Monday 25 August 2014

मानवयुक्त अभियान में होगी देरी

मानव युक्त अंतरिक्ष अभियान को अंजाम देने वाले देशों के विशिष्ट क्लब में शामिल होने के लिए भारत का इंतजार बढ़ता ही जा रहा है। अमरीका, रूस और चीन की तरह इस क्लब का सदस्य बनने भारत का यह सपना कम से कम अगले तीन साल तक पूरा नहीं हो पाएगा। 
2017 से पहले संभव नहीं 
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने पिछले दशक के मध्य में मानव युक्त अंतरिक्ष अभियान का इरादा जाहिर किया था और वर्ष 2015 में इस अभियान को अंजाम देने की समय-सीमा तय की थी। अभियान के तहत पृथ्वी की निचली कक्षा में दो से तीन सदस्यीय एक दल को भेजकर उसे पूर्व निर्धारित स्थान पर वापस उतारने की योजना थी। इस अभियान को वर्ष 2015 में अंजाम देने के लिए 12 हजार 500 करोड़ रूपए की लागत अनुमानित थी और सरकार को यह कोष चरणबद्ध तरीके से आवंटित करना था। 
सरकार ने इस अभियान को तो मंजूरी दे दी मगर अभी तक इस मद में केवल 149 करोड़ रूपए की राशि ही आवंटित की गई है। इसके अलावा 12 वीं पंचवर्षीय योजना (2012-2017) में भी यह महात्वाकांक्षी परियोजना को जगह नहीं मिली है। इस तरह कम से कम वर्ष 2017 तक भारत के मानव युक्त अंतरिक्ष अभियान की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
तकनीकी बाधाएं भी
वित्तीय मुद्दों और 12 वीं पंचवर्षीय योजना में अनदेखी के अलावा इस अभियान को आगे बढ़ाने में तकनीकी बाधाएं भी आड़े आईं। इसरो की योजना के मुताबिक मानव युक्त अंतरिक्ष अभियान का प्रक्षेपण भू-स्थैतिक प्रक्षेपण यान जीएसएलवी मार्क-3 से किया जाना है। जीएसएलवी मार्क-3 एक ज्यादा शक्तिशाली प्रक्षेपण यान है जो 4 टन या उससे अधिक वजनी उपग्रहों को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करने की योग्यता रखता है। मगर इसका विकास अभी तक नहीं हो पाया है। जीएसएलवी मार्क-3 के विकास में सबसे बड़ी रूकावट तब आई जब वर्ष 2010 में एक के बाद एक जीएसएलवी के दो अभियान विफल हो गए। 
हालांकि, इस साल स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन युक्त जीएसएलवी का एक प्रक्षेपण सफल रहा है जिससे जीएसएलवी मार्क-3 के विकास का रास्ता साफ हुआ है। फिर भी जीएसएलवी प्रक्षेपण यान को अभी ऑपरेशनल होना पड़ेगा साथही सटीकता यानी 99/100 की एक्यूरेसी (100 में 99 बार सफलता की गारंटी) हासिल करनी होगी। यह प्रक्षेपण यान अभी विकास के दौर से गुजर रहा है। 

हालांकि, जिस यान में बैठकर अंतरिक्ष यात्रियों को उड़ान भरना है उसका एक कू्र मॉडल हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने तैयार कर के इसरो को दिया है। अगस्त महीने में जीएसएलवी मार्क-3 के होने वाले प्रयोगात्मक प्रक्षेपण में इस कू्र मॉडल का उपयोग किया जाएगा। इस दृष्टिकोण से यह प्रक्षेपण काफी अहम है और इसपर अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के साथ-साथ पूरे देश की निगाहें हैं। 

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