इलेक्ट्रॉनिक स्किन वाले रोबोट यह भांप सकेंगे
कि मनुष्यों के साथ संपर्क में आने के वक्त कितनी ताकत का प्रयोग करना चाहिए
कुछ वर्ष पहले हॉलीवुड की फिल्म ‘टर्मिनेटर’ में दिखाया गया धातु
का रोबोटिक हाथ शक्तिशाली जरूर था, लेकिन इस तरह के कमाल सिर्फ पर्दे तक ही सीमित हैं।
यदि भविष्य के वास्तविक जीवन में ऐसे रोबोट का प्रवेश हो जाए तो क्या होगा? यदि कोई रोबोट आपसे
हाथ मिलाता है या आपके बच्चे को गोदी में लेता है तो क्या वह अपनी यांत्रिक ताकत
को परिस्थिति के हिसाब से संतुलित कर पाएगा? आपसे हाथ मिलाते हुए उसे यह ध्यान में रखना होगा कि
वह बहुत ताकत के साथ आपका हाथ नहीं पकड़े। इसी तरह बच्चे को गोदी लेते वक्त उसे यह
देखना होगा कि उसके शक्तिशाली हाथों से बच्चे को कोई नुकसान नहीं हो। इलेक्ट्रॉनिक
स्किन इस समस्या का हल हो सकती है। इलेक्ट्रॉनिक स्किन से युक्त रोबोट यह पता लगा
सकेंगे कि मनुष्यों के साथ संपर्क करते हुए उनसे हाथ मिलाने या बच्चे को गोदी लेते
वक्त कितनी ताकत का प्रयोग करना चाहिए। वैज्ञनिकों ने एक नई किस्म की लचीली
इलेक्ट्रॉनिक स्किन का विकास किया है जिसका उपयोग रोबोट विज्ञान से लेकर कई तरह के
बायोमेडिकल उपकरणों में किया जा सकता है। यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो बोल्डर के
शोधार्थियों द्वारा विकसित यह स्किन एल्कोहल-आधारित घोल की मदद से अपने आप अपनी
मरम्मत कर सकती है। इस स्किन का पुनरुपयोग भी किया का सकता है। इलेक्टॉनिक स्किन
या ई-स्किन एक पतला पारदर्शी पदार्थ है जो मानव त्वचा के कार्य और उसके यांत्रिक
गुणों की नकल कर सकता है।1अभी तक विकसित की गई इलेक्ट्रॉनिक त्वचाओं की सबसे बड़ी कमजोरी
यह थी कि उनके निर्माण में प्रयुक्त होने वाले रासायनिक जोड़ कमजोर थे। ये त्वचाएं
मानव त्वचा जैसी लचीली जरूर थीं, लेकिन सुदृढ़ नहीं थीं। नई स्किन की बेहतर यांत्रिक
ताकत, रासायनिक स्थायित्व और विद्युत सुचालकता के लिए इसमें चांदी के
अत्यंत सूक्ष्म कण डाले गए हैं। कोलोराडो यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर
चियानलियांग शियाओ के अनुसार नई ई-स्किन में तापमान, दबाव,आर्द्रता और वायु-प्रवाह को नापने के लिए सेंसर लगे हुए हैं। इन
सेंसरों की मदद से रोबोट यह तय कर सकता है कि किस जगह कितनी ताकत लगानी है।
शोधार्थियों ने पता लगाया है कि यदि ई-स्किन कहीं से कट जाती है या फट जाती है तो
वह एल्कोहल में घुले कुछ रसायनों की मदद से खुद अपनी मरम्मत कर सकती है। 1इस प्रक्रिया में
टूटी हुई सतह पर नए मॉलिक्यूल जमा हो जाएंगे, इससे बिखरे हुए हिस्से आपस में जुड़ने लगेंगे। यह
प्रक्रिया कुदरती त्वचा में हीलिंग प्रक्रिया जैसी ही है। इसका एक और खास गुण यह
है कि सामान्य तापमान पर इसकी रिसाइक्लिंग की जा सकती है। एक घोल में घुलने के बाद
इस स्किन से और ई-स्किन निर्मित की जा सकती हैं। इस अध्ययन के सह-लेखक वेई चांग ने
कहा कि दुनिया में उत्पन्न होने वाले लाखों टन इलेक्ट्रॉनिक कचरे को देखते हुए ई
स्किन की रिसाइक्लिंग न सिर्फ पर्यावरण की दृष्टि से उपयोगी है, बल्कि आर्थिक रूप से
किफायती भी है।
No comments:
Post a Comment