना जरूरी है। बहरहाल,एस्ट्रोनॉट्स यहां स्लीपिंग बैग्स में अपेक्षाकृत अधिक सुकून की नींद ले पाते हैं। स्पेस शटल यास्पेस स्टेशन में क्र्यू केबिन होते हैं। यह जगह सोने के लिए बेहद आरामदायक होती है। हां,एस्ट्रोनॉस्ट्स के पास-पास सोने के कारण सोने में डिस्टर्बेसेस भी होता होगा। फिर भी नींद तो नींदहै, यह कहीं भी  जाती है।

होते हैं खास कपड़े----
एस्ट्रोनॉट्स स्पेस शटल में बिल्कुल फ्री होकर रहते हैं। इसमें उन्हें स्पेस सूट की जरूरत नहीं होती।इसलिए यहां वे टीशर्टशॉर्ट्सपैंट हर तरह के कपड़े पहनते हैं। उनके कपड़ों में कई सारे पॉकेट्सबने होते हैंजिसमें वे उन उपकरणों को रखते हैंजिनकी जरूरत उन्हें हमेशा पड़ती रहती है।
आने वाले दिनों में एस्ट्रोनॉट्स के कपड़े भी नैनो यानी इंटेलिजेंट टेक्सटाइल के बने होंगे। इनकीखास बात यह होगी कि इनमें कई सारे सेंसर्स लगे होंगे, जो एस्ट्रोनॉट्स की हार्ट-बीट और ब्लडप्रेशर को चेक करते रहेंगे। ये कपड़े उनके मूड्स का भी अध्ययन कर सकेंगे। हां, बिल्कुल एकडॉक्टर की तरह। इन कपड़ों को धोने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। क्योंकि इनमें होगी सेल्फक्लीनिंग की क्वालिटी। इससे कपड़े गंदे होने पर खुद--खुद धुल सकेंगे।

मौजा ही मौजा !
काम के लंबे-लंबे शेड्यूल में बोरियत तो होगी ही। एस्ट्रोनॉट्स इसी बोरियत से निजात पाने के लिएस्पेस शटल से कभी बाहर झांकते हैं और कभी स्पेस वाक करते हैं। स्पेस मिशन पर जाने के बादएस्ट्रोनॉट्स शटल पर -मेल या वायसमेल के माध्यम से भी अपने मित्रोंसहयोगियों वमिशन-वैज्ञानिकों से जुड़े तो रहते ही हैं। सोयह भी एक खास तरीका होता है उनके मनोरंजन का।हांकभी-कभी वे वीडियोगेम भी खेलते हैं।

आपने भारतीय अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स के बारे में सुना होगा। उन्होंने स्पेसवाक करनेमहिला एस्ट्रोनॉट्स में रिकॉर्ड बनाया था। चांद से भारत को दुनिया का सबसे खूबसूरत देश बतानेवाले भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा के बारे में कौन नहीं जानता।

इसी तरह, हाल ही में नासा के एस्ट्रोनॉट्स ने कर्नल माइकल फिंके ने अंतरिक्ष से ब्रह्मपुत्र नदीऔर पिरामिड्स दिखने का जिक्र किया है। उन्होंने यह भी कहा कि अंतरिक्ष में रहने के दौरान मैंनेजो चीजें देखीं, उनकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। ये कुछ ऐसे वाकये हैं कि जिनसे तुमअनुमान लगा सकते हो कि स्पेस में एस्ट्रोनॉट्स एंटरटेनमेंट भी अपने अंदाज में करते हैं औरइसका खूब लुत्फ उठाते हैं।

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