मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा के तहत मिलने वाली स्कॉलरशिप की संख्या को एक हजार से बढ़ाकर दो हजार करने का ऐलान किया है। इन स्कॉलरशिप की संख्या में पिछली बार इजाफा सन 2000 में किया गया था उसके बाद इनकी संख्या एक हजार ही चली आ रही है जबकि स्कूली छात्रों की संख्या में तब से दोगुने से भी ज्यादा की वृद्धि हो चुकी है।ईरानी ने यहां राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के 55वें स्थापना दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह ऐलान किया। इस कार्यक्रम में स्कूल शिक्षा सचिव आर. सी. खूटिया ने कहा कि उन्हें 1973 में राष्ट्रीय प्रतिभा खोज स्कॉलरशिप मिली थी। ईरानी ने कहा कि उनका जन्म 1976 का है और उन्होंने भी यह परीक्षा दी थी। एक स्कूली छात्र के लिए यह स्कॉलरशिप जीवन में बहुत महत्व रखती है। इसलिए इनकी संख्या को बढ़ाए जाने की जरूरत है। इसलिए इस साल से यह संख्या एक हजार की बजाय दो हजार की जाएगी।बता दें कि इस स्कॉलरशिप को पाने वाले छात्रों को प्रति माह पांच सौ रुपये की राशि दो सालों तक प्रदान की जाती है। कक्षा दसवीं में पढ़ने वाले छात्र इस परीक्षा में बैठते हैं। 1961 में पहली बार जब यह स्कॉलरशिप शुरू हुई थी तो तब इनकी संख्या सिर्फ दस थी।हर जिले में बनेगी विज्ञान लैब छात्रों में विज्ञान एवं गणित की पढ़ाई की गुणवत्ता में सुधार लाने तथा नवाचार को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय आविष्कार योजना के तहत हर जिले में एक मॉडल विज्ञान प्रयोगशाला स्थापित की जाएगी। साल के अंत तक यह योजना तैयार कर ली जाएगी। इसके लिए राज्यों को मदद भी प्रदान की जाएगी।पढ़ाई का आकलन होगा ईरानी ने कहा कि तीसरी, पाँचवी, आठवीं और दसवीं कक्षा के छात्रों ने स्कूली पढ़ाई में क्या सीखा है, इसका अब सभी शैक्षणिक वर्ष में सैम्पल सर्वेक्षण के जरिए आकलन कराया जाएगा। इसका जिम्मा एनसीईआरटी को सौंपा जाएगा। इसके लिए उन्होंने एनसीईआरटी के अधिकारियों से योजना पेश करने को कहा।क्षेत्रीय भाषाओं में पुस्तकें उन्होंने कहा कि एनसीईआरटी की पुस्तकों का प्रादेशिक भाषाओं में भी अनुवाद किया जाएगा। अभी ये पुस्तकें हिन्दी, उर्दू तथा अंग्रेजी में छपती हैं। लेकिन यदि इन्हें प्रादेशिक भाषाओं में भी छापा जाए तो दूरदराज के इलाकों के छात्रों को भी आसानी होगी।विशेष पाठ्यक्रम उन्होंने आटिज्म और सेरेब्रल पाल्सी से प्रभावित बच्चों के लिए एनसीईआरटी से अलग पाठ्य सामग्री तैयार करने को कहा। क्योंकि ऐसे बच्चों की सीखने की प्रवृत्ति धीमी होती है। इरानी ने दृष्टिहीन छात्रों के लिए ब्रेल और अंग्रेजी में भौगोलिक मानचित्र की पुस्तक का विमोचन भी किया।
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