लखनऊ
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की प्राथमिकताओं पर अमल करते हुए प्रदेश की नई
सूचना प्रौद्योगिकी (आइटी) नीति का प्रारूप तैयार कर लिया गया है। आइटी
नीति-2012 में सूबे में आइटी गतिविधियों को नोएडा और ग्रेटर नोएडा के दायरे
से निकालकर लखनऊ, आगरा, कानपुर, इलाहाबाद, मेरठ, वाराणसी और सहारनपुर जैसे
दूसरे व तीसरे दर्जे के शहरों तक फैलाने का तानाबाना बुना गया है। पहले
चरण में लखनऊ और आगरा को आइटी हब विकसित करने की मंशा है।
लखनऊ और आगरा में आइटी सिटी विकसित करने के लिए आइटी कंपनियों को आकर्षक
दरों पर जमीन लीज पर दी जाएगी। कानूनी अड़चनें दूर करने के लिए राज्य सरकार
की एजेंसी कंपनियों को सिंगल विंडो क्लियरेंस की सुविधा देगी। प्रत्येक
आइटी सिटी 300 से 500 हेक्टेयर क्षेत्रफल में विकसित की जाएगी जो उपग्रहीय
नगर के समान होगी। इनमें वाणिज्यिक गतिविधियों के साथ आवासीय क्षेत्र,
शिक्षा, चिकित्सा सुविधा, रिटेल और मनोरंजन की सुविधाएं होंगी। आइटी सिटी
के लिए राज्य सरकार बिजली, जलापूर्ति, सीवेज व ड्रेनेज जैसी ट्रंक सुविधाएं
उपलब्ध कराएगी।
आइटी क्षेत्र में निवेश करने वाली छोटी कंपनियों को पांच वर्षों तक टर्म
लोन और कार्यशील पूंजी पर लगने वाले ब्याज पर 25 लाख रुपये की अधिकतम सीमा
के साथ 25 प्रतिशत छूट दी जाएगी। मझोली कंपनियों को 50 लाख रुपये की अधिकतम
सीमा के साथ ब्याज पर 15 फीसदी की छूट मिलेगी। वहीं बड़ी इकाइयों को 50
लाख रुपये से अधिक के निवेश पर पांच प्रतिशत दर से ब्याज भुगतान के बराबर
ब्याज सब्सिडी दी जाएगी। दूसरे और तीसरे दर्जे के शहरों में निवेश करने
वाली कंपनियों को अवस्थापना सुविधाओं के विकास और जमीन के दामों में 25
प्रतिशत की छूट दी जाएगी। वहीं नोएडा और ग्रेटर नोएडा में यह छूट सिर्फ 15
फीसदी होगी। दूसरे और तीसरे दर्जे के शहरों में जमीन खरीदने पर स्टांप
शुल्क और रजिस्ट्रेशन फीस में सौ फीसदी छूट मिलेगी। शर्त होगी कि कंपनी को
तीन वर्षों में उत्पादन शुरू कर देना होगा। उत्पादन शुरू करने से लेकर पांच
वर्षों तक वैट में 75 प्रतिशत छूट होगी। 250 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश
करने वाली कंपनियों को विशेष सहूलियतें दी जाएंगी। प्रशिक्षण और दक्षता
विकास पर खास जोर होगा। आइटीआइ और पॉलीटेक्निक संस्थानों को सार्वजनिक-निजी
सहभागिता (पीपीपी) मॉडल के आधार पर दक्षता विकास के लिए प्रोत्साहित किया
जाएगा।
आइटी क्षेत्र में युवाओं की क्षमता विकास के लिए राज्य सरकार पीपीपी मॉडल
के आधार पर लखनऊ और आगरा के आसपास दक्षता विकास केंद्रों की स्थापना करेगी।
सरकार अपने कर्मचारियों को सूचना प्रौद्योगिकी के लिहाज से शत-प्रतिशत
साक्षर करने के लिए आइटी साक्षरता अभिवृद्धि कार्यक्रम संचालित करेगी।
नागरिकों को भुगतान करने व राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, आदि हासिल करने
के लिए बहुद्देशीय स्मार्ट कार्ड उपलब्ध कराए जाएंगे।
राज्य सरकार आइटी में हिंदी और उर्दू के प्रयोग को बढ़ावा देने के विशेष
प्रयास करेगी और इसके लिए वेब एप्लिकेशंस विकसित किए जाएंगे। नागरिकों के
लिए जरूरी सभी सूचनाओं को वेबसाइट पर समयबद्ध तरीके से उपलब्ध कराया जाएगा।
साइबर क्राइम को रोकने के लिए ऑनलाइन सेक्योरिटी पर जोर दिया जाएगा। इसके
लिए उद्योग जगत के...साभार -दैनिक जागरण
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