Monday 24 December 2018

ग्रामीण भारत में आएगी इंटरनेट क्रांति

इंटरनेट कनेक्टिविटी के लिए गेम चेंजर है जीसैट-11

शशांक द्विवेदी 
एक बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने अब तक के सबसे वजनी सैटेलाइट का प्रक्षेपण कर दिया। दक्षिणी अमेरिका के फ्रेंच गुयाना के एरियानेस्पेस के एरियाने-5 रॉकेट से 5,854 किलोग्राम वजन वाले सबसे अधिक वजनीउपग्रह जीसैट-11 को लॉन्च किया गया। जीसैट-11 देशभर में ब्रॉडबैंड सेवाएं उपलब्ध कराने में अहम भूमिका निभाएगा। 
इस सैटेलाइट को इंटरनेट कनेक्टिविटी के लिए गेम चेंजर कहा जा रहा है। इसके काम शुरू करने के बाद देश में इंटरनेट स्पीड में क्रांति आ जाएगी। इसके जरिए हर सेकंड 100 गीगाबाइट से ऊपर की ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी मिलेगी। इसमें 40 ट्रांसपोर्डर कू-बैंड और का-बैंड फ्रीक्वेंसी में है जिनकी सहायता से हाई बैंडविथ कनेक्टिविटी 14 गीगाबाइट/सेकेंड डेटा ट्रांसफर स्पीड संभव है। इस सैटलाइट की खास बात है कि यह बीम्स को कई बार प्रयोग करने में सक्षम है, जिससे पूरे देश के भौगोलिक क्षेत्र को कवर किया जा सकेगा। इससे पहले के जो सैटलाइट लॉन्च किए गए थे उसमें ब्रॉड सिंगल बीम का प्रयोग किया गया था जो इतने शक्तिशाली नहीं होते थे कि बहुत बड़े क्षेत्र को कवर कर सकें। जीसैट-11 अगली पीढ़ी का हाई थ्रुपुट' संचार उपग्रह है और इसका जीवनकाल 15 साल से अधिक का है।
सैटलाइट के आपरेशनल होनें के बाद इससे देश में हर सेकंड 100 गीगाबाइट से ऊपर की ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी मिल सकेगी । ग्रामीण भारत में इंटरनेट क्रांति के लिहाज से यह प्रक्षेपण काफी महत्वपूर्ण है । इसरो प्रमुख के. सिवन के अनुसार जीसैट-11 भारत की बेहरीन अंतरिक्ष संपत्ति है।  यह भारत द्वारा निर्मित अब तक का  सबसे भारी, सबसे बड़ा  और सबसे शक्तिशाली उपग्रह है । यह अत्याधुनिक और अगली पीढ़ी का संचार उपग्रह है जिसे इसरो के आई-6के बस के साथ कंफिगर किया गया है।
फिलहाल जीसैट-11 के एरियन-5 से अलग होने के बाद कर्नाटक के हासन में स्थित इसरो की मास्टर कंट्रोल फैसिलिटी ने उपग्रह का कमांड और नियंत्रण अपने कब्जे में ले लिया गया है और इसरो के मुताबिक जीसैट-11 बिलकुल ठीक है। उपग्रह को फिलहाल जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में स्थापित किया गया है। आगे वाले दिनों में धीरे-धीरे करके चरणबद्ध तरीके से उसे जियोस्टेशनरी (भूस्थिर) कक्षा में भेजा जाएगा। जियोस्टेशनरी कक्षा की ऊंचाई भूमध्य रेखा से करीब 36,000 किलोमीटर होती है। अभी जीसैट-11 को जियोस्टेशनरी कक्षा में 74 डिग्री पूर्वी देशांतर पर रखा जाएगा। उसके बाद उसके दो सौर एरेज और चार एंटिना रिफ्लेक्टर भी कक्षा में स्थापित किए जाएंगे। कक्षा में सभी परीक्षण पूरे होने के बाद उपग्रह काम करने लगेगा।
फ्रेंच गुयाना से क्यों हुई जीसैट-11 की लॉन्चिंग?
जीसैट-11 के प्रक्षेपण पर एक अहम सवाल और भी लोगों के दिमाग में है कि फ्रेंच गुयाना से ही क्यों हुई जीसैट-11 की लॉन्चिंग? अगर भारत अब अपने सारे उपग्रह भेजने में सक्षम है तो फिर ऐसा क्यों किया गया  ? असल में कई बार इसरो अपने सैटेलाइट्स को लांच करने के लिए यूरोपियन स्पेस एजेंसी के जरिए फ्रेंच गुयाना के कोऊरू से भेजता है। जीसैट-11 इसका सबसे हालिया उदाहरण है। यह इसरो का बनाया अब तक का सबसे भारी उपग्रह था। वहाँ से लांचिंग की कई बड़ी वजहें हैं जिसमें सबसे प्रमुख यह है कि दक्षिण अमेरिका स्थित फ्रेंच गुयाना के पास लंबी समुद्री रेखा है, जो इसे रॉकेट लांचिंग के लिए और भी मुफीद जगह बनाती है। इसके अलावा फ्रेंच गुयाना एक भूमध्यरेखा के पास स्थित देश है, जिससे रॉकेट को आसानी से पृथ्वी की कक्षा में ले जाने में और मदद मिलती है। जियोस्टेशनरी कक्षा की ऊंचाई भूमध्य रेखा से करीब 36,000 किलोमीटर होती है। ज्यादातर रॉकेट पूर्व की ओर से छोड़े जाते हैं ताकि उन्हें पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करने के लिए पृथ्वी की गति से भी थोड़ी मदद मिल सके। दरअसल पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है। वैश्विक स्तर की सुविधाओं से युक्त होने, राकेट के लिए ईंधन आदि की पर्याप्तता आदि ऐसी वजहें हैं जिनके चलते भी इसरो अपने बेहद महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट्स के लांच के लिए फ्रेंच गुयाना को एक मुफीद लॉन्च साइट मानता रहा है।
