Saturday 17 July 2021

दुकान Online

Practical Tips for starting Online Business


पार्ट-1: ऐसे करें शुरुआत

कोरोना की वजह से काफी लोगों की जॉब चली गई है। वहीं जिनकी कोई शॉप आदि है, लॉकडाउन में वह भी बंद रही जिसका असर आमदनी पर पड़ा। हालांकि इस मुश्किल में काफी बिजनेस ऐसे भी रहे जिन पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ा। ये बिजनेस ऑनलाइन चले और अब काफी ग्राहकों को पसंद आ रहे हैं। अब काफी लोग ऐसे हैं जो अपना बिजनेस ऑनलाइन करना चाहते हैं। छोटे स्तर पर ऑनलाइन बिजनेस कैसे करें या अपने ऑफलाइन बिजनेस को ऑनलाइन कैसे लाएं, इस बारे में एक्सपर्ट्स से जानकारी लेकर बता रहे हैं राजेश भारती

क्या है ऑनलाइन बिजनेस

ऑनलाइन बिजनेस का मतलब है कि इंटरनेट के जरिए लोगों को घर बैठे चीजें और सेवाएं खरीदने की सुविधा देना। मान लीजिए, अगर किसी को कोई शर्ट या जींस चाहिए, तो वह ई-कॉमर्स वेबसाइट जैसे Flipkart, Amazon आदि से ऑर्डर करता है और कुछ ही दिनों में वह शर्ट या जींस उसके घर डिलिवर हो जाती है। ठीक इसी प्रकार खाना या दूसरी चीजें भी लोगों को घर बैठे मिल जाती हैं। बिजनेस का यही मॉडल ऑनलाइन बिजनेस है। Myntra, MakeMyTrip, IndiaMART, Swiggy, Zomato, Magicbricks आदि ऑनलाइन प्लैटफॉर्म के उदाहरण हैं। इन प्लैटफॉर्म से जुड़कर भी आप अपना ऑनलाइन बिजनेस शुरू कर सकते हैं। ऑनलाइन बिजनेस के लिए किसी शॉप की भी जरूरत नहीं। घर बैठे ही ऑनलाइन बिजनेस किया जा सकता है। इसके लिए बहुत ज्यादा रकम की भी जरूरत नहीं पड़ती। इसके लिए जरूरी है तो एक कंप्यूटर, इंटरनेट और कंप्यूटर व इंटरनेट की जानकारी। ऑनलाइन बिजनेस के जरिए पूरी दुनिया में चीजों की बिक्री या सर्विस दी जा सकती है। इसका सीधा-सा मतलब होता है कि सामान ज्यादा बिकता है जिससे आमदनी भी ज्यादा होती है। अगर आपके पास अपना कोई भी प्रॉडक्ट नहीं है तो भी ऑनलाइन बिजनेस करने के बहुत से तरीके हैं। आप अपने टेलंट (टीचिंग, काउंसलिंग आदि) के जरिए भी घर बैठे ऑनलाइन बिजनेस शुरू कर सकते हैं।

कंपनी जरूरी नहीं, लेकिन...

ऑनलाइन काम शुरू करने का सोचते ही ज्यादातर लोगों के दिमाग में आता है कि उन्हें कंपनी का रजिस्ट्रेशन कराना होगा जिसके लिए बहुत सारी रकम की जरूरत पड़ेगी, जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। कोई भी शख्स कंपनी बनाए बिना या कंपनी रजिस्टर कराए बिना छोटे स्तर पर काम शुरू कर सकता है। हालांकि अगर कोई शख्स कंपनी बनाकर ही काम करना चाहता है तो वह कर सकता है। कंपनी कई तरह की बनाई जा सकती है। ज्यादा जानकारी के लिए किसी सीए से संपर्क करें। कंपनी बनाने के कुछ फायदे इस प्रकार हैं:

- कंपनी रजिस्टर कराते समय फर्म या कंपनी का जो भी नाम होगा, उस नाम का इस्तेमाल कोई दूसरा नहीं कर सकता।

- कंपनी बनाने वाला शख्स आगे चलकर अगर अपनी कंपनी का विस्तार करना चाहे, तो उसे कोई परेशानी नहीं होगी।

