Wednesday, 24 March 2021

वायरस से वैक्सीन तक

डर है? सवाल है? 

जवाब यहां हैं

वैक्सीनेशन की प्रक्रिया को शुरू हुए 2 महीने से ज्यादा हो चुके हैं। लाखों लोगों को वैक्सीन लग चुकी है। साइड इफेक्ट्स को लेकर क्या अब भी आप आशंकित हैं? क्या मन में अब भी कई तरह के सवाल उठ रहे हैं? जाने-माने एक्सपर्ट्स से बात करके ऐसी ही शंकाओं को दूर करने की कोशिश की है लोकेश के. भारती और निशि भाट ने:


क्यों बढ़ रहे हैं मामले?

ये हैं कोरोना बढ़ने की 5 वजहें

1. लॉकडाउन खत्म तो कोरोना खत्म, इस सोच की वजह से लोगों ने कोरोना पर ध्यान देना कम कर दिया है।

2. मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग जो लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में देखी जा रही थी, वह खत्म हो गई है।

3. लोग पार्टियां कर रहे हैं। मेट्रो, बसों, ट्रेन आदि में भीड़ बढ़ रही है।

4. वैक्सीन आने से लोगों में निश्चिंतता आ गई है जबकि अभी यह देश की 3 फीसदी आबादी को भी नहीं लगी है।

5. कोरोना नियमों में कड़ाई कम हो गई है। 


कोरोना के मामले फिर बढ़ रहे हैं, क्या पहले की तरह लॉकडाउन लगाया जा सकता है?

आजकल जो कोरोना के मामले बढ़े हैं उसे दूसरी लहर कहा जा रहा है। इसे नई लहर कहें या पुराने कोरोना की वापसी। सच तो यह है कि कोरोना के मामले पिछले 1 महीने में दोगुने से ज्यादा हो गए हैं और ये बढ़ते ही जा रहे हैं। कई शहरों में रात का लॉकडाउन है तो कई जगह धारा 144 लागू की गई है।


1.38% है देश में कोरोना इंफेक्शन से मृत्युदर

12.22 करोड़ के पार पहुंचे दुनियाभर में कोरोना केस


सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र में क्यों बढ़े रहे हैं?

इसकी 2 बड़ी वजहें हैं। एक तो महाराष्ट्र खासकर मुंबई में हवाई जहाज और पानी के जहाज दोनों माध्यमों से विदेश से लोग आ रहे हैं। संक्रमण के मामले में अकेले महाराष्ट्र का हिस्सा 62 फीसदी है। मुंबई में भीड़ सबसे ज्यादा है और लोगों ने मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग को भी नजरअंदाज करना शुरू कर दिया है। अपनी रोजी-रोटी की तलाश में भी बड़ी संख्या में लोग मुंबई और पुणे जैसे शहरों में पहुंचने लगे हैं।


वैक्सीनेशन की पूरी प्रक्रिया को ऐसे समझें


रजिस्ट्रेशन कहां कराना होगा?

अब तक की व्यवस्था के अनुसार Aarogya Setu मोबाइल ऐप पर CoWIN सेक्शन पर रजिस्ट्रेशन के बाद ही वैक्सीन के लिए नंबर आता है। यह ऐप एेंड्राॅयड और iOS दोनों प्लैटफॉर्म पर मुफ्त में उपलब्ध है। वेबसाइट cowin.gov.in पर जाकर भी वैक्सीन के लिए रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। यह भी मुमकिन न हो तो नजदीकी अस्पताल जहां वैक्सीनेशन की प्रक्रिया चल रही हो, वहां भी सीधे रजिस्ट्रेशन हो सकता है। ऑनलान रजिस्ट्रेशन के लिए सरकार द्वारा जारी फोटो आई कार्ड अपलोड करना होता है। वैक्सीन सेंटर एक तरह के रेलवे रिजर्वेशन सेंटर की तरह काम कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, एक सेंटर पर दिनभर में अगर 100 हेल्थ वर्कर्स को वैक्सीन दी जानी है और उसमें से 90 ही वैक्सीन लगवाने के लिए पहुंचे तो किसी दूसरे को उनकी जगह वैक्सीन लगवाने का विकल्प दिया जा सकता है।


वैक्सीन लेने से पहले और लेने के बाद की फॉर्मेलिटी क्या है?

