उद्घाटन समारोह
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वैज्ञानिक दृष्टिकोण तथा चेतना जगाने में संचार माध्यमों की भूमिका पर
अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन
विज्ञान पत्रकारिता सत्र
में श्री सुभाष लखेड़ा ,श्री शशांक द्विवेदी ,श्रीमती प्रियंका शर्मा द्विवेदी
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आम आदमी तक
वैज्ञानिक उपलब्धियों का लाभ पहुंचाने में संचार माध्यमों की अहम् भूमिका रही है।
परन्तु संचार माध्यमों की भूमिका भारत जैसे विविध संस्कृति वाले देश में और भी
जटिल हो जाती है, जहां इन माध्यमों की
सुलभता के लिए ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों में बहुत अन्तराल व्याप्त है। इसी विषय
को लेकर दिनांक 29 मई 2012 को ‘‘वैज्ञानिक दृष्टिकोण तथा
चेतना जगाने में संचार माध्यमों की भूमिका पर दो दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन’’
आयोजित किया गया। इस अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन विज्ञान संचार
के लिए कार्यरत देश की चार अग्रणी संस्थाओं सीएसआईआर-निस्केयर, विज्ञान प्रसार, राष्ट्रीय विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं
संचार परिषद् एवं राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद् द्वारा किया गया।
अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी भाषा में विज्ञान संचार का यह पहला सम्मेलन था। इस
आयोजन में विदेश एवं देश के विभिन्न राज्यों से आये वक्ताओं ने अपने विचार प्रकट
किए। सम्मेलन में लगभग 150 वक्ताओं एवं प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। फ्रांस,
रूस और जापान से आये वक्ताओं ने सम्मेलन को सफल बनाने में अपना
सहयोग दिया।
उद्घाटन समारोह
के मुख्य अतिथि डा. लालजी सिहं, कुलपति, बनारस हिन्दु विश्वविद्यालय ने विज्ञान को ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुँचाने
पर ज़ोर दिया। उनके अनुसार वैज्ञानिक विकास गांव तक नहीं पहुँचा है, जहां देश की कुल आबादी का 60-70 फीसदी हिस्सा रहता है। इसके लिए जरूरत है
कि प्रयास निम्न स्तर से किये जाएं। साथ ही गांव के लिए स्थाई व्यवस्था की जानी
चाहिए। वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिए मौखिक शिक्षा की बजाए
प्रयोगात्मक ज्ञान दिया जाए। उन्होंने कहा इंटरनेट के साथ-साथ और आधुनिक तकनीकों
को गांव तक पहुंचाया जाना चाहिए। डा. सिहं ने इस बात को माना कि लोगों में
उत्सुकता है लेकिन साथ ही इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता की ग्रामीण इलाकों
में साधनों की कमी है। यहां पर उन्होंने मीडिया की भूमिका को अहम बताया।
श्री शशांक द्विवेदी व्याख्यान
देते हुए
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सम्मेलन में
की-नोट वक्तव्य देते हुए डा. जी. एस. रौतेला, महानिदेशक, राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद्
(एनसीएसएम) ने इस बात पर ज़ोर दिया कि आज प्रभावी विज्ञान संचार के लिए वैज्ञानिक
दृष्टिकोण को नापने का मापदण्ड और विज्ञान संचार के सूचकांकों को चिन्हित कर
सूचकांकों को स्थापित करने की आवश्यकता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण को नापने के लिए
कोई ऐसा यंत्र बनाया जाए जिसमें सभी की भागदारी होनी चाहिए। साथ ही उन्होंने
एनसीएसएम द्वारा विज्ञान को आम आदमी तक पहुंचाने के लिए किये जा रहे प्रयासों की
व्याख्या की।
प्रोफेसर एस.