- कंपनी की जरूरत के लिए लोन लेना बहुत आसान हो जाता है।

...तो GST रजिस्ट्रेशन काफी

अगर कोई शख्स ऐसा बिजनेस शुरू कर रहा है जिसका सालाना टर्नओवर (कुल बिक्री) 40 लाख रुपये से ज्यादा है तो GST रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है। हालांकि सर्विस सेक्टर के लिए यह रकम सिर्फ 20 लाख रुपये है। मान लीजिए कि अगर आप टीचिंग या कोई काउंसलिंग शुरू कर रहे हैं और टर्नओवर 20 लाख रुपये से ज्यादा है तो GST रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा। ये सेवाएं सर्विस सेक्टर में आती हैं। वहीं अगर कोई शख्स कोई सामान बेच रहा है तो यह चीजें गुड्स सेक्टर में आती हैं। अगर गुड्स सेक्टर में सालाना टर्नओवर 40 लाख रुपये से ज्यादा है, तभी GST रजिस्ट्रेशन जरूर होता है।

यहां पड़ेगी GST की जरूरत

- अगर आप थर्ड पार्टी पोर्टल जैसे Flipkart, Amazon, Swiggy, Zomato आदि के जरिए अपना सामान बेचना चाहते हैं।

- एक राज्य से दूसरे राज्य में सामान बेचने या खरीदने के लिए GST की जरूरत पड़ सकती है।

यहां नहीं पड़ेगी GST की जरूरत

- अपनी वेबसाइट बनाकर प्रॉडक्ट बेच रहे हैं या सर्विस दे रहे हैं।

- आप थर्ड पार्टी प्लैटफॉर्म पर किताबें या स्टेशनरी का सामान बेच रहे हैं।

ऐसे कराएं रजिस्ट्रेशन

GST रजिस्ट्रेशन खुद भी करा सकते हैं। इसके लिए PAN, आधार कार्ड (पते के लिए), बिजली का बिल और एक फोटो होना जरूरी है। आधार कार्ड पर छपा पता उस समय मान्य होगा जब बिजनेस घर से होगा। वहीं अगर किसी दुकान या गोदाम से बिजनेस करना चाहते हैं और दुकान या गोदाम आपके ही नाम है तो पते के रूप में दुकान या गोदाम के कागजों की फोटोकॉपी लगती है। अगर मकान या दुकान या गोदाम परिवार के किसी और सदस्य के नाम है तो उसे एक ऐफिडेविट देना होगा और उसमें लिखना होगा कि वह आपको बिजनेस करने के लिए अपने मकान या दुकान या गोदाम को इस्तेमाल करने की इजाजत दे रहा है या दे रही है। वहीं अगर किराए के मकान में रहते हैं तो रेंट एग्रीमेंट के साथ मकान मालिक के नाम का बिजली का बिल चाहिए।

अगर आपको GST से जुड़ी थोड़ी-सी भी जानकारी है तो ऑफिशल वेबसाइट gst.gov.in पर जाकर GST रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। वहीं अगर कोई परेशानी आए या GST से जुड़ी कोई जानकारी नहीं है तो बेहतर होगा कि GST रजिस्ट्रेशन के लिए किसी सीए की मदद लें।

GST रजिस्ट्रेशन का सबसे बड़ा फायदा: GST रजिस्ट्रेशन होने पर भी सरकार की तरफ से बिजनेस के लिए लोन, बिजनेस ट्रेनिंग आदि जैसी सुविधाएं मिल जाती हैं।

ऐसे करें ऑनलाइन बिजनेस

सारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब बारी आती है बिजनेस को ऑनलाइन मार्केट में उतारने की। ऑनलाइन मार्केट में उतरने के मुख्य तरीके 2 हैं। पहला- खुद की वेबसाइट बनाकर और दूसरा बिना वेबसाइट के।


पहला तरीका: वेबसाइट बनाना

वेबसाइट बनाकर बिजनेस करना सबसे अच्छा तरीका माना जाता है। इसमें आप अपने प्रॉडक्ट की लिस्टिंग और उनकी फोटो या विडियो भी पोस्ट करनी होती है। साथ ही वेबसाइट का पूरा कंट्रोल आपके ही हाथ में होता है। खुद की वेबसाइट बनाकर बिजनेस करने से कस्टमर और प्रॉडक्ट के बीच कोई भी थर्ड पार्टी नहीं होती। पेमंट का लेन-देन भी आपके और कस्टमर के बीच में ही रहता है। साथ ही किसी थर्ड पार्टी को कोई कमीशन भी नहीं देनी होती।

