Wednesday 21 October 2015

मंगल पर पानी होने के मायनें

नासा की बड़ी कामयाबी
मंगल ग्रह पर खारे पानी की ख़ोज
शशांक द्विवेदी
डिप्टी डायरेक्टर (रिसर्च), मेवाड़ यूनिवर्सिटी
अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने मंगल ग्रह पर खारे पानी के मौसमी प्रवाह के पुख्ता सबूत इकट्ठा किए हैं नासा के वैज्ञानिकों ने बकायदा प्रेस कांफ्रेंस करके यह जानकारी दी पत्रिका 'नेचर जियोसाइंस' में प्रकाशित एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने कुछ ढलानों पर गर्मी के मौसम में बनी धारियों का अध्ययन किया, जिसके बारे में पहले माना जाता था कि वे खारे पानी के बहने से बनी होंगी नासा ने दावा किया है कि मंगल ग्रह पर नमकीन पानी के तरल रूप में होने की पुष्टि की है, पहले पानी के जमे हुए रूप में होने का अनुमान था नासा के मुताबिक काली धारी की शक्ल में पानी के होने का पता चला धारियां अप्रैल-मई में बनीं, गर्मी में ये धारियां अच्छे से दिखने लगीं और अगस्त के अंत तक गायब हो गईं  अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में मंगल ग्रह पर पानी होने की ख़ोज कई मायनों में बहुत महत्वपूर्ण है इससे मंगल पर जीवन होने की संभावनाओं के बारें में वैज्ञानिक ठीक से पता लगा सकेंगें एरिजोना यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान स्कॉलर लुजेंद्र ओझा को पहली बार इस बात के सबूत मिले थे कि मंगल पर लिक्विड फॉर्म में पानी मौजूद है