ऐप या वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन के बाद अगर आपके पास वैक्सीनेशन का एसएमएस आ गया है तो आपको सबसे पहले उन डॉक्यूमेंट्स को तैयार रखना होगा जो आपने रजिस्ट्रेशन के समय अपलोड किए हैं। फोटो पहचानपत्र के लिए आधार कार्ड या फिर सूची में बताए गए दूसरे दस्तावेज, जैसे: अगर कोई कोमोरबिड (अति गंभीर बीमारियों) की श्रेणी में आते है तो इसे साबित करने के लिए डॉक्टर का पर्चा साथ रखना होगा। पहली अप्रैल से डॉक्टर के पर्चे की जरूरत खत्म हो जाएगी। इस तारीख से 45 साल से ज्यादा वाले सीधे ही टीका लगवा सकते हैं।


अगर किसी ने पहली डोज एक शहर में ली है और दूसरी डोज दूसरे शहर में लेनी है तो उसे यह कैसे पता चलेगा कि उसने पहले किस कंपनी की वैक्सीन ली थी और क्या कंपनी बदलने से कोई फर्क पड़ता है?

जब कोई शख्स पहली डोज लेता है तो उसके फौरन बाद उसे एक टेक्स्ट मेसेज आता है जो इस तरह से होता है...

'प्रिय P. KUMAR, बधाई! आपको कोविड-19 टीके की खुराक 1st टीकाकर्मी Puspamma (9810.....) द्वारा 19-01-2021 को 12:55 PM बजे B. Hospital में सफलतापूर्वक लगा दी गई है। टीकाकरण के बाद किसी अन्य पूछताछ के लिए हमारी हेल्पलाइन 1075 से संपर्क करें।

-CoWIN'


इस मेसेज में सारी जानकारी दी गई है कि कब, किसने और किस अस्पताल में टीका लगवाया। जब किसी को वैक्सीन लगती है तो बताया जाता है कि किस कंपनी की वैक्सीन लगी है, लगाने वाले का नाम क्या है, उसका मोबाइल नंबर क्या है? आदि। इस मेसेज को अगली वैक्सीन लगने तक रखना होता है। सरकार की कोशिश यही होती है कि एक शख्स को जिस कंपनी की वैक्सीन पहली डोज में लगी है, वही 28 दिनों बाद बूस्टर डोज में भी लगे। अगर सेकंड डोज किसी दूसरी कंपनी की लग भी जाए तो परेशान होने की जरूरत नहीं है, लेकिन वैक्सीन सेंटर के अधिकारी या अपने डॉक्टर को जरूर बता दें।


Q. वैक्सीन लगवाने के लिए कितनी देर पहले पहुंचना होता है? पहुंचने के बाद पहले क्या करना है?

A. ऐप के जरिए जो मेसेज आपको दिया जाएगा, जिसमें वैक्सीन लंच से पहले या बाद में दिए जाने की सूचना होगी। सामान्य रूप से आधे घंटे से 45 मिनट के अंदर वैक्सीनेशन की प्रक्रिया पूरी हो जाती है। इसलिए आधे घंटे पहले केंद्र पर पहुंचना बेहतर रहेगा।


Q. किसी को कोरोना हो गया है या वैक्सीन की पहली डोज लेने के बाद उसे कोरोना हो जाता है तो वैक्सीन कब लेनी है?

A. अगर किसी को कोरोना हो चुका है, चाहे उसने वैक्सीन की पहली डोज ली हो या फिर नहीं, उस शख्स को पहली या दूसरी डोज जो भी लेनी है, वह कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आने के 45 दिनों के बाद ही ले सकता है। उससे पहले उसे वैक्सीन नहीं लेनी चाहिए।