...लेकिन ये हैं नुकसान

- वेबसाइट बनाकर प्रॉडक्ट या सर्विस की पहुंच टार्गेट कस्टमर तक पहुंचाने में कुछ ज्यादा समय (6 महीने तक) तक लग सकता है।

- नई वेबसाइट पर कस्टमर आने में कुछ हिचकिचाता है। दरअसल, कई ऐसे मामले सामने आए हैं जहां से नई वेबसाइट से प्रॉडक्ट खरीदने के बाद कस्टमर ने खुद को ठगा-सा महसूस किया। कस्टमर को या तो खराब क्वॉलिटी वाला प्रॉडक्ट मिला या पेमंट करने के बाद भी उसे प्रॉडक्ट नहीं मिला या प्रॉडक्ट वापस करने के बाद उसे रकम नहीं मिली।

- वेबसाइट का प्रचार करना काफी महंगा होता है और यह खर्चा खुद उठाना पड़ता है।


ऐसे बनाएं वेबसाइट

वेबसाइट बनाना बहुत ही आसान है। वेबसाइट बनाने के लिए ये मुख्य स्टेप पूरे करने होंगे:


1. डोमेन नेम लेना

किसी भी वेबसाइट को बनाने से पहले उसके लिए एक डोमेन नेम (वेबसाइट का नाम जैसे flipkart.com आदि) खरीदना पड़ता है। डोमेन नेम हमेशा बिजनेस की नेचर के अनुसार ही खरीदें। हम अपनी पसंद का वही डोमेन नेम खरीद सकते हैं जो किसी ने खरीदा न हो। डोमेन नेम GoDaddy (godaddy.com), google (domains.google), BigRock (bigrock.com) आदि के जरिए डोमेन नेम खरीदा जा सकता है। साथ ही जो नाम आपको पसंद है, वह मौजूद है या नहीं, यह भी इन्हीं वेबसाइट से पता लगा सकते हैं।

कीमत: डोमेन नेम के पहले साल की फीस करीब 400 रुपये से शुरू होती है। हालांकि कुछ वेबसाइट्स 150 रुपये और कुछ फ्री में भी बेच रही हैं हालांकि इसमें कई तरह की शर्तें शामिल हैं। इन शर्तों में डोमेन नेम को कम से कम दो साल के लिए लेना भी है, डोमेन के साथ होस्टिंग लेना आदि। इसके बाद फीस में बदलाव मुमकिन।


2. होस्टिंग

होस्टिंग से मतलब क्लाउड स्पेस है यानी आपको वेबसाइट पर कितनी जगह चाहिए। इसमें वेबसाइट का डेटा होता है। यह 1 GB से लेकर 50 GB तक या इससे ज्यादा भी होता है। आप कितने पेज की वेबसाइट बनवाना चाहते हो, यह डेटा पर ही निर्भर करता है। अगर आपकी वेबसाइट में फोटो और विडियो ज्यादा होंगे तो ज्यादा डेटा स्टोर होगा। साथ ही अगर पेमंट गेटवे भी रखेंगे तो ज्यादा सिक्योरिटी चाहिए। इसके लिए SSL सर्टिफिकेट चाहिए, जिसे डोमेन बेचने वाली कंपनियों से ही ऑनलाइन खरीदा जा सकता है। पेमंट गेटवे से मतलब है कि कोई शख्स वेबसाइट से ही डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड आदि के जरिए ऑनलाइन भुगतान कर सकता है।

होस्टिंग 2 तरह की होती है-

शेयर्ड होस्टिंग: इस होस्टिंग से मतलब होता है कि सर्वर एक ही होगा और उससे बहुत सारी वेबसाइट कनेक्ट होंगी। इसमें सीमित स्पेस होता है। कोई भी शख्स 50 GB तक के स्पेस की होस्टिंग ले सकता है। इसे ऐसे समझें। मान लीजिए कि कोई एक घर है। उसमें बहुत सारे कमरे हैं। आप उन्हीं कमरों में से किसी एक कमरे में रहते हैं यानी पूरे घर में आपका कुछ हिस्सा है।