पानी के पुख्ता सबूत –जीवन की संभावना !!
नासा ने अपने मुख्यालय में जेम्स वेब ऑडिटोरियम में एक प्रेस कांफ्रेस के दौरान इस खोज का पूरा विवरण भी दिया इस प्रेस कांफ्रेंस में अटलांटा के जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से जुड़े लुजेंद्र ओझा भी मौजूद थे  युनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना में प्लैनेटरी जियोलॉजी के प्रोफेसर अल्फ्रेड एस.मैकएवेन के मुताबिक, अध्ययन दल ने मंगल ग्रह पर पानीयुक्त अणुओं (परक्लोरेट) की पहचान की है मैकएवेन  के अनुसार "मंगल ग्रह पर खारे पानी का स्पष्ट तौर पर पता चला है."
लगभग 4.5 अरब साल पहले मंगल ग्रह पर अभी की तुलना में साढ़े छह गुना अधिक पानी और एक स्थूल वायुमंडल था अधिकांश पानी अंतरिक्ष में गायब हो गया और इसका कारण मंगल ग्रह पर पृथ्वी की तरह लंबे समय तक चुंबकीय क्षेत्र नहीं होना रहा नासा को प्राप्त मंगल की ताज़ा तस्वीरों में लाल ग्रह पर पानी के सबूत मिले हैं। ये तस्वीरें नासा ने अपने वेबसाइट पर सबके देखने के लिए जारी करीं। तस्वीर के विश्लेषण में सामने आया कि मंगल ग्रह की सतह पर पानी के बहने के निशान हैं और यह पानी अत्यंत खारा है। तरल पानी की मौजूदगी बताती है कि मंगल ग्रह पर जीवन खोजने की संभावना को और पुख़्ता करती हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि तस्वीरों के ज़रिए मंगल ग्रह पर देखी गई गहरी लकीरों को अब तरल पानी के सामयिक बहाव से जोड़कर देखा जा सकता है। उपग्रहों से मिला डाटा दर्शाता है कि चोटियों पर दिखने वाले ये लक्षण नमक की मौजूदगी से जुड़े हैं। मंगल ग्रह पर ऐसा नमक, पानी के जमने और वाष्प बनने के तापमान को भी बदल सकते हैं जिससे पानी ज़्यादा समय तक बह सकता है। मंगल पर पानी जमता तो पृथ्वी के समान ज़ीरो डिग्री सेल्सियस पर ही है, लेकिन कम दबाव के चलते 10 डिग्री सेल्सियस पर ही वाष्पित हो जाता है। पृथ्वी पर पानी 100 डिग्री सेल्सियस पर भाप बनता है। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा को सैटेलाइट से मिले डाटा से पता चलता है कि चोटियों पर दिखने वाली ये डार्क लाइन्स पानी और नमक के कारण बने हैं। नासा के इस खुलासे से मंगल ग्रह पर जीवन होने की नई उम्मीद जगी है।
सॉल्ट पेरोक्लोरेट की वजह
मार्स रिकानाससेंस ऑर्बिटर स्पेसक्राफ्ट को मंगल पर लिक्विड फॉर्म में सॉल्ट पेरोक्लोट होने के सबूत मिले हैं। इनकी वजह से मंगल ग्रह की सतह और ढलानों पर लकीरें बनी हुई हैं। सॉल्ट पेरोक्लोरेट मंगल पर लिक्विड फॉर्म में मौजूद है। इसकी वजह से मंगल ग्रह की सतह और ढलानों पर लकीरें बनी हुई हैं। पेरोक्लोरेट नाम का यह नमक -70 डिग्री सेल्सियस तापमान में भी पानी को जमने से बचाता है।
लुजेंद्र की बात पर लगी मुहर
मंगल पर पानी मिलने की संभावना इसलिए जोर पकड़ी थी, क्योंकि नासा ने इस अनाउंसमेंट में लुजेंद्र ओझा नाम के पीएचडी स्टूडेंट के शामिल होने की बात कही थी। 2011 में ग्रैजुएट कर चुके 21 वर्षीय लुजेंद्र ने मंगल पर पानी के संभावित लक्षण खोजे हैं। बता दें कि वैज्ञानिकों को मंगल के ध्रुवों पर जमे हुए पानी की जानकारी पहले से है।
ओझा ने बताया था, भाग्यशाली दुर्घटना
एरिजोना यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान ओझा को 'संयोगवश' पहली बार इस बात के सबूत मिले थे कि मंगल पर लिक्विड फॉर्म में पानी मौजूद है। प्लैनेट की सतह की तस्वीरों की स्टडी के बाद उन्हें इस बात के सबूत मिले थे। ओझा ने इस खोज को 'भाग्यशाली संयोग' बताते हुए कहा कि शुरुआत में उन्हें इसके बारे में समझ में नहीं आया। मंगल की सतह पर बने गड्ढों की कई साल तक स्टडी के बाद पता चला कि ये बहते पानी के कारण बने हैं।

40
साल पहले मिले थे पोल पर बर्फ के सबूत
मंगल पर पानी के सबूत मिलना कोई नई बात नहीं है। करीब चार दशक पहले इस प्लैनेट के पोल पर बर्फ की खोज की गई थी। इसके अलावा, ग्रह की सतह पर रगड़ के निशान इस ओर इशारा करते हैं कि लाखों साल पहले यहां समुद्र और नदियां रही होंगी। हालांकि, इस ग्रह पर कम ग्रैविटी और वहां के वायुमंडल के आधार पर माना जाता है कि ग्रह पर मौजूद पानी स्पेस में इवैपेरेट (वाष्पित) हो गया होगा। प्लैनेट पर लिक्विड पानी की यह पहली खोज है।

भौगोलिक रूप से सक्रिय है मंगल ग्रह
नासा का नया डाटा दर्शाता है कि मंगल ग्रह अभी भी भौगोलिक रूप से सक्रिय है वैज्ञानिकों का मानना है कि मंगल ग्रह पर देखी गई ग़हरी लकीरों को अब तरल पानी के सामयिक बहाव से जोड़कर देखा जा सकता हैअब मंगल ग्रह पर भविष्य में बस्तियां बसाने की कल्पना अब केवल कथा कहानियों तक सिमट कर नहीं रहेगी क्योंकि मंगल ग्रह की सतह पर पानी तरल अवस्था में देखा गया है जो जीवन के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके साथ ही ऐसी संभावनाएं बढ़ गयी हैं कि मंगल पर जीवन मिल सकता है।

