इन दिनों अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर नए वर्ष 2012 के लिए जो रोजगार सर्वेक्षण और मानव संसाधन रिपोर्टे
प्रकाशित हो रही हैं, उनके अनुसार भले ही दुनियाभर
में मंदी की धंुध है, लेकिन इसका असर भारत में
नौकरियों और नए साल में वेतन वृद्धि पर नहीं पड़ेगा। वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज के
द्वारा 10 जनवरी 2012 को भारत की रेटिंग
बढ़ाकर प्राइम किया जाना भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए शुभ संकेत है और इससे भी नए साल
में नई रोजगार संभावनाएं आगे बढ़ेंगी।
इंटरनेशनल रिक्रूटमेंट फर्म एटल मैनपॉवर इंडिया, नौकरी डॉट कॉम, एच.आर. वल्र्ड, जी वेज तथा माई हायरिंग क्लब डॉट कॉम जैसी कई संस्थाओं के अनुसार वर्ष 2012 में भारत में नौकरी चाहने वालों के सामने अवसरों की कोई कमी नहीं होगी। देश में वेतन में बढ़ोतरी भी औसतन करीब 14 फीसदी रह सकती है। यह वेतन वृद्धि दुनिया में सर्वाधिक होगी। ज्यादातर नई नौकरियां सर्विस सेक्टर, आईटी, रिटेल, मल्टीनेशनल कंपनियों, ऑटो, इंफ्रास्ट्रक्चर, कंस्ट्रक्शन, इंजीनियरिंग और बैंकिंग सेक्टर में होगी।
सर्वेक्षणों में यह भी कहा गया है कि देश में मझौले आकार की आईटी कंपनियां पहले तो मौजूदा वैश्विक आर्थिक संकट 2012 से डर गई थीं, लेकिन अब वे घरेलू बाजार और विश्व में आईटी पेशेवरों की मांग के बूते इस डर से बाहर आ रही हैं। अब आईटी कंपनियां भारत और विदेशों में दोनों जगह कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने की योजना बना रही हैं। इतना ही नहीं संयुक्त राष्ट्र संघ की नई रिपोर्ट में भी कहा गया है कि वर्ष 2012 में दुनिया को जिस दोहरी मंदी का खतरा है, उससे निजात दिलाने में भारत के मैनेजमेंट, इंजीनियरिंग और अकाउंटिंग जैसे क्षेत्रों के पेशेवरों की भूमिका एक बार फिर प्रभावी हो सकती है। वर्ष 2008 की मंदी के दौरान जहां भारतीय पेशेवरों ने दुनिया के ढहते हुए उद्योग-व्यवसाय को बचाने में अपनी उपयोगिता सिद्ध की थी वहीं उन्होंने भारतीय उद्योग-व्यवसाय को भी डगमगाने से बचाया था। यह कोई छोटी बात नहीं है कि वैश्विक दोहरी मंदी के दौर में जब विकसित देशों में नई नौकरियां दिखाई नहीं दे रही हैं, तब भी वर्ष 2012 में अपने उद्योग-व्यवसाय को गति देने के लिए देश-विदेश की कंपनियां भारत की एमबीए, आईटी और अन्य प्रतिभाओं को लेने के लिए आईआईएम और मैनजमेंट बी स्कूल्स की तरफ दौड़ते हुए दिखाई दे रही हैं। देश के विभिन्न आईआईएम और आईआईटी के कई छात्र एक करोड़ रूपए वार्षिक से भी अधिक के वेतन पर नियुक्ति प्राप्त करते हुए दिखाई दे रहे हैं।
दोहरी वैश्विक मंदी के इस दौर में इस बार प्रमुख बिजनेस स्कूलों में समर प्लेसमेंट की प्रक्रिया में जो कंपनियां ऊंचे पैकेज देते हुए दिखाई दे रही हैं उनमें प्रमुख हैं फेसबुक, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, बैंक ऑफ अमेरिका, मैरिल लिंच, बार्कलेज कैपिटल, सिटी ग्लोबल, डॉयचे बैंक, एचएसबीसी, मॉर्गन स्टैनली, नोमुरा, रॉशचाइल्ड, स्टैंडर्ड चार्टर्ड, एडलवाइस कैपिटल और आईसीआईसीआई सिक्यूरिटीज आदि। खासतौर से वित्तीय सेवा, बैंकिंग, आईटी, परामर्श, दूरसंचार और फार्मास्युटिकल क्षेत्र की कम्पनियां वर्ष 2012 में नई नियुक्तियों के लिए स्कूल-कॉलेजों में कदम बढ़ाते हुए दिखाई दे रही हैं।
यद्यपि देश में वर्ष 2012 में नौकरियों और प्लेसमेंट के अवसर बढे हुए दिखाई दे रहे हैं लेकिन देश के रोजगार बाजार में उभरकर आ रही इस सच्चाई पर ध्यान देना होगा कि देश में कुछ ही प्रतिभाशाली युवाओं की मुटि्ठयों में चमकीले रोजगार हैं और अधिकतर युवाओं की मुçnयां रोजगार रहित हैं। ऎसे में सरकार के द्वारा अधिक लोगों के लिए रोजगार के रणनीतिक प्रयास जरूरी हैं। स्थिति यह है कि देश के उद्योग-व्यवसाय में कौशल प्रशिक्षित लोगों की मांग और आपूर्ति में लगातार अंतर बना हुआ है। भारत में 17 फीसदी लोग ही कौशल प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों से शिक्षित-प्रशिक्षित हैं, जबकि चीन में ऎसे लोगों की संख्या 91 प्रतिशत है। कम योग्य युवाओं के लिए हमें प्रशिक्षण एवं सेवा क्षेत्र में अवसर खोजने होंगे और उन्हें रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रमों से शिक्षित-प्रशिक्षित करना होगा।