के. जोशी, पूर्व महानिदेशक, सीएसआईआर ने
अध्यक्षीय संबोधन में कहा की वैज्ञानिक दृष्टिकोण को जन जन तक पहुंचाने की
आवश्यकता है। प्रोफेसर जोशी ने भी ग्रामीण क्षेत्रों कि तरफ ध्यान देने की ज़रूरत
ज़ाहिर की। उन्होंने कहा की वैज्ञानिक दृष्टिकोण यह बताता है कि किसी भी बात को
विवेचना के साथ ही अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि संचार माध्यम समाज में वैज्ञानिक
दृष्टिकोण जगाने में अहम भूमिका निभा सकते हंै। उन्होंने अखबारों में विज्ञान
काॅलम में और टी. वी. में विज्ञान स्लाॅट की कमी पर निराशा जताई। उन्होंने कहा की
संचार माध्यमों के साथ-साथ वैज्ञानिकों की भी जिम्मेदारी है कि वो विज्ञान को
लोगों तक पहुंचाने में सहयोग करें। उनके अनुसार इंटरनेट क्रांति के ज़रिए क्षेत्रीय
भाषाओं में विज्ञान को और प्रभावी बनाया जा सकता है।
श्री शशांक द्विवेदी |
कार्यक्रम में सेंट मार्ग्रेट इंजिनियरिंग कालेज में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर और देश
के प्रमुख हिन्दी अखबारों में विज्ञानं और तकनीकी विषयों पर स्तंभ लिखने वाले स्तंभकार
शशांक द्विवेदी ने हिंदी में विज्ञानं संचार और पत्रकारिता पर बोलते हुए कहा कि
हिन्दी में विज्ञान संचार को रोजगारपरक और व्यावहारिक बनाना होगा तभी नौजवानों का
इस क्षेत्र में आकर्षण बढेगा .जब तक विज्ञान संचार रोजी और रोटी से नहीं जुडेगा तब तक यह आम आदमी से नहीं जुड पायेगा .इस अवसर
पर प्रमुख स्तंभकार और अमर उजाला ,आगरा की पत्रकार प्रियंका शर्मा ने विज्ञान पत्रकारिता से जुड़े
अपने अनुभव शेयर किये .उन्होंने कहा की
अभी भी अखबारों में विज्ञान,शोध और अनुसन्धान से जुडी खबरों को बहुत महत्त्व नहीं दिया
जाता .अधिकतर पत्रकारों और संपादको में विज्ञानं की ठीक समझ का अभाव है .इसी वजह
से विज्ञान की खबरों को कम महत्त्व दिया जाता है .इसे बड़े पैमाने पर सुधारने की
जरुरत है .
इससे पूर्व सम्मेलन का शुभारंभ डा. सुबोध
महंती, निदेशक, विज्ञान प्रसार ने अपने
स्वागत अभिभाषण से किया। इसमें उन्होंने वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा दिये जाने
पर ज़ोर दिया। इसके लिए डा. महंती ने कहा कि समाज के सभी वर्गों के व्यक्तियों एवं
संस्थाओं को जोड़ना चाहिए। साथ ही उन्होंने भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित
जवाहरलाल नेहरू कि दूरगामी दृष्टि की सरहाना की। उन्होंने कहा कि पंडित नेहरू ने
विज्ञान एवं तकनीकी क्षेत्र में आम आदमी कि भूमिका को अहम समझा और उसकी भागीदारी
को बढ़ाने के लिए प्रयास भी किए। डा. महंती के अनुसार सभी भारतीय भाषाओं में
विज्ञान का प्रचार ज़रूरी है।
श्रीमती प्रियंका
शर्मा द्विवेदी व्याख्यान देते हुए
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डा. गंगन प्रताप, निदेशक, निस्केयर ने सम्मेलन को
सम्बोधित करते हुए कहा कि विज्ञान के अधिकतर प्रयास एक ही भाषा तक सीमित हैं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण बनाने के लिए ज़रूरी है कि विज्ञान का प्रचार सभी क्षेत्रीय
भाषाओं में हो। डा. प्रताप ने भी पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा वैज्ञानिक दृष्टिकोण
की भूमिका को स्पष्ट किया। उन्होंने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को लोगों तक
पहुंचाने के लिए संचार माध्यमों कि भूमिका पर भी चर्चा की। इसमें उन्होंने
इलेक्ट्रॅानिक मीडिया को खास तौर पर ज़रूरी बाताया क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में
इलेक्ट्राॅनिक मीडिया कि पहुंच ज़्यादा है।
मुख्य रूप से सम्मेलन को बारह सत्रों में
विभाजित किया गया जिसमें प्रमुख हैं. शिक्षण संस्थाओं का विज्ञान संचार में योगदान, भारतीय भाषाओं में विज्ञान संचार, सम्पादन और प्रकाशन की चुनौतियां, विज्ञान
पत्रकारिता एवं विज्ञान संचार, विज्ञान संचार के नये साधन,
विज्ञान संचार में नीतिगत मुद्दे आदि। इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मलेन
में देश –विदेश के कई विद्वानों ने भाग लिया और अपने विचार रखे .
