अगर
विख्यात जैनेटिक वैज्ञानिक की अहम खोज के दावे को मानें तो अगले पचास लाख सालों
में दुनिया से मर्दों का अस्तित्व मिट
जाएगा। उनका ये भी दावा है कि यह प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। दरअसल मानव जाति में
नर के जनक वाई क्रोमोजोम्स के आनुवांशिक गुण बहुत कमजोर हैं और वह सदियों में
पीढ़ी दर पीढ़ी गुणवत्ता और संख्या में कम होते जा रहे हैं। लिहाजा आने वाले लाखों
सालों में पुरुष विलुप्त हो चुके होंगे।
हेराल्ड सन में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार कैनबेरा
यूनिवर्सिटी में व्यवहारिक प्राकृतिक विज्ञान की शोधकर्ता जेनी ग्रेव्स का दावा है
कि अगले पचास लाख सालों में पुरुषों का अस्तित्व खत्म हो सकता है। उनका दावा है कि
कुछ सीमित दायरे में रहने वाले समूहों में पुरुषों के संकट की प्रक्रिया शायद शुरू
भी हो चुकी होगी। उन्होंने कहा कि ये शोध पुरुषों के लिए और सृष्टि पर एक घातक
संकट है। उन्होंने कहा कि केवल पुरुषों में ही उनके अस्तित्व के जनक वाई
क्रोमोजोम्स होने से ये मुश्किल और भी बड़ी है।
उल्लेखनीय है कि पुरुषों की जेनेटिक पहचान वाले वाई
क्रोमोसोम केवल पुरुषों में पाए जाते हैं। महिलाओं की जेनेटिक पहचान वाले एक्स
क्रोमोसोम्स पुरुषों और महिलाओं दोनों में पाए जाते हैं। इसलिए संतान बेटा हो ये
केवल पुरुषों पर निर्भर करता है। क्रोमोजोम्स का ये संकट दरअसल अस्तित्व का संकट
है। चूंकि मौजूदा समय में एक महिला या एक्स क्रोमोजोम में करीब एक हजार जीन्स होते
हैं। जबकि महिला में दो एक्स क्रोमोजोम होता है।
गौरतलब है कि सृष्टि की शुरूआत से पुरुषों में वाई
क्रोमोजोम्स की संख्या महिला की संख्या जितनी ही होती थी। लेकिन इसकी गुणवत्ता कम
होने के कारण इसमें कालांतर में जीन्स की संख्या घटती गई और अब हजारों-लाखों सालों
के बाद वाई क्रोमोजोम्स की गुणवत्ता कम होने के साथ ही उसके जीन्स की संख्या घटकर
सौ रह गई है। इसमें एसआरवाई नामक वह जीन भी शामिल है जो मेल मास्टर स्विच कहा जाता
है। इस जीन से निर्धारित होता है कि महिला के गर्भाशय में बन रहा भ्रूण लड़का है या
लड़की। इसमें भी ज्यादा तकलीफदेह बात ये है कि स्त्रियों में दो एक्स क्रोमोजोम
होते हैं और पुरुषों में कमजोर होता एक ही वाई क्रोमोजोम। चूंकि वाई क्रोमोजोन
अपनी आनुवांशिक कमियों को पहचान कर दूर करने में अक्षम रहता है इसलिए धीरे-धीरे
कमजोर क्रोमोजोम खत्म होते जा रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया की सबसे प्राख्यात वैज्ञानिक
प्रोफेसर ग्रेव्स का कहना है कि महिलाएं अस्तित्व की ये लड़ाई संभवत: जीतने वाली
हैं।
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