भू कंप का सटीक पूर्वानुमान करना अब भी संभव नहीं हो पाया है. यह एक ऐसी चुनौती है, जिसे आधुनिक विज्ञान अभी तक हल नहीं कर पाया है. अब वैज्ञानिकों के सामने एक नयी चुनौती सामने आ रही है कि भूकंप प्रभावित क्षेत्र भविष्य में किस तरह व्यवहार करेंगे.
दरअसल, अमेरिका के कैलीफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (कालटेक) के शोधकर्ताओं ने भूकंप के समय जो पृथ्वी के अंदर फॉल्ट उत्पत्र होता है, उसका कंप्यूटर मॉडल विकसित किया है. इससे पहले के शोध का सहारा लेते हुए शोधकर्ताओं ने 6 की तीव्रता वाले भूकंप को उत्पत्र किया. इसके बाद उन्होंने इस तरह के कई भूकंप उत्पत्र किये. इनका रेंज 2 से 6 के बीच था. उसके बाद जब कंप्यूूटर की मदद से इसका अध्ययन किया गया, तो उन्होंने पाया कि किस तरह भूकंपीय चक्र बदलता रहता है. कालटेक के शोधकर्ताओं ने बताया कि अभी इससे संबंधित शोध को आगे भी किये जाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि अगर शोध पूरी तरह सफल रहते हैं तो यह अनुमान लगाना भी संभव हो सकता है कि पृथ्वी के किस भाग में भूकंप आने की आशंका है. ऐसे लाखों लोगों की जान को बचाया जा सकता है. गौरतलब है कि भूकंप से संबंधित जोखिम का मौजूदा अध्ययन पैटर्न भूकंप आने के बाद की स्थितियों पर निर्भर है. लेकिन इसके बाद भूकंप आने की चेतावनी से संबंधित जानकारियां और उससे होने वाले असर का भी पता लगाना संभव हो सकता है. हालांकि, इस बारे में अभी पूरी तरह ठोस जानकारी नहीं दी जा सकती. संस्था का कहना है कि अभी उनका अध्ययन शुरुआती दौर में है और उन्होंने अभी भूकंप के दूरगामी असर यानी भूकंपीय क्षेत्र में इसके प्रभाव के बारे में ही अध्ययन किया है.
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