स्वदेश निर्मित राडार इमेजिंग उपग्रह रीसैट-1 का सफल प्रक्षेपण
आज भारत ने सभी मौसमों में काम करने वाले अपने पहले स्वदेश
निर्मित राडार इमेजिंग उपग्रह (रीसैट-1) का
पीएसएलवी सी19 के जरिए सफल प्रक्षेपण किया।
उपग्रह के द्वारा ली जाने वाली तस्वीरें कृषि एवं आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में
इस्तेमाल की जा सकेंगी। चेन्नई से करीब 90 किलोमीटर
दूर यहां के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से पीएसएलवी (पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल)
के जरिए 1858 किलोग्राम वजनी देश के पहले ‘माइक्रोवेव
रिमोट सेंसिंग’ उपग्रह को 71 घंटे तक चली उल्टी गिनती के बाद सुबह करीब पांच बजकर 47 मिनट पर प्रक्षेपण के लगभग 19 मिनट बाद
कक्षा में स्थापित कर दिया गया।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रक्षेपण वाहन ‘पीएसएलवी’ ने रीसैट-1 के प्रक्षेपण के साथ अपनी 20 सफल उड़ानें पूरी कर एक बार फिर अपनी विश्वसनीयता स्थापित की है। इसके द्वारा प्रक्षेपित किया गया यह अब तक सबसे भारी उपग्रह है। रीसैट-1 इसरो के लगभग 10 साल के प्रयासों का नतीजा है। इसके पास दिन एवं रात तथा बादलों की स्थिति में भी धरती की तस्वीरें लेने की क्षमता है। अब तक भारत कनाडाई उपग्रह की तस्वीरों पर निर्भर था, क्योंकि मौजूदा घरेलू दूर संवेदी उपग्रह बादलों की स्थिति में धरती की तस्वीरें नहीं ले सकते थे।
इसरो अध्यक्ष के राधाकृष्णन ने कहा कि 44 मीटर लंबा रॉकेट शानदार ढंग से उड़ान भरते हुए आकाश में प्रवेश कर गया। उन्होंने इस मिशन को ‘एक बड़ी सफलता’ करार दिया। उपग्रह के कक्षा में स्थापित होते ही नियंत्रण कक्ष में बैठे वैज्ञानिकों में खुशी की लहर दौड़ गई।
प्रसन्नचित दिख रहे राधाकृष्णन ने कहा, ‘‘मुझे यह घोषणा करते हुए अत्यंत खुशी हो रही है कि पीएसएलवी सी 19 मिशन एक बड़ी सफलता है। हमारे पीएसएलवी की यह लगातार 20वीं सफल उड़ान है। इसने भारत के पहले राडार इमेजिंग सैटेलाइट को सटीक रूप से वांछित कक्षा में स्थापित कर दिया।’’ भारत ने 2009 में सभी मौसमों में काम करने वाले एक अन्य राडार इमेजिंग उपग्रह (रीसैट-2) का प्रक्षेपण किया था, लेकिन इसे निगरानी उद्देश्यों के लिए इस्राइल से 11 करोड़ अमेरिकी डॉलर में खरीदा गया था।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रक्षेपण वाहन ‘पीएसएलवी’ ने रीसैट-1 के प्रक्षेपण के साथ अपनी 20 सफल उड़ानें पूरी कर एक बार फिर अपनी विश्वसनीयता स्थापित की है। इसके द्वारा प्रक्षेपित किया गया यह अब तक सबसे भारी उपग्रह है। रीसैट-1 इसरो के लगभग 10 साल के प्रयासों का नतीजा है। इसके पास दिन एवं रात तथा बादलों की स्थिति में भी धरती की तस्वीरें लेने की क्षमता है। अब तक भारत कनाडाई उपग्रह की तस्वीरों पर निर्भर था, क्योंकि मौजूदा घरेलू दूर संवेदी उपग्रह बादलों की स्थिति में धरती की तस्वीरें नहीं ले सकते थे।
इसरो अध्यक्ष के राधाकृष्णन ने कहा कि 44 मीटर लंबा रॉकेट शानदार ढंग से उड़ान भरते हुए आकाश में प्रवेश कर गया। उन्होंने इस मिशन को ‘एक बड़ी सफलता’ करार दिया। उपग्रह के कक्षा में स्थापित होते ही नियंत्रण कक्ष में बैठे वैज्ञानिकों में खुशी की लहर दौड़ गई।
प्रसन्नचित दिख रहे राधाकृष्णन ने कहा, ‘‘मुझे यह घोषणा करते हुए अत्यंत खुशी हो रही है कि पीएसएलवी सी 19 मिशन एक बड़ी सफलता है। हमारे पीएसएलवी की यह लगातार 20वीं सफल उड़ान है। इसने भारत के पहले राडार इमेजिंग सैटेलाइट को सटीक रूप से वांछित कक्षा में स्थापित कर दिया।’’ भारत ने 2009 में सभी मौसमों में काम करने वाले एक अन्य राडार इमेजिंग उपग्रह (रीसैट-2) का प्रक्षेपण किया था, लेकिन इसे निगरानी उद्देश्यों के लिए इस्राइल से 11 करोड़ अमेरिकी डॉलर में खरीदा गया था।
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