दोनों वैक्सीन में फर्क


कोवैक्सीन

-इसे बनाने की प्रक्रिया ज्यादा विस्तारित है।

-इसमें पूरे कोरोना वायरस का ही उपयोग किया गया है।

-इसमें वायरस की मारक क्षमता खत्म कर दी जाती है।

-इसे ऐसे समझ सकते हैं कि अगर किसी के शरीर में मांस, नसें आदि कुछ न हो सिर्फ कंकाल रह जाए। इसमें वायरस को भी ऐसा बना दिया जाता है।


कोविशील्ड

-इसमें कोरोना वायरस के पूरे शरीर का उपयोग नहीं किया गया है।

-कोरोना वायरस में मौजूद सिर्फ प्रोटीन का उपयोग किया गया है।

-दूसरे वायरस पर कोरोना वायरस की प्रोटीन चेन लगाकर वैक्सीन को तैयार किया गया है।

-वायरस के इसी प्रोटीन को याद करके हमारा शरीर ऐंटिबॉडी तैयार कर लेता है।


अगर कोवैक्सीन और कोविशील्ड दोनों वैक्सीन कोरोना से लड़ने के लिए ही तैयार की गई हैं तो टीका लगवाने के बाद दोनों के साइड इफेक्ट्स अलग-अलग क्यों होते हैं?

दोनों वैक्सीन लगवाने के बाद जो लक्षण उभरते हैं, उनमें ज्यादा फर्क नहीं होता। बुखार (वैक्सीन लगने के 2 से 3 दिनों तक 100 से 102 डिग्री फारेनहाइट तक), मांसपेशियों में हल्का दर्द (यह भी 2 से 3 दिनों तक) दोनों में होता है। इससे ज्यादा रहने पर वैक्सीन सेंटर, 1075 या फिर नजदीकी डॉक्टर से संपर्क करें। हां, कोविशील्ड को लेकर विदेशों में खून का थक्का जमने के कुछ मामले जरूर सुनने में आ रहे हैं। लेकिन इसके अभी तक कोई सबूत नहीं मिले हैं।


वैक्सीनेशन से पहले सेहत पर ध्यान

Q. वैक्सीन लेने के 7 या 10 दिन पहले क्या एस्प्रिन दवाएं लेना सुरक्षित रहेगा?

A. एस्प्रिन एक Anticoagulant (जो खून का थक्का जमने न दे या खून को पतला करने वाली दवा) है। वैक्सीन लेने से पहले किस व्यक्ति को एस्प्रिन लेनी है या नहीं, इसका निर्णय डॉक्टर ही जांच के बाद कर सकते हैं। सभी दिल के मरीजों को वैक्सीन से पहले एस्प्रिन दवा लेने की सलाह नहीं दी जा सकती क्योंकि किसी को एस्प्रिन की जरूरत न हो और उसे दे दी गई तो नाक या मुंह से खून आ सकता है।


Q. वैक्सीन लगने के बाद दिल का दौरा पड़ने के मामले अधिक देखे गए हैं। क्या एहतियात के रूप में वैक्सीन लेने से पहले डी- डायमर जांच करवाना और जोरोल्टो दवा लेना ठीक है?

A. इस तरह की शिकायत ज्यादा उम्र के मरीजों में ही देखी गई है। हां, जांच करा सकते हैं, लेकिन बिना किसी डॉक्टर से पूछे जोरोल्टो लेने की सलाह नहीं दी जा सकती।


Q. अगर शुगर कंट्रोल में होते हुए कोविन ऐप पर वैक्सीन के लिए रजिस्ट्रेशन करा लिया और नंबर आना है एक हफ्ते बाद तो इस बीच शुगर बढ़ने पर क्या दोबारा रजिस्ट्रेशन कराना होगा?