दो दिवसीय
विज्ञान संचार सम्मेलन के समापन समारोह में दिनांक 30 मई 2012 को प्रो. यशपाल, श्री फारूक़ शेख एवं सुश्री मल्लिका साराभाई ने मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचार रखे .
समारोह के अंत
में धन्यवाद ज्ञापन के दौरान श्रीमती दीक्षा बिष्ट, प्रमुख वैज्ञानिक, निस्केयर ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए यह उम्मीद
ज़ाहिर की कि इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन से विज्ञान संचार के नए मानक स्थापित
होंगे और स्थायी दिशा में आगे बढ़ा जा सकेगा।
प्रो .यशपाल से प्रमाण पत्र लेते हुए
शशांक द्विवेदी
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देश
में वैज्ञानिक दृष्टिकोण तथा चेतना जगाने के उद्देश्य से आयोजित इस सम्मेलन में
जिन प्रमुख वक्ताओं ने भाग लिया, उनमें
प्रो .यशपाल ,मल्लिका साराभाई , डॉ0 ओम विकास, सुभाष लखेड़ा,
पंकज बिष्ट, रमेश उपाध्याय, देवेन्द्र मेवाड़ी, चक्रेश जैन, सुरजीत सिंह, हरिकृष्ण आर्य, लक्ष्मण
सिंह बटरोही, विनीता सिंघल, जाकिर अली
रजनीश, शशांक द्विवेदी ,प्रियंका शर्मा द्विवेदी ,जीशान हैदर
जैदी, विष्णु प्रसाद चतुर्वेदी, निमिष
कपूर, एम0एम0 गोरे, के0के0 मिश्रा,
किंकिणी दास गुप्ता, इरफान ह्यूमन आदि के नाम
प्रमुख हैं। सम्मेलन में सर्वसम्मति से निम्न प्रस्ताव भी पारित किये गये:
1.
विज्ञान संचार, विज्ञान जनचेतना,
वैज्ञानिक समझ और विज्ञान नीतियों पर काम करने वाले विशेषज्ञों को
अवधारणात्मक मॉडल तैयार करना चाहिए, जो एक ओर तो संस्कृति
आधारित मॉडल विकसित करेगा, ताकि वह संस्कृति विशेष के
अनुरूप वैज्ञानिक दृष्टिकोण की धारणा को समझने में मदद करे और दूसरी ओर विज्ञान
संचारकों को इस धारणा को समाज के सभी वर्गों तक पहुंचाने में मदद करे।
2.
समाज में वैज्ञानिक दृष्टिकोण के विकास को परखने के लिए उपयुक्त मापन सूचक
(इंडिकेटर) तैयार कने पडेंगे। यह काम आसान नहीं है,
इसलिए इस कार्य में रूचि रखने वाली सभी संस्थाओं को एकजुट होकर
प्रयास करना होगा।
3.
वर्तमान में भारतीय भाषाओं में प्रशिक्षित विज्ञान संचारकों का काफी अभाव है।
इसलिए समाज की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए नये तथा अधिक कारगर प्रशिक्षण
कार्यक्रम शुरू करने की आवश्यकता है।
4.
स्कूली विज्ञान शिक्षा पर अधिक ध्यान देना होगा। साथ ही प्रोयोगिक शिक्षा पर
अधिक जोर दिया जाए, ताकि बचपन में ही
वैज्ञानिक दृष्टिकोण का बीजारोपण किया जा सके। साथ ही साथ कॉलेज, विश्वविद्यालयों की शिक्षा, पाठ्यक्रम में ऐसी
सामग्री विषय शामिल किये जाएं, जिससे वैज्ञानिक समझ और चेतना
का विकास हो।
समापन समारोह
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5.
आज सबसे बड़ी जरूरत इस बात की है कि वैज्ञानिक सोच के अनुरूप शिक्षा को गाँव-गाँव
तक पहुँचाया जाए। इसलिए संचार के मौजूदा ढ़ाँचे के बेहतर उपयोग के साथ ही संचार के
नए ढ़ाँचे तैयार करने होंगे।
6.
विज्ञान संचार की नई प्रौद्योगिकियों पर आधारित माध्यमों को पूरी ताकत से अपनाना
पड़ेगा।
7.
