Saturday 16 November 2019

अलग तरह का जीवन

चंद्रभूषण
पृथ्वी पर जीवन का समूचा ढांचा सिर्फ दो रासायनिक अणुओं पर टिका है- डिऑक्सीराइबो न्यूक्लिक एसिड (डीएनए) और राइबो न्यूक्लिक एसिड (आरएनए)। इनमें भी जीवन का आधार पहला वाला ही है। किसी भी जैविक संरचना से जुड़ी सारी सूचनाएं इसमें संचित होती हैं और इसी के जरिये एक से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचती हैं। किसी बच्चे की नाक लंबी होगी या चपटी, रंग गोरा होगा या काला, यहां तक कि बड़ा होकर वह अकेलखोर निकलेगा या मिलनसार, यह सब सिर्फ और सिर्फ उसके डीएनए पर निर्भर करता है, जो उसे आधा-आधा उसकी मां और पिता से हासिल होता है।

इसके बरक्स आरएनए की भूमिका सीमित है। इसके अणु छोटे होते हैं और कोशिका के भीतर इनकी मुख्य भूमिका प्रोटीन बनाने के सूक्ष्म कारखानों राइबोजोम्स और न्यूक्लियस में स्थित डीएनए के बीच संदेशवाहक जैसी होती है। वैज्ञानिकों की एक बड़ी उत्सुकता यह है कि इन दो के अलावा क्या कोई तीसरे प्रकार का रासायनिक अणु भी हो सकता है, जिसे प्रकृति ने शुरू में ही जेनेटिक सामग्री के रूप में आजमाकर खारिज कर दिया हो।

कंप्यूटर पर इस दिशा में किया गया काम उन्हें 11 लाख 60 हजार से भी ज्यादा वैकल्पिक अणुओं के संधान की तरफ ले गया है, हालांकि प्रयोगशाला में इनके निर्माण और परीक्षण का काम अभी बाकी है। कण भौतिकी में ऐसा कहा जाता है कि जो हो सकता है, वह होता है। यानी जिस भी कण की प्रस्थापना दी जाती है, वह कभी न कभी खोज भी लिया जाता है। तो क्या भविष्य में किसी ग्रह-उपग्रह पर कोई गैर-डीएनए-आरएनए आधारित जीवन भी खोजा जा सकेगा?

1 comment:

  1. अति सुंदर लेख पढ़ कर बहुत अच्छा लगा Free Song Lyrics

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