चंद्रभूषण
पृथ्वी सूरज के चारों ओर घूमती है, यह बात दावे के साथ कोई 500 साल पहले कह दी गई थी। लेकिन सूरज किस चीज के इर्द-गिर्द घूमता है, इसे लेकर आज भी खोजबीन जारी है। आकाशगंगा की यह धुरी धनु राशि में है और यह कोई बहुत भारी, अदृश्य चीज है, इसपर खगोलशास्त्रियों में सहमति है। इसे लेकर कुछ विचित्र प्रस्थपनाएं भी दी गई है लेकिन आम समझ के मुताबिक यह सूरज का 40 लाख गुना वजनी एक ब्लैक होल है, जिसकी स्पिन का हिसाब होना बाकी है।
सैजिटेरियस ए स्टार नाम वाली इस चीज से जुड़ी जानकारियां हम इसके करीबी तारे एस-2 का गुणधर्म देखकर हासिल करते हैं, क्योंकि 26 हजार प्रकाश वर्ष दूर के उस धुंधले इलाके में यही अकेला ऐसा पिंड है, जिस पर लगातार नजर रखी जा सकती है। वैज्ञानिक यह काम 1992 से कर रहे हैं और इसके जरिये उन्होंने न सिर्फ आकाशगंगा के केंद्र की, बल्कि खुद तारा भौतिकी की भी समझ बढ़ाई है। हमारे सूरज का 15 गुना वजनी एस-2 तारा कुछ मामलों में विचित्र है।
तारों का रास्ता टेढ़ा-मेढ़ा होता है, लेकिन एस-2 की कक्षा ग्रहों जैसी सरल है। अदृश्य सैजिटेरियस ए स्टार का चक्कर यह उससे अधिकतम 970 एयू और न्यूनतम 120 एयू दूर रहकर 16 साल चार महीने में लगाता है। धरती से सूरज की दूरी को एस्ट्रोनॉमिकल यूनिट (एयू) कहते हैं। इस रास्ते पर एस-2 की गति बदलती रहती है और जब-तब इसे एक करोड़ किलोमीटर प्रति घंटा से भी ज्यादा रफ्तार से चलते देखा गया है।
हाल में इस तारे के दो चक्करों के बीच ही इसके कक्षीय अक्ष (ऑर्बिटल एक्सिस) में स्पष्ट खिसकाव दर्ज किया गया, जिसका सौरमंडल के सदस्यों में- खासकर बुध ग्रह में कोई हिसाब सदियों में ही मिल पाया है। इस प्रेक्षण को आइंस्टाइन के सापेक्षता सिध्दांत का सर्वश्रेष्ठ इलस्ट्रेशन माना जा रहा है।
पृथ्वी सूरज के चारों ओर घूमती है, यह बात दावे के साथ कोई 500 साल पहले कह दी गई थी। लेकिन सूरज किस चीज के इर्द-गिर्द घूमता है, इसे लेकर आज भी खोजबीन जारी है। आकाशगंगा की यह धुरी धनु राशि में है और यह कोई बहुत भारी, अदृश्य चीज है, इसपर खगोलशास्त्रियों में सहमति है। इसे लेकर कुछ विचित्र प्रस्थपनाएं भी दी गई है लेकिन आम समझ के मुताबिक यह सूरज का 40 लाख गुना वजनी एक ब्लैक होल है, जिसकी स्पिन का हिसाब होना बाकी है।
सैजिटेरियस ए स्टार नाम वाली इस चीज से जुड़ी जानकारियां हम इसके करीबी तारे एस-2 का गुणधर्म देखकर हासिल करते हैं, क्योंकि 26 हजार प्रकाश वर्ष दूर के उस धुंधले इलाके में यही अकेला ऐसा पिंड है, जिस पर लगातार नजर रखी जा सकती है। वैज्ञानिक यह काम 1992 से कर रहे हैं और इसके जरिये उन्होंने न सिर्फ आकाशगंगा के केंद्र की, बल्कि खुद तारा भौतिकी की भी समझ बढ़ाई है। हमारे सूरज का 15 गुना वजनी एस-2 तारा कुछ मामलों में विचित्र है।
तारों का रास्ता टेढ़ा-मेढ़ा होता है, लेकिन एस-2 की कक्षा ग्रहों जैसी सरल है। अदृश्य सैजिटेरियस ए स्टार का चक्कर यह उससे अधिकतम 970 एयू और न्यूनतम 120 एयू दूर रहकर 16 साल चार महीने में लगाता है। धरती से सूरज की दूरी को एस्ट्रोनॉमिकल यूनिट (एयू) कहते हैं। इस रास्ते पर एस-2 की गति बदलती रहती है और जब-तब इसे एक करोड़ किलोमीटर प्रति घंटा से भी ज्यादा रफ्तार से चलते देखा गया है।
हाल में इस तारे के दो चक्करों के बीच ही इसके कक्षीय अक्ष (ऑर्बिटल एक्सिस) में स्पष्ट खिसकाव दर्ज किया गया, जिसका सौरमंडल के सदस्यों में- खासकर बुध ग्रह में कोई हिसाब सदियों में ही मिल पाया है। इस प्रेक्षण को आइंस्टाइन के सापेक्षता सिध्दांत का सर्वश्रेष्ठ इलस्ट्रेशन माना जा रहा है।
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