ब्रह्माण्ड की दुनिया बहुत ही रोचक है. पिछले दिनों ही नासा द्वारा खोजे गये नये ग्रह की ही बात करें तो यह ग्रह धूल में तब्दील हो सकता है. शोधकर्ताओं के मुताबिक, नासा ने पिछले दिनों जिस ग्रह की खोज की थी वह पृथ्वी से लगभग 15,00 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है. ऐसा माना जा रहा है कि यह अपने आस-पास के तारों से निकलने वाली ऊष्मा से प्रभावित हो रही है. इस गर्मी की वजह से उस ग्रह पर वाष्पीकरण की प्रक्रिया शुरू हो सकती है. शोधकर्ताओं का कहना है कि धूमकेतु की तरह का आकाशीय पिंड इस ग्रह का पीछा कर रहा है और यह धूमकेतु की आकार वाला आकाशीय इस ग्रह के विखंडन की वजह बन सकती है. नासा के मुताबिक, यह छोटा एक्सोप्लेनेट बुध ग्रह के आकार से ज्यादा बड़ा नहीं है. लेकिन, इसका विखंडन ब्रह्मंड को समझने की प्रक्रिया को और भी जटिल बना सकता है. शोध दल ने पाया कि जो तारे इस ग्रह का चक्कर लगा रहे हैं, वे महज 15 घंटे में एक चक्कर पूरी कर लेते हैं. इसकी कक्षा भी काफी छोटी है. इस आधार पर उन्होंने यह आकलन किया है कि इसकी कक्षा काफी सघन होगी. इसका असर उस ग्रह के वातावरण पर भी पड़ता है. नासा का कहना है कि इसकी कक्षा इतनी सघन है कि है उसकी सतह का तापमान 3,600 डिग्री फारेनहाइट के बराबर है. इस ग्रह की सतह चट्टानी पदाथरें से बना है और इस तापमान पर किसी भी ग्रह की सतह पर मौजूद पदार्थ पिघल सकता है. इतना ही नहीं इनके पिघलने से धूल वाले घने बादलों का निर्माण होता है. जब यह ग्रह विखंडित होगा, तो इन्हीं बादलों के कारण यह धूल में परिवर्तित हो सकता है. हालांकि, इस प्रक्रिया में कितना वक्त लगेगा. इस बारे में कुछ भी नहीं बतलाया गया है.
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