शशांक द्विवेदी
दुबई में भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी ने कहा कि अगले पाँच साल में सबको बिजली देगें क्योकि बिजली के बिना
विकास संभव नहीं है उन्होंने खुद अपने भाषण में लोगों से पूछा था कि आज के समय में
क्या बिना बिजली के जीवन की कल्पना कर सकते है ? हालात यह है कि देश में करोड़ों
लोग आज भी अँधेरे में जीवन जीने को मजबूर है । पिछले दिनों बिजली, कोयला तथा नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री गोयल ने
कहा था कि ‘देश में 28 करोड़ लोगों के घरों में बिजली कनेक्शन
नहीं है। देश में बिजली के उत्पादन और आपूति में आज भी एक बड़ा फासला है । जिसे दूर करना एक बड़ी चुनौती है । भारत बड़े पैमानें पर ऊर्जा की कमी से जूझ रहा है। उर्जा की माँग और
आपूर्ति का अंतर दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है । देश में करोड़ों लोग आज भी बिना
बिजली के रहने को मजबूर है। देश के 28 में से 9 राज्यों आंध्र प्रदेश,
गुजरात, कर्नाटक, गोवा, दिल्ली, हरियाणा, केरल, पंजाब और
तमिलनाडु का ही पूरी तरह विद्युतीकरण हो
पाया है । बाकी 19 राज्यों में तो पूर्ण विद्युतीकरण भी नहीं हुआ है । विद्युतीकरण
के बावजूद इन 9 राज्यों में भी बिजली कटौती आम बात है। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी
(आइईए) के अनुसार अगले 20 सालों में भी भारत में ऊर्जा की समस्या बनी रहेगी। अभी
भी देश के कई हिस्सों में माँग की सिर्फ 15 प्रतिशत बिजली की आपूर्ति हो पाती है ।
आइईए के अनुमान के मुताबिक 2030 तक भी देश
के कई राज्यों में अबाधित बिजली आपूर्ति नहीं हो सकेगी। कुलमिलाकर उर्जा की यह
समस्या देश के विकास और भविष्य को सीधा सीधा प्रभावित करती है जिसके लिए हमें अभी से संजीदा होना
होगा ,ठोस कदम उठाने होंगे । पिछले एक साल के दौरान केंद्र सरकार अक्षय उर्जा के क्षेत्र में उत्पादन
बढ़ाने के लिए काफ़ी संजीदा दिख रही है ,इसके लिए सरकार कई योजनायें भी लेकर आ रही
है जो कि सकारात्मक कदम है । फ़िलहाल दिसंबर 2014 तक भारत में नवीनीकृत ऊर्जा विकल्पों की स्थापित क्षमता
कुल 33,791.74 मेगावाट
के आसपास है। इनमें पवन ऊर्जा 22,465.03, सौर ऊर्जा3,062.68, लघु
जल विद्युत ऊर्जा 3,990.83 , बायोमास ऊर्जा1,365.20 , बायोगैस कोजेनेशन 2,800.35 , अपशिष्ट ऊर्जा से 107.58 मेगावाट की स्थापित क्षमता है।
ये आंकड़े देश की ऊर्जा जरूरतों की तुलना में भले ही कम लगे लेकिन यही वे सारे
संसाधन हैं जहां भरपूर संभावनाएं भी छिपी हुई है।
सन् 1990
में भारत में पवन ऊर्जा
के विकास पर ध्यान दिया गया और देखते ही देखते इस वैकल्पिक ऊर्जा का योगदान काफी
बढ़ गया । भारत की स्थापित ऊर्जा क्षमता में नवीनीकृत ऊर्जा
विकल्पों का योगदान लगभग 12 फीसदी तक पहुंच गया है।
भारत
में अक्षय उर्जा की 31 दिसम्बर 2014 तक इंस्टाल्ड
क्षमता (कुल 33,791.74)
स्रोत
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इंस्टाल्ड क्षमता
(मेगा वाट में )
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पवन उर्जा
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22,465.03
|
सौर उर्जा
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3,062.68
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लघु जल विद्युत ऊर्जा
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3,990.83
|
बायोमास उर्जा
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1,365.20
|
बायोगैस कोजेनेशन
|
2,800.35
|
अपशिष्ट उर्जा
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107.58
|
Total
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33,791.74
|
पिछले दिनों केंद्र सरकार की कैबिनेट
की बैठक में सरकार ने जवाहर लाल नेहरू सोलर मिशन का लक्ष्य पांच गुना बढ़ाने का
निर्णय लिया है। अब सरकार वर्ष 2022 तक 1 लाख मेगावाट बिजली का उत्पादन सोलर प्रोजेक्ट से करेगी। इसके लिए 6 लाख करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य रखा गया है। यूपीए सरकार में यह
लक्ष्य 20 हजार मेगावाट तय किया था। नयें प्लान के
अनुसार वर्ष 2022 तक 40 हजार मेगावाट छतों पर