डेडिकेटेड होस्टिंग: इसे वर्चुअल प्राइवेट सर्वर (VPS) भी कहते हैं। इसमें किसी यूजर को पूरा सर्वर दे दिया जाता है। इसमें स्पेस की कोई लिमिट नहीं होती। flipkart और amazon जैसी वेबसाइट इसी होस्टिंग का इस्तेमाल करती हैं। इसे ऐसे समझें। कोई जमीन है, जिस पर मकान बना है। वह पूरा मकान आपको दे दिया गया यानी पूरा स्पेस आपको मिल गया।

कीमत: चूंकि आप छोटे स्तर पर बिजनेस शुरू करने जा रहे हैं। इसलिए आपके लिए शेयर्ड होस्टिंग ही ठीक रहेगी। इसकी कीमत 10 GB के लिए 2500 रुपये सालाना से शुरू होती है। हालांकि कीमत इस बात पर भी निर्भर करती है कि वेबसाइट का नेचर क्या है। अगर ई-कॉमर्स टाइप की वेबसाइट है तो उसके लिए ज्यादा स्पेस की जरूरत पड़ेगी। और फिर उसका सालाना खर्चा भी ज्यादा होगा। वैसे, जितने ज्यादा साल के लिए होस्टिंग लेंगे, यह उतनी ही सस्ती पड़ती है। अगर आप 5 साल के लिए होस्टिंग लेते हैं तो इसकी कीमत आधी भी हो सकती है। वहीं SSL सर्टिफिकेट की कीमत 1 हजार रुपये से शुरू होती है, जो 50 हजार रुपये तक हो सकती है।


3. कंटेंट

होस्टिंग के बाद जरूरत होती है वेबसाइट पर कंटेंट और फोटो-विडियो अपलोड करने की। आप अपने ग्राहक को क्या दिखाना चाहते हैं और क्या पढ़ाना चाहते हैं, यह इसी स्टेप में आता है। मान लीजिए, अगर आप खाने की थाली बेचना चाहते हैं, तो खाना क्या है, थाली में क्या-क्या आइटम हैं आदि के बारे में वेबसाइट के पेज पर लिखना होगा। इस काम को अगर आप खुद करें तो बेहतर है। हालांकि यह काम किसी को सौंपा भी जा सकता है।

कीमत: कंटेंट की कीमत के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। कीमत प्रति शब्द 1 रुपये या इससे ज्यादा भी हो सकती है।


4. डिजाइन

सारी चीजें तैयार होने के बाद अब बारी आती है वेबसाइट को डिजाइन कराने की। अगर आपको तकनीक की थोड़ी-सी भी जानकारी है तो आप खुद भी वेबसाइट का डिजाइन कर सकते हैं। इसके लिए तैयार टेम्पलेट आते हैं। वहीं आप चाहते हैं कि डिजाइन बढ़िया बने, तो इसके लिए फ्रीलांसर या एजेंसी से संपर्क कर सकते हैं। सोशल मीडिया पर बहुत सारे वेब डेवेलपर हैं। इसकी भी मदद ली जा सकती है। वेबसाइट का डिजाइन यूजर फ्रेंडली होना चाहिए ताकि यूजर हर चीज को आसानी से समझ सके।

कीमत: वेबसाइट डिजाइन कराने की कीमत 5 हजार से 5 लाख रुपये तक हो सकती है। यह एक बार ही खर्च होता है, लेकिन वेबसाइट का डिजाइन जितनी बार बदलवाएंगे, उसकी बार रकम खर्च करनी पड़ सकती है।

इन स्टेप्स के बाद वेबसाइट तैयार हो जाती है।


5. मेंटिनेंस

वेबसाइट तैयार होने के बाद भी वेबसाइट के मेंटिनेंस की जरूरत पड़ती है। दरअसल, समय के साथ-साथ टेक्नॉलजी में भी बदलाव होते हैं। टेक्नॉलजी अपग्रेड भी होती रहती है। साथ ही वेबसाइट पर आए दिन साइबर हमले भी होते हैं। इन सबको संभालने के लिए मेंटिनेंस की जरूरत होती है।

