Tuesday 23 July 2019

मुर्दा सितारों का महताण्डव

मुर्दा सितारों का महातांडव
चंद्रभूषण
ओजे-287 नाम का आकाशीय पिंड खगोलविज्ञानियों को 1891 से परेशान करता आ रहा है। शुरू में सिर्फ इतना पता था कि यह कोई ऐसी चीज है, जो हर 12 साल बाद बहुत धुंधली सी, लगभग प्लूटो जितनी बड़ी दिखाई पड़ती है, फिर यूं गायब हो जाती है, जैसे गधे के सिर से सींग। करीब एक सदी बाद, 1981 में पता चला कि यह चीज धरती से कम से कम साढ़े तीन अरब प्रकाश वर्ष दूर है। लेकिन अभी कुछ ही समय पहले ठीक-ठीक मापा गया कि इसकी जड़ में सूरज का 18 अरब गुना वजनी एक मरा हुआ तारा, ब्लैक होल है।

बहरहाल, कल्पना को भी धता बताने वाले इस ब्लैक होल के साथ एक बहुत बड़ी पेचीदगी भी जुड़ी है। सभी जानते हैं कि ब्लैक होल से रोशनी बाहर नहीं आती। यानी दिखने जैसा वहां कुछ होता ही नहीं। इसके होने का अंदाजा एक्स-रे की धाराओं और पड़ोसी पिंडों की गति से ही लगाया जाता है। तो फिर यहां बीच-बीच में जो दिखता है, वह क्या है? पाया गया कि इस नियमित दृश्य की वजह एक खास खगोलीय घटना है। ओजे-287 के कुछ-कुछ समय बाद दिखाई पड़ने का कारण यह है कि सूरज का 14 करोड़ गुना वजनी एक और ब्लैक होल इसकी परिक्रमा करते हुए निरंतर इसके करीब आ रहा है।

दूरी घटते जाने से इसका 12 वर्ष का परिक्रमा काल हर चक्कर में 20 मिनट कम होता जाता है। एक काफी लंबोतरी, दीर्घवृत्तीय कक्षा में प्रचंड गति से चलता हुआ यह छोटा ब्लैक होल जब भी बड़े वाले ब्लैक होल के इर्द-गिर्द फैली गैसों से होकर गुजरता है, एक भयानक विस्फोट होता है और इतनी ऊर्जा निकलती है कि इससे आप अगर सूरज से पृथ्वी की दूरी की 23 लाख 65 हजार 200 गुनी दूरी पर बैठे हों, तो भी यह आपको तंदूर की तरह सेंक डालेगा। दोनों मुर्दा तारों का यह महातांडव अभी 10 हजार साल और देखने को मिलेगा। उसके बाद संहारक मात्रा में ऊर्जा पैदा करते हुए दोनों मिलकर और भी बड़े लेकिन पूरी तरह अदृश्य ब्लैक होल में बदल जाएंगे।

जाहिर है, अभी हर बारह साल पर एक बार दिखने वाला ओजे-287 आगे चलकर और जल्दी-जल्दी दिखने लगेगा और उसका आकार तथा उसकी दृश्यता भी लगातार बढ़ती जाएगी। सम्भव है, सुदूर भविष्य में इसके अंतिम दौर में हम इसे कुछ समय तक शुक्र ग्रह जैसी या उससे भी चमकीली किसी स्थिर चीज की तरह देखें, जिसके तुरंत बाद इसका किस्सा हमारे लिए खत्म हो जाएगा। लेकिन दोनों इतने विशाल ब्लैक होलों के विलय का हमारे जीवन पर भी किसी तरह का प्रभाव पड़ सकता है या नहीं, इस बारे में वैज्ञानिकों की कोई निश्चित राय नहीं बन पाई है।

No comments:

Post a Comment