बिग बैंग सिद्धांत
पर मुकुल व्यास के विचार
करीब 13.7 अरब वर्ष पहले बिग बैंग अथवा महाविस्फोट के जरिये हमारे ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई थी। ब्रह्मांड के अस्तित्व में आते ही बहुत तेजी से उसका विस्तार हुआ। इस
विस्तार से गुरुत्व तरंगें उत्पन्न हुईं जिन्हें ग्रेविटेशनल वेव्स भी कहा जाता
है। इन तरंगों को हम बिग बैंग का कंपन भी कह सकते हैं। अब खगोल वैज्ञानिकों ने
पहली बार गहन अंतरिक्ष में इन तरंगो की मौजूदगी का पता लगाया है। उन्होंने दक्षिणी
ध्रुव में स्थापित बाइसेप-2 दूरबीन से इन तरंगों की परोक्ष
तस्वीरें हासिल करने में सफलता हासिल किया है। यह दूरबीन बिग बैंग की वजह से
उत्पन्न ब्रह्मांडडीय पाश्र्व विकिरण को नापने के
उद्देश्य से बनाई गई हैं। इस खोज से पहली बार उन घटनाओं की पुष्टि हुई है जिनकी
शुरुआत ब्रह्मांड की उत्पत्ति से हुई थी। उत्पत्ति
के प्रारंभिक पल के दौरान गुरुत्व तरंगें निकली थीं। अल्बर्ट आइंस्टीन ने 1916 में अपने सापेक्षता के सिद्धांत में इन तरंगों के अस्तित्व की
भविष्यवाणी की थी, लेकिन अभी तक इनका प्रत्यक्ष प्रमाण
नहीं मिला था। हालांकि, इन्हें नापने के लिए दुनिया में कई प्रयोग
किए गए। सत्तर के दशक में खगोल वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया कि गुरुत्व किरणों
अवश्य ही बिग बैंग के तुरंत बाद उत्पन्न हुई होंगी। इस अवधि में ब्रव0161ांड का तेजी से विस्तार हुआ। बाद में वह एक मटर के दाने जितने पदार्थ
से फैलकर इतना बड़ा हो गया कि हमारी सबसे शक्तिशाली दूरबीनें भी उसकी अनंत
गहराइयों का अंदाजा नहीं लगा सकतीं।
ब्रह्मांडडीय विस्तार की इस अवधि को कॉस्मिक इनफ्लेशन भी कहा जाता है।
वैज्ञानिकों के सिद्धांत के मुताबिक ब्रह्मांड में सुगम रूप से वितरित पदार्थ से आकाशगंगा, और तारों तथा ग्रहों जैसी बड़ी-बड़ी संरचनाएं बनीं। गुरुत्व किरणों
का अस्तित्व इस सिद्धांत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। मैसाचुसेट्स स्थित हार्वर्ड
स्मिथसोनियन सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स के वैज्ञानिक जॉन कोवाक और उनके सहयोगियों
ने बिग बैंग की प्रतिध्वनि के रूप में उत्पन्न माइक्रोवेव पाश्र्व विकिरण की
धुंधली चमक के अंदर एक अलग किस्म के विकिरण के अनोखे पैटर्न देखे हैं। उनके
मुताबिक ये पैटर्न गुरुत्व किरणों की वजह से उत्पन्न हुए हैं। डॉ. कोवाक का कहना
है कि इन किरणों के संकेत खोजना ब्रव0161ांड विज्ञान का एक बहुत बड़ा लक्ष्य है। कई लोगों ने इस दिशा में
बहुत काम किया है जिस वजह से वैज्ञानिक आज इस बिंदु तक पहुंच पाए हैं। धरती पर
रहते हुए अंतरिक्ष में झांकने के लिए दक्षिणी ध्रुव एक आदर्श स्थान है। डॉ. कोवाक
के अनुसार बिग बैंग से उत्पन्न धुंधली माइक्रोवेव के पर्यवेक्षण के लिए यह सबसे
शुष्क और साफ-सुथरी जगह है। ब्रह्मांडडीय पाश्र्व
विकिरण दरअसल प्रकाश का ही एक रूप है। यह प्रकाश के सारे गुणों को प्रदर्शित करता
है जिनमें ध्रुवीकरण अथवा पोलराइजेशन शामिल है। पृथ्वी पर वायुमंडल सूरज की रोशनी
को बिखेर देता है जिससे वह ध्रुवीकृत हो जाती है। इसी वजह से ध्रुवीकृत चश्मों से
चमक या ग्लेयर कम करने में मदद मिलती है। अंतरिक्ष में अणुओं ने ब्रवडीय माइक्रोवेव पृष्ठभूमि को तितर-बितर कर दिया जिससे वह भी
ध्रुवीकृत हो गई।
रिसर्च में शामिल एक अन्य वैज्ञानिक
जेमी बॉक ने बताया कि उनकी टीम ने विशेष किस्म के ध्रुवीकरण की तलाश की। इस किस्म
को बी मोड कहा जाता है। इसमें गुच्छेदार पैटर्न बनते हैं। यही बी मोड पैटर्न
गुरुत्व किरणों का संकेत देता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि वे बी मोड विकिरण के
इतने शक्तिशाली संकेत मिलने से बहुत चकित हो गए थे, क्योंकि ये संकेत खगोल वैज्ञानिकों द्वारा लगाए गए अनुमानों से कहीं
ज्यादा बड़े थे। हार्वर्ड के वैज्ञानिक एवी लोएब ने इस खोज के महत्व पर प्रकाश
डालते हुए बताया कि इससे हमें अपने अधिकांश बुनियादी सवालों का उत्तर खोजने में
मदद मिल सकती है। नई खोज से हमें पता चलता है कि कब ब्रह्मांड का विस्तार हुआ।
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