Friday 28 May 2021

शुरू हुआ स्पेस टूरिज्म का किस्सा

चंद्रभूषण

अर्से बाद अमेरिका से एक नई इंडस्ट्री की शुरुआत होने जा रही है। स्पेस टूरिज्म खुद में दुनिया के लिए कोई अनूठी बात नहीं है। अभी तक सात लोग बाकायदा पैसे देकर अंतरिक्ष पर्यटन का आनंद भी ले चुके हैं। लेकिन फिलहाल जो किस्सा शुरू हो रहा है वह पहले से बिल्कुल अलग है। बीते रविवार रंग-रंगीले अंग्रेज व्यापारी रिचर्ड ब्रैंसन की कंपनी वर्जिन गैलेक्टिक के विशेष यान स्पेसशिप-2 ने बिना कोई गलती किए समुद्रतल से 85 किलोमीटर की ऊंचाई हासिल की। और उससे बड़ी बात यह कि दोनों पायलट स्पेसशिप को कैलिफोर्निया स्थित एक्सक्लूसिव अड्डे स्पेसपोर्ट में सुरक्षित उतार लाए। उड़ान से संबंधित सारा डेटा कंपनी ने अमेरिकी नियामक संस्था फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन के पास जमा कर दिया है। वहां से कारोबारी लाइसेंस मिल गया तो कुछ और परीक्षण उड़ानों के बाद अगले साल तक हमें वर्जिन गैलेक्टिक की कमर्शल अंतरिक्ष यात्राएं देखने को मिल सकती हैं।

नीचे धीरे-धीरे घूमती हुई नीली-भूरी-सुनहरी धरती, ऊपर निपट काला आसमान और कहीं बीच में बिना चौंध वाले बड़े बल्ब की तरह लटका सूरज या चंद्रमा। कुछेक मिनटों के इस अविस्मरणीय अनुभव के लिए वर्जिन गैलेक्टिक ने ढाई लाख डॉलर का टिकट लगा रखा है। पहले यह रकम दो लाख डॉलर थी, 2018 में बढ़ाकर ढाई की गई। ऐन मौके पर आई कुछ सुरक्षा अड़चनों के चलते पिछली बार कारोबार की तारीख आगे बढ़ाने से ठीक पहले तक कंपनी के पास सात सौ ग्राहकों की लिस्ट मौजूद थी। यह लिस्ट इंटरनेट पर मौजूद है और इसमें किसी ने भी पिछले तीन वर्षों में अपना नाम कटाना जरूरी नहीं समझा है। रविवार की परीक्षण उड़ान सफल होते ही वर्जिन गैलेक्टिक के शेयर 28 प्रतिशत चढ़ गए, जो बताता है कि बाजार को इसके संभावित यात्रियों की लिस्ट और बढ़ने की उम्मीद है। जब तक परिभाषा में कोई बदलाव नहीं होता तब तक हर स्पेस टूरिस्ट को ‘एस्ट्रोनॉट’ का दर्जा भी मिलेगा। यह रुतबा हासिल करने के लिए दुनिया भर के एडवेंचर प्रिय अमीर ढाई लाख डॉलर, भारतीय मुद्रा में कहें तो पौने दो करोड़ रुपये खर्च करने में कोई कोताही नहीं बरतेंगे।

ध्यान रहे, इस अंतरिक्ष पर्यटन को सब-ऑर्बिटल स्पेस टूरिज्म की श्रेणी में रखा गया है। यानी कृत्रिम उपग्रहों की कक्षा से नीचे की अंतरिक्ष यात्रा। उपग्रहों की कक्षा के लिए कोई ऊंचाई निर्धारित नहीं गई है लेकिन धरती से 76 मील यानी 122 किलोमीटर की ऊंचाई उनके लिए सुरक्षित नहीं मानी जाती। कारण यह कि हवा का थोड़ा-बहुत घर्षण वहां तक मौजूद होता है। 50 मील यानी 80 किलोमीटर की ऊंचाई तक आ जाने के बाद उनका जलकर नष्ट हो जाना तय माना जाता है और अमेरिकी प्रशासन ने इसी ऊंचाई को वह सीमा मान रखा है, जिससे ऊपर के इलाके को अंतरिक्ष कहा जाता है। अंतरिक्ष का साझा, शांतिपूर्ण उपयोग करने पर ग्लोबल सहमति है। यानी अमेरिका के आकाश में 50 मील से ज्यादा ऊंचाई पर कोई यान अगर खुलेआम उसकी जासूसी करता है तो भी कानूनन वह उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकता। ढाई लाख डॉलर खर्च करके आप इसी अंतरिक्ष का पाला छूकर आ सकते हैं। दुनिया को यह सुविधा इतने सस्ते में पहली बार हासिल होने जा रही है।

