ज्यामिति के पाइथागोरस थ्योरम को एक भारतीय मनीषी की दिमागी उपज करार देने के बाद अब महान वैज्ञानिक आइजक न्यूटन के गणितीय फार्मूले को भी एक हिंदुस्तानी गणितज्ञ की देन बताया जा रहा है।
गोवा की राजधानी पणजी में तीन दिनों तक चले विज्ञान भारती सम्मेलन में वैज्ञानिक जयंत सहस्रबुद्धे ने दावा किया है कि न्यूटोनियन सीरीज के नाम से मशहूर गणित के पावर सीरीज की खोज आइजक न्यूटन से बहुत पहले केरल के गणितज्ञ माधव ने 14वीं सदी में ही कर ली थी। उनका कहना है कि गणित के पावर सीरीज की खोज असल में माधव ने ही की थी। सहस्रबुद्धे के अनुसार, 'माधव एक महान गणितज्ञ थे। उनकी कृतियों के अध्ययन से स्पष्ट है कि जो कुछ माधव ने 14वीं सदी में खोज लिया था, उसको ही महान वैज्ञानिक न्यूटन ने 17वीं सदी में फिर से परिभाषित किया। जिसे आधुनिक गणित में न्यूटन की सीरीज के नाम से जाना जाता है।'
उनका कहना था, 'अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऐसा प्रयास चल रहा है कि गणितीय पावर सीरीज की खोज का श्रेय न्यूटन के साथ-साथ माधव को भी दिया जाए।' पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए सहस्रबुद्धे ने बताया, पाइथागोरस थ्योरम भी भारत की ही देन है। हमारे ऋषि-मुनि यज्ञ करने के लिए इस थ्योरम का इस्तेमाल करते थे। वे पाइथागोरस थ्योरम के अनुसार यज्ञ वेदिकाएं बनाते थे।
विज्ञान भारती सम्मेलन का आयोजन प्राचीन भारतीय विज्ञान के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए किया गया था। इस सम्मेलन में प्राचीन भारतीय ज्ञान को आधुनिक विज्ञान में समाहित करने पर भी जोर दिया गया।बकौल सहस्रबुद्धे, 'भारद्वाज ऋषि ने कहा था कि अगर दिखाई नहीं देने वाले विमान को बनाना है तो धातुओं का एक खास मिश्रण तैयार करना पड़ेगा।' उनके मुताबिक वैज्ञानिक सीएसआर प्रभु ने भारद्वाज ऋषि द्वारा वर्णित उक्त मिश्रण को तैयार करने में कामयाबी हासिल कर ली है। धातुओं का यह मिश्रण अस्सी फीसद प्रकाश को सोख लेता है। उन्होंने कहा, "इस प्राचीन मिश्र धातु का प्रयोग कर बनने वाला विमान रडार की पकड़ से दूर रहेगा। सम्मेलन को वैज्ञानिक प्रभु ने भी संबोधित किया।
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