A. वैसे तो इसके लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ रहा है। बावजूद इसके शुगर नियंत्रित होने के बाद ही रजिस्ट्रेशन कराना चाहिए। इस बीच डायट और इंसुलिन पर भी ध्यान दें। अगर रजिस्ट्रेशन के अगले दिन कोरोना वैक्सीन लगवाने की स्थिति बने तो शुगर सामान्य रखने कोशिश करें।


Q. किसी का HbA1c टेस्ट बताता है कि शुगर 3 महीने से सामान्य है तो क्या वह बिना शुगर जांच के कोरोना की वैक्सीन ले सकता है?

A. जरूर ले सकते हैं। शुगर के मरीजों में HbA1c सामान्य होना सही स्थिति माना जाता है। यदि स्वास्थ्य संबंधी और कोई दिक्कत नहीं है तो आप बेझिझक कोरोना वैक्सीन ले सकते हैं।


Q. अगर किसी का कलेस्टरॉल भी लगातार बढ़ा रहता है तो क्या वैक्सीन लेने से पहले HDL जांच भी करा लेनी चाहिए?

A. कोरोना की वैक्सीन लेने से पहले HDL जांच कराना स्वैच्छिक हो सकता है, लेकिन बढ़े हुए कलेस्ट्रॉल के साथ यदि कोरोना इंफेक्शन होता है तो यह घातक हो सकता है, इसलिए वैक्सीन लेना जरूरी है।


Q. डायलिसिस वाले मरीजों को कोरोना वैक्सीन लेने से पहले क्या तैयारी करनी चाहिए?

A. स्वास्थ्य संबंधी अति गंभीर बीमारियों का शिकार लोगों को भी वैक्सीन के लिए पहली सूची में शामिल किया गया है। लंबे समय से क्रिएटिनिन स्तर सामान्य है तो बेझिझक वैक्सीन ले सकते हैं। कोई चाहे तो डायलिसिस कराने के 4 से 5 दिनों के बाद कोविन से रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी कर सकता है।


Q. क्या वैक्सीन को खाली पेट लगवाना ज्यादा अच्छा है?

A. वैक्सीन कभी भी खाली पेट नहीं लगवानी चाहिए। अगर किसी को लो-शुगर की परेशानी है तो खाली पेट वैक्सीन लेने से दिक्कत हो सकती है। इसलिए वैक्सीन लगवाने के लिए जाने से पहले जरूर कुछ खा लेना चाहिए।


वैक्सीनेशन के बाद की जांच और जरूरी सावधानियां


Q. अगर वैक्सीन लगवाने के बाद भी मास्क पहनना है, सोशल डिस्टेंसिंग भी रखनी है तो वैक्सीन लगवाने का क्या फायदा?

A. फौजियों को दुश्मन की गोली से बचने के लिए बुलेटप्रूफ जैकेट दी जाती है ताकि उन पर गोली का असर न हो या कम से कम हो। इसका यह मतलब नहीं है कि फौजी बिना वजह ही दुश्मनों के सामने चले जाएं। ऐसा करने से भले ही जवान की जान न जाए, लेकिन गोली की वजह से उन्हें चोट लग सकती है और वे घायल हो सकते हैं। इसके अलावा जो अंग बुलेटप्रूफ जैकेट से नहीं ढके हैं, वहां गोली लग सकती है। यही बात वैक्सीन के साथ भी लागू होती है। यह कोरोना जैसे खतरनाक वायरस से जान बचाने के लिए है। शरीर में पहुंचने पर यह वायरस कुछ परेशानी तो पैदा कर ही सकता है। चूंकि यह वैक्सीन 70 से 80 फीसदी ही कारगर है, इसलिए बाकी के 20 से 30 फीसदी लोग कौन होंगे, यह बताना मुश्किल होता है। इसलिए वैक्सीनेशन के बाद भी मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना जरूरी है।


Q. वैक्सीन लगवाने के तुरंत बाद किस बात का ध्यान रखना है?

वैक्सीन की पहली डोज लगी हो या दूसरी डोज। अगर किसी को 3 दिन से ज्यादा समय तक बुखार और मांसपेशियों में दर्द रहे तो डॉक्टर से जरूर संपर्क करें।