वैज्ञानिक दृष्टिकोण के राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए सम्बंधित
क्षेत्रीय व राष्ट्रीय संस्थाओं को मिल जुल कर काम करना पड़ेगा, ताकि इस दिशा में वैज्ञानिक चेतना जगाने के
लिए समय-समय पर राष्ट्रीय व क्षेत्रीय अभियान चलाए जा सकें।
8.
भारत के प्रत्येक नागरिक का संवैधानिक कर्तव्य है कि वह वैज्ञानिक मानसिकता
अपनाए और इसके समुचित विकास में अपना हर संभव योगदान दे। इस बात को जन-जन तक
पहुँचाने की आवश्यकता है।
9.
वैज्ञानिकों और सभी बुद्धिजीवियों को कर्तव्य मानकर वैज्ञानिक दृष्टिकोण का
प्रसार करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देना होगा।
10.
आज मीडिया जिस प्रकार अंधविश्वासों और पुरानी रूढि़यों का प्रचार-प्रसार कर रहा
है, उस पर सदन ने चिन्ता व्यक्त करते हुए प्रस्ताव
पारित किया कि न्यूज ब्रॉडकास्टिंग एसोसिएशन प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और प्रशासन
की ओर से इस पर अंकुश लगाने के लिए अविलम्ब कारगर कदम उठाए जाएं।
11.
इस बात पर भी चिन्ता जताई गयी कि देश का मीडिया जहाँ अति आधुनिक प्रौद्योगिकी का
इस्तेमाल अपने हित साधन के लिए करता है, वह अंधविश्वासों को बढ़ावा देकर आमजन को दिगभ्रमित कर रहा है।
12.
भारतीय विज्ञान की उपलब्धियों और वैज्ञानिकों के वर्तमान कार्य को आमजन तक
पहुँचाने की पुरजोर कोशिश की जानी चाहिए।
13.
देश में विज्ञान विरोधी बातें जनता में एक अज्ञात भय फैला रही हैं। विज्ञान
संचारकों और अन्य लोगों को एकजुट होकर ऐसे प्रचार के खिलाफ कड़े कानून बनाने के
लिए भरपूर दबाव बनाना चाहिए।
14.
सदन ने इस बात पर भारी चिन्ता व्यक्त की गयी कि देश के कई टीवी चैनल दकियानूसी
और विज्ञान विरोधी हैं। ऐसे चैनल पाखंड को प्रोत्साहित कर रहे हैं, जबकि विज्ञान को समर्पित कोई भी चैनल नहीं है।
आमजन में वैज्ञानिक दृष्टिकोण के विकास के लिए देश में पूरी तरह विज्ञान को
समर्पित टीवी चैनल होना चाहिए, जो केवल विज्ञान का संचार करे
और जिसमें आईपीआर नियंत्रणों के बिना संसाधनों को साझा किया जा सके।
15.
विज्ञान संचार गतिविधियों के दस्तावेजीकरण के लिए वेब आधरित डेटाबेस बनाया जाए, जिसमें सफल और असफल दोनों प्रकार के अनुभव एवं
गतिविधियाँ दर्ज हों। सफल विज्ञान संचारकों को प्रोत्साहित और सम्मानित करने के
लिए समुचित संस्थागत व्यवस्था की जाए।
16.
वैज्ञानिक दृष्टिकोण की आवधारण का सम्बंध केवल प्राकृतिक विज्ञान की विधाओं से
नहीं अपितु कला, दर्शन और साहित्य से
भी है। वैज्ञज्ञनिक दृष्टिकोण् के व्यापक विकास के लिए सभी विषयों की परस्पर
सहभागिता की जरूरत है।
17.
देशभर में वैज्ञानिक चेतना के प्रचार-प्रसार को अंजाम देने के लिए विज्ञान
संचारकों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाए जाएँ। साथ ही इस काम में संलग्न संस्थाओं
के प्रोत्साहन के लिए अनुदान की शुरूआत की जाए।
दैनिक भास्कर लेख (13/06/12)
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दैनिक भास्कर में विज्ञान लेखन पर मेरा विशेष
लेख .इसमें हाल में ही दिल्ली में हुए अंतर्राष्ट्रीय सम्मलेन का विशेष जिक्र है
जिसमे मै शामिल हुआ था .एकदम लाइव रिपोर्ट (जरुर पढ़े )
For nicely read
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