नासा के खगोलीय विज्ञान विभाग के निदेशक जिम ग्रीन के अनुसार मंगल एक सूखा और बंजर ग्रह नहीं है जैसा कि पहले सोचा जाता था।उन्होंने कहा, ‘कुछ निश्चित परिस्थितियों में पानी तरल अवस्था में मंगल पर पाया गया है।वैज्ञानिक लंबे समय से यह अनुमान लगाते आ रहे थे कि कभी लाल ग्रह पर जीवन था। नासा ने कहा है कि तरल अवस्था में जल मिलने से यह संभव है कि वहां इस समय जीवन हो.   इसके बारे में सर्वाधिक रोमांचित करने वाली बात यह है कि मंगल के बारे में हमारा प्राचीन नजरिया और मंगल पर जीवन की संभावना, मंगल पर पूर्व में जीवन के बारे में रसायनिक जीवाश्म की खोज के बारे में रही है। सच्चाई यह भी है कि मंगल पर तरल अवस्था में जल की मौजूदगी, भले ही यह बेहद खारा पानी हो,यह इस बात की संभावना पैदा करता है कि , यदि मंगल पर जीवन है तो हमें यह बताने के लिए एक रास्ता मिला है कि यह जीवन वहां कैसे बना रहा। अब इस नयी खोज ने इस सवाल को ठोस आकार दे दिया है कि क्या इस ग्रह पर जीवन है और अब हम इस सवाल का जवाब दे सकते हैं।  नासा के विज्ञान अभियान निदेशालय के सहायक प्रशासक और अंतरिक्ष वैज्ञानिक जॉन ग्रुंसफेल्ड के अनुसार मंगल पर जल की मौजूदगी से मंगल पर मानव अभियान भेजना आसान हो जाएगा जिसे वर्ष 2030 तक भेजने की नासा की योजना है। ग्रुंसफेल्ड ने कहा, ‘सतह पर जिंदा रहने के लिए वहां संसाधन हैं।उन्होंने कहा कि पानी महत्वपूर्ण है लेकिन ग्रह पर अन्य महत्वपूर्ण तत्व भी हैं जैसे कि नाइट्रोजन जिसका इस्तेमाल ग्रीनहाउस में पौधो को उगाने के लिए किया जा सकता है।
मंगल पर पानी की मौजूदगी की यह घोषणा ब्लॉकबस्टर फिल्म द मार्सियनके रिलीज होने से पूर्व हुई है। इस फिल्म में मैट डेमोन मंगल ग्रह पर करीब एक महीने बिना भोजन के मरने के लिए छोड़ दिए जाने के बाद खुद को जिंदा रखते हैं। वैज्ञानिकों का लंबे समय से मानना रहा है कि कभी लाल ग्रह पर पानी बहता था और इसी से वहां घाटियां और गहरे दर्रे बने लेकिन तीन अरब साल पहले जलवायु में आए बड़े बदलावों के चलते मंगल का सारा रूप बदल गया।
फिलहाल वैज्ञानिक समूह मंगल के बारे में अपनी समझ को क्रांतिकारी आकार दे रहे हैं। इस ग्रह की सतह की खोज में जुटे रोवर्स ने यह भी पाया है कि इसकी मिट्टी पहले लगाए गए अनुमानों से कहीं अधिक नम है। मंगल की सतह पर चार साल पहले ढलानों पर गहरे रंग की रेखाएं देखी गयी थीं। वैज्ञानिकों के पास इसके सबूत नहीं थे लेकिन बाद में पाया गया कि ये रेखाएं गर्मियों में बढ़ जाती थीं और उसके बाद सर्दियां आते आते गायब हो जाती थीं। अब पता चला है कि ये असल में पानी की धाराएं हैं। लेकिन अब इसके सावधानीपूर्वक अध्ययन और विश्लेषण के बाद वैज्ञानिक यह कहने को तैयार हैं कि ये रेखाएं वास्तव में जल धाराएं हैं।कुलमिलाकर नासा द्वारा मंगल पर खारे पानी का पता लगाने की घोषणा कई मायनों में बहुत महत्वपूर्ण है और इससे मंगल ग्रह के विषय में कई तरह की जानकारी इकट्टा करने में मदत मिलेगी
मंगल पर मानव युक्त अंतरिक्ष अभियान की संभावना बढ़ी