कीमत: 5 हजार रुपये से 50 हजार रुपये सालाना

नोट: बहुत सारी वे कंपनियां जो डोमेन नेम बेचती हैं जैसे GoDaddy आदि, वे भी वेबसाइट तैयार करने की पूरी सुविधाएं देती हैं। इन कंपनियों से भी संपर्क कर सकते हैं। छोटे बिजनेस के लिए ये कंपनियां समय-समय पर खास पैकेज ऑफर करती रहती हैं।

ऐप है तो ऐश है

किसी भी वेबसाइट की ऐप होना भी आज बहुत जरूरी हो गया है। अगर आप अपनी ई-कॉमर्स या इस तरह की दूसरी वेबसाइट बनवा रहे हैं तो बेहतर होगा कि उसकी ऐप भी बनवाएं। इन ऐप को स्मार्टफोन में डाउनलोड करना होता है। आज का यूथ ऐप के जरिए खरीदारी करना आसान समझता है और वह मोबाइल में इंस्टॉल ऐप के जरिए कहीं से भी ऑर्डर बुक कर सकता है या किसी भी सर्विस का लाभ ले सकता है।

कीमत: ऐंड्रॉइड या iOS प्लेटफॉर्म के लिए ऐप बनाने के खर्चे की शुरुआत 1 लाख रुपये से होती है। यह कीमत कितनी भी हो सकती है। 2 लाख, 3 लाख या 5 लाख। इसकी कीमत वेबसाइट के मुकाबले इसलिए ज्यादा है कि ऐप के लिए डेडिकेटेड सपोर्ट की आवश्यकता होती है। साथ ही ऐप के लिए मेंटिनेंस टीम हर समय चाहिए। यही नहीं, अगर एेंड्रॉइड या iOS का कोई वर्जन अपग्रेड होता है तो टीम को ऐप को भी तुरंत अपग्रेड करना होता है।

कीमत: ऐप बनाने का खर्च करीब 1 लाख रुपये से शुरू होता है और इस खर्च के खत्म होने की कोई सीमा नहीं है।

दूसरा तरीका: बिना वेबसाइट बनाए

ऑनलाइन बिजनेस में बिना वेबसाइट बनाकर भी उतर सकते हैं। बिना वेबसाइट के मार्केट में उतरने के ये निम्न रास्ते हैं:


थर्ड पार्टी पोर्टल का इस्तेमाल करके

थर्ड पार्टी पोर्टल जैसे Flipkart, Amazon, Myntra, Swiggy, Zomato आदि का इस्तेमाल करके भी ऑनलाइन बिजनेस किया जा सकता है। इन प्लेटफॉर्म में सैकड़ों सेलर हैं जो कोई न कोई प्रॉडक्ट बेचते हैं। जरूरी नहीं कि इन प्लेटफॉर्म पर अपने ही प्रॉडक्ट बनाकर बेचे जाएं। आप किसी कंपनी से थोक में सामान खरीदकर उसे इन प्लेटफॉर्म के जरिए बेच सकते हैं। वहीं सर्विस सेक्टर की बात करें तो मेडिकल से जुड़े थर्ड पार्टी पोर्टल जैसे Practo, DocsApp, 1mg आदि से जुड़कर भी ऑनलाइन बिजनेस कर सकते हैं। अगर आप Flipkart और Amazon जैसी ई-कॉमर्स वेबसाइट से जुड़कर बिजनेस करना चाहते हैं तो सबसे पहले इन वेबसाइट पर अकाउंट बनाकर रजिस्ट्रेशन कराना होता है। थर्ड पार्टी पोर्टल पर बिजनेस के लिए इन चीजों की जरूरत पड़ती है:

- फोन नंबर n ई-मेल आईडी n GST रजिस्ट्रेशन नंबर

- बैंक अकाउंट नंबर और IFSC कोड (यह बैंक की पासबुक पर लिखा होता है)

ऐसे करें शुरुआत

मान लीजिए, आप Amazon के जरिए कोई प्रॉडक्ट बेचना चाहते हैं तो Amazon पर प्रॉडक्ट बेचने की प्रक्रिया इस प्रकार है:

अकाउंट बनाना

- Amzon की ऑफिशल वेबसाइट amazon.in पर जाएं।

- लगभग राइट साइड में ऊपर की तरफ लिखे Hello, sign in Account & Lists पर क्लिक करें।

- अब एक नया पेज खुलेगा। इसमें नीचे की ओर लिखे Create your Amazon account पर क्लिक करें।

