Sunday 25 August 2013

टीवी सिग्नलों से ऊर्जा की खोज

उर्जा के नए स्रोत 
कभी-कभी ऐसा होता है कि मोबाइल पर बात करते हुए बैटरी खत्म हो जाती है और आप उसे चार्ज करने की स्थिति में नहीं होते। वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने इस समस्या के समाधान के लिए एम्बियंट बैकस्कैटर टेक्नोलॉजी का विकास किया है। इस नई संचार टेक्नोलॉजी की मदद से वायरलैस उपकरण बैटरी के बगैर एक दूसरे के साथ संवाद कर सकते हैं। यह टेक्नोलॉजी उपकरणों में आपसी संवाद कायम करने के लिए टीवी और सेलुलर ट्रांसमिशन का सहारा लेती है। एम्बियंट बैकस्कैटर की तकनीक के प्रदर्शन के लिए यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने क्रेडिट कार्ड के आकार के बैटरी रहित उपकरण चुने जिन पर एंटिना लगे हुए थे। जब इन उपकरणों को कुछ दूरी पर रखा गया तो वे एक-दूसरे को संदेश भेजने लगे। दरअसल, इन उपकरणों ने हवा से ऊर्जा प्राप्त की थी। हवा में कई तरह के ट्रांसमिशन मौजूद रहते हैं जिनमे रेडियो तरंगें,वाईफाई और मोबाइल नेटवर्क शामिल हैं। एम्बियंट बैकस्कैटर टेक्नोलॉजी इन विभिन्न ट्रांसमिशनों का उपयोग करती है। प्रोटोटाइप उपकरण एंटिना की मदद से इन संकेतों को बीच में ही पकड़ कर एकदूसरे को परावर्तित करते रहते हैं।
वाशिंगटन यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस के असिस्टेंट प्रोफेसर और इस अध्ययन के प्रमुख रिसर्चर श्याम गोगाकोटा का कहना है कि हम अपने इर्दगिर्द मौजूद वायरलैस सिग्नलों का इस्तेमाल संचार के माध्यम के अलावा ऊर्जा के स्नेत के रूप में भी कर सकते हैं। नई टेक्नोलोजी के विविध उपयोग हो सकते हैं। इनमे शरीर पर धारण योग्य अथवा वियरेबल कंप्यूटर, स्मार्ट होम और सेंसर नेटवर्क शामिल हैं। रोजमर्रा में काम में आने वाली वस्तुएं बैटरी रहित टैग के जरिए एकदूसरे से संवाद कर सकती हैं। मसलन, कोई भी व्यक्ति इस टेक्नोलॉजी की मदद से फटाफट अपनी चाबियों का गुच्छा या खोया हुआ पर्स खोज सकता है। रिसर्चरों को उम्मीद है कि नई टेक्नोलोजी से वस्तुओं को इंटरनेट जोड़ने में मदद मिलेगी। घर के माहौल को इंटरनेट जोड़ने का विचार काफी समय से चल रहा है, लेकिन इसमें अभी खास प्रगति नहीं हो पाई है क्योंकि प्रत्येक उपकरण के लिए उसका ऊर्जा स्नेत जुटाना थोड़ा मुश्किल काम है। रिसर्चरों के मुताबिक एकदूसरे से संवाद करने वाले संवेदी उपकरण पुल की संरचना में निर्मित किए जा सकते हैं। यदि कंक्रीट और स्टील के ढांचे में कोई गड़बड़ी या दरार नजर आती है तो संवेदी उपकरण तुरंत अलर्ट भेज देंगे। इस तरह दूसरे इंफ्रास्ट्रक्चर में टूट-फूट और अन्य गड़बड़ियों की पहचान करने में नई तकनीक बहुत उपयोगी हो सकती है। इन संरचनाओं में इस टेक्नोलोजी को बहुत कम लागत पर समाहित किया जा सकता है। इस टेक्नोलोजी का अन्य उपयोग सेंसर समाहित क्रेडिट कार्ड के रूप में हो सकता है। इस कार्ड का प्रयोग वायरलैस भुगतान के लिए किया जा सकता है। रिसर्चरों द्वारा आजमाए गए प्रोटोटाइप उपकरण घर के अंदर आधा मीटर की दूरी और घर के बाहर .8 मीटर की दूरी पर एक किलोबिट प्रति सेकेंड की रफ्तार से डेटा भेजने में सफल रहे। यह रफ्तार टेक्स्ट मैसेज भेजने के लिए काफी थी। इन उपकरणों का नेटवर्क पूरी तरह से काम करता रहा हालांकि सिग्नलों का निकटवर्ती स्नेत 10 किलोमीटर दूर था।

रिसर्चरों का कहना है कि इस तकनीक का उपयोग स्मार्टफोन जैसे उपकरणों में भी किया जा सकता है जो पूरी तरह से बैटरी पर निर्भर हैं। इन उपकरणों में नई टेक्नोलॉजी को कुछ इस तरह से समाहित किया जा सकता है कि इनकी बैटरियां खत्म होने के बाद भी ये उपकरण किसी टीवी सिग्नल से ऊर्जा प्राप्त कर टेक्स्ट मैसेज भेजने के काबिल बने रहेंगे। भवनों और कपड़ों के अंदर निर्मित सेंसरों का एक ऐसा नेटवर्क कायम किया जा सकता है जो ऊर्जा का साझा उपयोग करेगा। प्रत्येक उपकरण के लिए अलग से ऊर्जा उत्पन्न करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

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