अंतरिक्ष की दुनिया जितनी रोचक है, उतनी रहस्यमयी भी. इसमें कई ऐसे राज छिपे हैं, जिसका पता लगाने के लिए खगोलविज्ञानी वर्षों से लगे हैं. इन्हीं रहस्यों में एक है तारों का रहस्य. जब हम रात में आकाश की ओर देखते हैं, तो कभी-न-कभी हम सभी को यह ख्याल जरूर आता होगा, कि आखिर ये तारे बनते कैसे हैं? हालांकि, इससे संबंधित कई खोज और शोध किये जा चुके हैं. लेकिन, हर बार कोई-न-कोई पहलू अधूरा रह जाता है.
इस बार र्जमनी के बॉन विश्वविद्यालय के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने तारों के निर्माण से संबंधित एक महत्वपूर्ण प्रमाण मिलने का दावा किया है. उनके मुताबिक, तारों का निर्माण काफी हद तक निर्माण के समय आसपास के वातावरण पर निर्भर करता है. ऐसा माना जाता है कि तारों का निर्माण अंतर-तारकीय अंतरिक्ष में होता है. इनका निर्माण गैस के बादल और धूलकणों से हुआ है. इस कारण इन तारों की विशेषता उनके निर्माण के समय के धूल भरे वातावरण पर निर्भर करती है. बादल और तापमान की भी इस निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका होती है. इसी कारण हम पृथ्वी पर बारिश का मौसम देखते हैं. इसमें इन गैस भरे बादलों की भूमिका काफी महत्वपूृर्ण होती है. बॉन विश्वविद्यालय की शोध टीम के प्रमुख डॉ पावेल क्रॉपा का कहना है कि जिन आकाशगंगाओं में तारों का निर्माण होता है, वहां का मौसम धूल-भरा और खराब होता है. अब इस शोध के बाद वैज्ञानिक इस बात की खोज में लगे हैं कि तारों के निर्माण के बाद उनका द्रव्यमान भी क्या उनके निर्माण के समय के वातावरण पर निर्भर करता है. गौरतलब है कि अभी तक जिन तारों का अध्ययन किया गया है, उनका द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान की अपेक्षा कम है.
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