मंगल पर पानी की मौजूदगी की पुष्टि होने के बाद अब वहां मानव अभियान भेजने की संभावना बढ़ गई है और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने इस पर तेजी से काम शुरू कर दिया है। मंगल पर मानव मिशन भेजने के लिए नासा ओरियनअंतरिक्ष यान बना रहा है जिसका पिछले साल परीक्षण किया गया था। यह यान अंतरिक्षयात्रियों को मंगल पर ले जाएगा और फिर सुरक्षित पृथ्वी पर लाएगा। ओरियन को दुनिया के सबसे शक्तिशाली रॉकेट स्पेस लांच सिस्टम के जरिये प्रक्षेपित किया जाएगा। पृथ्वी से मंगल तक की बेहद लंबी यात्रा के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों को भजदा रहने के लिए पानी, हवा और अनुकूल तापमान की जरूरत होगी।
नासा के इंजीनियर इसके लिए विश्वसनीय तकनीक विकसित कर रहे हैं जो अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में स्वस्थ रख सके। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर एनवायरमेंट कंट्रोल एंड लाइफ सपोर्ट सिस्टम विकसित किया गया है और ओरियन के लिए भी ऐसी ही प्रणाली बनायी जा रही है। यह प्रणाली कार्बन डाई ऑक्साइड को रिसाइकिल करके ऑक्सीजन में और मूत्र को पेयजल में बदल सकती है। आईएसएस में इंजीनियर और अंतरिक्ष यात्री लंबे अंतरिक्ष मिशनों के लिए एक फिल्टर प्रणाली का परीक्षण कर रहे हैं। इसमें अमीन आधारित एक रासायनिक यौगिक अंतरिक्ष के निर्वात के साथ मिलकर केबिन की हवा को सांस लेने लायक बनाने का प्रयोग चल रहा है।
मंगल की तरफ बढ़ रहे अंतरिक्ष यात्री और उनका यान पृथ्वी के वातावरण और चुम्बकीय क्षेत्र से बाहर होगा। ऐसे में उन्हें अंतरिक्ष में होने वाले विकिरण से बचाना भी एक बड़ी चुनौती होगी। नासा इस दिशा में काम कर रहा है। विकिरण से चालक दल की रक्षा के लिए हीट शील्ड यानी ऊष्मारोधी कवच के करीब एक अस्थायी शेल्टर होगा। पृथ्वी पर वापस लौटने के लिए ओरियन को ऊर्जा और प्रणोदक की जरूरत पड़ेगी। इस यान पर एक सर्विस मोड्यूल भी होगा ताकि जरूरत पडऩे पर इसकी दिशा ठीक की जा सके। यह मोड्यूल चालक दल को जरूरी ऊर्जा, ऊष्मा, पानी और हवा मुहैया कराएगा। नासा इसके लिए यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ईएसए के साथ मिलकर काम कर रहा है।
पिछले साल जब मानवरहित ओरियनका परीक्षण किया गया था तो इसकी हीट शील्ड करीब 4000 डिग्री फारेनहाइट के तापमान पर बेअसर रही थी। यह ऊष्मा उस समय पैदा हुई थी जब यान 20 हजार मील प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी की तरफ बढ़ा था। ओरियन का ऊष्मारोधी कवच टाइटेनियम से बना है जिस पर कार्बन फाइबर की परत चढ़ी है।

इसकी मोटाई 1.6 इंच है जो ओरियन के पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश करने के समय इसे जलने से बचाने का काम करेगी। ओरियन के पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश करने के बाद इसकी रफ्तार को कम करना बहुत बड़ी चुनौती है। पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश करने के बाद इसकी रफ्तार घटकर 325 मील प्रति घंटे रह जाएगी। इसे और कम करने के लिए 11 पैराशूटों का इस्तेमाल किया जाएगा। इनमें से तीन मुख्य पैराशूट तो इतने बड़े हैं कि इनसे फुटबाल का एक पूरा मैदान ढक जाएगा।

1 comment:

  1. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ब्लॉग बुलेटिन - आजाद हिन्द फौज का 72वां स्थापना दिवस में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

    ReplyDelete