चंद्रभूषण
अंतरिक्ष में जारी रूसी गतिविधियों को लेकर अमेरिका इधर काफी डरा हुआ है। 25 नवंबर 2019 को रूस ने अपने जासूसी उपग्रह कॉस्मॉस 2542 को कक्षा में स्थापित किया। अगले महीने, दिसंबर में स्थापित अमेरिकी स्पेस कमान ने इसपर सख्ती से नजर रखी। लेकिन 11 फरवरी 2020 को उसकी ओर से एक विचित्र बयान आया कि इस उपग्रह ने अपने भीतर से एक और उपग्रह निकाल दिया, जिसका नाम कॉस्मॉस 2543 है और ये दोनों मात्र 100 मील की दूरी से एक अमेरिकी जासूसी उपग्रह का पीछा कर रहे हैं।
अमेरिकी हुकूमत ने इसके खिलाफ रूस से एतराज जताया। लेकिन अभी बीती 15 जुलाई को पता चला कि कॉस्मॉस 2543 से निकली कोई तीसरी चीज एक और रूसी उपग्रह के बगल से होकर गुजर गई! अमेरिकी स्पेस कमान ने उसे एंटी-सैटेलाइट मिसाइल कहा और इसे अंतरिक्ष के सैन्यीकरण का नमूना बताया, हालांकि इस चीज ने लक्षित रूसी उपग्रह को नष्ट नहीं किया। रूसियों का कहना है कि वह दूसरे उपग्रह से निकला तीसरा उपग्रह भर है, कोई मिसाइल नहीं।
पिछले दस-बारह सालों में अमेरिका, चीन, भारत और रूस ने जमीन से एंटी-सैटेलाइट मिसाइलों का सफल परीक्षण किया है, लेकिन सैटेलाइट से सैटेलाइट पर मिसाइल छोड़ने का यह पहला मामला है, भले ही घातक हो या न हो। अबतक माना जाता रहा है कि कक्षा में स्थापित होने पर कोई उपग्रह बाकी उपग्रहों से स्थिर दूरी बनाकर एक निश्चित रफ्तार से चलता रहता है। बाद में कचरा बनकर उधर ही घूमता है या धीरे-धीरे नीचे आकर नष्ट हो जाता है। यह पहला मौका है जब उपग्रह द्वारा उपग्रह का पीछा करने, मिसाइल मारने की बात सुनी जा रही है। क्या इसे हम अंतरिक्ष युद्ध की प्रस्तावना समझें?
अंतरिक्ष में जारी रूसी गतिविधियों को लेकर अमेरिका इधर काफी डरा हुआ है। 25 नवंबर 2019 को रूस ने अपने जासूसी उपग्रह कॉस्मॉस 2542 को कक्षा में स्थापित किया। अगले महीने, दिसंबर में स्थापित अमेरिकी स्पेस कमान ने इसपर सख्ती से नजर रखी। लेकिन 11 फरवरी 2020 को उसकी ओर से एक विचित्र बयान आया कि इस उपग्रह ने अपने भीतर से एक और उपग्रह निकाल दिया, जिसका नाम कॉस्मॉस 2543 है और ये दोनों मात्र 100 मील की दूरी से एक अमेरिकी जासूसी उपग्रह का पीछा कर रहे हैं।
अमेरिकी हुकूमत ने इसके खिलाफ रूस से एतराज जताया। लेकिन अभी बीती 15 जुलाई को पता चला कि कॉस्मॉस 2543 से निकली कोई तीसरी चीज एक और रूसी उपग्रह के बगल से होकर गुजर गई! अमेरिकी स्पेस कमान ने उसे एंटी-सैटेलाइट मिसाइल कहा और इसे अंतरिक्ष के सैन्यीकरण का नमूना बताया, हालांकि इस चीज ने लक्षित रूसी उपग्रह को नष्ट नहीं किया। रूसियों का कहना है कि वह दूसरे उपग्रह से निकला तीसरा उपग्रह भर है, कोई मिसाइल नहीं।
पिछले दस-बारह सालों में अमेरिका, चीन, भारत और रूस ने जमीन से एंटी-सैटेलाइट मिसाइलों का सफल परीक्षण किया है, लेकिन सैटेलाइट से सैटेलाइट पर मिसाइल छोड़ने का यह पहला मामला है, भले ही घातक हो या न हो। अबतक माना जाता रहा है कि कक्षा में स्थापित होने पर कोई उपग्रह बाकी उपग्रहों से स्थिर दूरी बनाकर एक निश्चित रफ्तार से चलता रहता है। बाद में कचरा बनकर उधर ही घूमता है या धीरे-धीरे नीचे आकर नष्ट हो जाता है। यह पहला मौका है जब उपग्रह द्वारा उपग्रह का पीछा करने, मिसाइल मारने की बात सुनी जा रही है। क्या इसे हम अंतरिक्ष युद्ध की प्रस्तावना समझें?
No comments:
Post a Comment