चंद्रभूषण
यूरोप के छोटे से मुल्क लग्जमबर्ग में इसी हफ्ते स्पेस कारोबार की शुरुआत हुई है। स्टार्ट-अप कंपनी प्लैनेटरी रिसॉर्सेज ने वहां के राजपरिवार के संरक्षण में ढाई करोड़ यूरो (करीब दो अरब रुपये) की बीज पूंजी के साथ क्षुद्र ग्रहों की खनन परियोजना पर काम शुरू कर दिया है। दिल्ली के पौने दोगुने क्षेत्रफल वाले इस यूरोपीय देश में न कोई स्पेस एजेंसी है, न ही इसने अबतक कोई रॉकेट छोड़ा है। हम जानते हैं कि क्षुद्र ग्रह सूरज के इर्द-गिर्द घूमने वाली छोटी-बड़ी चट्टानें हैं, जिन पर खनन छोड़िए, यान उतारना भी स्पेस टेक्नॉलजी की एक असाधारण उपलब्धि है। ऐसे में किनका दिमाग खराब हुआ होगा जिन्होंने इतनी बड़ी रकम इस हवाई धंधे में लगा दी?
दरअसल, यह सवाल ही बताता है कि हम लग्जमबर्ग के बारे में कुछ नहीं जानते। कारोबारी इनोवेशन इसकी पहचान है। पांच लाख की आबादी वाले इस मुल्क ने 1928 में प्राइवेट रेडियो और 1985 में सैटेलाइट टीवी शुरू कर दिया था। काले धन के लिए इसको अभी दुनिया की सबसे सुरक्षित जगह माना जाता है क्योंकि यहां की कंपनियों में पैसा लगाने वालों से ज्यादा सवाल नहीं पूछे जाते और टैक्स उन्हें बहुत कम देना पड़ता है। अंतरिक्ष यानों पर लागत लगातार घट रही है लिहाजा अगले कुछ वर्षों में क्षुद्रग्रहों से प्लैटिनम निकालना मुनाफे का काम हो सकता है। बाकी दुनिया के लिए अंतरिक्ष अब भी पवित्र जगह है लेकिन लग्जमबर्ग ने पिछले महीने कानून बनाकर आकाश से खनिज लाना जायज बना दिया है।
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