हाल के वर्षों में इंटरनेट सेवा प्रदान करने के लिए जियोस्टेशनरी उपग्रह एक विकल्प के तौर पर उभरे हैं। जियोस्टेशनरी उपग्रह धरती की भूमध्यरेखा से 36,000 किलोमीटर ऊपर स्थित होते हैं यह बहुत बड़े क्षेत्र को कवर करते हैं। एक उपग्रह धरती के एक तिहाई हिस्से को कवर कर सकता है। इससे इंटरनेट सेवा प्रदाता (आईएसपी) को व्यापक भौगोलीय क्षेत्र में ग्राहक हासिल करने की छूट मिलती है । जियोस्टेशनरी उपग्रह हाई थ्रूपुट सेटेलाइट (एचटीएस) के जरिए स्पॉटबीम सेवा उच्च डेटा दर उपलब्ध करवातें हैं । आईएसपी और ग्राहक दोनों ही सेटेलाइट के जरिए एंटेना डिश लगा कर बिना तार के जुड़े होते हैं।वास्तव में ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट कनेक्टिविटी बढ़ाने की जरूरत को बहुत गंभीरता से महसूस किया जा रहा है। इसके साथ ही सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और युवा कार्यबल के साथ भारत डिजिटल डिवाइड’ को दूर करने का संघर्ष कर रहा है। अब तक देश के लगभग ५० करोड़ लोग इंटरनेट से जुड़ चुके हैं। लेकिन अभी भी देश की आधे से ज्यादा आबादी इंटरनेट से दूर है ऐसे में हमें ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट कनेक्टिविटी पर विशेष ध्यान देना होगा ।
इंटरनेट कनेक्टिविटी के साथ साथ भारत में इंटरनेट की स्पीड पर भी ध्यान देना होगा .देश की काफी बड़ी युवा आबादी आजकल मोबाईल में इंटरनेट का प्रयोग कर रही है लेकिन इंटरनेट स्पीड की समस्या यहाँ पर भी है। स्पीडटेस्ट वैश्विक सूचकांक में मोबाइल इंटरनेट की स्पीड के मामले में दुनिया में हमारा 109वां और फिक्स्ड ब्रॉडबैंड के मामले में 76वां स्थान बताता है कि अभी गुणवत्तापूर्ण इंटरनेट कनेक्टिविटी के लिए हमें लंबा रास्ता तय करना है। दुनिया की औसत मोबाइल इंटरनेट डाउनलोड स्पीड 20.28 एमबीपीएस है, जबकि हमारी 8.80 एमबीपीएस। हालांकि ब्रॉडबैंड डाउनलोड स्पीड के मामले में हमारी स्थिति थोड़ी सुधरी है। वैश्विक औसत 40.11 एमबीपीएस की तुलना में ब्रॉडबैंड में हमारी स्पीड अब 18.82 एमबीपीएस है। इस मोबाइल इंटरनेट सूचकांक में पड़ोसी देश म्यांमार 94वें, नेपाल 99वें और पाकिस्तान 89वें पायदान पर हैं। ऐसे में ब्रॉडबैंड स्पीड से कहीं अधिक भारत को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि अच्छी गुणवत्ता की मोबाइल इंटरनेट कनेक्टिविटी देश के तमाम उपभोक्ताओं को मिले, क्योंकि यह न सिर्फ एक लोकप्रिय माध्यम है, बल्कि विशेषकर गांवों में लोगों के ऑनलाइन होने का सुलभ तरीका भी। फिलहाल जीसैट-11 की सफल लांचिंग से अब यह उम्मीद जगी है कि इंटरनेट की कनेक्टिविटी के साथ साथ अब इंटरनेट की स्पीड के मामलें में भी भारत तरक्की करेगा   
फ़िलहाल हम अंतरिक्ष विज्ञान ,संचार तकनीक ,परमाणु उर्जा और चिकित्सा के मामलों में न सिर्फ विकसित देशों को टक्कर दे रहें है बल्कि कई मामलों में उनसे भी आगे निकल गएँ है । अंतरिक्ष में भारत के लिए संभावनाएं बढ़ रही है, इसने अमेरिका सहित कई बड़े देशों का एकाधिकार तोडा है। कुलमिलाकर जीसैट-11 भारत की मुख्य भूमि और द्वीपीय क्षेत्र में हाई-स्पीड डेटा सेवा मुहैया कराने में बड़ा मददगार साबित होगा। साथ ही चार संचार उपग्रहों के माध्यम से देश में 100 जीबीपीएस डेटा स्पीड मुहैया कराने का लक्ष्य रखा गया है। इस श्रेणी में जीसैट-11 तीसरा संचार उपग्रह है। संचार उपग्रह के मामले में भारी होने का मतलब है कि वो बहुत ताकतवर है और लंबे समय तक काम करने की क्षमता रखता है। साथ ही यह अब तक बने सभी सैटेलाइट में ये सबसे ज्यादा बैंडविथ साथ ले जाना वाला उपग्रह भी होगा। और इससे पूरे भारत में इंटरनेट की सुविधा मिल सकेगी खासकर ग्रामीण भारत में इसके जरिये इंटरनेट क्रांति संभव होगी जो देश के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है ।
(लेखक राजस्थान की मेवाड़ यूनिवर्सिटी में डायरेक्टर और टेक्निकल टूडे पत्रिका के संपादक हैं)

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