लगने वाले सोलर प्रोजेक्ट (रूफटॉप) से और 60 हजार मेगावाट बड़े और
मझोले ग्रिड से जुड़े प्रोजेक्ट के माध्यम से पूरा किया जाएगा।
इसके लिए केंद्र सरकार ने 15050 करोड़ रुपये सब्सिडी देने का भी निर्णय लिया है। यह सब्सिडी रूफटॉप सोलर
प्रोजेक्ट और छोटे सोलर प्रोजेक्ट के लिए दिया जाएगा। इसके अलावा रूफटॉप सोलर
प्रोजेक्ट लगाने वाले लोगों को अतिरिक्त सुविधाएं भी देने का ऐलान पहले ही किया
जा चुका है, इसमें अतिरिक्त एफएआर, होम लोन आदि प्रमुख है।
अक्षय ऊर्जा
क्षेत्र में सरकारी पहल
केंद्र सरकार वर्ष 2022 तक 100 गीगा वाट सौर
ऊर्जा और 60 गीगा वाट
पवन ऊर्जा सहित 160 GW गीगा वाट से भी
अधिक अक्षय ऊर्जा स्रोत कायम करने की योजना बना रही है। इसके लिए छोटी पनबिजली, जैव ऊर्जा, नवीन और उभरती
प्रौद्योगिकियों पर जोर दिया जा रहा है। सरकार देश में अक्षय ऊर्जा निर्माण केन्द्र
स्थापित करने के साथ ही अक्षय ऊर्जा विश्वविद्यालय स्थापित करने और बहुविध
रोजगार सृजन पर भी जोर दे रही है।
देश के अक्षय ऊर्जा कार्यक्रम पर जोर देते हुए सरकार ने पिछले कई महीनों के दौरान देश में 'स्वच्छ ऊर्जा' पर जोर दिया है। देश में अक्षय ऊर्जा बिजली उत्पादन के तीव्र विकास को आसान बनाने के क्रम में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय एक अक्षय ऊर्जा विधेयक तैयार करने में जुटा है। कई योजनाएं प्रक्रिया के चरण में हैं, जैसे-1000 मेगावाट ग्रीड से जुड़ी सौर फोटोवोल्टेइक बिजली परियोजनाएं स्थापित करने के लिए केन्द्रीय सार्वजनिक इकाइयों को 1000 करोड़ रुपये की सहायता देना, राजस्थान, गुजरात, तमिलनाडु और लद्दाख में अल्ट्रा मेगा सौर बिजली परियोजनाएं, रक्षा बलों द्वारा 300 मेगावाट वाली ग्रीड से जुड़ी सौर पीवी बिजली परियोजनाएं, वर्ष 2019 तक 20,000 मेगावाट क्षमता वाली 25 सौर ऊर्जा परियोजनाएं तैयार करना और रक्षाबलों तथा अर्द्ध-सैनिक संस्थापनाओं द्वारा 300 मेगावाट से अधिक सौर बिजली परियोजनाओं को स्थापित करना। सरकार ने 2015-16 से लेकर 2017-18 के दौरान तीन वर्षों की अवधि में 1,000 करोड़ रुपये की धनराशि के साथ 1,000 मेगावाट ग्रीड से जुड़ी सौर पीवी बिजली परियोजनाएं स्थापित करने की योजना भी मंजूर की है।
देश के अक्षय ऊर्जा कार्यक्रम पर जोर देते हुए सरकार ने पिछले कई महीनों के दौरान देश में 'स्वच्छ ऊर्जा' पर जोर दिया है। देश में अक्षय ऊर्जा बिजली उत्पादन के तीव्र विकास को आसान बनाने के क्रम में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय एक अक्षय ऊर्जा विधेयक तैयार करने में जुटा है। कई योजनाएं प्रक्रिया के चरण में हैं, जैसे-1000 मेगावाट ग्रीड से जुड़ी सौर फोटोवोल्टेइक बिजली परियोजनाएं स्थापित करने के लिए केन्द्रीय सार्वजनिक इकाइयों को 1000 करोड़ रुपये की सहायता देना, राजस्थान, गुजरात, तमिलनाडु और लद्दाख में अल्ट्रा मेगा सौर बिजली परियोजनाएं, रक्षा बलों द्वारा 300 मेगावाट वाली ग्रीड से जुड़ी सौर पीवी बिजली परियोजनाएं, वर्ष 2019 तक 20,000 मेगावाट क्षमता वाली 25 सौर ऊर्जा परियोजनाएं तैयार करना और रक्षाबलों तथा अर्द्ध-सैनिक संस्थापनाओं द्वारा 300 मेगावाट से अधिक सौर बिजली परियोजनाओं को स्थापित करना। सरकार ने 2015-16 से लेकर 2017-18 के दौरान तीन वर्षों की अवधि में 1,000 करोड़ रुपये की धनराशि के साथ 1,000 मेगावाट ग्रीड से जुड़ी सौर पीवी बिजली परियोजनाएं स्थापित करने की योजना भी मंजूर की है।
अक्षय उर्जा अपनाना जरुरी भी और मजबूरी भी
कार्बन उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरे का देखते हुए पूरी दुनियाँ ही अक्षय उर्जा अपनाने को विवश हो रही है और सच्चाई है कि आज नहीं तो कल हमें अक्षय उर्जा अपनाना ही पड़ेगा। देश में बिजली की भारी किल्लत को देखते हुए अक्षय उर्जा स्रोत को बड़े पैमाने पर अपनाना भारत की मजबूरी भी है और जरुरत भी है ।इसलिए भारत सरकार ने इन स्रोतों को विकसित करने को उच्च प्राथमिकता दी है। आज जरुरत है कि हम सब अक्षय उर्जा के स्रोतों का उपयोग करें और दूसरों को भी करने के लिए प्रेरित करें क्योकि अक्षय उर्जा ही देश का भविष्य है । भारत में पिछले कुछ सालों में नवीकृत ऊर्जा के संसाधन काफी बढ़े हैं.