CRP: यह शरीर में मौजूद इंफेक्शन को समझने के लिए बेहतरीन टेस्ट है। यह उन लोगों को जरूर कराना चाहिए जिन्हें लगातार खांसी, सिरदर्द आदि की शिकायत रहती है।

खर्च: लगभग 500 रुपये, कैसे: खून से, रिपोर्ट: उसी दिन


D-Dimer: खून में थक्का जमने की स्थिति को समझने के लिए। इस टेस्ट को जरूर कराना चाहिए।

खर्च: करीब 1000 रुपये, कैसे: खून से, रिपोर्ट: उसी दिन


LDH: इस टेस्ट से शरीर में टिशू लॉस का पता चलता है।

खर्च: 350 रुपये, कैसे: खून से, रिपोर्ट: उसी दिन


Q. फिलहाल जो वैक्सीन लगाई जा रही है, क्या यह कोरोना के नए स्ट्रेन पर भी काम करेगी?

A. यह पूरी तरह से कहना अभी मुश्किल है। एक तो स्ट्रेन नया है और वैक्सीन भी नई है। लेकिन इतना तो कहा ही जा सकता है कि जिसने वैक्सीन नहीं लगवाई है, उसकी तुलना में जिन लोगों ने वैक्सीन लगवा ली है, उनके शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ ऐंटिबॉडी बन जाती है। इससे नया स्ट्रेन भी शायद उस तरह संक्रमित नहीं कर पाएगा जितना उन लोगों को करेगा जिन्होंने वैक्सीन नहीं लगवाई है।


Q. यह कैसे पता चले कि वैक्सीन का साइड इफेक्ट हो रहा है या कोई नई परेशानी है?

A. अगर वैक्सीन लगने के 3 दिनों के बाद भी कोई परेशानी जारी रहे तो डॉक्टर से मिलना चाहिए। जांच के बाद पता चलेगा कि यह वैक्सीन की वजह से है या फिर कोई नई परेशानी।


Q. वैक्सीन लगने के बाद भी कोरोना हो सकता है?

A. जरूर हो सकता है, लेकिन यह ज्यादा खतरनाक नहीं होता। वैक्सीन लगने के बाद जब कोरोना वायरस शरीर के अंदर पहुंचता है तो उसकी लड़ाई शरीर में पहले से मौजूद ऐंटिबॉडी से होती है, इसलिए हल्के लक्षण जैसे बुखार या मांसपेशियों में दर्द आदि हो सकता है। सांस फूलने जैसी परेशानी, स्वाद या गंध का जाना आदि नहीं देखा जाता।


Q. सुपर सीनियर्स को वैक्सीन लगवाने से पहले क्या ध्यान रखें और बाद में क्या?

A. 75 साल से ज्यादा उम्र वाले लोगों को भी वैक्सीन जरूर लगवानी चाहिए, बशर्ते उन्हें शुगर, बीपी, किडनी, दिल से संबंधित बीमारी और कैंसर आदि न हों। अगर ये परेशानियां नहीं हैं तो बेफिक्र होकर वैक्सीन लगवा सकते हैं। वैक्सीनेशन के बाद कोई भी परेशानी हो तो डॉक्टर से मिलें।


Q. ऐंटिबॉडी कितने दिनों में तैयार होती है?

A. वैक्सीनेशन की पहली डोज के 3 से 4 दिनों के बाद ही ऐंटिबॉडी बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है, लेकिन कई लोगों में ऐंटिबॉडी कम संख्या में बनती है या हो सकता है न बने। इसलिए दूसरी यानी बूस्टर डोज लगवाना जरूरी हो जाता है। जब बूस्टर डोज लगवा लेते हैं तो 10 से 15 दिनों के बाद उनके शरीर में ऐंटिबॉडी तैयार हो जाती है।


Q. क्या वैक्सीन 100 फीसदी सफल है?

A. पूरी दुनिया में आज तक कोई भी वैक्सीन 100 फीसदी सफल नहीं है। इन दोनों वैक्सीन के साथ भी ऐसा ही है। इन्हें 70 से 80 फीसदी तक सफल कहा जा रहा है। इसलिए वैक्सीनेशन के बाद भी मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग रखने की बात पर जोर दिया गया है।


वैक्सीन के खतरे और नए टीके


Q. हाल में कोरोना वैक्सीन लेने के बाद कर्नाटक में 71 साल की महिला की मृत्यु हो गई। क्या वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स महिलाओं में अलग और पुरुषों में अलग देखे जा रहे हैं?