जो अंतरिक्ष यात्रा रूसी रॉकेटों के जरिये सदी के शुरुआती वर्षों में सात सुपर-अमीरों ने कर रखी है, वह ऑर्बिटल स्पेस टूरिज्म है। उसमें आप नॉन-रीयूजेबल रॉकेट से धरती की कक्षा में जाते हैं, इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन या किसी और स्पेस होटल में कुछ दिन ठहरते हैं, इस दौरान धरती का गोला अपने सामने कई बार काला और सुनहरा होते देखते हैं, विशेष आग्रह और तैयारी के साथ स्पेस-वॉक भी करते हैं और इसके एवज में आपको लगभग ढाई करोड़ डॉलर देने पड़ते हैं। ‘लगभग’ इसलिए कि काफी समय से यह धंधा बंद है। जब चल रहा था तब इसका टिकट अलग-अलग मांग के मुताबिक दो से ढाई करोड़ डॉलर रखा गया था। तब से अगली ऑर्बिटल यात्राओं का सिलसिला शुरू होने तक यह कुछ न कुछ बढ़ेगा ही। इससे ऊंचे स्तर का एक और स्पेस टूरिज्म ऑस्ट्रेलियाई मूल के चर्चित अमेरिकी उद्यमी एलन मस्क की कोशिशों से आकार ले रहा है। उनकी कंपनी स्पेस एक्स ने चांद का चक्कर लगाकर लौटने वाले लूनर स्पेस टूरिज्म का टिकट शुरू में सात करोड़ डॉलर रखा था लेकिन काम शुरू होने तक इसके दस करोड़ पहुंचने की बात खुद स्पेस एक्स की तरफ से ही कही जाने लगी है।

इनमें ऑर्बिटल और लूनर स्पेस टूरिज्म के लिए आपका सिर्फ सुपर-डुपर अमीर होना ही काफी नहीं है। ये यात्राएं रॉकेटों से ही की जा सकती हैं, जिनका झटका बर्दाश्त करना किसी सामान्य व्यक्ति के बूते से बाहर है। इसके लिए न केवल आपका पूर्णतः स्वस्थ और जवान होना जरूरी है बल्कि एक-दो वर्षों की अनिवार्य ट्रेनिंग से भी आपको गुजरना पड़ सकता है। जिन सात लोगों को अभी तक ऑर्बिटल टूरिज्म का सौभाग्य प्राप्त हुआ है, उन्हें स्पेस टूरिस्ट कहलाने में इतनी हेठी महसूस हुई कि उनके लिए ‘अंतरिक्ष सहयात्री’ जैसा एक शब्द गढ़ना पड़ गया। सब-ऑर्बिटल टूरिज्म और इन दोनों के बीच का अंतर समझने के लिए एक छोटे से ब्यौरे पर गौर करें। वर्जिन गैलेक्टिक के यान स्पेसशिप-2 को थोड़े समय तक 4,000 किलोमीटर प्रति घंटा तक की रफ्तार से भागने के लिए तैयार किया गया है। लेकिन धरती की कक्षा में जाने के लिए बनाई गई स्पेस शटल जब अंतरिक्ष से वापस लौटते समय वायुमंडल में प्रवेश करती थी तो उसकी रफ्तार 25,000 किलोमीटर प्रति घंटा हुआ करती थी।

