शशांक द्विवेदी
दैनिक जागरण |
डिप्टी डायरेक्टर (रिसर्च), मेवाड़ यूनिवर्सिटी
दैनिक जागरण में प्रकाशित
शहरी भारत की नई तस्वीर
पिछले दिनों
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र सरकार की 2 सबसे महत्वपूर्ण और महत्वकांक्षी
परियोजना “डिजिटल इंडिया “ और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को लॉन्च किया। स्मार्ट सिटी
प्रोजेक्ट के अंतर्गत देश भर में 100 स्मार्ट सिटी का निर्माण किया जाएगा । इसके साथ ही 500 नगरों के लिए अटल शहरी पुनर्जीवन एवं परिवर्तन मिशन और 2022 तक शहरी क्षेत्रों में सभी के लिए आवास योजना भी लॉन्च हुई । इन परियोजनाओं के परिचालन दिशा-निर्देश, नियमों, लागू करने के ढांचे को केंद्र द्वारा राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, स्थानीय शहरी निकायों के साथ पिछले एक साल के दौरान की गई चर्चा के आधार पर
तैयार की गई हैं। पीएम मोदी ने कहा कि हर शहरी गरीब को इस लायक बनाया जाएगा कि
उनके पास अपना घर होगा। स्मार्ट सिटी प्रॉजेक्ट के कई फायदे हैं, एक ओर जहां इससे वर्ल्ड क्लास शहरों का निर्माण होगा, जीवन स्तर में सुधार आएगा वहीं रोजगार की दृष्टि से भी यह काफी अहम है। केंद्र
सरकार ने डिजिटल इंडिया मिशन के लिए 1,13,000 करोड़ का बजट रखा है
जबकि देशभर में 100 स्मार्ट सिटी बनाने के लिए 48000 करोड़ का बजट प्रस्तावित है ।
पीएम मोदी ने
यह भी स्पष्ट कर दिया है कि स्मार्ट सिटी परियोजना किसी भी राज्य पर थोपी नहीं
जाएगी। बल्कि उस शहर के लोगों को खुद फैसला करना होगा। सच्चाई यह है कि भारत की 40 फीसदी आबादी या तो शहरी केंद्रों में
रहती है या आजीविका के लिए इन पर निर्भर रहती है। शहरीकरण पर 25-30 साल पहले भी काम हो सकता था। शहरीकरण को एक अवसर के रूप में अगर देखा गया
होता तो आज स्थिति कुछ और होती। स्मार्ट सिटी परियोजना का मकसद उपलब्ध संसाधनों और
ढांचागत सुविधाओं का कुशल और स्मार्ट निदान अपनाने को प्रोत्साहित करना है ताकि
शहरी जीवन को बेहतर बनाया जा सके तथा स्वच्छ एवं बेहतर परिवेश उपलब्ध कराया जा सके।
स्मार्ट सिटी मॉडल :स्मार्ट लोग स्मार्ट शहर
दुनियाँ तेजी
से बदल रही है,ऐसे में शहर भी बदल रहें है । अब शहर भी स्मार्ट होते जा रहे है या फिर सरकार उन्हें स्मार्ट बनाना चाहती है
।ऐसे में सवाल उठता है कि स्मार्ट
सिटी आखिर होता क्या है? शायद ऐसी टाउनशिप जहां आपकी सभी जरूरतें पूरी हो जायें। आबू धाबी में मसदर से
लेकर दक्षिण कोरिया के सोंगदो तक दुनियाभर में ऐसे शहरों के निर्माण पहले ही शुरू
हो चुका है। हो सकता है कि आप जिस शहर में रह रहे हैं वो भी स्मार्ट करवट ले रहा
हो। भविष्य के शहर में बिजली के ग्रिड से लेकर सीवर पाइप, सड़कें, कारें और इमारतें हर चीज एक नेटवर्क से जुड़ी होगी। बिल्डिंग की बिजली अपने-आप