वित्तीय वर्ष 2008 से 2013 के बीच देश के सकल नवीकृत ऊर्जा उत्पादन में क्रमश: 7.8 से 12.3 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गयी है.
इसमें पवन ऊर्जा का योगदान लगभग 67फीसदी है और यह सकल स्थापित क्षमता में 22.4 गीगावाट का योगदान करती है। पवन ऊर्जा का प्रचलन दिनोंदिन
बढ़ रहा है और आज स्थिति यह है कि भारत पवन ऊर्जा उत्पादन में विश्व में पांचवा
स्थान रखता है।
अक्षय ऊर्जा को
बढ़ावा
पिछले दिनों दिल्ली में प्रथम नवीकरणीय ऊर्जा वैश्विक निवेशक सम्मेलन में
प्रधानमंत्री ने कहा था कि नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन पर जोर दिया जाना यह सुनिश्चित
करने का प्रयास है कि भारत के सभी निर्धनों की पहुंच ऊर्जा तक कायम की जा सके। उन्होंने कहा
कि भारत नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन में धीरे-धीरे मेगावाट से जीगावॉट की ओर बढ़ रहा
है,
फिर भी आज लाखों परिवार ऐसे हैं
जिनके पास ऊर्जा के कनेक्शन नहीं हैं। उन्होंने कहा कि जब तक अंतिम परिवार तक
बिजली नहीं पहुंच जाती, तक तक विकास के लाभ जन
साधारण तक नहीं पहुंच सकते। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि वैश्विकरण के इस युग
में ऊर्जा उत्पादन और वितरण के क्षेत्र में भारी बढ़ोतरी करने के अलावा कोई विकल्प
नहीं है।
देश के टेलीकॉम टॉवर प्रतिवर्ष लगभग 5 हजार करोड़ का तेल
जला रहे हैं । यदि वह अपनी आवश्यकता सौर ऊर्जा से प्राप्त करते हैं तो बड़ी मात्रा
में डीजल बचाया जा सकता है । सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए लोगों को इसकी ओर
आकर्षित करना जरूरी है । लोग इसको समझने तो लगे हैं लेकिन इसका प्रयोग करने से
कतराते हैं । छोटे स्तर पर सोलर कूकर, सोलर बैटरी, सौर ऊर्जा से चलने वाले वाहन, मोबाइल फोन आदि का
प्रयोग देखने को मिल रहा है लेकिन ज्यादा नहीं । विद्युत के लिए सौर ऊर्जा का
प्रयोग करने से लोग अभी भी बचते हैं जिसका कारण सौर ऊर्जा का किफायती न होना है ।
सौर ऊर्जा अभी महंगी है और इसके प्रति आकर्षण बढ़ाने के लिए जागरूकता जरूरी है ।
साथ ही यदि इसे स्टेटस सिंबल बना दिया जाए तो लोग आकर्षित होंगे । समाज के कुछ
जागरूक लोगों को इकट्ठा करके पहले उन्हें इसकी ओर आकर्षित किया जाए तो धीरे-धीरे
और लोग भी इसका महत्व समझने लगेंगे ।
अक्षय उर्जा अपनाना जरुरी भी
और मजबूरी भी
कार्बन उत्सर्जन और जलवायु
परिवर्तन के बढ़ते खतरे का देखते हुए पूरी दुनियाँ ही अक्षय उर्जा अपनाने को विवश
हो रही है और सच्चाई है कि आज नहीं तो कल हमें अक्षय उर्जा अपनाना ही पड़ेगा। देश में बिजली की भारी
किल्लत को देखते हुए अक्षय उर्जा स्रोत को बड़े पैमाने पर अपनाना भारत की मजबूरी भी
है और जरुरत भी है ।इसलिए भारत सरकार ने इन स्रोतों को विकसित करने को उच्च
प्राथमिकता दी है। आज जरुरत है कि हम सब
अक्षय उर्जा के स्रोतों का उपयोग करें और दूसरों को भी करने के लिए प्रेरित करें
क्योकि अक्षय उर्जा ही देश का भविष्य है ।
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