- अब फिर से नया पेज खुलेगा। यहां आपको अपना नाम, फोन नंबर, ई-मेल टाइप करना होगा। ई-मेल के ठीक नीचे पासवर्ड बनाना होगा। यह पासवर्ड ई-मेल वाला नहीं होना चाहिए। इस पासवर्ड के जरिए आप ऐमजॉन के अकाउंट को खोल या बंद कर पाएंगे।

- सारी चीजें भरने के बाद इसी पेज के नीचे पीले रंग की पट्टी में लिखे Continue पर क्लिक कर दें। अब फोन नंबर पर OTP आएगा।

- अब नया पेज खुलेगा। इसमें फोन नंबर पर आए OTP को टाइप करना होगा।

- OTP टाइप करने के बाद इसके ठीक नीचे पीले रंग की पट्टी में लिखे Create your Amazon account पर क्लिक करें।

- अब आप Amazon के होम पेज पर पहुंच जाएंगे। शुरू में जहां Hello, sign in Account & Lists लिखा हुआ था, वहां अब sign in की जगह आपका नाम लिखा हुआ दिखाई देगा। इसका मतलब है कि आपका Amazon पर अकाउंट बन गया है।


सेलर अकाउंट बनाना

- अकाउंट बनने के बाद अगर आपने उसे Sign Out नहीं किया है तो जहां Hello, sign in Account & Lists लिखा हुआ था, वहां क्लिक करें।

- अब नया पेज खुलेगा। यहां आपको कुछ बॉक्स बने हुए दिखाई देंगे, जिनमें अलग-अलग पॉइंट्स लिखे होंगे। एक बॉक्स में आपको Other accounts लिखा दिखाई देगा। इसके ठीक नीचे दूसरा पॉइंट Seller account का होगा। इस पॉइंट पर क्लिक करें।

- फिर से नया पेज खुलेगा। यह पेज सेलर के लिए है। यहां ऊपर की तरफ राइट साइड में और दो जगह और पीले रंग के बॉक्स में Start selling लिखा दिखाई देगा। इस पर क्लिक करें।

- अब जो भी जानकारी मांगी जाए, उसे भरते जाएं। पूरी प्रक्रिया होने में करीब 30 मिनट लगती हैं। प्रक्रिया पूरी होने के 24 घंटे के भीतर ऐमजॉन की ओर से कॉल आता है। कॉल करके ऐमजॉन की ओर से प्रॉडक्ट वेबसाइट पर लिस्ट करना और वेयरहाउस आदि की पूरी जानकारी दी जाती है। सारी प्रक्रिया पूरी होने में 2 से 3 दिन का समय लग सकता है। इसके बाद आपके प्रॉडक्ट ऐमजॉन की वेबसाइट पर दिखने और बिकने शुरू हो जाएंगे।

थर्ड पार्टी पोर्टल के फायदे

- वेबसाइट या प्रॉडक्ट के प्रचार के लिए खुद एक भी पैसा खर्च नहीं करना पड़ता। सारा खर्च वेबसाइट कंपनी की ओर से होता है।

- समय-समय पर ऑफर आते रहते हैं जिससे बिक्री बढ़ती रहती है।

- किसी दुकान या गोदाम की जरूरत नहीं। घर से भी काम कर सकते हैं।

थर्ड पार्टी पोर्टल के नुकसान

- प्रॉडक्ट बिकने से आई रकम को ये कंपनियां तुरंत सेलर को नहीं देतीं। 15 या 1 महीने तक की बिक्री का पैसा थर्ड पार्टी पोर्टल के पास ही होता है। इसके बाद अपनी कमीशन काटकर रकम को सेलर के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर देती हैं।

- कमीशन के रूप में कमाई का एक हिस्सा (30% तक) थर्ड पार्टी पोर्टल के पास चला जाता है।

सोशल मीडिया का इस्तेमाल करके

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम आदि के जरिए भी बिना वेबसाइट बनाए बिजनेस किया जा सकता है। बिजनेस के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल इस प्रकार करें:

फेसबुक: फेसबुक पेज बनाकर आप अपने बिजनेस को नई ऊंचाई पर पहुंचा सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि फेसबुक के कवर फोटो से लेकर प्रॉडक्ट के फोटो तक, सारी चीजें अप-टू-डेट और आकर्षित होनी चाहिए। मान लीजिए, आप घर पर बर्थडे केक बनाते हैं और अपने इस बिजनेस को फेसबुक के जरिए लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं तो इसके लिए सबसे पहले केक की अच्छी फोटो फेसबुक पेज पर लगानी जरूरी होंगी। बेहतर होगा कि केक के घर पर छोटे-छोटे (2 से 3 मिनट के) विडियो बनाएं और उन्हें भी पोस्ट करें। साथ ही फोटो या विडियो के साथ कम शब्दों में जोरदार टेक्स्ट भी जरूर लिखें। आप चाहें तो फेसबुक पेज की पोस्ट को बूस्ट भी करवा सकते हैं। बूस्ट का मतलब है कि फेसबुक आपकी उस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाता है। हालांकि इसके लिए फेसबुक कुछ पैसे लेता है। 7 दिन के लिए फेसबुक करीब 1 हजार रुपये लेता है। इस दौरान फेसबुक आपकी उस पोस्ट को रोजाना 100 से 300 लोगों तक पहुंचाएगा।

इंस्टाग्राम: अपने बिजनेस से जुड़े फोटो और विडियो को इंस्टाग्राम पर शेयर करके भी ज्यादा से ज्यादा लोगों पर प्रॉडक्ट पहुंचाया जा सकता है। आप चाहें तो इन्फ्लूएंसर की भी मदद ले सकते हैं। इंस्टाग्राम पर ऐसे काफी मॉडल (मेल/फीमेल) हैं जो इन्फ्लूएंसर हैं। इनके लाखों में फॉलोवर्स होते हैं। इनने संपर्क करके प्रॉडक्ट का एड करवाया जा सकता है। ये उस एड को अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर करते हैं, जिससे प्रॉडक्ट के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को पता चलता है। इस एड के बदले में ये इन्फ्लूएंसर कुछ रकम भी लेते हैं। ये रकम प्रति फोटो 10 हजार रुपये तक हो सकती है।

वॉट्सऐप: आज लगभग हर स्मार्टफोन यूजर वॉट्सऐप का इस्तेमाल करता है। किसी एक शहर या सीमित दायरे में बिजनेस फैलाने के लिए वॉट्सऐप सबसे अच्छा माध्यम है। मान लीजिए, अगर आप कोई डिश बनाकर बेचना चाहते हैं तो इसमें वॉट्सऐप काफी मददगार साबित होता है। आप अपने वॉट्सऐप प्रोफाइल पर डिश की फोटो लगाकर रखें। साथ ही कोई भी ऑर्डर देते समय एक पर्चा जरूर साथ में रखें जिसमें आपकी डिश और दूसरी सर्विस (अगर है तो) के बारे में लिखा हो। इस पर्चे पर बड़े-बड़े अक्षरों में वॉट्सऐप नंबर लिखवाएं और साथ में यह भी लिखें 'ऑर्डर के लिए इस नंबर XXXXXXXXXX पर वॉट्सऐप करें'। कस्टमर का नंबर सेव करके उसे नई-नई डिश और ऑफर्स के बारे में भी अपडेट करते रहें। ध्यान रखें कि वॉट्सऐप पर कभी भी कस्टमर्स का ग्रुप न बनाएं। नहीं तो लोग परेशान हो जाएंगे और ऑर्डर देना भी बंद कर सकते हैं।


यू-ट्यूब: अगर आपका ऑनलाइन बिजनेस विडियो से जुड़ा है तो बिजनेस को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने का सबसे अच्छा माध्यम यू-ट्यूब है। यहां विडियो अपलोड करके बिजनेस की ग्रोथ को काफी बढ़ा सकते है।


एक्सपर्ट पैनल

- निखिल अरोड़ा, मैनेजिंग डायरेक्टर और वाइस प्रेजिडेंट, GoDaddy India

- सुशील अग्रवाल, CA, पार्टनर, ASAP & Associates

- अंबेश तिवारी, फाउंडर & डायरेक्टर, BDA Technologies Pvt Ltd

- नीरज धवन, बिजनेस हेड, Vrozart Health

- परिमल शाह, फाउंडर और CEO, Cherise India Pvt Ltd


संडे नवभारत टाइम्स में प्रकाशित, 11.07.2021

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