बंद हो जायेगी, ऑटोनोमस कार खुद पार्क हो जायेगी और यहां तक कि कूड़ादान भी स्मार्ट होगा।
लेकिन सवाल यह है कि हम इस स्मार्ट भविष्य में कैसे पहुंच सकते हैं? शहर में हर इमारत, बिजली के खंभे और पाइप पर लगे सेंसरों पर कौन निगरानी रखेगा और कौन उन्हें
नियंत्रित करेगा। आईबीएम, सीमन्स, माइक्रोसॉफ्ट,
इंटेल और सिस्को जैसी तकनीकी कंपनियां
शहर में पानी के लीकेज से लेकर वायु प्रदूषण और ट्रेफिक जाम तक हर समस्या को
सुलझाने के लिए सॉफ्टवेयर बेच रही हैं।
सिंगापुर, स्टॉकहोम और कैलिफोर्निया में आईबीएम यातायात के आंकड़े जुटा रही है और जाम लगने
के बारे में एक घंटे पहले ही भविष्यवाणी कर रही है। रियो में आईबीएम ने नासा की
तरह एक कंट्रोल रूम बना रखा है जहां स्क्रीनें पूरे शहर में लगे सेंसरों और कैमरों
से आंकड़े जुटाती हैं। आईबीएम के पास कुल मिलाकर दुनियाभर में 2500 स्मार्ट शहरों के प्रॉजेक्ट हैं। कंपनी का कहना है कि वो स्मार्ट शहर की अपनी
परियोजनाओं में लोगों को साथ लेकर चलती है। डबलिन में कंपनी ने सिटी काउंसिल के
साथ मिलकर पार्कया एप तैयार किया है जो लोगों को शहर में पार्किंग की जगह ढूंढने
में मदद करता है। अमरीकी शहर डुबुक में कंपनी स्मार्ट वाटर मीटर बना रही है और
कम्यूनिटी पोर्टल के जरिये लोगों को डेटा उपलब्ध करा रही है ताकि वे पानी की अपनी
खपत को देख सकें। चीन दर्जनों ऐसे नए शहर बसा रहा है जिसमें रियो की तरह कंट्रोल
रूम स्थापित किए जा रहे हैं।
स्मार्ट शहर की
कहानी में एक और अध्याय है और इसे एप, डीआईवाई सेंसर, स्मार्टफोन तथा वेब इस्तेमाल करने वाले लोग लिख रहे है। डॉन्ट फ्लश मी एक छोटा
डीआईवाई सेंसर और एप है जो अकेले दम पर न्यूयॉर्क की पानी से जुड़ी समस्याओं को
सुलझा रहा है। इसी तरह सेंसर नेटवर्क एग लोगों को शहर की समस्याओं के प्रति सचेत
कर रहा है। शोधों के मुताबिक हर साल 20 लाख लोगों की मौत वायु प्रदूषण के
कारण होती है। एग लोगों को सस्ते सेंसर बेचकर वायु की गुणवत्ता के बारे में आंकड़े
जुटा रहा है। लोग इन सेंसरों को अपने घरों के बाहर लगाकर हवा में मौजूद ग्रीन हाउस
गैसों, नाइट्रोजन ऑक्साइड और कार्बन मोनो ऑक्साइड के स्तर का पता लगा सकते हैं। इन
आंकड़ों को इंटरनेट पर भेजा जाता है जहां इन्हें एक नक्शे से जोड़कर दुनियाभर में
प्रदूषण के स्तर को दिखाया जाता है। अनुमान के मुताबिक साल
2050 तक दुनिया की 75 प्रतिशत आबादी शहरों में निवास करेगी जिससे यातायात व्यवस्था, आपातकालीन सेवाओं और अन्य व्यवस्थाओं पर जबर्दस्त दबाव होगा। इस समय जो स्मार्ट शहर बन रहे हैं वो बहुत छोटे हैं जैसे
कोई नमूना हो।
स्मार्ट सिटी बनानें में समस्याएं
भारतीय शहरों
को ‘स्मार्ट सिटी’ बना पाना आसान काम तो बिल्कुल नहीं होगा। सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि हमारे