A. कोरोना वायरस इंफेक्शन के इस पहलू पर अभी ज्यादा अध्ययन नहीं किया गया है। लंबे समय से वायरस को नियंत्रित करने और इससे बचाव के उपायों पर ही काम हो रहा है। अब वैक्सीन आने के बाद इस बात की जरूरत महसूस की जा रही है कि वायरस का असर किस वर्ग या शरीर के किस अंग पर कितना अधिक गंभीर होता है, यह भी देखा जाए। यही नहीं, महिलाओं पर या पुरुषों पर वैक्सीन और वायरस के प्रभाव को अलग से जांचने के साथ ही इस बात पर भी विशेषज्ञों की नजर है कि कई तरह की गंभीर बीमारियों पर इंफेक्शन का क्या असर होता है। इस पर रिसर्च के लिए अगले दो से तीन साल का समय चाहिए।


Q. कोरोना टीकाकरण के बाद देशभर में कई लोगों की मौत हो चुकी है और कई लोग अस्पताल में भर्ती हुए हैं, इनमें से किसी का भी पोस्टमॉर्टम नहीं किया गया, ऐसा क्यों?

A. दुनियाभर में कोरोना की एस्ट्राजेनेका वैक्सीन पर उठे विवाद के बाद देश में भी वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स के मामलों पर सरकार गंभीर हो गई है। अब सभी तरह के मामूली और गंभीर साइड इफेक्ट्स पर ध्यान दिया जाएगा। अगर जरूरी हुआ तो ऐसे मामलों में पोस्टमॉर्टम भी कराया जाएगा।


Q. कोरोना वैक्सीन सेंटर पर बहुत कम लोग पहुंच रहे हैं। कहीं टीकाकरण की गति बहुत तेज है तो कहीं बिल्कुल धीमी। क्या वैक्सीन को लेकर लोगों में भरोसा नहीं बना है?

A. कुछ केंद्रों पर भले ही वैक्सीनेशन के लिए कम लोग पहुंच रहे हों, लेकिन 30 लाख से ज्यादा लोगों को कोरोना वैक्सीन दी जा चुकी है। वैक्सीन के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ रहा। रजिस्ट्रेशन के एक या दो दिन के भीतर नंबर आ रहा है। इसलिए लोग अपनी सहूलियत को ध्यान में रखकर वैक्सीनेशन केंद्र पर पहुंच रहे हैं।


Q. क्या मुमकिन है कि वैक्सीन लेने से पहले बुजुर्गों की सेहत की जांच वैक्सीन केंद्र पर ही हो जाए?

A. व्यावहारिक रूप से यह संभव नहीं। ऐसी व्यवस्था के लिए बड़ी संख्या में संसाधनों की जरूरत होगी। जिन लोगों को वैक्सीन पात्रता की सूची में शामिल किया गया है, वे पहले से ही किसी डॉक्टर से इलाज करा रहे हैं या उनका इलाज चल रहा है। ऐसे में सेंटर पर स्वास्थ्य जांच का कोई औचित्य नहीं।


Q. युवाओं का वैक्सीनेशन करना सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण होगा और यही वर्ग सबसे अधिक समय तक घर से बाहर रहता है। उनके लिए टीकाकरण शुरू होगा तो उन्हें सेंटर तक लाने की क्या योजना होगी?