डॉ. जयंतीलाल भंडारी
अर्थशास्त्री
इंटरनेशनल रिक्रूटमेंट फर्म एटल मैनपॉवर इंडिया, नौकरी डॉट कॉम, एच.आर. वल्र्ड, जी वेज तथा माई हायरिंग क्लब डॉट कॉम जैसी कई संस्थाओं के अनुसार वर्ष 2012 में भारत में नौकरी चाहने वालों के सामने अवसरों की कोई कमी नहीं होगी। देश में वेतन में बढ़ोतरी भी औसतन करीब 14 फीसदी रह सकती है। यह वेतन वृद्धि दुनिया में सर्वाधिक होगी। ज्यादातर नई नौकरियां सर्विस सेक्टर, आईटी, रिटेल, मल्टीनेशनल कंपनियों, ऑटो, इंफ्रास्ट्रक्चर, कंस्ट्रक्शन, इंजीनियरिंग और बैंकिंग सेक्टर में होगी।
सर्वेक्षणों में यह भी कहा गया है कि देश में मझौले आकार की आईटी कंपनियां पहले तो मौजूदा वैश्विक आर्थिक संकट 2012 से डर गई थीं, लेकिन अब वे घरेलू बाजार और विश्व में आईटी पेशेवरों की मांग के बूते इस डर से बाहर आ रही हैं। अब आईटी कंपनियां भारत और विदेशों में दोनों जगह कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने की योजना बना रही हैं। इतना ही नहीं संयुक्त राष्ट्र संघ की नई रिपोर्ट में भी कहा गया है कि वर्ष 2012 में दुनिया को जिस दोहरी मंदी का खतरा है, उससे निजात दिलाने में भारत के मैनेजमेंट, इंजीनियरिंग और अकाउंटिंग जैसे क्षेत्रों के पेशेवरों की भूमिका एक बार फिर प्रभावी हो सकती है। वर्ष 2008 की मंदी के दौरान जहां भारतीय पेशेवरों ने दुनिया के ढहते हुए उद्योग-व्यवसाय को बचाने में अपनी उपयोगिता सिद्ध की थी वहीं उन्होंने भारतीय उद्योग-व्यवसाय को भी डगमगाने से बचाया था। यह कोई छोटी बात नहीं है कि वैश्विक दोहरी मंदी के दौर में जब विकसित देशों में नई नौकरियां दिखाई नहीं दे रही हैं, तब भी वर्ष 2012 में अपने उद्योग-व्यवसाय को गति देने के लिए देश-विदेश की कंपनियां भारत की एमबीए, आईटी और अन्य प्रतिभाओं को लेने के लिए आईआईएम और मैनजमेंट बी स्कूल्स की तरफ दौड़ते हुए दिखाई दे रही हैं। देश के विभिन्न आईआईएम और आईआईटी के कई छात्र एक करोड़ रूपए वार्षिक से भी अधिक के वेतन पर नियुक्ति प्राप्त करते हुए दिखाई दे रहे हैं।
दोहरी वैश्विक मंदी के इस दौर में इस बार प्रमुख बिजनेस स्कूलों में समर प्लेसमेंट की प्रक्रिया में जो कंपनियां ऊंचे पैकेज देते हुए दिखाई दे रही हैं उनमें प्रमुख हैं फेसबुक, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, बैंक ऑफ अमेरिका, मैरिल लिंच, बार्कलेज कैपिटल, सिटी ग्लोबल, डॉयचे बैंक, एचएसबीसी, मॉर्गन स्टैनली, नोमुरा, रॉशचाइल्ड, स्टैंडर्ड चार्टर्ड, एडलवाइस कैपिटल और आईसीआईसीआई सिक्यूरिटीज आदि। खासतौर से वित्तीय सेवा, बैंकिंग, आईटी, परामर्श, दूरसंचार और फार्मास्युटिकल क्षेत्र की कम्पनियां वर्ष 2012 में नई नियुक्तियों के लिए स्कूल-कॉलेजों में कदम बढ़ाते हुए दिखाई दे रही हैं।
यद्यपि देश में वर्ष 2012 में नौकरियों और प्लेसमेंट के अवसर बढे हुए दिखाई दे रहे हैं लेकिन देश के रोजगार बाजार में उभरकर आ रही इस सच्चाई पर ध्यान देना होगा कि देश में कुछ ही प्रतिभाशाली युवाओं की मुटि्ठयों में चमकीले रोजगार हैं और अधिकतर युवाओं की मुçnयां रोजगार रहित हैं। ऎसे में सरकार के द्वारा अधिक लोगों के लिए रोजगार के रणनीतिक प्रयास जरूरी हैं। स्थिति यह है कि देश के उद्योग-व्यवसाय में कौशल प्रशिक्षित लोगों की मांग और आपूर्ति में लगातार अंतर बना हुआ है। भारत में 17 फीसदी लोग ही कौशल प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों से शिक्षित-प्रशिक्षित हैं, जबकि चीन में ऎसे लोगों की संख्या 91 प्रतिशत है। कम योग्य युवाओं के लिए हमें प्रशिक्षण एवं सेवा क्षेत्र में अवसर खोजने होंगे और उन्हें रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रमों से शिक्षित-प्रशिक्षित करना होगा।
डॉ. जयंतीलाल भंडारी
अर्थशास्त्री
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