इंटरनेट पर सरकारी फंदा कसने को लेकर शुक्रवार को जेनेवा में आयोजित
अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के बीच गुरुवार को राज्यसभा में यह मुद्दा प्रमुखता
से उठा। वामपंथी और भाजपा सहित विभिन्न दलों के सदस्यों ने इंटरनेट पर
मौजूद सामग्री को नियंत्रित करने की किसी भी कोशिश का पुरजोर विरोध किया।
सदस्यों ने हालांकि आपत्तिजनक सामग्री को रोकने के लिए उसके नियमन की पैरवी
की। उनका साफ शब्दों में कहना था कि इंटरनेट को नियंत्रित करना अभिव्यक्ति
की स्वतंत्रता के अधिकार का हनन होगा। विपक्ष के विरोध के बाद सरकार
इंटरनेट के नियमन पर नरम पड़ गई। सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार मंत्री कपिल
सिब्बल ने भरोसा दिलाया कि सरकार का इरादा इंटरनेट पर सेंसर लगाने का नहीं
है। इसके नियमन के नियमों पर सभी पक्षों से विचार-विमर्श कर आमराय कायम की
जाएगी। संविधान प्रदत्त अधिकारों का उल्लंघन नहीं होने दिया जाएगा।
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