ज्यादातर पुराने शहर अनियोजित हैं, उनकी सही मैपिंग उपलब्ध नहीं है। इन शहरों की 70 से 80 फ़ीसदी आबादी अनियोजित इलाकों में रहती है। इन इलाकों में लगातार आवाजाही
होती रही है। ऐसे में काम की शुरूआत भी कैसे कर पाएंगे। इससे तो लगता है कि नए शहर ही
बसाए जाएँ, जहां हर चीज़ कि प्लानिंग पहले से की गई हो। हमारे शहरों की संरचना और लोगों
के रहन-सहन में बड़ी जटिलता है। शहर की एक बड़ी आबादी पक्के मकानों में रहती है, जबकि लगभग उतनी ही आबादी सड़कों और झुग्गी-झोपड़ियों में रहती है। सरकार को ऐसे शहर बनाने चाहिए, जहां लोगों के रहन-सहन में थोड़ी समानता दिखे।
डिजिटल इंडिया से बनेगा स्मार्ट इंडिया
डिजिटल इंडिया के
सपने को साकार किये बिना स्मार्ट सिटी योजना को मूर्त रूप नहीं दिया जा सकता । आनलाइन और डिजिटल तकनीक मदद से न सिर्फ शहरी क्षेत्रों में प्राप्त होने वाली
सुविधाओं की गुणवत्ता को बढ़ाया जा सकेगा बल्कि साथ ही साथ उपयोग के संसाधनो के
खर्च को घटाया जा सकेगा तथा अधिक से अधिक लोगों तक इन सेवाओं को पहुंचाना भी आसान
हो सकेगा। भारत में बनने
जा रहे स्मार्ट सिटी में सरकारी सेवाओ की कार्यप्रणाली, परिवहन एवं ट्रैफिक व्यवस्था, विद्युत एवं पानी व्यवस्था, मेडिकल सेक्टर की सेवाओं और कूड़े कचरे आदि के प्रबंधन को तकनीक की मदद से
बेहतर बनाया जाएगा। सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग
स्मार्ट सिटी में विधुत उपयोग एवं इसके वितरण को बेहतर बनाने, शहर की सुरक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने, शहरो के बिज़नेस क्षेत्रो एवं कुछ
खुले क्षेत्रो में वाई-फाई व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए किया जाएगा।
स्मार्ट मीटर, क्लाउड कंप्यूटिंग तकनीक एवं वायरलेस सेंसर तकनीक की मदद से बिजली खपत की व्यवस्था को बेहतर बनाना एवं इसका सही
से प्रबंधन करना संभव हो सकेगा। बिजली खपत
जानने के लिए उपलब्ध स्मार्ट मीटर की मदद से बिजली प्रदानकर्ता और ग्राहक दोनों
तरफ की सही सही जानकरी मिल सकेगी, जिसकी मदद से उपयोगकर्ता अपनी आवश्यकता
के अनुसार ही बिजली खर्च कर पायेंगे। पावर प्लांट से शहरी क्षेत्रो में बिजली भेजने के लिए सामान्य पावर ग्रिड के स्थान पर पर 'स्मार्ट पावर ग्रिड' का उपयोग किया जाएगा। जिसकी मदद से न सिर्फ बिजली का सही प्रकार से वितरण हो
सकेगा बल्कि कटौती के समय बिजली का संग्रहण भी संभव हो सकेगा एवं इसके परिचालन, प्रबंधन में आने वाले खर्च को भी कम किया जा सकेगा। स्मार्ट सिटी में सूचना
एवं संचार तकनीक की मदद से सभी प्रकार के परिवहन नेटवर्क जैसे रेल, मेट्रो, बस, कार एवं अन्य को जोड़ा जा सकेगा, ताकि इनसे सम्बंधित जानकारी
सही-सही मिल सके और शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को बेहतर बनाया जा सके।
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