जाहिर है, स्पेसशिप के साथ एक नई टेक्नॉलजी जुड़ी है जो बड़ी मशक्कत और वैज्ञानिक क्षमता के साथ, काफी जोखिम उठाते हुए, कई जानें गंवा लेने के बाद एक सामान्य मनुष्य को उसके रोजमर्रा के जीवन के बीच अंतरिक्ष का सीधा नजारा दिखाने के लिए तैयार की गई है। इसका श्रेय ऐरोस्पेस इंजीनियर बर्ट रूटन और माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक स्व. पॉल ऐलन को जाता है हालांकि रिचर्ड ब्रैंसन ने इसके पीछे जितना धीरज दिखाया है, उसके लिए उद्यमी जगत में उनका अलग मुकाम बना रहेगा। सबसे पहले बर्ट रूटन ने रॉकेटों की इस कमजोरी की ओर दुनिया का ध्यान खींचा कि इनको बहुत सारा ईंधन खुद को पृथ्वी के वातावरण के पार जाने में खर्च कर देना होता है। घर्षण से जुड़ा जोखिम अलग। और इनका इस्तेमाल इंसानी यात्रा में करना उसे दगती मिसाइल में भरकर फेंकने जैसा ही है। खर्चे की बात इसके बाद आती है। शटल के रूप में रॉकेट को रीयूजेबल बनाकर खर्चा कुछ बचा लिया जाए तो भी उसके जोखिम कम नहीं होते। ये सवाल अपने सामने रखकर वे प्रक्षेपण में जहाज के उपयोग की ओर गए।

इसके लिए दो जरूरतें उनके सामने थीं। एक ऐसा हल्का रॉकेट जो ईंधन समेत दस टन से ज्यादा भारी न हो और जिसको सब-ऑर्बिटल ऊंचाइयों से अत्यंत सुरक्षित ग्लाइडर की तरह जमीन पर उतारा जा सके। और एक ऐसा ताकतवर लेकिन हल्का जहाज जो इस रॉकेट को टांगकर 15 किलोमीटर की घर्षणहीन ऊंचाई तक ले जा सके, जो किसी जहाज के लिए चरम ऊंचाई भी है। ये दोनों काम सारे ब्यौरों के साथ बर्ट रूटन ने 2004 में ही संपन्न कर लिए थे। रिचर्ड ब्रैंसन ने वर्जिन गैलेक्टिक कंपनी बनाकर रूटन/एलन की स्पेसशिप कंपनी का अधिग्रहण इस उम्मीद में किया कि 2007 तक वे इसके टिकट बेचकर दो पैसे कमाने लगेंगे। लेकिन फिर एक के बाद एक खतरे और जोखिम सामने आते गए, दुर्घटनाएं होती गईं और बात खिंचते-खिंचते यहां तक चली आई। इस बीच दुनिया एक महामंदी से गुजरी, अमेरिका ने स्पेस शटल का संचालन बंद कर दिया और इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को एक साझा वैज्ञानिक संस्थान की सीमाओं से आजाद करके पूरी तरह स्पेस होटल में बदलने का फैसला कर लिया गया।

पिछले दस-पंद्रह वर्षों में ग्लोबल अर्थव्यवस्था का एक ट्रेंड यह भी दिखा है कि यह दिनोंदिन नीड-बेस्ड से हटकर ज्यादा से ज्यादा लग्जरी बेस्ड होती जा रही है। स्कूटर और सस्ती कारें बनाने वाले उद्योग बैठते जा रहे हैं जबकि महंगी कारों, घड़ियों और टॉप एंड मोबाइल फोनों का धंधा जोर पकड़ता जा रहा है। इसकी एक वजह यह हो सकती है कि इतनी ज्यादा आर्थिक विषमता दुनिया ने पहले कभी नहीं देखी। रिचर्ड ब्रैंसन और उनका वर्जिन ब्रांड पैसे वालों को कोई भी चीज महंगी से महंगी बेच लेने के हुनर के लिए जाना जाता है। उन्हें पता है कि सब-ऑर्बिटल स्पेस टूरिज्म जैसा महंगा कारोबार महामारी के माहौल में भी कैसे किया जा सकता है। वैसे उनकी योजना इस टेक्नॉलजी का इस्तेमाल अंतरिक्ष-दर्शन से आगे बढ़कर हाइपरसोनिक हवाई यात्राओं के लिए भी करने की है। ऑर्बिटल ऊंचाई हासिल करके लंबी यात्राओं का टाइम घटाने में धरती के घूमने का इस्तेमाल करने का कॉन्सेप्ट चर्चा में आ चुका है, हालांकि इसे धंधे-पानी के स्तर तक आने में एक दशक का समय और लग सकता है।

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