A. जब हम युवाओं को कोरोना वैक्सीन देने की बात करते हैं तो निश्चित रूप से हम उस समय की बात करते हैं जबकि एक बड़ी आबादी को वैक्सीन दी जा चुकी होगी। इसलिए वैक्सीन की सेफ्टी पर अधिक सवाल नहीं होगा। यह संभव है कि युवाओं को 100 रुपये से लेकर 1000 रुपये तक की वैक्सीन लगवाने का विकल्प मिल जाए।


Q. वैक्सीन पासपोर्ट सिस्टम भी लागू हो सकता है?

अभी भारत ने इसे लागू नहीं किया है, लेकिन यह मुमकिन है कि छोटे देशों में यह शुरू हो जाए जहां कोरोना के मामले शून्य पर पहुंच गए हों। कई बड़े देश भी इसे लागू कर सकते हैं जैसा कि येलो फीवर को लेकर नियम है। जब आप अफ्रीका के किसी देश में जाते हैं तो जाने से पहले येलो फीवर से बचाव के लिए वैक्सीनेशन करवाना पड़ता है। इसके बाद एक येलो कार्ड दिया जाता है। अगर यह कार्ड आपके पास नहीं है तो जाने से रोक दिया जाता है। इसलिए इसे हमेशा साथ रखना होता है।


Q. सरकार ने कुछ दिन पहले ही कहा था कि कई नई वैक्सीन भी आने वाली हैं। क्या उनको बाजार में उतारने के बाद सभी के लिए कोरोना वैक्सीनेशन शुरू हो जाएगा? अगर ऐसा किया जा सकता है तो यह कब तक संभव है?

A. कोवैक्सिन और कोविशील्ड के अलावा दो अन्य वैक्सीन, जॉनसन एंड जॉनसन की जेनवैक्स और रूस की स्पूतनिक वी को मजबूत प्रतिभागी माना जा रहा है। निजी वैक्सीन को अनुमति देने के बाद वैक्सीनेशन का दायरा बढ़ाया जाएगा। इसके लिए उतने ही स्तर के संसाधनों की जरूरत होगी। फिलहाल पूरा ध्यान जुलाई तक 30 करोड़ लोगों को कोरोना वैक्सीन देने पर है।


Q. नेजल यानी नाक से दी जाने वाली वैक्सीन कब तक आएगी और यह कितनी कारगर होगी?

नाक से दी जाने वाली वैक्सीन पर भी रिसर्च चल रही है। लोगों पर इसके प्रयोग किए जा रहे हैं, लेकिन इसे लॉन्च नहीं किया गया है। कुछ महीनों में उपलब्ध होने की उम्मीद की जा रही है। जहां तक सफल होने की बात है तो यह आने के बाद ही पता चलेगा। कोरोना वायरस के शरीर में पहुंचने के माध्यम भी नाक और मुंह ही हैं। जब नेजल वैक्सीन नाक और फेफड़ों से गुजरते हुए खून में मिल जाएगी, तब ऐंटिबॉडी तैयार हो जाएगा।


एक्सपर्ट पैनल

डॉ. के. के. अग्रवाल, प्रेसिडेंट, हार्ट केयर फाउंडेशन

डॉ. राजकुमार, डायरेक्टर, पटेल चेस्ट इंस्टिट्यूट

डॉ. अनुराग अग्रवाल, डायरेक्टर, जिनोमिक्स एंड इंटिग्रेटिव बायॉलजी

डॉ. राकेश मिश्रा, डायरेक्टर, सेल्यूलर एंड मॉलिक्यूलर बायॉलजी

(साभार एनबीटी)

डॉ. अंशुमान कुमार, डायरेक्टर, धर्मशिला अस्पताल

डॉ. एन. के. अरोड़ा, मेंबर, ICMR EFI

डॉ. जतिन आहूजा, सीनियर वायरॉलजिस्ट, संत परमानंद अस्पताल

डॉ. अंशुल वार्ष्णेय, सीनियर कंसल्टेंट, फिजिशन


संडे नवभारत टाइम्स में प्रकाशित, 21.03.2021

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